Zhao Lijian: भारत, अमेरिका और ताइवान पर हमले की ताक में रहने वाले Wolf Warrior से जिनपिंग ने क्यों किया किनारा, क्या कुछ बड़ा करने की फिराक में है चीन?
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Zhao Lijian: भारत, अमेरिका और ताइवान पर हमले की ताक में रहने वाले Wolf Warrior से जिनपिंग ने क्यों किया किनारा, क्या कुछ बड़ा करने की फिराक में है चीन?
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Congress Yukt Bharat: पार्ट-1 के समापन पर विपक्षी एकता, फिर पश्चिम से पूरब की ओर निकलेगी भारत जोड़ो यात्रा पार्ट-2 साल का आखिर दिन और देश की राजनीति के लिहाज से एक जागरूक और अहम प्रदेश बिहार, जब राजधानी पटना में मीडिया ने मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ की 2024 में विपक्ष के प्रधान मंत्री पद के चेहरे के रूप में राहुल गांधी की वकालत पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से प्रतिक्रिया मांगी, तो उन्होंने दो टूक कहा कि "
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बहुत नाइंसाफी है! 79% जनरल कैटेगरी वाले जज, जेलों में बंद 66 प्रतिशत कैदियों में SC/ST और ओबीसी, जानें भारत में क्यों है जेल सुधार की दरकार एयर इंडिया की फ्लाइट के बिजनेस क्लास सेक्शन में एक बुजुर्ग महिला यात्री पर पेशाब करने के घृणित कृत्य के बाद "
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Delhi LG VS CM Kejriwal: दिल्ली में हंगामा है क्यों बरपा, किसको कितनी पावर, समझें कानूनी और सियासी पहलू दिल्ली में प्रशासनिक अधिकारों को लेकर एलजी और सीएम के बीच तीखी बहस चल रही है। लगातार बढ़ रही तल्खी अब पत्राचार की भाषा में भी साफ झलकने लगी है। दोनों एक-दूसरे पर तंज कसने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा तो उसकी शुरुआत ही तंज के साथ की। उन्होंने लिखा कि पिछले कुछ दिनों में मुझे आपके कई पत्र प्राप्त हुए। मैं आपकी प्रशंसा करना चाहता हूं कि आपने शहर के प्रशासन को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया। अक्टूबर तक हम नियमित रूप से मिल रहे थे। उसके बाद राज्यों के विधानसभा चुनाव और एमसीडी चुनाव में व्यस्तता के कारण आपने मिलने में असमर्थता व्यक्त की थी। अब बैठकें फिर से शुरू की जाएं। सीएम केजरीवाल ने जवाबी चिट्ठी में लिखा, आपने व्यंग्यात्मक रूप से कहा कि चुनाव अभियानों के बाद मैंने शहर में प्रशासन को 'गंभीरता' से लेना शुरू कर दिया है। आप का राष्ट्रीय संयोजक होने के नाते मुझे चुनाव प्रचार के लिए जाना पड़ता है। वैसे ही जैसे पीएम, गृह मंत्री और आदित्यनाथ प्रचार के लिए जाते हैं।इसे भी पढ़ें: दिल्ली की सर्दी में फिर चढ़ा सियासी पारा, केजरीवाल के एलजी को लिखे पत्र के बाद दोनों आमने सामनेएलजी ने किया बैठक के लिए आमंत्रितएलजी ने लिखा कि में प्रशासन को नियंत्रित करने वाले प्रावधानों की सुप्रीम कोर्ट भी कई बार व्याख्या कर चुका विधानसभा है। इसके अलावा संविधान सभा, राज्य पुनर्गठन आयोग और संसद में भी इस पर गंभीर विचार-विमर्श हुआ है। उसके बाद ही ये प्रावधान बनाए गए हैं, जो अपने आप में बहुत स्पष्ट हैं। इसे और स्पष्ट करने के लिए एलजी ने सीएम को मीटिंग के लिए आमंत्रित करते हुए लिखा कि इस मीटिंग में हम इन मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं।केजरीवाल का खतसीएम ने दिल्ली की चुनी हुई सरकार से चर्चा किए बिना एलजी की ओर से एमसीडी में 10 मनोनीत पार्षदों को नियुक्त करने, मेयर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी का चयन करने, सरकार से सलाह किए बिना हज कमिटी का गठन करने और अधिकारियों को सीधे आदेश देकर अधिसूचनाएं जारी कराने का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली जनता ने भी इसकी कड़ी आलोचना की है। सीएम ने एलजी से कहा कि आपने अपने इन कामों को यह कहते हुए सही ठहराया कि सभी अधिनियमों और प्रावधानों में लिखा है कि 'प्रशासक/ उप-राज्यपाल नियुक्तियां करेंगे।' एक्ट में सरकार को 'प्रशासक/ उपराज्यपाल' के रूप में ही परिभाषित किया है और आपको एक नॉमिनी के रूप में काम करने की पावर दी है। मैंने तभी आपको पत्र लिखकर इस पर अपना पक्ष सार्वजनिक करने का आग्रह किया था।इसे भी पढ़ें: HIV positive व्यक्तियों को मुफ्त भोजन, उपचार मुहैया कराए दिल्ली सरकार : अदालत10 मनोनीत पार्षद का विवाद क्या है?
