दीपावली पर करे मां लक्ष्मी का पूजन…पाएं आर्थिक समृद्धि
कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाने वाला खुशियों और रोशनी का त्योहार दीपावली हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और प्राचीन त्योहार है। यह त्योहार मां लक्ष्मी के सम्मान में मनाया जाता है। कुछ जगहों पर इस त्योहार को नए साल की शुरुआत भी माना जाता है। दीपोत्सव से कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं।
यह त्योहार भगवान राम और माता सीता के 14 वर्ष के वनवास के बाद घर आगमन की खुशी में मनाया जाता है। कथाओं के अनुसार दीपावली के दिन ही भगवान विष्णु ने नरसिंह रूप धारण कर हिरण्यकश्यप का वध किया था। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर - जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस बार दीपावली 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। यह भी कहा जाता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया तब ब्रजवासियों ने इस दिन दीप प्रज्ज्वलित कर खुशियां मनाईं। जैन धर्म के लोग इस त्योहार को भगवान महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं। दीपावली की रात को इस रूप में जाना जाता है कि मां लक्ष्मी ने पति के रूप में भगवान विष्णु को चुना और फिर उनसे विवाह किया। दीपावली का त्योहार भगवान विष्णु के वैकुंठ में वापसी के दिन के रूप में भी मनाया जाता है। यह भी मान्यता है कि कार्तिक अमावस्या के दिन मां लक्ष्मी समुद्र से प्रकट हुई थीं। इसी दिन अमृतसर में स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास हुआ था। दीपावली की रात मां काली की पूजा का भी विधान है।
भारत के त्योहारों में दीपावली काफी विशिष्ट स्थान रखती है। इस त्योहार के अवसर पर घरों और दूकानों को सजाया-संवारा जाता है। उनकी साफ-सफाई की जाती है। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी की पूजा विशेष रुप से की जाती है। हिन्दू धर्म के अनुसार दीपावली के दिन धन की देवी महालक्ष्मी के साथ विघ्न-विनाशक श्री गणेश की देवी मातेश्वरी सरस्वती देवी की भी पूजा-आराधना की जाती है। कहा जाता है कि कार्तिक मास की अमावस्या की आधी रात में देवी लक्ष्मी धरती पर आती हैं और हर घर में जाती हैं। जिस घर में स्वच्छता और शुद्धता होती है वह वहां निवास करती हैं।
दीपावली हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। हर देशवासी को इस त्यौहार का इंतजार रहता है। यह रोशनी और प्रकाश का त्यौहार है। इस दिन बच्चों को खाने के लिए तरह तरह की मिठाइयां मिलती हैं और पटाखे चलाने को मिलते हैं। दीपावली के दिन गणेश लक्ष्मी की पूजा की जाती है। यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश की विजय को दिखाता है। इस दिन घरों में दिए जलाए जाते हैं। विभिन्न प्रकार की लाइटें, रंग बिरंगी रोशनी लगाई जाती हैं। लोग नए वस्त्र पहनते हैं। शाम को मिठाइयां बांटी जाती हैं, लोग दावतों में जाते हैं।
दीपावली का महत्व
