Shiv Sena Vs Shinde Group: क्या महाराष्ट्र में लगेगा राष्ट्रपति शासन? संविधान विशेषज्ञ ने कहा- निर्णायक हो सकता है SC में चल रहा ये मुद्दा
एकनाथ शिंदे संग 40 विधायकों के बगावत के बाद इस बात को लेकर विवाद है कि शिवसेना पार्टी पर किसका हक है। दोनों गुटों की तरफ से पार्टी पर दावा किया जा रहा है। जिसके बाद राज्य में पार्टी को लेकर चल रहा संघर्ष सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। 1 नवंबर को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने ठाकरे-शिंदे दोनों समूहों को दस्तावेज जमा करने के लिए चार सप्ताह का और समय दिया है। अब अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी। इसके बाद वरिष्ठ संवैधानिक विशेषज्ञ उल्हास बापट ने बड़ा बयान दिया है।
उल्हास बापट ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई में फैसला लेगा। शुरुआत में शिवसेना दलबदल विरोधी कानून को देखते हुए पार्टी के 16 विधायकों एकनाथ शिंदे के साथ गई थी। फिर एक के बाद एक शिंदे की टोली 37 की संख्या में पहुंच गई। उल्हास बापट ने कहा कि यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में निर्णायक हो सकता है।
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की प्रबल संभावना
मीडिया से बात करते हुए, एक कानूनी विशेषज्ञ के रूप में मेरी राय है कि समय तय करना होगा जब उन 16 विधायकों ने वॉकआउट किया। अगर शिंदे समूह के विधायक साथ आते हैं तो इस मुद्दे पर अलग से विचार करना होगा। शिंदे समूह के 16 विधायक अगर सुनवाई के बाद अयोग्य घोषित कर दिए जाते हैं तो वे मंत्री पद पर नहीं रह पाएंगे। इन 16 विधायकों में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी शामिल हैं। अगर मुख्यमंत्री अयोग्य ठहराए जाते हैं, तो शिंदे-फडणवीस सरकार गिर जाएगी। इसलिए नया मुख्यमंत्री ढूंढना होगा जिसके पास सरकार चलाने के लिए बहुमत हो। महाराष्ट्र में राजनीतिक दलों की ताकत को देखते हुए किसी भी दल के पास बहुमत नहीं है। ऐसे में महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की प्रबल संभावना है। उल्हास बापट ने राय व्यक्त की कि अगले छह महीनों में महाराष्ट्र में विधानसभा का एक और मध्यावधि चुनाव होगा।
Will maharashtra have national rule constitution expert said