Two Front War: एक ही झटके में चित होंगे चीन-पाकिस्तान, भारतीय सेना बनेगी सर्वशक्तिमान, जानें अगले 25 सालों का रोडमैप "
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read moreMalacca Strait: चीन की जान इस ‘तोते’ में बसती है, भारत इस कदम से घुटनों पर ला सकता है, पूर्व राष्ट्रपति जिंताओ ने बताया था बड़ी दुविधा भारत और चीन के बीच अरुणाचल प्रदेश के तवांग में 9 और 11 दिसंबर को हुए सैन्य झड़प के बाद से एक बार फिर दोनों देशों के संबंधों में खटास आती नजर आ रही है। हमेशा से शांति और पड़ोसियों से मधुर संबंधों के हिमायती भारत ने इस बार चीन की आक्रमकता का उसी की भाषा में जवाब दिया है और आलम ये नजर आया कि चीनी सैनिक बैरंग वापस भागने पर मजबूर हो गए। हालांकि चीन को जमीन से ज्यादा बड़ी चिंता सागर की सता रही है। आपने अपने बचपन में एक कहानी सुनी होगी। जादूगर की जान तोते में होती थी। तोते की गर्दन मरोड़ते हुए वो छटपटाने लगता था। हमारा पड़ोसी मुल्क चीन जो कमबख्त हर जगह बस घुसपैठ की ताक में रहता है। जादूगर की तरह का ही एक तोता चीन का भी है। समुद्र का एक रास्ता, जिसमें उसकी जान बसती है। ये रास्ता चीन की जीवन रेखा है। उसके उद्योग और कारोबार इसी रास्ते पर निर्भर है। इस पतली सी गर्दन वाले रास्ते की चाबी भारत के पास है। चीन को लंबे समय से ये डर सताता आया है कि किसी दिन लड़ाई हुई तो भारत ये रास्ता बंद कर देगा। ऐसा हुआ तो चीन का सारा काम काज ठप्प हो जाएगा। ऐसा न हो इसके लिए चीन लंबे समय से हाथ पांव मार रहा है। उसकी कोशिश एक इमरजेंसी रूट बनाने की है। इसे भी पढ़ें: Ssshhhh.
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read moreयदुवंशी-कुशवंशी का मेल, क्यों हो रहा फेल, मुकाबला अब 2:1 से बीजेपी के पक्ष में, 2024 के लिहाज से क्या संकेत दे रहा बिहार?
read moreमिले चाचा-भतीजा, मैनपुरी में आया ऐसा नतीजा, शिवपाल के साथ आने से बदल जाएंगे सपा के ‘तेवर’ "
read moreऑस्ट्रेलिया में पांव पसार रही खालिस्तानी विचाधारा, अब वहां की सरकार लेगी बड़ा एक्शन विदेशों में बैठकर भारत विरोधी साजिश रचने वाले खालिस्तानियों की अब खैर नहीं है। भारत का सख्त रूख देखकर अब दूसरे देश भी हिन्दुस्तान विरोधी प्रोपोगैंडा चलाने वालों के खिलाफ एक्शन ले रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण ऑस्ट्रेलिया बना है। वहां की सरकार ने भारत विरोधी गतिविधियों पर अब सख्त एक्शन लेने की तैयारी में है। खबर है कि ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में भारत विरोधी साजिशों को लेकर एक बैठक की गई। जिसके बाद सुरक्षा एजेंसियों से इस मामले को लेकर काम करने के लिए कहा गया। दरअसल, भारत लगातार ऑस्ट्रेलिया में चल रही खालिस्तानी मूवमेंट के विस्तार को लेकर शिकायत करता रहा है।
read moreHistory of exit polls: दिल्ली में झाड़ूू के बाद अब गुजरात और हिमाचल का कैसा रहेगा परिणाम, जानें कब-कब Exact साबित हुए एग्जिट पोल हिमाचल प्रदेश, गुजरात के साथ ही दिल्ली के नगर निगम चुनाव की समाप्ति के बाद से ही एग्जिट पोल आने शुरू हो गए। सीटों की संख्या को लेकर सभी के अपने अपने दावें भी रहे। इस दावों और आंकड़ों के खेल की शुरुआत 5 दिसंबर की शाम से शुरू हो गई और 8 दिसंबर को दोनों राज्यों के नतीजे आने तक ये मान्य रहेंगे। उसके बाद यह एक्सपायर हो जाएंगे। वैसे दिल्ली के एमसीडी चुनाव के