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देश का माहौल खराब करने की क्यों हो रही कोशिश? क्या मॉल में नमाज की इजाजत होनी चाहिए?

देश का माहौल खराब करने की क्यों हो रही कोशिश? क्या मॉल में नमाज की इजाजत होनी चाहिए?

देश का माहौल खराब करने की क्यों हो रही कोशिश? क्या मॉल में नमाज की इजाजत होनी चाहिए?

देश और दुनिया में भी इस सप्ताह कई बड़े मुद्दे हावी रहे। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच वार-पलटवार का दौर भी जारी रहा। इन सबके बीच हमने प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में देश में बढ़ रही सामाजिक कट्टरता पर चर्चा की। इस कार्यक्रम में मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे जी। हमने हाल के दिनों में देश में दिखी कट्टरता को लेकर नीरज दुबे से सबसे पहला सवाल यही पूछा कि क्या इसका कारण राजनीतिक है या फिर सामाजिक है? इसके जवाब में नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि राजनीतिक और सामाजिक कारण तो नहीं है। इसके पीछे जो कारण है वह पीएफआई जैसे संगठन हैं। यह संगठन लगातार भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। हाल में ही बिहार पुलिस ने ऐसा ही एक मॉडल का भंडाफोड़ किया है। नीरज दुबे का मानना है कि पीएफआई जैसे संगठन भारत के युवाओं में कट्टरता भर रहे हैं। नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा है कि मार्शल आर्ट के जरिए युवाओं को कट्टरता फैलाने की शिक्षा दी जा रही है। उन्हें देश में नफरत घोलने के लिए बहलाया और फुसलाया जा रहा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अभी हाल में ही हमने देखा किस तरीके से कानपुर में पत्थर फेंकने वाले युवाओं को नगद राशि दिया गया था। इससे जाहिर होता है कि कुछ ऐसे संस्था है जो देश की शांति को लगातार खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।

लुलु मॉल विवाद
नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि कहीं ना कहीं भारत के खिलाफ एक विदेशी साजिश चल रही है जो कि हमारे विकास को और शांति को रोकना चाहती है। उन्होंने कहा कि हाल में ही जो उदयपुर या अमरावती में घटना हुई है, वह इसी के तहत किया गया है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल इसकी जांच की जा रही है और सच बहुत जल्द ही सामने आएगा। नीरज दुबे ने लखनऊ में लुलु मॉल से जुड़े विवाद पर भी खुलकर बात की। नीरज दुबे ने कहा कि हमारे देश में किसी भी धर्म के लोगों को कहीं भी प्रार्थना करने की मनाही नहीं है। लेकिन कमर्शियल प्लेस पर जिस तरीके से नमाज पढ़ा गया, वह कहीं ना कहीं गलत था। उन्होंने कहा कि हमने देखा कि कैसे वहां पर नमाज पढ़ने की घटना हुई, उसके बाद दूसरे पक्ष की ओर से हनुमान चालीसा पढ़ने की मांग की जाने लगी। नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि अगर कमर्शियल प्लेस पर आप नमाज अदा कर रहे हैं तो आप अपने ईश्वर को प्रसन्न नहीं कर रहे हैं, आप अपना कोई और मकसद को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं।

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हालांकि नीरज दुबे ने यह भी कह दिया कि अच्छी बात यह है कि लुलु मॉल प्रबंधन की ओर से इस मामले को लेकर एफआईआर दर्ज कराई गई है। पुलिस फिलहाल इस मामले को लेकर सक्रियता से जांच कर रही है। नीरज दुबे ने यह भी कहा कि यह सिर्फ लुलु मॉल की ही बात नहीं है। बल्कि देश में ऐसे कई जगहों पर यह देखने को मिल रहा है कि लोग अड़ जाते हैं कि हमें यही नमाज पढ़ना है या फिर हनुमान चालीसा पढ़ना है। लेकिन हमारे देश में नियम और कानून है और यह सभी पर समान रूप से लागू होता है और हम सभी को कानून के हिसाब से ही चलना चाहिए। प्रभासाक्षी के संपादक ने इस बात को बार-बार दोहराया कि प्रार्थना करने के लिए हमारे समाज में निश्चित स्थान तय किए गए हैं। आप वहां जाइए प्रार्थना करिए। आपको कोई नहीं रोकने वाला। नीरज दुबे ने यह भी कहा कि पिछले 8 सालों में हमने देखा कि जिन लोगों को सिर्फ वोट बैंक समझा जाता था, उन्हें बिना किसी भेदभाव के हर योजनाओं का लाभ मिल रहा है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि कुछ ऐसे संगठन है जो जरा-जरा सी बात को धार्मिक रंग दे रहे हैं। हिंदू मुस्लिम के बीच विवाद पैदा कर रहे हैं और देश की एकता को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

संसद सत्र
हमने प्रभासाक्षी के इस कार्यक्रम में संसद सत्र को लेकर भी बातचीत की है। हमने नीरज दुबे से सवाल किया कि क्या संसद सत्र के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष एक बार फिर से आमने सामने रहेगी? इसको लेकर नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा है कि संसद सत्र शुरू होने से पहले ही हमने शोरगुल देखा। संसद सत्र के दौरान भी यह लगातार देखने को मिलेगा। नीरज दुबे ने साफ कहा कि मानसून सत्र है, बादल तो घर जाएंगे ही और संसद में नेता गरजेंगे ही। उन्होंने कहा कि संसद सत्र से पहले ही सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, अपने अपने तरकश से तीर निकाल लिए हैं। ऐसे में साफ तौर पर लग रहा है कि संसद सत्र के दौरान दोनों पक्षों में जबरदस्त तरीके से भिड़ंत होती रहेगी। उन्होंने कहा कि संसद का यह सत्र इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और उस दौरान यह चल रहा होगा। इसी सत्र में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव हो रहा है जो कि अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण है।

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संसदीय कार्यवाही से कुछ शब्दों के हटाने और संसद परिसर के भीतर धरना-प्रदर्शन नहीं करने को लेकर संसद की ओर से आए पत्र पर विपक्ष बवाल कर रहा है तो वही नीरज दुबे ने कहा कि यह पहली बार नहीं हो रहा है। जो बुलेटिन इस बार संसद के दोनों सदनों से आया है वही ठीक कांग्रेस के शासनकाल में भी आया करता था। उन्होंने कहा कि यह सामान्य कार्यवाही है। किसी भी सत्र के शुरुआत से पहले इस तरह की सूचना को जारी किया जाता है। नीरज दुबे ने कहा कि यह दिखा देना कि नए भारत में कुछ नई तरीके की चीजें हो रही है, संसदीय नियम की अवहेलना की जा रही है, ऐसा कुछ भी नहीं है और यह सब चीजें काफी पहले से याद चली आ रही हैं और इस बार के भी बुलेटिन में है। असंसदीय शब्दों पर बात करते हुए नीरज दुबे ने कहा कि यह तो सभी सांसदों की जिम्मेदारी बनती है कि वह सदन में कुछ ऐसा ना बोले जो की मर्यादा के खिलाफ हो।

- अंकित सिंह

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