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Kuki-Chin Refugee मुद्दा क्या है? Mizoram बनेगा अगला असम?
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Joshimath Sinking: गेटवे ऑफ हिमालय में धंसती जमीन, फटती सड़कें!
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काबुल बनेगा इस्लामाबाद? अपने ही खोदे गड्ढे में कैसे गिरा जाता है ये पाकिस्तान से सीख सकते हैं, भारत तक पैर फैलाने के क्या हैं खतरनाक इरादे "
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ISI बेस्ट स्पाई एजेंसी, आतंकवादियों को भारत करता है फंडिंग, राहुल के Bharat Jodo Yatra में शरीक पूर्व रॉ चीफ की बातें जोड़ने वाली तो कतई नहीं है राहुल गांधी के नेतृत्व में निकाली जा रही कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा यूपी में दाखिल हो गई है। छह दिन के ब्रेक के बाद यात्रा एक बार फिर से शुरू हो चुकी है। कांग्रेस नेताओं का दावा है कि यात्रा के जरिये पार्टी के साथ जन समर्थन जुट रहा है। इस बीच 3 जनवरी को रॉ के पूर्व चीफ एएस दुलत भी राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए। एएस दुलत 1999 से साल 2000 तक रॉ के चीफ रहे हैं। इसे लेकर बीजेपी ने दुलत को निशाने पर लिया है। बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने ट्वीट करते हुए कहा कि दुलत ने कश्मीर संकट को यादगार बनाने का काम किया था। ऐसे में आइए जानते हैं कौन हैं पूर्व रॉ चीफ एएस दुलत और उनके भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के क्या मायने हैं?
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Gujarat Vs Kerala: गुजरात से भी ज्यादा पुराना केरल मॉडल, आखिर क्यों कर रहा लेफ्ट-राइट, आंकड़ों से समझें मलयालम भाषी अखबार में छपी एक तस्वीर, चार बच्चें कूड़े के ढेर में से भोजन ढूंढते हुए नजर आते हैं। इस तस्वीर का संदर्भ देते हुए तिरुअनंतपुरम में केरल के एसटी कम्युनिटी में नवजात बच्चों की मृत्यु दर का जिक्र करते हुए देश के प्रधानमंत्री का वो बयान केरल के आदिवासी इलाकों में बच्चों की स्थिति सोमालिया से भी ज्यादा खतरनाक है। प्रधानमंत्री मोदी ने केरल में राज्य की आर्थिक स्थिति का मुकाबला सोमालिया से कर दिया। सोमालिया में पिछले कई सालों से कानून व्यवस्था के हालात पूरी दुनिया के बदतररीन जगह है उनमें से एक है। ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स के मद्देनजर भी सोमालिया काफी निचले स्तर पर है। पीएम मोदी ने बेरोजगारी से लेकर नवजात शिशुओं की मृत्यु तक का मुद्दा भी उठाया। ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में अगर देखें तो मॉडल शब्द का जिक्र होते ही तपाक से सबके मुंह से गुजरात निकल जाता है। वो गुजरात मॉडल जिसे प्रजेंट कर नरेंद्र मोदी सूबे के मुख्यमंत्री से देश के प्रधान तक का सफर तय किया। लेकिन आपको बता दें कि 'मॉडल स्टेट' वाला एक और राज्य है जिसका इतिहास इस मामले में गुजरात से भी ज्यादा पुराना माना जाता है। केरल मॉडल 1970 का है, जबकि गुजरात मॉडल की चर्चा पहली बार साल 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। दक्षिण का राज्य केरल वामपंथी नीतियों के अनुकरणीय उत्पाद के रूप में केंद्र की वामपंथी पार्टियों द्वारा लंबे समय से इसकी प्रशंसा की जाती रही है। आधी सदी से अधिक समय से यह अधिकांश सामाजिक सूचकांकों में लगातार पहले स्थान पर है। वहीं प्रधानमंत्री मोदी का गृह राज्य गुजरात जिसने पिछले चार दशकों में मुंबई या बैंगलोर जैसी वित्तीय या तकनीकी राजधानी के बिना व्यापक पानी की कमी के बावजूद अन्य बड़े राज्यों की तुलना में तेजी से आधुनिकीकरण, शहरीकरण और औद्योगीकरण करते हुए तीनों आर्थिक क्षेत्रों में पर्याप्त समृद्धि लायी है। ऐसे में आंकड़ों के जरिये जानने की कोशिश करते हैं कि केरल और गुजरात मॉडल के बीच क्या अंतर है ?
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Demonetization पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला: 2023 में इसका क्या मतलब है?
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Year-End Special: नए साल पर कैसी होगी Economy की चाल, 2023 में Investors को किन बातों का रखना चाहिए ख्याल साल 2022 में भारत की अर्थव्यवस्था ने औसत से बेहतर प्रदर्शन किया है। इस साल अप्रैल में 1.
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शासन, निर्वासन, भारत में शरण और अब नए दलाई लामा का चयन, तवांग झड़प सिर्फ शुरुआत, तिब्बत और बौद्ध क्षेत्रों पर है ड्रैगन की टेढ़ी नजर!
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रेड कॉर्पेट और मोदी मेजबान, दुनिया के सबसे ताकतवर लीडर मेहमान, 2023 में भारत मिशन 20-20, जानें पूरा कैलेंडर रूस-यूक्रेन युद्ध और भारत की चौखट पर चीन की आक्रामकता ने वैश्विक भू-राजनीति में उथल-पुथल मचाई और अब भारत कूटनीतिक और सैन्य मोर्चों पर चुनौतियों और अवसरों के साथ 2023 में प्रवेश कर रहा है। जैसा कि भारत इस वर्ष G20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर है, दिल्ली दुनिया के सामने आने वाले मुद्दों पर बातचीत को आकार देगी। 2023 का साल भारत और नरेंद्र मोदी दोनों के लिए बहुत खास होने वाला है। हिन्दुस्तान दुनिया के 20 ताकतवर मुल्कों का मेजबान बनेगा। 23 जनवरी से ही पूरी दुनिया की नजर नरेंद्र मोदी पर टिकी होगी। दिसंबर का आखिरी हफ्ता भी बड़ी हलचल वाला है। नरेंद्र मोदी दुनिया में एकलौते ऐसे लीडर हैं, जिनके पास पुतिन का भी फोन आया और जेलेंस्की का भी। रूस और यूक्रेन दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षो ने हॉटलाइन पर मोदी को युद्ध का अपडेट दिया। इसके साथ ही दिसंबर के आखिरी हफ्ते की इंटरनेशनल रेटिंग भी आ गई है। सारी रेटिंग, रैकिंग में इंडिया टॉप फाइव में है। जी-20 से क्या मिलेगा?