नतीजे मोटा-माटी आ गए हैं। आंकड़ों पर फौरी तौर पर नजर डालें तो एग्जिट पोल्स के अनुमान कुछ हद तक सही साबित होते नजर आएं। तमाम एग्जिट पोल ने दिल्ली एमसीडी में आप की जीत के दावे किए थे। वास्तविकता में भी ऐसा ही होता नजर आ रहा है। बीजेपी भले ही अपना मेयर बनाने का दावा करती नजर आ रही थी, लेकिन तमाम एग्जिट पोल एक ही सुर में मानो 'अच्छे होंगे 5 साल, एमसीडी में भी केजरीवाल' कहते नजर आ रहे थे। अब ऐसे में कल हिमाचल प्रदेश और गुजरात में आने वाले चुनावी नतीजों को लेकर भी एग्जिट पोल के दावों के आधार पर तौल कर देखा जाने लगा है। ऐसे में आइए जानते हैं कि एग्जिट पोल के अनुमान कितनी दफा सटीक और कितनी बार हवा हवाई साबित हुए हैं। दिल्ली एमसीडी चुनावदिल्ली एमसीडी चुनाव की तस्वीर साफ हो चुकी है। आप पूर्ण बहुमत के साथ अपना मेयर बनाने की दिशा में काफी आगे निकल गई है। वहीं बीजेपी के एमसीडी में 15 साल के राज का अंत भी होता नजर आ रहा है। बात अगर एग्जिट पोल की करें तो आज तक एक्सिस माय इंडिया ने एमसीडी चुनाव में 250 सीटों में आप को 149-171 सीटें दी थी, वहीं बीजेपी को 69-91 और कांग्रेस को 3-7 सीट, अन्य को 5-9 सीटें मिलने का अनुमान जताया था। जन की बात के पोल में आप को 159-175 और बीजेपी को 70-92 व कांग्रेस को 4-7 सीटें दी गई थीं। इसे भी पढ़ें: MCD election 2022 results: बीजेपी, आप और कांग्रेस के विजेताओं की पूरी लिस्ट देखें यहां, जानें किस उम्मीदवार को मिली जीतगुजरात में बीजेपी फिर बनाएगी रिकॉर्ड?
read moreMahaparinirvan Diwas: मार्क्सवाद से बेहतर है Buddhism?
read moreतालिबान की पाकिस्तान को दुत्कार, भारत से दोस्ती का बढ़ाया हाथ, अफगानिस्तान में 20 परियोजनाएं दोबारा से होंगी शुरू?
read moreएयरपोर्ट पर जाने के लिए अब नहीं होगी ID कार्ड और पासपोर्ट की जरूरत!
read more‘G-20 का नया बॉस’: 50 शहरों में 200 से अधिक बैठकें, 75 वर्षों की अपनी उपलब्धियों और प्रगति बताएगा भारत जिस पल का इंतजार हरेक देशवासी को था वो घड़ी आ गईय़ भारत ने एक दिसंबर को आधिकारिक तौर पर जी 20 की अध्यक्षता संभाल ली है। जी 20 दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का समूह है। इसकी अध्यक्षता संभालते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये समय भारत की आध्यात्मिक परंपरा से प्रोत्साहित होने का है। प्रधानमंत्री मोदी ने सिलसिलेवार कई ट्वीट कर कहा कि अब समय पुरानी घिसी-पिटी मानसिकता में फंसे रहने का नहीं है। यह समय हमारी आध्यात्मिक परंपराओं से प्रेरित होने का है, जो वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए मिलकर काम करने की वकालत करता है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, नई दिल्ली 1 दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक एक वर्ष के लिए G20 की अध्यक्षता ग्रहण करने के लिए तैयार है। विदेश मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारत 2023 में 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में G-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। जी20 शिखर सम्मेलन तक देश भर के 50 शहरों में 200 से अधिक बैठकों की योजना बनाई गई है। इनमें से कुछ बैठकों की मेजबानी करने के लिए देश के उन हिस्सों का चयन किया गया है जिनके बारे में लोगों को बेहत कम जानकारी है।
read moreकौन हैं प्रणय रॉय और राधिका रॉय?