14 वर्ष के वनवास के बाद भगवान राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटने का प्रतीक है दीवाली। अपने पिता राजा दशरथ के आदेश के बाद भगवान राम 'वनवास' के लिए गए थे। इस दौरान उन्होंने भारत के जंगलों और गांवों में 14 साल बिताए। अपने वनवास के अंत में दस मुखी लंका के राजा रावण ने सीता का अपहरण कर लिया था। इसके बाद भगवान राम ने रावण से युद्ध किया और रावण को मारकर अपनी पत्नी को लेकर वापिस अयोध्या लौटे। महाकाव्य रामायण में भगवान राम की जीत बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि दीपावली का त्योहार आते ही घर में एक अलग सा माहौल नजर आने लगता है। जहां एक तरफ पूरे घर को सजाया जाता है, वहीं भगवान गणेश और लक्ष्मी जी की पूजा की तैयारियां भी शुरू हो जाती हैं। कहा जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी घर में वास करती हैं। अगर दीवाली में मां लक्ष्मी को खुश कर लिया तो घर में कभी भी धन की समस्या नहीं होती। लेकिन इसी दिन भगवान गणेश को भी पूजा जाता है। बुद्धि और विवेक के प्रतीक माने जाने वाले गणेश को इस दिन मां लक्ष्मी के साथ क्यों पूजा जाता है। इसके बारे में काफी कम लोग जानते हैं। लेकिन हमारे देश में हर त्योहार और उसे मनाने के तरीके के पीछे एक कहानी छिपी होती है। दीवाली पर गणेश और लक्ष्मी की पूजा के पीछे भी एक ऐसी कहानी है।
कहानी
ग्रंथों के मुताबिक एक बार एक वैरागी साधु को राजसुख भोगने की इच्छा जागृत हुई, इसके लिए उसने मां लक्ष्मी की आराधना शुरू की। उसकी कड़ी तपस्या और आराधना से लक्ष्मी जी प्रसन्न हुईं और उसे दर्शन देकर वरदान दिया कि उसे उच्च पद और सम्मान प्राप्त होगा। इसके बाद वह साधु राज दरबार में पहुंचा। वरदान मिलने से उसे अभिमान हो गया था। उसने भरे दरबार में राजा को धक्का मारा जिससे राजा का मुकुट नीचे गिर गया। राजा व उसके साथी उसे मारने के लिए दौड़े। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि लेकिन इसी बीच राजा के गिरे हुए मुकुट से एक कालानाग निकल कर बाहर आया। सभी चौंक गए और साधु को चमत्कारी समझकर उसकी जय जयकार करने लगे। राजा ने इस बात से प्रसन्न होकर साधु को अपना मंत्री बना दिया। उस साधु को रहने के लिए अलग से महल भी दे दिया गया। राजा को एक दिन वह साधु भरे दरबार से हाथ खींचकर बाहर ले गया। यह देख दरबारी जन भी पीछे भागे। सभी के बाहर जाते ही भूकंप आया और भवन खण्डहर में तब्दील हो गया। लोगों को लगा कि साधु ने सबकी जान बचाई। इसके बाद साधु का मान-सम्मान और भी ज्यादा बढ़ गया। अब इस वैरागी साधु में अहंकार और भी ज्यादा बढ़ गया।
हटवा दी गणेश की प्रतिमा
राजा के महल में एक गणेश जी की प्रतिमा थी. एक दिन साधु ने यह कहकर वह प्रतिमा हटवा दी कि यह देखने में बिल्कुल अच्छी नहीं है। कहा जाता है कि साधु के इस कार्य से गणेश जी रुष्ठ हो गए। उसी दिन से उस मंत्री बने साधु की बुद्धि भ्रष्ट होना शुरू हो गई और वह ऐसे काम करने लगा जो लोगों की नजरों में काफी बुरे थे।. इसे देखते हुए राजा ने उस साधु से नाराज होकर उसे कारागार में डाल दिया।. साधु जेल में एक बार फिर से लक्ष्मी जी की आराधना करने लगा।. लक्ष्मी जी ने दर्शन देकर उससे कहा कि तुमने भगवान गणेश का अपमान किया है। इसके लिए गणेश जी की आराधना करके उन्हें प्रसन्न करो। इसके बाद वह साधु गणेश जी की आराधना करने लगा। उसकी इस आराधना से गणेश जी का क्रोध शान्त हो गया। एक रात गणेश जी ने राजा के स्वप्न में आकर कहा कि साधु को फिर से मंत्री बनाया जाए। राजा ने आदेश का पालन करते हुए साधु को मंत्री पद दे दिया। इस घटना के बाद से मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा एक साथ होने लगी।
बिना बुद्धि के धन नहीं
