Religion

Gyan Ganga: वासुदेवजी से मुलाकात के दौरान नंदबाबा ने क्या कहा था

Gyan Ganga: वासुदेवजी से मुलाकात के दौरान नंदबाबा ने क्या कहा था

Gyan Ganga: वासुदेवजी से मुलाकात के दौरान नंदबाबा ने क्या कहा था

सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे !
तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयंनुम:॥ 

प्रभासाक्षी के श्रद्धेय पाठकों! आइए, भागवत-कथा ज्ञान-गंगा में गोता लगाकर सांसारिक आवा-गमन के चक्कर से मुक्ति पाएँ और अपने इस मानव जीवन को सफल बनाएँ। 

पिछले अंक में हम सबने पढ़ा कि— वसुदेव जी, बालकृष्ण को चुपके से नन्द-भवन में पहुँचा कर वापस मथुरा की जेल में आ गए। उधर गोकुल में नन्द बाबा के घर बधाइयाँ बजने लगी। बुढ़ापे में पुत्र प्राप्त कर नंदबाबा की खुशी का ठिकाना न रहा। 

इसे भी पढ़ें: Gyan Ganga: साधु मण्डली ने नंद बाबा को क्या आशीर्वाद दिया था?

आइए ! आगे की कथा प्रसंग में चलते हैं – 
नन्द घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की---------------------

शोर-गुल सुनकर ग्वाल-बाल दौड़ के आए और सुनन्दा से पूछने लगे--- का भयो, का भयो सुनन्दा ने कहा कछु नहीं भयो। अरे तो काहे को चिल्ला रही है। पहले बता मेरो भैया कहाँ हैं? अरे नंदबाबा तो चबूतरा पर बैठकर ग्वालन के संग माला सटकाय रहे होंगे। सुनन्दा दौड़ कर गई देखती है बाबा माला जप कर रहे हैं। माला में मंत्र कौन सा जप रहे हैं, अब ही तो भयो नाही आगे पतो नाहीं। सारे मंत्र भूल गए हैं विचारे नंदबाबा ! जैसे ही सुनंदा जी आईं, अरे भैया तुम माला सटकाय रहे हो, मैं कहाँ कहाँ ढ़ूंढ़ आई। नंदबाबा बोले अच्छा बता, क्या बात है? सुनन्दा बोली पहले बताओ मेरो इनाम कहाँ है? अब तो नंदबाबा की धड़कन तेज हो गई। अरे बहन ! ले, ये तिजोरी की चाभी, जो अच्छा लगे सब ले ले। अब देर न कर बता जल्दी। सुनन्दा समझ गई कि भैया आतुर हैं। कान मे धीरे से कहा- तेरे घर में लाला को जनम हो गयो। खुशी के मारे नंदबाबा ऐसे उछले मानो सोलह साल का छोरा हो। अपना बुढ़ापा बिलकुल भूल गए। अब उत्सव कैसे मनाया जाए। नंदबाबा बोले— पहले पंडितजी को बुलाओ और इधर शुकदेवजी ने श्लोक गाया—

आहूय विप्रान वेदज्ञान स्नात: शुचिरलंकृत;।     
      
ब्राह्मणों को बुलावा भेजा गया। महाराज ! जल्दी चलो नंदबाबा के घर लाला को जनम भयो है। ब्राह्मण देव अति प्रसन्न हुए दौड़कर यमुना में स्नान किए तिलक चन्दन लगाकर पोथी पतरा काँख में दबाकर सब ब्राह्मण दौड़े नंदभवन पहुँचे और उच्च स्वर में स्वस्तिवाचन बोलना शुरू कर दिया। 

स्वस्ति न; इन्द्रो -------------------- 

ब्राह्मणो ने नंदबाबा से कहा- जाओ तुम भी नहा धोकर जल्दी से आ जाओ। नंदबाबा दौड़कर गए यमुना में स्नान किए और 108 डुबकी लगाई। महाराज नहा लियो मैंने, अब बोलो। जल्दी से नयो कपड़ो पहन के आ जाओ। ब्राह्मणों ने विधिवत पूजा-पाठ करवाया, जात कर्म संस्कार करवाया। यशोदा जी को पुत्र हुआ सुनकर गोपियों का आनंद बढ़ गया। बधाई बजने लगी। गोकुल की स्त्रियाँ सोहर गाने लगीं। आइए हम भी कान्हा के जन्म उत्सव में शामिल होकर सोहर गाएँ।

इसे भी पढ़ें: Gyan Ganga: जब कंस ने जेल में देवकी की गोद में कन्या को देखा तो क्या सोचने लगा?