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योगी सरकार की ये राजनीतिक चूक या सोची-समझी रणनीति, OBC Reservation में कहानी जैसी दिख रही है, हकीकत उससे काफी अलग नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों में होने वाले चुनाव को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने योगी सरकार को झटका देते हुए कहा कि बिना ओबीसी आरक्षण के जल्द से जल्द चुनाव कराए जाएं। कोर्ट ने यूपी सरकार के ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को खारिज कर दिया।
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राजशाही का खात्मा, विश्व के एकमात्र हिंदू राष्ट्र होने की पहचान की समाप्ति, चीन के बेस्ट फ्रेंड ने संभाली नेपाल की सत्ता तो भारत की क्यों बढ़ी चिंता?
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The Great China Story: क्या होती है वुल्फ वॉरियर डिप्लोमेसी, जिससे डरते हैं बड़े-बड़े देश, भारत ने कैसे कर दिया तगड़ा इलाज साल 2015 में चीन में एक फिक्शन फिल्म आई थी वुल्फ वॉरियर। इस फिल्म में चाइनीज मार्शल आर्ट खूब देखने को मिला था। फिल्म में लोकप्रिय अभिनेता वू जिंग मुख्य भूमिका में नजर आए थे। फिल्म में एक चीनी कमांडो अफ्रीका और अफगानिस्तान में अमेरिकियों की जान लेता है। फिल्म की सबसे खास बात ये रही कि कर्मिशल होने के बाद भी ये पीपुलिस लिबरेशन ऑफ आऱ्मी के लोगों की जांबाजी दिखाती है। इसके लिए सेना की भी मदद ली गई। फिल्म में चीनी सेना भयानक आक्रमक और चालाक रही। यही तरीका अब चीन की सरकार असल में भी अपनाती नजर आ रही है। इसलिए इसे वुल्फ वारियर डिप्लोमेसी कहा जा रहा है। वुल्फ वॉर डिप्लोमेसी जैसे शब्दों का इस्तेमाल चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2019 में चीन के लिए बढ़ते अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों के बीच किया था। जिनपिंग के मुताबिक चीन तेजी से तरक्की कर रहा है। चीन की तरक्की पश्चिमी देशों को पसंद नहीं आ रही है। इसलिए अमेरिका और ब्रिटेन समेत कई देश चीन के प्रति ज्यादा हमलावर हो रहे हैं। क्या है चीन की वुल्फ वॉरियर डिप्लोमेसी, अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों से निपटने के लिए कैसी है तैयारी, भारत इसका जवाब कैसे देगा। इसे भी पढ़ें: LAC पर विवाद का कारण क्या, आखिर भारत को लेकर इतना आक्रमक रुख क्यों रखता है चीन?
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आने वाली है तबाही! कोविड संक्रमित डेड बॉडी Zombies में बदल जाएंगी?
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Corona Returns: विश्व के 80 करोड़ लोग क्या मारे जाएंगे?
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स्वागत नहीं करोगे आप हमारा, आ गए हैं पटना दोबारा, वो पुलिस अधिकारी जिसने बिहार के अंडरवर्ल्ड में मचाया हड़कंप 26 मई 2021 की तारीख, तीन आईपीएस अधिकारी जिन्हें बिहार में सुपरकॉप और अपराधियों के बीच खौफ का नाम माना जाता रहा। मनु महाराज और कुंदन कृष्णा और राजविंदर सिंह भट्टी सेंट्रल डिप्यूटेशन पर चले गए। बिहार सरकार ने की तरफ से उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया। लेकिन एक साल बाद ही बिहार में बदलते हालात के बाद इनमें से एक राजविंदर सिंह भट्टी को बिहार का नया डीजीपी बनाया गया है। नए डीजीपी आरएस भट्टी के बारे में लालू के शब्दों में कहे तो ऐसे पुलिस अधिकारी जो बड़े से बड़े अपराधियों का बिठा देंगे