Reviews on tea

Chai Par Sameeksha: भाजपा, आप और कांग्रेस को चुनाव परिणामों ने क्या-क्या संदेश और सबक दिये

Chai Par Sameeksha: भाजपा, आप और कांग्रेस को चुनाव परिणामों ने क्या-क्या संदेश और सबक दिये

Chai Par Sameeksha: भाजपा, आप और कांग्रेस को चुनाव परिणामों ने क्या-क्या संदेश और सबक दिये

हमेशा की तरह प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह भी हमने देश-दुनिया की राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की। कार्यक्रम में मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे जी। पहला सवाल हमने समान नागरिक संहिता को लेकर ही पूछा, क्योंकि अब इसे संसद में भी उठाया जा चुका है। इसके जवाब में नीरज दुबे ने कहा कि चाहे भाजपा हो या उससे पहले जनसंघ हो, दोनों के एजेंडे में समान नागरिक संहिता शुरू से ही रहा है। इसके साथ ही नीरज दुबे ने यह भी कहा कि समान नागरिक संहिता इस देश की सबसे बड़ी जरूरत है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार बार-बार कह रही है कि वह समान नागरिक संहिता के लिए प्रतिबद्ध है, वचनबद्ध है। सरकार के कई बड़े नेता जिसमें खुद गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हैंस विभिन्न समाचार चैनलों के माध्यम से यह बात भी कह चुके हैं कि हम समान नागरिक संहिता को लेकर प्रतिबद्ध है। 

प्रभासाक्षी के संपादक में यह भी कहा कि हमने देखा कि कैसे भाजपा ने समान नागरिक संहिता की उत्तराखंड से शुरुआत की। उसके बाद ही गुजरात, मध्य प्रदेश ऐसे तमाम राज्य में इसे अब लाने की तैयारी कर रही है। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से सरकार सीएए को लेकर आई थी और देशभर में विरोध झेलना पड़ा, ऐसे में उन विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए सरकार इस पर सतर्कता के साथ आगे बढ़ रही है और पहले इसे राज्यों में लाया जा रहा है। केंद्र सरकार कुल मिलाकर यह देखने की कोशिश कर रही है इसका विरोध होता है या फिर इसे स्वीकारा जाता है। इसी के बाद केंद्रीय स्तर पर भी इसे लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अभी जो संसद में बिल आया है उसका ज्यादा महत्व नहीं है। राज्यसभा में भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा एक निजी बिल लेकर आए हैं। उन्होंने कहा कि यह गैर सरकारी विधेयक है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यह बात देखना होगा कि जब इस पर चर्चा होती है तो सरकार और विभिन्न दलों का रुख क्या होता है। 

कांग्रेस को संजीवनी
राजनीतिक विषयों पर बातचीत करते हुए हमने नीरज दुबे से पहला सवाल यही पूछा कि जो हाल में ही राज्यों के चुनाव के नतीजे आए हैं, उसके राजनीतिक मायने क्या है और हिमाचल में कांग्रेस की जीत उसके लिए संजीवनी साबित होने वाली है? नीरज दुबे ने कहा कि इस बार जनता ने भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी तीनों को ही जश्न मनाने का मौका दिया है। इसके साथ ही सबक भी सिखाया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जनता तय करती है कि किसकी सरकार बनेगी, आप लिखकर नहीं दे सकते। आप जनता का बॉस मत बनिए, जनता ही लोकतंत्र में बॉस होती है। उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया कि हिमाचल से कांग्रेस को बड़ी संजीवनी मिली है। लेकिन इस संजीवनी को लेकर हिमाचल में कांग्रेस को भी ध्यान देना होगा कि आखिर यह संजीवनी उसे कैसे मिली है? हिमाचल में पार्टी के खाते में 40 सीटें आई। 15 से 16 सीटें ऐसे भी हैं जहां कांग्रेस ने 2000 से कम के मार्जिन से जीत हासिल की है। वोट परसेंटेज के मामले में भी भाजपा और कांग्रेस के बीच मामूली अंतर है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को जो सत्ता मिली है, वह हिमाचल प्रदेश के रिवाज की वजह से ही मिली है जहां हर 5 साल में शासन में परिवर्तन होता है।

इसे भी पढ़ें: आप ने दिल्ली का चुनाव तो जीत लिया मगर प्रदूषण और कचरे से निजात कैसे दिलायेगी?

