National

Prabhasakshi Exclusive : इनता लंबा क्यों खिंचा रूस-यूक्रेन युद्ध, Brigadier DS Tripathi से समझिये

Prabhasakshi Exclusive : इनता लंबा क्यों खिंचा रूस-यूक्रेन युद्ध, Brigadier DS Tripathi से समझिये

Prabhasakshi Exclusive : इनता लंबा क्यों खिंचा रूस-यूक्रेन युद्ध, Brigadier DS Tripathi से समझिये

नमस्कार,  प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में आप सभी का स्वागत है। आज की कड़ी में हम बात करेंगे Russia-Ukraine युद्ध की। दोनों देशों के बीच जंग शुरू हुए 10 महीने हो गए हैं। अभी भी इसके खत्म होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। दोनों देशों के तेवर में भी कोई कमी नहीं दिख रही है। ऐसे में रूस यूक्रेन जंग वर्तमान में किस स्थिति में है और किस ओर बढ़ रहा है, इसी को समझने की कोशिश करेंगे। आज हमारे साथ खास मेहमान के रूप में मौजूद है Brigadier DS Tripathi जी।

सवाल- वर्तमान में रूस यूक्रेन जंग किस स्थिति में है और आखिर यह जंग इतना लंबा क्यों चला?
उत्तर- जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तब इसे व्लादिमीर पुतिन ने स्पेशल ऑपरेशन बताया था। जब शुरू हुआ था तो सभी ने ही सोचा था कि यह जल्द ही खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि दोनों ओर से कुछ गलतियां हुई है जिसकी वजह से यह युद्ध काफी लंबा चला। रूस ने यूक्रेन के 20% हिस्से पर कब्जा कर लिया था। लेकिन रूस इसे कायम नहीं रख पाया। जिसकी वजह से यूक्रेन का आत्मविश्वास बढ़ा और उसकी ओर से काउंटर अटैक किया गया। यूक्रेन को पश्चिमी देशों से सपोर्ट मिलने लगा, खास करके अमेरिका से। इस युद्ध में नाटो का इंवॉल्वमेंट काफी कम रहा। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि अमेरिका और रूस की लड़ाई हो गई है और बीच में यूक्रेन फंसा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अमेरिका जहां भी इंवॉल्व हुआ है, हर जगह लड़ाई लंबी चली है। यह रूस-यूक्रेन के मामले में भी हम देख सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि यह युद्ध पूरी तरीके से प्री प्लान था। 
 

इसे भी पढ़ें: 1991 में USSR को दी गई थी सदस्यता, रूस को संयुक्त राष्ट्र से बाहर करने की मांग क्यों उठने लगी?


- ब्रिगेडियर डीएस त्रिपाठी ने साफ तौर पर कहा कि जब तक अमेरिका और रूस एक साथ मिलकर बातचीत नहीं करेंगे, तब तक यह युद्ध खत्म होता दिखाई नहीं दे रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जब तक यूक्रेन के राष्ट्रपति अमेरिका की बात सुनते रहेंगे, तब तक यह युद्ध समाप्त नहीं होगा। यूक्रेन को अभूतपूर्व नुकसान का सामना करना पड़ा है। रूस में इंफ्रास्ट्रक्चर डैमेज नहीं हुआ है। यूक्रेन के लाखों लोगों को माइग्रेट होना पड़ा है। ऐसे में कहीं ना कहीं युद्ध को समाप्ति की ओर बढ़ाना पड़ेगा।

- रूस पहले आक्रामक था, अब पुतिन बोल रहे हैं कि हम बातचीत को तैयार हैं। यही स्थिति क्यों आई है?
उत्तर- पुतिन ने कहा था कि उनका इस स्पेशल ऑपरेशन के पीछे जो लक्ष्य है उसे वह हासिल करके ही रुकेंगे। रूस अमेरिका और नाटो को लेकर काफी आक्रमक था। न्यूक्लियर वॉर की भी धमकी दे दी गई। उन्होंने कहा कि इस युद्ध की वजह से रूस और यूक्रेन दोनों को नुकसान हुआ है। रूस को आर्थिक लड़ाई लड़नी पड़ रही है। उनके लिए समस्याएं ज्यादा है। ब्रिगेडियर डीएस त्रिपाठी ने कहा कि पुतिन अपना लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं और बातचीत भी करना चाहते हैं, तो यह बराबर नहीं लगता है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ बयानबाजी है। 

