अदालत का सवाल सही है, आखिर 72 साल में भी चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का कानून क्यों नहीं बना?
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read moreफीफा विश्वकप में जाकिर नाइक को बुलाकर कतर ने खेल संस्कृति को बदनाम किया है कतर में फुटबॉल के ‘महाकुंभ’ फीफा विश्वकप 2022 का आयोजन प्रारंभ हो चुका है। अल खोर शहर के 60 हजार क्षमता वाले भव्य अल वायत स्टेडियम में दुनियाभर से फुटबाल प्रेमी पहुंचे हैं, जिनमें भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। अरब देश में आयोजित यह पहला विश्वकप आयोजन है, जो भव्यतम खेल आयोजनों की दृष्टि से नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। इस आयोजन की अनेकानेक विलक्षण, आश्चर्यकारी घटनाओं एवं व्यवस्थाओं के बीच विवादित धर्मगुरु जाकिर नाइक को आमंत्रित कर खेल परम्पराओं पर साम्प्रदायिक विषता का रंग देने की कुचेष्टा हुई है, निश्चित ही इससे अनेक प्रश्न खड़े हुए हैं, विवाद का वातावरण बना है, खेल की सौहार्द एवं सद्भावनामूलक भावनाओं को आहत किया गया है। क्योंकि जाकिर खेल देखने नहीं, बल्कि बाकायदा एक षड्यंत्र एवं सोची समझी नीति के तहत फीफा विश्व कप के दौरान धार्मिक व्याख्यान देने के लिए कतर में पहुंचा है। जाकिर पर धार्मिक समुदायों के बीच नफरत, द्वेष, घृणा फैलाने, युवाओं को कट्टर बनाने, मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकियों की खुली वकालत करने जैसे आरोप हैं। वह भारत में मोस्ट वांटेड है, ऐसे में इस दुनिया के इस सबसे बड़े खेल आयोजन में उसे आमंत्रित करना विवादास्पद होने के साथ अनेक सवाल खड़े करता है।
read moreवीर सावरकर का अपमान कर कांग्रेस ने जो चाल चली थी वह विफल हो गयी कांग्रेस द्वारा अपने सत्ता निर्वासन को समाप्त करने के लिए भारत जोड़ो यात्रा निकाली जा रही है। जो कांग्रेस की तड़पन को दूर करने के लिए अपरिहार्य भी है। लेकिन कभी कभी इस यात्रा के दौरान ऐसा भी लगने लगता है कि इस यात्रा का मूल उद्देश्य भारतीय समाज को जोड़ने के लिए नहीं, बल्कि समाज में बिखराव पैदा करना ही है। अगर यात्रा का उद्देश्य वास्तव में ही समाज को जोड़ने के लिए होता तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा कम से कम वीर सावरकर के बारे में अनुचित टिप्पणी करने से परहेज करते, लेकिन राहुल गांधी ने ऐसा नहीं किया। इसके पीछे कांग्रेस के कौन-से निहितार्थ हैं?
read moreक्या भारत की वैसी उन्नति हो पाई, जैसी स्वाधीनता सेनानियों ने सोची थी उत्तर प्रदेश के बलिया में गुरु पूर्णिमा के दिन से विख्यात ददरी मेला लग चुका है। पशुओं में लंपी वायरस से हो रहे रोग की वजह से प्राचीन काल से जारी पशु मेला इस बार नहीं लगा। ऐसा व्यवधान कोरोना काल में भी लगा, जब मेला लगा ही नहीं। महर्षि भृगु के शिष्य दर्दर मुनि का शुरू किया मेला पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में काफी प्रसिद्ध है। हर मेले संस्कृति और परंपराओं की विरासत को सहेजे हुए हैं। लेकिन दर्दरी के साथ भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के साथ ही नवजागरण के इतिहास में बड़ा योगदान रहा है। इतिहास भले ही विगत का दस्तावेज होता है। अपने तथ्यों के साथ यह अपनी मौजूदगी वह लगातार बनाए रखताहै। लेकिन उसके साथ एक खामी है। अगर उस पर किसी वजह से अनदेखी की परतें चढ़ने लगे तो वह विस्मृति की गर्त में समाने लगता है। ददरी मेले के साथ भी जुड़ा एक तथ्य ऐसा है, जिसकी जानकारी अकादमिक जगत से बाहर कम ही है। जिस पर विस्मृति की धूल लगातार चढ़ती जा रही है।
read moreजस्टिस चंद्रचूड़ का प्रधान न्यायाधीश बनना उम्मीद की बड़ी किरण के समान है भारत की न्याय प्रणाली विसंगतियों एवं विषमताओं से घिरी है। संवैधानिक न्यायालय का गठन बड़ा अलोकतांत्रिक व दोषपूर्ण है। न्याय-व्यवस्था जिसके द्वारा न्यायपालिकाएं अपने कार्य-संचालन करती हैं वह अत्यंत महंगी, अतिविलंबकारी और अप्रत्याशित निर्णय देने वाली है। ‘न्याय प्राप्त करना और इसे समय से प्राप्त करना किसी भी राज्य व्यवस्था के व्यक्ति का नैसर्गिक अधिकार होता है।’ ‘न्याय में देरी न्याय के सिद्धांत से विमुखता है।’ भारतीय न्यायिक व्यवस्था में विद्यमान इन चुनौतियों एवं विसंगतियों को दूर करने के लिये भारत के 50वें प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ लेने के बाद से ही जस्टिस डी.