नीरज दुबे ने यह भी कहा कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम वाला नारा काम कर गया है। लेकिन अब उस वादे को पूरा भी करना होगा। लेकिन यह देखना होगा कि ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर पैसे कहां से लाएगी? नीरज दुबे ने कांग्रेस से यह भी कहा कि आपने ओल्ड पेंशन स्कीम को दोबारा लाने का घोषणा किया, लेकिन क्या आपने मनमोहन सिंह से पूछा? उन्होंने कहा कि जब ओल्ड पेंशन स्कीम को वापस लिया गया था तो उस समय मनमोहन सिंह ने क्या कहा था, यह भी गौर करने वाली बात है। नीरज दुबे ने यह भी कहा कि कांग्रेस को जो हिमाचल में जीत मिली है, उसका नतीजा अब पार्टी पर दिखने लगा है। दिल्ली में जो कांग्रेस बिल्कुल ही सक्रिय नजर नहीं आती थी वह अब सक्रिय दिखने लगी है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पार्टी के दो पार्षद आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। लेकिन कांग्रेस ने सक्रियता दिखाई। अपने नेताओं को उन्हें मनाने के लिए भेजा और यह फिर वापस आ गए। यह कांग्रेस की सक्रियता देखने लगी है। इसके बाद तमाम कांग्रेस प्रदेश कमेटी में ही विश्वास जगी है कि पार्टी अभी जिंदा है। 2018 के बाद कांग्रेस को पहली बार किसी स्टेट में जीत मिली है। 

भाजपा की रणनीति
नीरज दुबे से हमने यह भी पूछा कि भाजपा को अब आगे क्या करने की जरूरत है, क्या पार्टी का विजय अभियान यूं ही चलता रहेगा? आने वाले साल में जो विधानसभा के चुनाव होने हैं, उसमें पार्टी क्या कुछ करेगी। नीरज दुबे ने कहा कि गुजरात की सामाजिक स्थिति और आर्थिक स्थिति बिल्कुल अलग है। वहां की हर घर में भाजपा की अपनी अलग पकड़ है। उन्होंने कहा कि गुजरात में भाजपा द्वारा किए गए विकास कार्य लोगों को दिखता है। यही कारण है कि गुजरात के लोग भाजपा को अपनी पार्टी मानते हैं। नीरज दुबे ने यह भी कहा कि गुजरात में भाजपा ने लगातार सात बार चुनाव जीतकर वामदलों की बराबरी कर ली है। अगर किसी राज्य में पार्टी को 53 फ़ीसदी वोट मिलती है तो इसका मतलब साफ है कि हर घर में भाजपा की मौजूदगी है। उन्होंने कहा कि गुजरात चुनाव आने वाले दिनों की राजनीति के लिए बड़ा संकेत हैं। दूसरे राज्यों की रणनीति को लेकर पूछे गए सवाल पर नीरज दुबे ने कहा कि हर राज्यों की परिस्थिति अलग होती है और उन परिस्थितियों के हिसाब से ही राजनीतिक दल चुनाव में मुद्दा उठाते हैं। ऐसे में भाजपा अपनी अलग रणनीति तो जरूर बनाएगी। लेकिन पार्टी आने वाले दिनों के चुनाव को लेकर सक्रिय हो गई है।

- अंकित सिंह

What messages and lessons given by the election results to bjp aap and congress

Join Our Newsletter

Lorem ipsum dolor sit amet, consetetur sadipscing elitr, sed diam nonumy eirmod tempor invidunt ut labore et dolore magna aliquyam erat, sed diam voluptua. At vero