कहवा से आवे पाँच पंडित अवरू गरग मुनि हो, 
ए ललना कहवा जनमले किसनजी, कहवा अजोर भइले हो। 
पुरुब से आवे पाँच पंडित अवरू गरग मुनि हो,    
ललना मथुरा जनमले किसनजी, गोकुल मे अजोर भइले हो। 
आरे कवन बाबा देले धेनु गैया, लुटावे धन कवन मैया हो 
ललना कहवा बाजेला बधइया, कि के गावे सोहर हो । 
नंदबाबा देले धेनु गैया लुटावे धन यशोदा मैया हो
ललना घरे घरे बाजेला बधइया जगत गावे सोहर हो ॥  

शुकदेव जी कहते हैं—परीक्षित उस दिन से नंदबाबा के व्रज में सब प्रकार की सिद्धियाँ अठखेलियाँ करने लगी वहाँ श्री कृष्ण के साथ-साथ लक्ष्मीजी का भी निवास हो गया।

बोलिए लक्ष्मी नारायण भगवान की जय ------

पूतना-वध
नंदबाबा कंस का वार्षिक कर चुकाने के लिए मथुरा गए हुए थे। वहाँ वासुदेव से उनकी मुलाक़ात हुई। वासुदेव के हृदय में पुत्र वियोग का शोक है परंतु वे नंदबाबा के आनंद की चर्चा कर रहे हैं। नंदबाबा के हृदय में पुत्र जन्म का आनंद है पर वे वासुदेव के शोक में सम्मिलित हो रहे हैं। शुद्ध मैतृ यही है। तुलसी बाबा ने कहा— 

निज दुख गिरि सम रज कण जाना, मित्रहि दुख रज मेरु समाना 
जे न मित्र दुख होहि दुखारी, तिनहि बिलोकत पातक भारी॥

एक सच्चे मित्र को चाहिए कि अपना दुख पहाड़ के समान हो तो भी उसे छिपाकर रखें और अपने मित्र का दुख यदि धूल के कण के बराबर अत्यंत छोटा हो, तो भी उसे बहुत बड़ा समझकर उसका निदान करे। दोनों नन्द और वासुदेव अपने-अपने सुख-दुख की चर्चा कर रहे हैं। वासुदेव को लाला (कृष्ण) की चिंता पड़ी है, इसलिए तुरंत बोले उठे— नन्द बाबा मैं ज्योतिष का प्रकांड पंडित हूँ। मेरी ज्योतिष विद्या बता रही है कि तुम्हारे ग्रह-दशा ठीक नहीं चल रहे हैं।  
  
बहुत जल्दी ही गोकुल में उत्पात होने वाला है। अब तू इधर-उधर कहीं मत जाओ। सीधे जाकर अपना गोकुल संभाल। यह सुनते ही नन्दबाबा की धड़कन तेज हो गई, तुरंत लाठी टेकते-टेकते गोकुल की तरफ भागे। हे भगवान ! मेरे लाला की रक्षा करो ऐसी प्रार्थना करते हुए नन्दबाबा घर पहुँचे, लेकिन यह क्या? उनके पहुँचने के पहले ही घर पर पूतना मौसी पहुँच गई।

कंस ने पूतना नाम की एक राक्षसी को गोकुल में उत्पन्न हुए सभी नवजात शिशुओं को मारने के लिए भेजा था।

शुकदेव जी कहते हैं--- 
 
कंसेन प्रहिता घोरा पूतना बालघातिनी 
शिशुश्चचार निघ्नन्ती पुरग्राम व्रजादिषु।

शेष अगले प्रसंग में । --------
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव ----------
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।

- आरएन तिवारी

What did nandbaba say during his meeting with vasudevji

Join Our Newsletter

Lorem ipsum dolor sit amet, consetetur sadipscing elitr, sed diam nonumy eirmod tempor invidunt ut labore et dolore magna aliquyam erat, sed diam voluptua. At vero