read moreपरिवारवादी दलों को हो रहे नुकसान को देखते हुए अब्दुल्ला ने छोड़ा है पार्टी अध्यक्ष पद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की राजनीति में परिवारवाद को सबसे बड़ी बुराई बताते हुए जनता से इसके खिलाफ उठ खड़े होने की अपील की जिसके बाद देखने में आया कि देश के कई राज्यों से परिवारवादी दल सत्ता से बाहर हो गये। यही नहीं भारत की सबसे बड़ी परिवारवादी पार्टी मानी जानी वाली कांग्रेस की भी बुरी हालत हो गयी जिसके बाद हाल में हुए पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव से गांधी परिवार दूर ही रहा। इसके अलावा हाल ही में एक और परिवारवादी दल शिरोमणि अकाली दल बादल ने भी पार्टी संगठन में बड़े सुधारों की घोषणा करते हुए 'एक परिवार एक टिकट' नीति बनाने का ऐलान किया। अब जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष पद से हटने की घोषणा करते हुए कहा है कि नयी पीढ़ी को जिम्मेदारी सौंपने का समय आ गया है। अब्दुल्ला के इस कदम की घोषणा के बाद व्यापक स्तर पर अटकलें लगाई जा रही हैं कि 85 वर्षीय फारूक अब्दुल्ला पार्टी संरक्षक की भूमिका निभाएंगे और उनके बेटे और नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला अब पार्टी के नए प्रमुख बन सकते हैं।
read moreभारत की बढ़ती आबादी को आखिर कैसे नियंत्रित किया जाये?
read moreपंजाब सरकार को कानून व्यवस्था संभालने के प्रति जल्द ही गंभीर होना होगा देश की कृषि एवं महापुरुषों की शांति भूमि राजनीतिक कारणों से हिंसा, आतंकवाद एवं नशे की भूमि बन गयी है। जबसे आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है, हिंसा, हथियारों एवं नशे की उर्वरा भूमि बनकर जीवन की शांति पर कहर ढहा रही है। राज्य में तेजी से पनप रही बंदूक एवं नशे की संस्कृति चिन्ता का सबब बन रही है। निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं और अधिकांश लोग नशे में डूब रहे हैं। हथियारों का खुला प्रदर्शन और खूनखराबा आम बात हो गयी है। इस प्रकार यह हथियारों की श्रृंखला, नशे का नंगा नाच, अमानवीय कृत्य अनेक सवाल पैदा कर रहे हैं। कुछ सवाल लाशों के साथ सो गये। कुछ समय को मालूम है, जो भविष्य में उद्घाटित होंगे। इसके पीछे किसका दिमाग और किसका हाथ है?
read moreबिरसा मुंडा का स्मरण धर्मान्तरण के षड्यंत्रों के विरुद्ध जागृति का भी दिवस है सर्वोच्च न्यायालय द्वारा धर्मान्तरण पर दिया फैसला बहुत सामायिक महत्त्व का है। ईसाई धर्मान्तरण एक सोची समझी साजिश के अंतर्गत पश्चिमी ईसाई देशों की वित्तीय सहायता से चल रहा है। इसमें धर्मान्तरित व्यक्ति की समझ का कोई हवाला होता ही नहीं है। धन, पद, विदेश में शिक्षा और देश के प्रमुख इसे अल्पसंख्यक विद्यालयों में निःशुल्क प्रवेश जैसे अनेक हथकंडे इसे बनाने के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं। सबसे अधिक प्रभाव जनजातीय समाज पर पड़ता है जो निर्दोष, भोला भला और चतुराई के शहरी उपकरणों से अनभिज्ञ होता है। जनजातीय गौरव दिवस मानते हुए इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि प्रायः 11 प्रतिशत जनजातीय समाज में आज 98 प्रतिशत आतंकवाद, देश से विद्रोह हेतु कार्यरत सशस्त्र हिंसक संगठन कार्य कर रहे हैं। आज वीर बिरसा मुंडा के जन्म दिवस पर जनजातीय गौरव दिवस क्यों चुना गया ?