read moreदिल्ली नगर निगम का क्या है इतिहास, कौन-कौन से हैं अधिकार और क्या होती है पार्षदों की पावर?
read moreचीन में क्यों हो रहे हैं विरोध प्रदर्शन, कितनी बड़ी चुनौती है शी जिनपिंग के सामने?
read moreक्या है महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद? 66 साल से अटका है मसला, आमने-सामने हैं बीजेपी नेता "
read more26/11 के 14 साल: आतंकवाद को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदायों का डबल स्टैंडर्ड, इंसाफ अब भी अधूरा, चीन का वीटो वाला साथ और पाकिस्तान ग्रे लिस्ट आउट कुछ तारीखें ऐसी होती हैं जो किसी मुल्क के जेहन में सामूहिक याद के तौर पर दर्ज हो जाती हैं। उनके किस्से हर साल दोहराए जाते हैं। अमेरिका के लिए 9/11 और हमारे लिए 26/11, वैसे तो मुंबई का सामना आतंक से साल 1993 में भी हुआ था। लेकिन 14 साल पहले 2008 में 26 नवंबर को भी हुआ। 10 आतंकियों ने अलग-अलग जगहों पर आतंक का खूनी खेल मचाया। इन जगहों में छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, ताज होटल, हॉस्पिटल, नरीमन हॉस्पिटल और नॉरीमन हाउस शामिल हैं। इस हमले में 166 लोग मारे गए। 300 से ज्यादा घायल हुए और कई पुलिसवाले शहीद हुए। इनमें एटीएस चीफ हेमंत करकरे, मुंबई के एडीशनल कमिश्वर अशोक कामते, सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर विजय सालस्कर, असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर तुकाराम के नाम शामिल हैं। नेशनल सिक्योरिटी गार्ड के मेडर संदीप उन्नीथन भी शहीद हुए। हम देश के लिए प्राणों की आहुति देने वाले सभी सिपाहियों को अपना श्रद्धांजलि और नमन अर्पित करते हैं। इस पूरे ऑपरेशन में लश्कर ए तैयबा के 10 में से नौ आतंकी मारे गए और एक जिंदा पकड़ा गया जिसका नाम था अजमल आमिर कसाब, जिसे पुणे की जेल में बाद में फांसी दे दी गई।
read moreक्या था सरायघाट का युद्ध, कौन हैं औरंगजेब की सेना को बुरी तरह हराने वाले लचित बोरफुकन, जिन्हें कहा जाता है ‘पूर्वोत्तर का शिवाजी’ हमने उसे आज तक नहीं देखा, पता नहीं आदमजाद है या अफवाह। परंतु बहुत से लोगों ने हमसे फरमाया कि उन्हें हेंगडैंग की सुनहरी चमक दिखी है। गुप्तचर ने बादशाह से कहा और क्रोध से औरंगजेब के नेत्र लाल हो उठे। उसने लाल आंखे लिए क्रोध में पूछा कि अब ये हेंगडेंग क्या है सिपाही?
read moreData Protection Bill: कंसेंट मैनेजर का प्रावधान, महिलाओं पर विशेष ध्यान, नए नियमों से कितना सेफ रहेगा हमारा डेटा, अन्य देशों की तुलना में कैसे अलग?
read moreहेट स्पीच का नाइक कैसे बना फीफा वर्ल्ड कप में नायक, क्या है मिशन दावाह, जानें विवादित इस्लामिक धर्मगुरु की कहानी, जो भारत समेत 5 देशों में बैन जिसकी जुबान से हर वक्त जहर भरे लफ्ज निकलते हैं। जो मजहबी तकरीरों और कट्टरपंथी हेट स्पीच को लेकर पूरी दुनिया में कुख्यात है। जिहाद के नाम पर धार्मिक उन्माद फैलाने के आरोपी जिहादी मौलाना का नया ठिकाना इन दिनों कतर बना हुआ है। जी हां, वहीं कतर जहां फीफा वर्ल्ड कप हो रहा है। वैसे तो खेल एक ऐसा शब्द है जिसके साथ लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं, जज्बात जुड़े हुए हैं। लेकिन इसी खेल में कट्टरपंथी जुड़ जाए तो सोचिए तस्वीर कैसी होगी?