भट्ठा। बिहार के नए डीजीपी आरएस भट्टी से जुड़ी कई कहानियां हैं। बड़े से बड़े अपराधियों को सत्ता से संरक्षण मिलता था उस पर भी हाथ रखने से बाज नहीं आते थे। आज हम आपको उन्हीं में से कुछ कहानियों के बारे में बताएंगे। आरएस भट्टी ने शहाबुद्दीन को दिल्ली से गिरफ्तार किया था। बात केवल शहाबुद्दीन तक ही सीमित नहीं है। इससे पहले प्रभुनाथ सिंह पर भी भट्टी का कहर टूट चुका है। अशोक सिंह हत्याकांड में प्रभुनाथ सिंह के सजा काटने के पीछे भी उन्हीं की तफ्तीश थी। इससे पहले उन्होंने एएसपी रहते हुए दिलीप सिंह को बंद किया था। जब भट्टी को लेकर हेलीकॉप्टर में उड़े थे लालू14 जून 1998 का दिन पूर्णिया के इतिहास का वो काला पन्ना है जो सूबे की सरकार को भी लाल घेरे में घेरती है। 14 जून की दोपहर को ही पूर्णिया शहर से गुजरने वाली गंगा दार्जलिंग पथ पर पूर्णिया सदर के चार बार के विधायक रहे अजीत सरकार को गोलियों से भून दिया जाता है। उस समय अजीत सरकार की लोकप्रियता चरम पर थी। उनकी हत्या की खबर फैलते ही शहर जलने लगा था। सड़कों पर जनसैलाब उमड़ गया था और पुलिस सुरक्षात्मक मुद्रा में आ गई थी। अगले दिन भी यही क्रम जारी रहा और पुलिस असहाय नजर आ रही थी। इस आंदोलन की आग पटना तक पहुंच चुकी थी और सरकार को तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा था।इसे भी पढ़ें: जहरीली शराब त्रासदी : बिहार के डीजीपी ने भाजपा नेता के आरोपों का खंडन किया पूर्णिया में आक्रोशित लोग उनका शव उठने नहीं दे रहे थे। लगातार बिगड़ते हालात की सूचना मिलने पर उस वक्त के बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के पूर्णिया आगमन का कार्यक्रम तय हुआ। स्थिति को भांपते हुए लालू यादव खुद आईपीएस राजविंदर सिंह भट्टी को लेकर वहां पहुंचे। अजीत सरकार के पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण के बाद लालू ने लोगों से शांति की अपील की। इसके साथ ही ये ऐलान किया कि पूर्णिया के एसपी आरएस भट्टी होंगे। लालू ने कहा कि ये ऐसे एसपी होंगे जो बड़े से बड़े अपराधियों का भट्टा बैठा देंगे। पूर्णियां के एसपी की कमान संभालते हुए आरएस भट्टी ने तत्काल अजीत सरकार हत्याकांड की जांच शुरू कर दी। हालांकि जांच अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि सरकार की तरफ से इसका जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया गया था। उस समय भी ये बात सामने आई थी कि आरएसभट्टी ने जिन्हें केंद्र में रखकर अपनी जांच को रफ्तार दी बाद में सीबीआई भी उसी दिशा में आगे बढ़ी। इसे भी पढ़ें: Bihar Hooch Tragedy: जहरीली शराब पीने से अब तक 74 लोगों की मौत, सुशील मोदी का आरोप- आंकड़े छिपा रही नीतीश सरकारदिलीप सिंह को किया था गिरफ्तारमोकामा के बाहुबली विधायक रहे और अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह की गिरफ्तारी भी आरएस भट्टी ने की थी। ये बात 1980 के दशक की है, उस वक्त मध्य बिहार में एक तस्कर हुआ करता था जिसका नाम कामदेव सिंह था। वो हथियारों को छोड़कर हर तरह की तस्करी किया करता था। 