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि भगवान गणेश बुद्धि के प्रतीक हैं तो मां लक्ष्मी धन-समृद्धि की। घरों में इन मूर्तियों को स्थापित कर पूजन करने से धन और सद्बुद्धि दोनों आएगी। शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी जी को धन का प्रतीक माना गया है, जिसकी वजह से लक्ष्मी जी को इसका अभिमान हो जाता है। विष्णु जी इस अभिमान को खत्म करना चाहते थे इसलिए उन्हों ने लक्ष्मी जी से कहा कि स्त्री तब तक पूर्ण नहीं होती है, जब तक वह मां न बन जाये। लक्ष्मी जी के कोई पुत्र नहीं था, इसलिए यह सुन के वे बहुत निराश हो गयी। तब वे देवी पार्वती के पास गयीं। पार्वती जी को दो पुत्र थे इसलिए लक्ष्मी जी ने उनसे एक पुत्र को गोद लेने को कहा। पार्वती जी जानती थीं कि लक्ष्मी जी एक स्थान पर लंबे समय नहीं रहती हैं। इसलिए वे बच्चे की देखभाल नहीं कर पाएंगी, लेकिन उनके दर्द को समझते हुए उन्होंने अपने पुत्र गणेश को उन्हें सौंप दिया। इससे लक्ष्मी जो बहुत प्रसन्न हुईं। उन्होंने कहा कि सुख-समृद्धि के लिए पहले गणेश जी की पूजा करनी पड़ेगी, तभी मेरी पूजा संपन्न होगी
इन मंत्रों से करें मां को प्रसन्न
यह मां लक्ष्मी के अलग-अलग नाम हैं, जिनका जप करने से मां प्रसन्न होती है।
ॐ आद्यलक्ष्म्यै नम:, ॐ विद्यालक्ष्म्यै नम:, ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:, ॐ अमृतलक्ष्म्यै नम:, ॐ कामलक्ष्म्यै नम:, ॐ सत्यलक्ष्म्यै नम:,
ॐ भोगलक्ष्म्यै नम:, ॐ योगलक्ष्म्यै नम:.
ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतो पिवा ।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर:।।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
पूजा सामग्री
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि दीपावली के शुभ अवसर पर मां लक्ष्मी की पूजा में कलावा, अक्षत, लाल वस्त्र, फूल, पांच सुपारी, रोली, सिंदूर, एक नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र, फूल, पांच सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, घी, कलश, कलश के लिए आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी , अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रूई, आरती की थाली, कुशा, रक्त चंदनद, श्रीखंड चंदन पूजन सामग्री का इस्तेमाल करें।
पूजा की विधि
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि पूजन शुरू करने से पहले चौकी को अच्छी तरह से धोकर उसके ऊपर खूबसूरत सी रंगोली बनाएं, इसके बाद इस चौकी के चारों तरफ दीपक जलाएं. मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करने से पहले थोड़े से चावल रख लें।मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उनके बाईं ओर भगवान विष्णु की प्रतिमा को भी स्थापित करें. अगर आप किसी पंडित को बुलाकर पूजन करवा सकते हैं तो यह काफी अच्छा रहेगा। लेकिन आप अगर खुद मां लक्ष्मी का पूजन करना चाहते हैं तो सबसे पहले पुष्प, फल, सुपारी, पान, चांदी का सिक्का, नारियल, मिठाई, मेवा, सभी सामग्री थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर इस त्योहार के पूजन के लिए संकल्प लें।सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें और इसके बाद आपने चौकी पर जिस भगवान को स्थापित किया है उनकी. इसके बाद कलश की स्थापना करें और मां लक्ष्मी का ध्यान करें. मां लक्ष्मी को इस दिन लाल वस्त्र जरूर पहनाएं. इससे मां काफी प्रसन्न होंगी और इस दीवाली आपके घर में भी खुशियों का बसेरा होगा।
दीपावली के पूजन के शुभ प्रतीक