read moreबाइडन और शी की बैठक के बाद अमेरिका और चीन के तेवर क्यों पड़े नरम?
read moreगुजरात में भाजपा का नहीं, कांग्रेस का खेल बिगाड़ेगी आम आदमी पार्टी गुजरात के विधानसभा चुनाव में अबकी बार अलग प्रकार की राजनीति होती दिखाई दे रही है। लम्बे समय से गुजरात में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला होता हुआ ही प्रदर्शित होता था, लेकिन अब गुजरात की चुनावी राजनीति में आम आदमी पार्टी का प्रवेश भी हो चुका है। हालांकि आम आदमी पार्टी गुजरात में कितना कुछ कर पाएगी, यह फिलहाल केवल संभावनाओं पर ही आधारित है, लेकिन आम आदमी पार्टी कांग्रेस के सपनों पर पानी फेरने का काम करती हुई दिखाई दे रही है। आम आदमी पार्टी ने जिस प्रकार से दिल्ली और पंजाब में अप्रत्याशित रूप से छप्पर फाड़ समर्थन प्राप्त किया, ऐसा कम ही देखने को मिलता है। यह बात सही है कि गुजरात के मतदाताओं का स्वभाव दिल्ली और पंजाब से मेल नहीं खाता, इसलिए आम आदमी पार्टी गुजरात में सफल हो जाएगी, इसकी गुंजाइश कम ही लगती है, लेकिन कहा जाता है कि राजनीति असंभावित दृश्य को भी संभावित कर सकती है। इसके पीछे का कारण यह भी है कि देश का मतदाता तात्कालिक लाभ पाने के लिए गुमराह हो जाता है और जहां से मुफ्त का लाभ दिखाई देता है, उसे अपना समर्थन भी दे देता है। वास्तव में मुफ्त देने की राजनीति आम आदमी को निकम्मा बनाने का ही काम करती है। इसकी बजाय लोगों को स्वावलंबी बनाने के प्रयास तेज करने का काम सरकार की ओर से किया जाना चाहिए, इसकी देश को बहुत ज्यादा आवश्यकता है।
read moreसमान नागरिक संहिता टुकड़ों में क्यों देना चाहती है भाजपा, राज्यों की तरह केंद्र क्यों नहीं उठाता कदम?
read moreसुनक और दूसरे भारतवंशियों के बारे में भारत को गलतफहमी नहीं पालनी चाहिए भारतवंशी ऋषि सुनक के ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने पर भारत को कोई गलतफहमी नहीं पालनी चाहिए। ब्रिटेन और अमेरिका के भारतवंशी राजनेताओं ने संवेदनशील मसलों पर कभी भारत का समर्थन नहीं किया, बल्कि कुछ मौकों पर तो भारत का विरोध इसलिए किया ताकि यह साबित कर सकें कि वे सच्चे ब्रिटिश या अमेरिकी नागरिक हैं। भारत में उनका या उनके पुरखों का जन्म बेशक हुआ हो, किन्तु इस देश से उनका कोई सरोकार नहीं है। आश्चर्य की बात यह है कि विभिन्न मौकों पर जहां भारतवंशी नेता भारत के साथ खड़े दिखाई नहीं दिए, वहीं ब्रिटिश और अमेरिकी मूल के नेता और सांसद भारत के पक्ष में खड़े नजर आए। यह बात दीगर है कि भारत की तरह वोटरों को लुभाने के लिए विदेशी नेता भी धार्मिक तीज-त्यौहार मना कर धार्मिक भावनाएं भुनाने में पीछे नहीं रहते। व्हाइट हाउस में इस बार दीपावली मना कर यही साबित किया गया है कि उन्हें अमेरिका में बसे भारतीयों की भावनाओं का कितना ख्याल है।
read moreमेडिकल शिक्षा की ऊँची फीस ही चिकित्सा सेवाओं को महंगा बना रही है कर्नाटक और गुजरात के मेडिकल कॉलेजों ने गज़ब कर दिया है। उन्होंने अपने छात्रों की फीस बढ़ाकर लगभग दो लाख रु.
