Currentaffairs
आत्मनिर्भर भारत बनाने का संकल्प लेने का पर्व है दीपावली
By DivaNews
24 October 2022
आत्मनिर्भर भारत बनाने का संकल्प लेने का पर्व है दीपावली भारतीय संस्कृति में कार्तिक माह में मनाए जाने वाले पांच दिवसीय दीपावली पर्व का विशेष महत्व है। यह एक ऐसा अनूठा पर्व है जो जीवन के दो महत्वपूर्ण पक्षों धर्म तथा अर्थ का संगम है। हिन्दू समाज का जन जन आर्थिक उन्नयन के लिए इस पर्व की गतिविधियों से आच्छादित है। पांच दिन के पर्व में प्रत्येक दिन का एक विधान है, एक कथा है, आर्थिक-सामाजिक-धार्मिक-आध्यात्मिक महत्व है। पर्व का प्रारंभ तो कई दिन पूर्व स्वच्छता के व्यापक अभियान से हो जाता है घर, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, कार्यालय सभी जगह सफाई, रंग रोगन, नई साज सज्जा होने लगती है। त्रेता युग में दीपावली यानी कार्तिक अमावस्या के दिन भगवान श्री रामचंद्र 14 वर्ष का वनवास पूरा करके तथा श्रीलंका के राक्षसराज रावण का वध करके अयोध्या वापस आये थे। तब अयोध्या वासियों ने राम के स्वागत पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को अत्याचारी राक्षस नरकासुर का वध किया था। इस नृशंस राक्षस के वध से आम जन को अपार हर्ष हुआ था और उसने दीप जलाकर उत्सव मनाया था। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने इसी दिन नरसिंह का रूप धारण करके हिरण्यकश्यप का वध किया था तथा इसी दिन समुद्र मंथन से श्री लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं। यही कारण है कि दीपावली के दिन धन की देवी श्री लक्ष्मी की विशेष पूजा का विधान है कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को समुद्र मंथन से ही धन्वंतरि का आविर्भाव हुआ है अतः त्रयोदशी को भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं यह दिन आरोग्य का दिन है।इसे भी पढ़ें: स्वच्छता व प्रकाश की प्रतीक है दीपावली का पर्वदीपावली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों दीप अर्थात दीया और श्रृंखला के मिश्रण से हुई है। दीपावली पर्व का उल्लेख पद्म पुराण और स्कंद पुराण में मिलता है। 7वीं शताब्दी के संस्कृत नाटक नागानंद में राजा हर्ष ने इस पर्व को प्रतिपादुत्सव कहा है जिसमें दिये जलाये जाते थे। 9वीं शताब्दी में राजशेखर ने काव्य मीमांसा में इसे दीपमाला कहा है।
read more