90 के दशक में बाढ स्टेशन से सकसौड़ा तक टमटम ही आने जाने के साधन हुआ करते थे। जिसकी वजह थी सड़कों का ना बना होना। दिलीप सिंह के पास कई घोड़ें थे। उन्होंने घोड़े पालकर टमटम चलवाने का काम किया। बाद में कामदेव सिंह का हाथ थाम दिलीप सिंह उनके राइट हैंड बन गए। दिलीप सिंह ने हथियार और जमीन कब्जाने का काम शुरू किया। कामदेव की हत्या के बाद दिलीप सिंह ने उनकी कुर्सी पर कब्जा जमा लिया। ये बिहार का वही दौर था जब बूथ कैप्चरिंग का बोलबाला था। बाद में राजनीति में हाथ आजमाते हुए दिलीप सिंह लालू यादव की तत्कालीन सरकार में मंत्री भी बन गए। लेकिन 1990 के दौर में जब लालू यादव की तूती बोलती थी तो उस दौर में आरएस भट्टी ने दिलीप सिंह को गिरफ्तार कर लिया था। विधानसभा के सत्र के दौरान उन्होंने दिलीप सिंह को सुबह सवेरे गिरप्तार कर लिया और इसकी भनक पटना के एसपी और डीएम तक को नहीं लगने दी। भट्टी के इस कदम से लालू यादव भी सकते में आ गए। हालांकि बाद में दिलीप सिंह जेल से बाहर आ गए। हार्ट अटैक से अक्टूबर 2006 में उनका निधन हो गया। डॉक्टर पुत्र अपहरण भट्टी गोपालगंज के पुलिस कप्तान हुआ करते थे। तभी पड़ोस के जिले छपरा में एक डॉक्टर पुत्र का अपहरण हो गया। देखते ही देखते डॉक्टर हड़ताल पर चले गए। ऐसा करते हुए 11 दिन बीत गए। आखिरकार डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल को तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव से मिलने के लिए बुलाया गया। लालू प्रसाद भी इस अपहरण कांड को लेकर बेहद परेशान थे। डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता करने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने बड़ा फैसला लिया और केस आरएस भट्टी को सौंपने का निर्णय लिया। लेकिन उस वक्त आरएस भट्टी छुट्टी पर चल रहे थे। भट्टी चंडीगढ़ में थे सीएम ऑफिस ने फोन मिलाया और फिर राज्य सरकार ने विमान भेजा और भट्टी पटना वापस आकर सीधे मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव से मिले। भट्टी ने अपना ऑपरेशन शुरू कर दिया। आसपास के पांच-छह जिलों में अपराधियों की सूची ली। हफ्ताभर में अगवा डॉक्टर पुत्र को मिर्जापुर से बरामद कर लिया गया। शहाबुद्दीन की दिल्ली से गिरफ्तारीबिहार में 2005 का दूसरा विधानसभा चुनाव हो रहा था। तत्कालीन चुनाव आयुक्त केजे राव ने आरएस भट्टी को सीबीआई से वापस बुलाकर सिवान की कमान सौंप दी थी। हालांकि प्रोन्नति पाकर तब आरएस भट्टी डीआईजी हो गए थे। लेकिन केजे राव ने अहम फैसला लेते हुए सिवान में एसपी के पद को ही शिथिल कर दिया और भट्टी को तैनात कर दिया था। एक नई सब इंस्पेक्टर गौरी के नेतृत्व में टीम गठित कर शहाबुद्दीन को गिरफ्तार करा दिया था। काफी दिनों तक यह मामला बेहद चर्चित रहा।- अभिनय आकाश
read moreChip War: दुनिया जिस चिप्स/सेमीकंडक्टर की कमी से जूझ रही है, वो है क्या?
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Court Vacations: कोर्ट का विंटर वेकेशन ब्रेक, छुट्टियों में क्या करते हैं जज साहब, क्यों होती रही है इतनी आलोचना समर वेकेशन और विंटर वेकेशन से हमें अपनी स्टूडेंट लाइफ की याद आती है। जब गर्मियों की छुट्टियां होती थी और जाड़ों की छुट्टियां होती थी। लेकिन एक और भी जगह है जहां समर और विंटर वेकेशन होती है। हम बात देश की अदालत के बारे में कर रहे हैं। लेकिन आखिर कोर्ट में ये वेकेशन क्यों होती हैं?
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Sardar Patel death anniversary: आरएसएस, अल्पसंख्यक समुदायों और चीन को लेकर सरदार के विचार, वर्तमान परिदृश्य में कितने असरदार?
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श्रीलंका के बाद भारत का एक और पड़ोसी देश राजनीतिक अराजकता की दिशा में बढ़ा, बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर क्यों लगा ग्रहण?
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