मुस्लिमों को सबसे ज्यादा पद्म पुरस्कार किसने दिये? कांग्रेस ने, अटलजी ने या मोदी ने?
भारत में मुसलमानों को लेकर राजनीति शुरू से होती रही है। यदि मुसलमानों को वोट बैंक नहीं समझा गया होता तो आज इस समुदाय की आर्थिक और सामाजिक दशा निश्चित ही बहुत बेहतर होती। मुस्लिम समाज की बेहतरी की दिशा में किये गये कार्यों को लेकर सरकार और विपक्ष के अपने-अपने दावे हैं। लेकिन इन दावों और वादों की पड़ताल करने की बजाय आज हम जानेंगे कि इस समाज को पद्म पुरस्कारों जैसा राष्ट्रीय सम्मान किसने सर्वाधिक दिया है। हालांकि संख्या के लिहाज से देखेंगे तो चूंकि देश में अधिकतर समय कांग्रेस का ही शासन रहा है इसीलिए उसी ने सर्वाधिक मुस्लिमों को इस सम्मान से नवाजा है लेकिन यह भी गौर करने वाली बात है कि एनडीए सरकार के दौरान चाहे अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री रहे हों या अब नरेंद्र मोदी...इन दोनों ही नेताओं की सरकारों के कार्यकाल में भी मुस्लिमों के सम्मान का पूरा-पूरा ध्यान रखा गया है।
खास बात यह भी है कि कांग्रेस सरकारों के कार्यकाल में मुस्लिमों को मिले पद्म पुरस्कारों पर नजर दौड़ाएंगे तो पता चलता है कि उनमें संभ्रांत वर्ग के ही ज्यादातर लोग शामिल थे। कांग्रेस सरकार के कार्यकालों में जिन मुस्लिमों को पद्म पुरस्कार दिये गये उनमें प्रसिद्ध गीतकार, संगीतकार, अभिनेता-अभिनेत्री, नर्तक, कवि, चित्रकार, डॉक्टर, कश्मीरी कार्यकर्ता, नेताओं की पत्नियां या अन्य परिजन, एनजीओ चलाने वाले, सरकारी अधिकारी, सरकारी अधिकारियों के परिजन और कांग्रेस पार्टी के नेता आदि शामिल थे। जबकि एनडीए सरकार के कार्यकाल में ऐसे मुस्लिमों को पद्म पुरस्कार से नवाजा जा रहा है जिन्हें उनके नाम की घोषणा से पहले राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर कोई नहीं जानता था। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में पद्म पुरस्कार पाने वाले मुस्लिमों में कोई गाय को बचाने का अभियान चलाता है तो कोई लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करने वाला है तो कोई ऐसा पुरातत्वविद् है जो अयोध्या में राम मंदिर चाहता है।
कांग्रेस और भाजपा के कार्यकाल में जिन मुस्लिमों को पद्म पुरस्कार मिले उनके नामों पर नजर डालें तो एक बात और साफतौर पर उभर कर आती है कि दोनों ही पार्टियों ने ऐसे नामों को वरीयता दी जो वैचारिक आधार पर उनके नजदीक लगे। भाजपा भले ही कांग्रेस पर 'मुस्लिम तुष्टिकरण' का आरोप लगाती है, लेकिन वह भी इस परंपरा को जारी रखे हुए है। पहले एनडीए शासन (1998-2004) के दौरान, 534 पद्म पुरस्कार वितरित किए गए, जिनमें से 30 मुसलमानों को दिए गए (उस्ताद बिस्मिल्लाह खान को भारत रत्न सहित) यानि भाजपा ने लगभग 6 प्रतिशत मुस्लिमों को पद्म पुरस्कार दिये। वहीं मोदी सरकार ने कुल 902 पुरस्कार (2022 तक) दिए हैं और इस आंकड़े में केवल 50 मुस्लिम शामिल हैं। यानि मुस्लिमों की हिस्सेदारी घटकर 5.5 फीसदी रह गई है। यहां साल 2020 के आंकड़ों पर भी गौर करना चाहिए क्योंकि इस वर्ष सर्वाधिक 12 मुस्लिमों को पद्म पुरस्कार प्रदान किये गये।
बहरहाल, 1954 से अब तक के आंकड़े पर नजर डालें तो इस अवधि में छह भारत रत्नों सहित मुस्लिमों को जितने पद्म पुरस्कार दिये गये हैं उसका वार्षिक औसत छह से सात प्रतिशत रहा है जिसे एनडीए शासन के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने भी और अब नरेंद्र मोदी ने भी लगभग बरकरार रखा है। यह तो हुई मुस्लिमों को सम्मान देने की बात इसके अलावा सरकारी योजनाओं की बात करें तो अलपसंख्यक समाज के लिए तमाम क्षेत्रों में योजनाएं शुरू करने उनका लाभ मुस्लिमों तक पहुँचाने का काम भी पिछले आठ वर्षों के दौरान जितना हुआ है उतना पहले कभी नहीं हुआ। मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक जैसी कुप्रथा से भी मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान ही निजात मिली। लेकिन फिर भी समाज का एक वर्ग है जोकि मुस्लिमों के मन में भाजपा के प्रति भय का वातावरण बनाकर अपनी राजनीति करना चाहता है लेकिन ऐसे लोगों का सच अब धीरे-धीरे मुसलमान भी समझने लगे हैं। देश का मुसलमान आज समझ चुका है कि जिन लोगों ने आज तक उन्हें गुमराह किया उनके बच्चे तो तरक्की पा गये लेकिन गरीब मुस्लिमों के बच्चे आज भी संघर्ष करने के लिए मजबूर हैं।
-नीरज कुमार दुबे
Who gave the highest number of padma awards to muslims