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फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन में मुस्लिम समुदायों को देखने का नजरिया क्यों है अलग-अलग

फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन में मुस्लिम समुदायों को देखने का नजरिया क्यों है अलग-अलग

फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन में मुस्लिम समुदायों को देखने का नजरिया क्यों है अलग-अलग

यूरोपीय देशों के बीच इस्लाम को देखने और इसपर बात करने करने में काफी भिन्नता है। एक ओर अलग-अलग देशों में मीडिया पर नजर डालकर इसे समझना काफी आसान हो सकता है, लेकिन मैंने जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन में इस्लाम पर सार्वजनिक प्रवचनों के बारे में अपने पीएचडी शोध माध्यम से इसे समझाने की कोशिश की है। जर्मनी में, आप इस्लाम के प्रति कैसे दृष्टिकोण रखते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप राजनीतिक विमर्श के मामले में किस पक्ष के साथ खड़े हैं।

एक ओर, अधिकांश राजनीतिक अभिजात वर्ग एक जर्मन पहचान का बचाव करता है जो अब पारंपरिक संस्कृति पर आधारित नहीं रहकर संविधान पर आधारित हो गयी है। दूसरी ओर,मीडिया और राजनीतिक अल्पसंख्यक मिली जुली जर्मन पहचान का बचाव करते हैं। इस वैचारिक संघर्ष में, अभिजात वर्ग एएफडी (अल्टरनेटिव फर ड्यूशलैंड) पार्टी के नेतृत्व वाले देश के धुर दक्षिणपंथियों को दुश्मन नंबर एक के रूप में देखता है।

यह वर्ग कट्टरपंथी इस्लाम के प्रति भी ऐसा नजरिया नहीं रखता। इस बीच, ब्रिटेन में उदारवाद के कारण दो विपरीत विचारधाराओं के बीच समन्वय कायम रहता है। एक ओर, वैचारिक उदारवाद है, जिसका मकसद आतंकवाद और “घृणा के प्रचारकों” के सामने ब्रिटिश जीवन शैली की रक्षा करना है। साल 2011 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने “समावेशी उदारवाद” की बात कही। समावेशी उदारवाद ने देश में “कुछ मूल्यों ... (जैसे) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, उपासना की स्वतंत्रता, लोकतंत्र, कानून राज और नस्ल या लैंगिक पहचान से परे समान अधिकारों को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया। हालांकि ब्रिटेन में ही निगेल फराज जैसे नेता भी हैं, जिन्होंने ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से बाहर निकालने का पुरजोर समर्थन किया था।

फराज जर्मनी के नेतृत्व में यूरोपीय संघ को आव्रजन समर्थक बनाने का विरोध करते रहे हैं। ब्रिटेन में उदारवाद और बहुसंस्कृतिवाद का समर्थन करने वाले व्यक्ति मतभेदों को आम सहमति से दूर करने के समर्थक हैं। वहीं, “समावेशी उदारवाद” के पैरोकार इस दृष्टिकोण को निष्क्रिय और तटस्थ नजरिए के रूप में देखते हैं। ब्रिटेन में बहुसांस्कृतिक उदारवाद के पैरोकार और मीडिया का ज्यादातर ध्यान इस्लाम के बजाय यूरोपीय संघ पर केंद्रित होता है। फ्रांस में इस्लाम को केवल धार्मिक नजरिए से देखा जाता है और इसी नजरिए से इसपर चर्चा की जाती है।

फ्रांस में धर्मनिरपेक्षता की जब बात आती है, तो इस्लाम को अलग नजरिए से नहीं देखा जाता। इसके विपरीत संवैधानिक धर्मनिरपेक्षता में सभी धर्मों को विनियमित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें फ्रांस के मूल मुस्लिम नागरिकों को भी शामिल किया गया है। संक्षेप में, जिस तरह से पूरे जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस में इस्लाम का प्रतिनिधित्व किया जाता है, उससे राजनीतिक उदारवाद की दो व्याख्याओं के बीच संघर्ष का पता चलता है। अग्रणी संस्कृति, समावेशी उदारवाद और स्वयंसिद्ध धर्मनिरपेक्षता के समर्थक राजनीतिक उदारवाद को “साझा मूल्यों” के रूप में देखते हैं और युवाओं से इन मूल्यों का आत्मसात करने की आशा की जाती है।

Why is there a different view of muslim communities in france germany and britain

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