India and Hockey: क्या हैं भारत में हॉकी का इतिहास, कैसे देश के कोने-कोने में यह होता गया लोकप्रिय
भले ही भारत में क्रिकेट खूब लोकप्रिय है। लेकिन यहां का राष्ट्रीय खेल हॉकी है। यही कारण है कि लोगों की हॉकी में रुचि भी दिखाई देती है। हालांकि, क्रिकेट इतनी जानकारी हॉकी को लेकर शायद ही सभी को पता हो। आज हम आपको भारत में हॉकी और इसके इतिहास को लेकर जानकारी देने जा रहे हैं। भारत में हॉकी विश्वकप का आयोजन हो रहा है। ऐसे में हॉकी को जानने की उत्सुकता सभी में है। हॉकी की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह ओलंपिक खेलों में तो खेला ही जाता है। इसके अलावा हॉकी वर्ल्ड कप, चैंपियंस ट्रॉफी और एफआईएच प्रो लीग जैसी बड़ी प्रतियोगिताएं भी खेली जाती है।
हॉकी की शुरुआत
हॉकी का इतिहास काफी पुराना है। जानकारी के मुताबिक यह 16वीं शताब्दी से चला आ रहा है। इसकी शुरुआत को लेकर जो जानकारी है उसके मुताबिक यह 1527 में स्कॉटलैंड में शुरू हुआ था। लेकिन कुछ रिकॉर्ड यह भी बताते हैं कि इस खेल को मिस्र में भी खेला जाता था। कुछ इतिहासकारों का दावा है कि हॉकी को 4000 वर्ष पहले खेला गया था। लेकिन इसका प्रमाण बहुत कम देखने को मिलता है।18वीं और 19वीं सदी आने के साथ ही यह धीरे-धीरे यह लोकप्रिय हुआ। शुरुआत में हॉ़की को मनोरंजन के लिए खेला जाता था। बाद में इसमें कई बदलाव किए गए। शुरुआती दिनों में अरब और यूनान के देशों में हॉकी को खेला गया। लेकिन ब्रिटिश शासन के विस्तार के साथ ही हॉकी की भी विस्तार हुआ। कई देशों में इसे खेला जाने लगा। जिन देशों में ब्रिटिश का शासन हुआ करता था, वहां हॉकी को लोकप्रियता मिलती दिखी। भारत में भी हॉकी को सबसे पहले सेना में शामिल किया गया।
भारत में हॉकी
हॉकी की बात करें तो भारत में ब्रिटिश सेना के रेजिमेंट द्वारा इसे पेश किया गया। इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि इसे बाद में खेलों में शामिल किया गया। एशिया में सबसे पहले हॉकी भारत में ही खेला गया था। धीरे-धीरे भारत में लोकप्रियता हॉकी की बढ़ती गई। शुरुआती दिनों में हॉकी को स्कूलों में खेला जाता था। भारत में पहला हॉकी क्लब और 1855 में कोलकाता में गठन किया गया था। इसके बाद मुंबई और पंजाब में भी हॉकी क्लब का गठन किया गया। ओलंपिक में पहली बार हॉकी को 1908 में शामिल किया गया। शुरुआत के दो एशियाई खेलों में भारत को खेलने का मौका नहीं मिला। लेकिन तीसरे एशियाई खेल में भारत ने हॉकी में बढ़िया प्रदर्शन किया और जीत हासिल की।
हॉकी के लिहाज से देखें तो 1928 से 1956 का दौर भारत के लिए स्वर्णिम काल रहा है। भारत ने हॉकी के क्षेत्र में इतना बढ़िया प्रदर्शन किया कि यह राष्ट्रीय खेल बन गया। भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में पहली बार 1928 में कदम रखा। कहा जाता है कि जब 1928 ओलंपिक खेलों के लिए भारतीय टीम मुंबई बंदरगाह से रवाना हो रही थी, तब उसे विदा करने के लिए सिर्फ 3 लोग पहुंचे थे। लेकिन भारतीय टीम वहां से स्वर्ण पदक जीतकर लौटी, तब हजारों लोगों ने भारतीय टीम का स्वागत किया था। भारत को 1928 के ओलंपिक खेलों में ग्रुप ए में रखा गया था जिसमें बेल्जियम, डेनमार्क, स्वीटजरलैंड और ऑस्ट्रिया की टीम थी।
भारत में बड़ी संख्या में खाली मैदान हुआ करते थे। इसके अलावा हॉकी खेलने के लिए बहुत ज्यादा उपकरणों की आवश्यकता नहीं होती थी। तभी यह खेल भारत में युवाओं से लेकर बच्चों तक की पहली पसंद बन गया था। दावा तो यह भी किया जाता है कि 1907-08 के दौरान हॉकी एसोसिएशन ऑफ इंडिया की स्थापना को लेकर बात चल रही थी। लेकिन सफलता नहीं मिली। बाद में 1925 में भारतीय हॉकी संघ की स्थापना हुई। भारत की हॉकी टीम ने पहली बार 1926 में कोई अंतरराष्ट्रीय टूर किया था, जब न्यूजीलैंड दौरे पर गई थी। इस दौरान भारतीय टीम में 21 मुकाबले खेले थे जिसमें 18 में जीत हासिल की थी। इसी टूर्नामेंट में ध्यानचंद को पूरी दुनिया ने देखा था।
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