read moreमोदी के छोटे सैनिक हार्दिक पटेल को भाजपा ने सौंप दी है बड़ी जिम्मेदारी 27 सालों से गुजरात में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी ने राज्य विधानसभा चुनावों के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। इस सूची में कई बड़े नाम गायब हैं तो कई ऐसे भी नाम हैं जिन पर पार्टी ने बहुत ज्यादा भरोसा जताया है। ऐसा ही एक नाम है कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले पाटीदार नेता हार्दिक पटेल का। भाजपा ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन से राजनीतिक क्षितिज पर उभरे नेता हार्दिक पटेल को विरामगाम क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया है। खास बात यह है कि विरामगाम से भाजपा पिछले दो विधानसभा चुनाव लगातार हारी है। इसलिए हार्दिक के लिए यह क्षेत्र कड़ी और बड़ी चुनौती है। यदि हार्दिक पटेल विरामगाम सीट को जीतकर भाजपा की झोली में डाल पाये तो यकीनन उनका राजनीतिक कद बढ़ेगा। वैसे हार्दिक पटेल पहले ही तय कर चुके थे कि वह विरामगाम से ही अपने जीवन का पहला चुनाव लड़ेंगे इसलिए वह काफी समय से इस क्षेत्र में सक्रिय हैं। हार्दिक पटेल लगातार विरामगाम में समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं को काफी समय से सुन रहे हैं और उनका समर्थन मांग रहे हैं।
read moreजी-20 का नेतृत्व मिलना भारत के विश्व महाशक्ति बनने की दिशा में बड़ा कदम है भारत के लिये यह गर्व एवं गौरव की बात है कि वह 1 दिसंबर से जी-20 की अध्यक्षता करेगा। भारत के लिए ये ऐतिहासिक अवसर है। आजादी के अमृतकाल में यह देश के लिए अभूतपूर्व उपलब्धि है, जहां से भारत के सशक्त होने एवं विश्व स्वीकार्यता की सार्थक दिशाओं का उद्घाटन होने जा रहा है। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विश्व नेता के रूप में उभर रही स्थितियों के कारण एक बड़ा अवसर देश को प्राप्त हो रहा है। जी-20 ऐसे देशों का समूह है जिनका आर्थिक सामर्थ्य विश्व की 75 प्रतिशत जीडीपी का प्रतिनिधित्व करता है। भारत अब इस जी-20 समूह का नेतृत्व करने जा रहा है, इसकी अध्यक्षता करने जा रहा है। निश्चित ही यह भारत के लिये एक नये सूरज के अभ्युदय का संकेत है। मोदी ने भारत की अध्यक्षता के शुभंकर और वेबसाइट का अनावरण करते हुए दुनिया को शांति के मार्ग पर अग्रसर करने के अपने संकल्प को दोहराया है। समूची दुनिया को सुखी होने का मार्ग दिखाते हुए भारत स्वयं भी उस मार्ग पर अग्रसर होगा, इसके लिये मोदी का नेतृत्व निश्चित ही नवीन दिशाओं को उद्घाटित करेगा।
read moreभाजपा हर राज्य में समान नागरिक संहिता का वादा आखिर क्यों कर रही है?
read moreगुजरात में सिर्फ विजय नहीं बल्कि बड़े अंतर से जीत हासिल करने की तैयारी में है भाजपा चुनाव आयोग द्वारा गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गयी हैं। किसी भी राष्ट्र एवं प्रांत के जीवन में चुनाव सबसे महत्त्वपूर्ण घटना होती है। यह एक यज्ञ होता है। लोकतंत्र प्रणाली का सबसे मजबूत पैर होता है। राष्ट्र के प्रत्येक वयस्क के संविधान प्रदत्त पवित्र मताधिकार प्रयोग का एक दिन। सत्ता के सिंहासन पर अब कोई राजपुरोहित या राजगुरु नहीं अपितु जनता अपने हाथों से तिलक लगाती है। गुजरात की जनता इन चुनावों में किसको तिलक करेगी, यह भविष्य के गर्भ में है। भले ही 1995 से ही भाजपा लगातार मजबूती से चुनाव जीतती रही है, क्या इस बार भी वह यह इतिहास दोहरायेगी?
