भ्रष्टाचार विरोधी नेता से हिंदू नेता बनने की कोशिश क्यों करने लगे केजरीवाल, भाजपा का UCC वाला दांव
By DivaNews31 October 2022
भ्रष्टाचार विरोधी नेता से हिंदू नेता बनने की कोशिश क्यों करने लगे केजरीवाल, भाजपा का UCC वाला दांव
प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में हमने हर सप्ताह की तरह इस सप्ताह भी देश के राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की। हमेशा के तहत कार्यक्रम में मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे। हमने पहला सवाल नीरज दुबे से यही पूछा कि क्या अरविंद केजरीवाल की हिंदुत्ववादी पॉलिटिक्स गुजरात में काम आने वाली है? इसके जवाब में नीरज दुबे ने कहा कि आम आदमी पार्टी जिन लक्ष्यों और विचारों को साथ लेकर चली थी, वह आज कहां है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि पार्टी अपने विचारों और लक्ष्य को भूल चुकी है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी सत्ता के लिए अपने सभी विचारों और लक्ष्य को तिलांजलि दे चुकी है। पहले ऐसा लगता था कि अरविंद केजरीवाल कुछ क्रांति कर देंगे। लेकिन आज वह पूरी तरीके से बदल चुके हैं। भ्रष्टाचार और धर्म की राजनीति में कूद चुके हैं। ऐसे में वह अलग कैसे हुए।
नीरज दुबे ने कहा कि केजरीवाल कहते थे कि धर्म का राजनीति से कोई वास्ता नहीं होना चाहिए। लेकिन आज वहीं केजरीवाल धर्म की राजनीति करते दिखाई दे रहे हैं। धर्म के आधार पर है वह लक्ष्मी जी और गणेश जी की तस्वीरें नोटों पर लगाने की मांग कर रहे हैं। नीरज दुबे ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने रुपए की गिरती कीमत को संभालने के लिए केंद्र से अपील की है कि रुपए पर गांधी जी के साथ लक्ष्मी जी और गणेश जी की तस्वीर भी छपवाएं ताकि देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिले और देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था संभल सके। लेकिन शायद केजरीवाल भूल गये हैं कि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है और संविधान में यह बात स्पष्ट शब्दों में लिखी हुई है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल को ध्यान होना चाहिए कि मुख्यमंत्री बनते समय उन्होंने भी उसी संविधान की शपथ ली थी जो पंथनिरपेक्षता का संदेश देता है। नीरज दुबे ने साफ तौर से पूछा कि क्या अन्य धर्म के लोग भी अब मांग नहीं करेंगे कि उनके भी धार्मिक प्रतीकों को भारतीय करेंसी पर लगाया जाए।
नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि अरविंद केजरीवाल को ऐसा लगता है कि वह इसे करने में सफल होंगे तो यह उन्हें भूल जाना चाहिए। हिंदुत्व की राजनीति पर बात करते हुए नीरज दुबे ने यह भी कहा कि भाजपा इस में मास्टर है। अगर अरविंद केजरीवाल को लगता है कि वह इस मामले में भाजपा को पीछे कर सकते हैं तो यह उनकी गलतफहमी है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि भाजपा ने सत्ता के लिए कभी भी अपनी विचारधारा नहीं बदली है। हां, यह बात सही है कि आज उस में कुछ बदलाव जरूर है। उन्होंने कहा कि जब चुनाव में असली हिंदू और उनके जैसा बनने का प्रयास कर रहे लोगों के बीच मतदाता को चुनने का मौका मिलेगा तो उस समय वह अपना फैसला जरूर करेंगे। लोकतंत्र में अंतिम फैसला जनता के हाथों में ही होता है।
नीरज दुबे ने इस बात को स्वीकार किया कि गुजरात की राजनीति में ध्रुवीकरण होता है। लेकिन वहां 2-4 महीने पहले से जाकर प्रचार करने से आपके लिए परिस्थितियां अनुकूल हो जाएगी ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में यमुना का प्रदूषित जल और जहरीला झाग यह दर्शाने के लिए काफी है कि सरकार के दावों और हकीकत में जमीन-आसमान का अंतर है। इच्छाशक्ति हो तो गंगा जैसी बड़ी नदी को भी प्रदूषण मुक्त किया जा सकता है, यह देश ने करके दिखाया है। इसलिए सवाल उठता है कि यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने की राह में ऐसी कौन-सी बाधाएं हैं जिनको सरकारें दूर नहीं कर पा रही हैं। उन्होंने कहा कि देश की राजधानी की हवा और पानी यदि सर्वाधिक प्रदूषित की श्रेणी में आएं तो यह शर्म की बात है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड वाला दाव
यूनिफॉर्म सिविल कोड पर भी हमने नीरज दुबे से चर्चा की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को मुद्दा बनाने के बाद भाजपा को फायदा हुआ है। यही कारण है कि गुजरात में भी इसे लाया गया है। उत्तराखंड में भाजपा के लिए फार्मूला काफी सफल साबित हुआ जो कि उसके लिए इतिहास बदल दिया। उन्होंने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड भाजपा का मुद्दा हमेशा से रहा है। भाजपा को यह पता है कि अगर एक साथ लाने की कोशिश की जाए तो इसका विरोध हो सकता है। इसीलिए राज्य दर राज्य चुनाव से पहले ही लाया जा रहा है ताकि वहां के लोगों के मन की बात को समझा जा सके।
- अंकित सिंह
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