read moreसबसे महंगा आयोजन, भ्रष्टाचार के आरोप, भारत के सैकड़ों मजदूरों की मौत, क्यों फीफा विश्व कप का सबसे विवादास्पद मेजबान बना कतर?
read moreदुनिया में चल रही वर्चस्व की लड़ाई के बीच भारत को G20 की अध्यक्षता मिलने के क्या मायने हैं?
read moreपुरानी पेंशन योजना क्यों अर्थशास्त्र और राजनीति दोनों के लिहाज से गलत है?
read more83 साल पहले हिटलर की सेना पोलैंड में घुसी और हो गया द्वितीय विश्व युद्ध का आगाज, फिर से चर्चा में आया ये नाटो देश, क्या फॉल्स फ्लैग है मिसाइल हमला?
read moreहिंदू कोड बिल, जातिगत आरक्षण से लेकर कश्मीर तक, नेहरू और आंबेडकर के बीच जिन मुद्दों को लेकर रहा विवाद ये भारत की आजादी से कुछ हफ्ते पहले की बात है, पंडित जवाहरलाल नेहरू बीआर अम्बेडकर को कानून मंत्री के रूप में अपने नए मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं। कैबिनेट के अधिकांश अन्य सदस्यों के विपरीत, अम्बेडकर कांग्रेस पार्टी का हिस्सा नहीं थे और न ही वे उन मूल्यों को साझा करते थे जिनमें नेहरू और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के अन्य वरिष्ठ नेता विश्वास करते थे। यह महात्मा गांधी थे, जिनका मानना था कि कांग्रेस ने नहीं बल्कि संपूर्ण भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की है, इसमें हर किसी की भागीजारी रही है। इसलिए अन्य राजनीतिक झुकाव के उत्कृष्ट पुरुषों को भी सरकार का नेतृत्व करने के लिए कहा जाना चाहिए, विशेष रूप से आंबेडकर को भी। इसे भी पढ़ें: राष्ट्रपति के खिलाफ टिप्पणी: स्मृति ईरानी ने साधा ममता पर निशाना, लॉकेट चटर्जी ने अखिल गिरि के खिलाफ दर्ज कराई शिकायतपहले कैबिनेट का हिस्सा होने के बावजूद, कांग्रेस के अधिकांश नेताओं के साथ अम्बेडकर के संबंध अपेक्षाकृत मजबूत आधार पर टिके थे। गांधी के साथ अम्बेडकर के विवादास्पद संबंधों के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है। इसके विपरीत, भारत के पहले प्रधानमंत्री, जवाहरलाल नेहरू के साथ उनके संबंध के बारे में बहुत कम जानकारी सामने आई है। इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने यहां तक आरोप लगाया था कि नेहरू-अंबेडकर के रिश्ते को अस्पष्ट बना दिया गया है। इसके बारे में कोई किताब नहीं है, न ही मेरी जानकारी में एक अच्छा विद्वत्तापूर्ण लेख भी है। नेहरू और अम्बेडकर विचारधारा के मामले में बहुत भिन्न नहीं थे। हालांकि जातिगत आरक्षण, हिंदू कानून के संहिताकरण और विदेश नीति पर उनके विचारों के संबंध में उनके निष्पादन के बारे में दोवों के काफी विपरीत विचार थे। कश्मीर भी एक ऐसा मुद्दा था जिस पर आधुनिक भारत के इन दोनों संस्थापकों में भारी मतभेद थे। हालाँकि, नेहरू भी अम्बेडकर के प्रति गहरा सम्मान रखते थे। 1965 में उनकी मृत्यु के बारे में सुनकर, नेहरू ने यह कहते हुए एक श्रद्धांजलि लिखी कि अम्बेडकर "
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