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दुनिया की 25 फीसदी आबादी रोजाना मिर्च खाती, तीखेपन का विज्ञान
By DivaNews
07 November 2022
दुनिया की 25 फीसदी आबादी रोजाना मिर्च खाती, तीखेपन का विज्ञान रॉबर्टो सिल्वेस्ट्रो, पीएचडी शोधार्थी, जीव विज्ञान, यूनिवर्सिटी डु क्यूबेक ए चिकोटिमी (यूक्यूएसी) सगुनेय (कनाडा), छह नवंबर (द कन्वरसेशन) दुनिया की 25 फीसदी आबादी फिलहाल रोजाना मिर्च खाती है। तीखापन या इसकी धारणा, दुनियाभर के अधिकतर व्यंजनों में होती है। जीनस कैप्सिकम (परिवार सोलानेसी) मिर्च दुनिया के सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले मसालों में से एक है, जो हजारों व्यंजनों में इस्तेमाल होता है और कभी-कभी इसे एक अलग व्यंजन के रूप में भी खाया जाता है। वन पारिस्थितिकी-भौतिक विज्ञानी के रूप में हम अन्य जीवित प्राणियों और आसपास के वातावरण के साथ संवाद करने के लिए पौधों द्वारा विकसित अनुकूलन लक्षणों का अध्ययन करते हैं। मिर्च और तीखापन पर शोध बहुविषयक विज्ञान का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है। पिछले दशकों में कई शोधकर्ताओं ने इस सबसे अनोखी और वांछनीय मौखिक संवेदना के बारे में विशिष्ट जानकारी प्रदान की है। एक संक्षिप्त इतिहास वर्ष 1492 में क्रिस्टोफर कोलंबस के नयी दुनिया की तलाश तक मिर्च दुनिया के अधिकांश लोगों के लिए अज्ञात थी। कई मूल सिद्धांतों ने दक्षिण अमेरिका के विभिन्न हिस्सों को ‘‘उस’’ स्थान के रूप में चिह्नित किया जहां से मिर्च आई थी। एक फाईलोजेनेटिक विश्लेषण में पाया गया कि उनका संबंध पश्चिमी से उत्तर-पश्चिमी दक्षिण अमेरिका के एंडीज के साथ एक क्षेत्र से है। ये पुरानी मिर्च जंगली ‘‘छोटे लाल, गोल, बेरी जैसे फल’’ थे। इंसानों के भोजन का हिस्सा बनने का सबसे पहला प्रमाण मेक्सिको या उत्तरी मध्य अमेरिका में 6,000 साल पहले का है। 16वीं शताब्दी में मिर्च यूरोप पहुंची। वर्तमान में, मिर्च की पांच घरेलू प्रजातियां हैं। खायी जाने वाली प्रजातियों में कैप्सिकम एनम, सी चिनेंस, सी फ्रूटसेन्स, सी बैकाटम और सी प्यूब्सेंस हैं। सबसे अधिक किस्मों वाली प्रजाति सी.
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