read moreचुनाव दर चुनाव महिला मतदाताओं पर ही सबसे ज्यादा भरोसा क्यों जता रही है भाजपा?
read moreइस बार पाकिस्तान सरकार और फौज, दोनों के खिलाफ गुस्सा नजर आ रहा है पाकिस्तान की राजनीति अब एक तूफानी दौर में प्रवेश कर रही है। इमरान खान पर हुए जानलेवा हमले ने शाहबाज शरीफ की सरकार के खिलाफ उसी तरह का गुस्सा पैदा कर दिया है, जैसा कि 2007 में बेनजीर भुट्टो की हत्या के समय हुआ था। मुझे लगता है कि इस वक़्त का गुस्सा उस गुस्से से भी अधिक भयंकर है, क्योंकि उस समय पाकिस्तान में जनरल मुशर्रफ की फौजी सरकार थी लेकिन इस वक्त सरकार मुस्लिम लीग (नवाज़) के नेता शाहबाज शरीफ की है।
read moreभ्रष्टाचार से देश को मुक्ति दिलाने के अभियान का सबको समर्थन करना ही चाहिए नरेन्द्र मोदी ने सबसे पहले देश के प्रधानमंत्री बनते ही भ्रष्टाचार मुक्त भारत का संकल्प लिया। उन्होंने न खाऊंगा और न खाने दूंगा का शंखनाद किया, उनके दो बार के प्रधानमंत्री के कार्यकाल में भ्रष्टाचार पर नियंत्रण पाने के लिये अनेक कठोर कदम उठाये गये हैं और उसके परिणाम भी देखने को मिले हैं, लेकिन भ्रष्टाचार फिर भी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। भ्रष्टाचार की जटिल से जटिल होती स्थितियों को देखते हुए ही केंद्रीय सतर्कता आयोग ने सरकारी संस्थानों, मंत्रालयों और नागरिकों के लिए छह बिंदुओं का सत्यनिष्ठा प्रतिज्ञा पत्र जारी किया है, जिसमें उनसे भ्रष्टाचार मुक्त भारत की संकल्पना के साथ जुड़ने का आह्वान किया गया है। प्रतिज्ञा पत्र को आयोग ने भ्रष्टाचार मुक्त देश के लिए विशेष अभियान के तौर पर पेश किया है। राष्ट्र में भ्रष्टाचार के विरुद्ध समय-समय पर ऐसी क्रांतियां एवं प्रशासनिक उपक्रम होते रहे हैं। लेकिन उनका लक्ष्य, साधन और उद्देश्य शुद्ध न रहने से उनका दीर्घकालिक परिणाम संदिग्ध रहा है। प्रश्न है कि सत्यनिष्ठा प्रतिज्ञा पत्र की आवश्यकता क्यों पड़ी, क्या इसका हश्र ढाक के तीन पात ही होना है?
read moreभाजपा का विजय रथ अगर गुजरात में भी दौड़ा तो आगे भी दौड़ता ही रहेगा भारतीय निर्वाचन आयोग ने गुजरात विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है जिसके साथ ही अब गुजरात में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गयी है। पिछले कुछ समय से गुजरात में जिस तरह तमाम घोषणाओं और राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों का जो सिलसिला चल रहा था वह अब थम जायेगा। गुजरात में अब सबकी नजर इस पर रहेगी कि क्या वहां लगातार 7वीं बार भाजपा को सरकार बनाने का मौका मिलता है?
read moreमोरबी में हादसा नहीं नरसंहार हुआ है, दोषी बख्शे नहीं जाने चाहिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मोरबी में मच्छू नदी पर बने पुल की घटना को हादसा कहा। ये हादसा नहीं हो सकता। इसमें 136 की जान गई है। एक सौ के करीब घायल हैं। कुछ लापता भी बताए जा रहे हैं। ये 136 लोगों की मौत हादसा नहीं हो सकता। ये इंसानों की बलि है। धन की चाह के लिए लोगों के प्रति किया गया सामूहिक हत्या का अपराध है। जघन्य अपराध है। इसके लिए प्रयोग किया किया गया हर शब्द बौना है। छोटा है। और ऐसी घटना के लिए सजा भी अधिकतम होनी चाहिए।
read moreप्रधानमंत्री मोदी और प्रयास करें तो वाकई विश्व शक्ति बन सकता है भारत भारत की सरकारों से मेरी शिकायत प्रायः यह रहती है कि वे शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम क्यों नहीं उठाती हैं?
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