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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को राजनीतिक चश्मे से देखना सबसे बड़ी भूल है
By DivaNews
04 October 2022
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को राजनीतिक चश्मे से देखना सबसे बड़ी भूल है डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में विजयादशमी के दिन शुभ संकल्प के साथ एक छोटा बीज बोया था, जो आज विशाल वटवृक्ष बन चुका है। दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक-सामाजिक संगठन के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमारे सामने है। नन्हें कदम से शुरू हुई संघ की यात्रा समाज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पहुँची है, न केवल पहुँची है, बल्कि उसने प्रत्येक क्षेत्र में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है। ऐसे अनेक क्षेत्र हैं, जहाँ संघ की पहुँच न केवल कठिन थी, बल्कि असंभव मानी जाती थी। किंतु, आज उन क्षेत्रों में भी संघ नेतृत्व की भूमिका में है। बीज से वटवृक्ष बनने की संघ की यात्रा आसान कदापि नहीं रही है। 1925 में जिस जमीन पर संघ का बीज बोया गया था, वह उपजाऊ कतई नहीं थी। जिस वातावरण में बीज का अंकुरण होना था, वह भी अनुकूल नहीं था। किंतु, डॉक्टर हेडगेवार को उम्मीद थी कि भले ही जमीन ऊपर से बंजर दिख रही है, परंतु उसके भीतर जीवन है। जब माली अच्छा हो और बीज में जीवटता हो, तो प्रतिकूल वातावरण भी उसके विकास में बाधा नहीं बन पाता है। भारतीय संस्कृति से पोषण पाने के कारण ही अनेक संकटों के बाद भी संघ पूरी जीवटता से आगे बढ़ता रहा। अनेक झंझावातों और तूफानों के बीच अपने कद को ऊंचा करता रहा। अनेक व्यक्तियों, विचारों और संस्थाओं ने संघ को जड़ से उखाड़ फेंकने के प्रयास किए, किंतु उनके सब षड्यंत्र विफल हुए। क्योंकि, संघ की जड़ों के विस्तार को समझने में वह हमेशा भूल करते रहे। आज भी स्थिति कमोबेश वैसी ही है। आज भी अनेक लोग संघ को राजनीतिक चश्मे से ही देखने की कोशिश करते हैं। पिछले 97 बरस में इन लोगों ने अपना चश्मा नहीं बदला है। इसी कारण ये लोग संघ के विराट स्वरूप का दर्शन करने में असमर्थ रहते हैं। जबकि संघ इस लंबी यात्रा में समय के साथ सामंजस्य बैठाता रहा और अपनी यात्रा को दसों दिशाओं में लेकर गया। संघ के स्वयंसेवक एक गीत गाते हैं- ‘दसों दिशाओं में जाएं, दल बादल से छा जाएं, उमड़-घुमड़ कर हर धरती पर नंदनवन-सा लहराएं’। इसके साथ ही संघ में कहा जाता है- ‘संघ कुछ नहीं करेगा और संघ का स्वयंसेवक कुछ नहीं छोड़ेगा’। इस गीत और कथन, दोनों का अभिप्राय स्पष्ट है कि संघ के स्वयंसेवक प्रत्येक क्षेत्र में जाएंगे और उसे भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के साथ समृद्ध करने का प्रयत्न करेंगे। संघ का मूल कार्य शाखा के माध्यम से संस्कारित और ध्येयनिष्ठ नागरिक तैयार करना है। अपनी स्थापना के पहले दिन से संघ यही कार्य कर रहा है। यह ध्येयनिष्ठ स्वयंसेवक ही प्रत्येक क्षेत्र में संघ के विचार को लेकर पहुँचे हैं और वहाँ उन्होंने संघ की प्रेरणा से समविचारी संगठन खड़े किए हैं। आज की स्थिति में समाज जीवन का कोई भी क्षेत्र संघ के स्वयंसेवकों ने खाली नहीं छोड़ा है। संघ से प्रेरणा प्राप्त समविचारी संगठन प्रत्येक क्षेत्र में राष्ट्रीय हितों का संरक्षण करते हुए सकारात्मक परिवर्तन के ध्वज वाहक बने हुए हैं। शिक्षा, कला, फिल्म, साहित्य, संस्कृति, खेल, उद्योग, विज्ञान, आर्थिक क्षेत्र सहित मजदूर, इंजीनियर, डॉक्टर, प्राध्यापक, किसान, वनवासी इत्यादि वर्ग के बीच में भी संघ के समविचारी संगठन प्रामाणिकता से कार्य कर रहे हैं।
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