दीपावली के पूजन महालक्ष्मी की पूजा का विधान है। इस पूजा के साथ ही घर और पूजा घर को सजाने के लिए मंगल वस्तुओं का उपयोग किया जाता है। आइए विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास से जानते हैं कि गृह सुंदरता, समृद्धि और दीपावली के पूजन के कौन-से शुभ प्रतीक हैं।
दीपक
दीपावली के पूजन में दीपक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सिर्फ मिट्टी के दीपक का ही महत्व है। इसमें पांच तत्व हैं मिट्टी, आकाश, जल, अग्नि और वायु। अतः प्रत्येक हिंदू अनुष्ठान में पंचतत्वों की उपस्थिति अनिवार्य होती है। कुछ लोग पारंपरिक दीपक की रोशनी को छोड़कर लाइट के दीपक या मोमबत्ती लगाते हैं जो कि उचित नहीं है।
रंगोली
उत्सव-पर्व तथा अनेकानेक मांगलिक अवसरों पर रंगोली या मांडने से घर-आंगन को खूबसूरती के साथ सजाया जाता है। यह सजावट ही समृद्धि के द्वार खोलती है।घर को साफ सुथरा करके आंगन व घर के बीच में और द्वार के सामने और रंगोली बनाई जाती है।
कौड़ी
पीली कौड़ी को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। दीवापली के दिन चांदी और तांबे के सिक्के के साथ ही कौड़ी का पूजन भी महत्वपूर्ण माना गया है। पूजन के बाद एक-एक पीली कौड़ी को अलग-अलग लाल कपड़े में बांधकर घर में स्थित तिजोरी और जेब में रखने से धन समृद्धि बढ़ती है।
तांबे का सिक्का
तांबे में सात्विक लहरें उत्पन्न करने की क्षमता अन्य धातुओं की अपेक्षा अधिक होती है। कलश में उठती हुई लहरें वातावरण में प्रवेश कर जाती हैं। यदि कलश में तांबे के पैसे डालते हैं, तो इससे घर में शांति और समृद्धि के द्वार खुलेंगे। देखने में ये उपाय छोटे से जरूर लगते हैं लेकिन इनका असर जबरदस्त होता है।
मंगल कलश
भूमि पर कुंकू से अष्टदल कमल की आकृति बनाकर उस पर कलश रखा जाता है। एक कांस्य, ताम्र, रजत या स्वर्ण कलश में जल भरकर उसमें कुछ आम के पत्ते डालकर उसके मुख पर नारियल रखा होता है। कलश पर कुंकूम, स्वस्तिक का चिह्न बनाकर, उसके गले पर मौली (नाड़ा) बांधी जाती है।
श्रीयंत्र
धन और वैभव का प्रतीक लक्ष्मीजी का श्रीयंत्र। यह सर्वाधिक लोकप्रिय प्राचीन यंत्र है। श्रीयंत्र धनागम के लिए जरूरी है। श्रीयंत्र यश और धन की देवी लक्ष्मी को आकर्षित करने वाला शक्तिशाली यंत्र है। दीपावली के दिन इसकी पूजा होना चाहिए।
फूल
कमल और गेंदे के पुष्प को शांति, समृद्धि और मुक्ति का प्रतीक माना गया है। सभी देवी-देवताओं की पूजा के अलावा घर की सजावट के लिए भी गेंदे के फूल की आवश्यकता लगती है। घर की सुंदरता, शांति और समृद्धि के लिए यह बेहद जरूरी है।
नैवेद्य
लक्ष्मीजी को नैवद्य में फल, मिठाई, मेवा और पेठे के अलावा धानी, बताशे, चिरौंजी, शक्करपारे, गुझिया आदि का भोग लगाया जाता है। नैवेद्य और मीठे पकवान हमारे जीवन में मिठास या मधुरता घोलते हैं।
दीपावली पूजन मुहूर्त
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन पूरा दिन ही शुभ माना जाता है। इस दिन किसी भी समय पूजन कर सकते हैं लेकिन प्रदोष काल से लेकर निशाकाल तक समय शुभ होता है। जो इस दिन बही बसना पूजन करने हैं। उनको ही राहु काल का विचार करना चाहिए, जो लोग सिर्फ गणेश लक्ष्मी जी का पूजन करें उनको विचार नहीं करना चाहिए, क्योंकि अमावस्या तिथि पर राहु काल का दोष नहीं होता।
- अनीष व्यास
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक
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