सवाल- युद्ध की स्थिति फिलहाल धीमी है, क्या इसकी वजह मौसम है?
उत्तर- जवाब में ब्रिगेडियर डीएस त्रिपाठी ने कहा कि बिल्कुल। अभी वहां बर्फ की चादर है। ऐसे में गोली बारूद चलाने में कठिनाइयों का सामना सेनाओं को करना पड़ता है। टैंक्स भी सारे नहीं चल सकते। फरवरी-मार्च के बाद यह युद्ध अगर नहीं रुकता है तो इसमें और भी आक्रामकता देखी जा सकती है। 

सवाल- यूक्रेन को जो पश्चिमी देशों से मदद मिल रही है, उसकी वजह से यह युद्ध और आगे बढ़ सकता है?
उत्तर- ब्रिगेडियर डीएस त्रिपाठी ने कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की अमेरिका क्यों गए, यह सबसे बड़ा सवाल है। वैसे तो अमेरिका किसी को बुलाता नहीं, लेकिन कहीं ना कहीं अमेरिका भी अपने यहां इस मुद्दे पर घिरा हुआ है। जेलेंस्की की कि इस यात्रा को काफी गोपनीय रखा गया। अमेरिका की ओर से यूक्रेन को पैट्रीएट मिसाइल सिस्टम दिया गया। दूसरी ओर उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका फिलहाल अपने देश को लोगों को यह बता पा रहा है कि हम यूक्रेन को नहीं दे रहे हैं, बल्कि इस वक्त यह उसकी जरूरत है। रूस को रोकना है तो यूक्रेन को मदद देना जरूरी है। जो बाइडन रिपब्लिकंस को भी यह दिखाना चाह रहे होंगे कि हम मदद यूक्रेन को क्यों दे रहे हैं। नाटो को जितना भी देना था, वह दे चुका है। अब अमेरिका ही है जो यूक्रेन की मदद कर सकता है। 

सवाल- रक्षा विशेषज्ञ वर्तमान की परिस्थिति को किस हिसाब से देख रहे हैं?
उत्तर- ब्रिगेडियर डीएस त्रिपाठी ने कहा कि पुतिन अपनी ओर से तो युद्ध को नहीं रोकेंगे। जब तक नाटो और अमेरिका मिल बैठकर बात नहीं करेंगे, तब तक यह युद्ध रुकने नहीं जा रहा है। पुतिन के युद्ध रोकने का मतलब होगा कि उनके साख गिर जाएगी। 

सवाल- भारत की भूमिका क्या रहने वाली है?
उत्तर- अब तक हमने तुर्की की भूमिका को देखा है। लेकिन वह भी युद्ध को रुकवाने में नाकामयाब रहा। उन्होंने कहा कि यूक्रेन और रूस दोनों के ही राष्ट्रपतियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कई बार बातचीत की है। उन्होंने कहा कि यह भारत ही था जो पुतिन को न्यूक्लियर वॉर से रोका है। उन्होंने कहा कि इस युद्ध को रुकवाने में भारत की भूमिका काफी रहने वाली है। उन्होंने कहा कि भारत का अमेरिका, यूक्रेन और रूस तीनों के साथ अच्छे संबंध है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी इसमें जरूर कुछ ना कुछ करेंगे। 
 

इसे भी पढ़ें: Ukraine War: यूक्रेन के विदेश मंत्री कुलेबा ने रूस के साथ शांति वार्ता की इच्छा जतायी


सवाल- आगे नाटो की भूमिका क्या रहने वाली है?
उत्तर- रूस फिलहाल यूरोप के देशों को पेट्रोलियम और गैस सप्लाई देने को तैयार है। यह दोनों चीज यूरोप के लिए बेहद ही जरूरी है। नाटो के ज्यादातर देश एनर्जी और फूड को लेकर बाहर पर ही डिपेंडेंट है। इस युद्ध की वजह से यूरोपीय देशों में महंगाई अपने चरम पर पहुंच गई। यही कारण है कि नाटो खुद इस बात को समझने लगा है कि कब तक वह अमेरिका पर निर्भर करेंगे। यही कारण है कि नाटो के कुछ देशों के आक्रामक रुख में कमी देखी गई है।

Why russia ukraine war dragged on for so long understand from brigadier ds tripathi

Join Our Newsletter

Lorem ipsum dolor sit amet, consetetur sadipscing elitr, sed diam nonumy eirmod tempor invidunt ut labore et dolore magna aliquyam erat, sed diam voluptua. At vero