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गुजरात और एमसीडी चुनाव में किसका पलड़ा भारी, दक्षिण की ओर क्यों देख रही भाजपा

गुजरात और एमसीडी चुनाव में किसका पलड़ा भारी, दक्षिण की ओर क्यों देख रही भाजपा

गुजरात और एमसीडी चुनाव में किसका पलड़ा भारी, दक्षिण की ओर क्यों देख रही भाजपा

प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह हमने भाजपा के मिशन दक्षिण और गुजरात तथा एमसीडी चुनाव पर चर्चा की। इस दौरान हमेशा की तरह हमारे साथ मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे। हमने सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दक्षिण भारत दौरे पर चर्चा की। हमें नीरज दुबे से पूछा कि क्या उत्तर भारत में भाजपा को होने वाले नुकसान दक्षिण भारत में भरपाई हो पाएगी? इसको लेकर नीरज दुबे ने कहा कि 2019 चुनाव के दौरान हमने देखा कि कैसे भाजपा ने पूर्वोत्तर में मेहनत किया था और जो भी उत्तर में उसे नुकसान झेलना पड़ा, उसे उसने पूर्वोत्तर में मेहनत करके हासिल कर लिया। ठीक वैसा ही इस बार दक्षिण में करने की कोशिश की जा रही है। कोरोना महामारी की लहर कम होने के बाद से भाजपा के नेता लगातार दक्षिण भारत के दौरे कर रहे हैं। पिछले दिनों बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी दक्षिण भारत में ही हुई। इसके अलावा राज्यसभा के लिए जो सदस्यों को मनोनीत किया गया, वह भी दक्षिण भारत से आए। 

मिशन दक्षिण भारत 
प्रधानमंत्री ने दक्षिण भारत के जिन राज्यों का दौरा किया, वहां के प्रमुख राजनीतिक हस्तियों से मिले हैं। साथ ही साथ में उन कलाकारों से भी मिले जिनका उन राज्यों में दबदबा है। इससे साफ जाहिर होता है कि भाजपा कहीं ना कहीं 2024 के लिहाज से अपनी तैयारी में जुटी हुई है। इससे पहले अमित शाह भी जब तेलंगाना के दौरे पर गए थे तो वह भी फिल्म जगत के लोगों से मिले थे। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी बीजेपी चुनाव में चमकते सितारों को उतारती रही है। लेकिन ऐसा लगता है कि इस बार भाजपा उन लोगों पर ज्यादा फोकस कर रही है जिनका युवाओं में अपना पैठ है। पहले प्रधानमंत्री के कार्यक्रम एक-दो ही दक्षिण भारत में हुआ करते थे। लेकिन अब हम लगातार देख रहे हैं कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा दक्षिण में हो रहा है। 

कर्नाटक में असर
नीरज दुबे ने एक बार फिर से कर्नाटक का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में भाजपा में अभी भी एकजुटता दिखाई नहीं दे रही है। यही कारण है कि ऐसा लग रहा है कि कर्नाटक में एक बार फिर से भाजपा प्रधानमंत्री के ही चेहरे पर चुनाव लड़ने जा रही है। इसके साथ ही उन्होंने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भी विधानसभा के चुनाव का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यहां भी भाजपा अपनी पकड़ को मजबूत करने की कोशिश में है। तेलंगाना में तो भाजपा अब दूसरे नंबर की पार्टी बन चुकी है। ऐसे में उसका मुख्य मुकाबला तेलंगाना राष्ट्र समिति से है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी फिलहाल भाजपा के साथ खड़े तो रहते हैं। लेकिन गठबंधन नहीं है। खबर यह भी है कि टीडीपी एक बार फिर से भाजपा के साथ गठबंधन की कोशिश में है। देखना होगा कि आखिर आंध्र प्रदेश में भाजपा किसको अपना साथ देती है। 

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गुजरात चुनाव
इसके बाद हमने गुजरात और दिल्ली के चुनाव पर हमने बात किया। गुजरात चुनाव को लेकर नीरज दुबे ने कहा कि गुजरात के लोगों की जो मन की बात है, उसका निष्कर्ष यही है कि एक बार फिर से वहां भाजपा आने जा रही है। अब भाजपा को सीटें कितनी मिलेंगी, इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि गुजरात में एक चीज साफ नजर आ रहा है कि मैदान में बहुत लोग हैं। लेकिन उसका फायदा बीजेपी को हो सकता है। अरविंद केजरीवाल की पार्टी अलग वोट काटेगी, ओवैसी की पार्टी अलग वोट कटेगी, इसके अलावा और भी छोटे-छोटे दल है जो वोट काटेंगे। लेकिन वोट किसके कटेंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास गुजरात में नहीं नेतृत्व है, ना ही अच्छे उम्मीदवार हैं। उन्होंने कहा कि इस बार गुजरात में भाजपा के खिलाफ कुछ भी नहीं है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जो भी गुजराती है वह बीजेपी को अपनी पार्टी मानती हैं। ऐसे में दूसरी पार्टी के लिए वहां संभावनाएं फिलहाल कम नजर आ रहे हैं।
 
एमसीडी चुनाव पर बात
एमसीडी चुनाव पर बात करते हुए नीरज दुबे ने कहा कि मुख्य मुकाबला इसमें भाजपा और आम आदमी पार्टी में है। दोनों ही ओर से उम्मीदवारों की घोषणा की जा रही है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि उम्मीदवारों की घोषणा के बाद किस पार्टी के कितने बागी खड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में जीत-हार का मार्जिन 100-200 वोट रहता है। ऐसे में बागी कई लोगों की समीकरण को बिगाड़ सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी पर तमाम तरह के भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। यही कारण है कि नगर निगम के खिलाफ जो माहौल बना था, उसमें कमी देखने को मिली है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि आम आदमी पार्टी भी अब अलग तरह की पार्टी नहीं है।

- अंकित सिंह

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