पाकिस्तान में अब क्या होगा? फौज का जवाब फौज से देंगे इमरान, आने वाले दिनों में ये 5 संभावित Scenario देखने को मिल सकते हैं
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पाकिस्तान में अब क्या होगा? फौज का जवाब फौज से देंगे इमरान, आने वाले दिनों में ये 5 संभावित Scenario देखने को मिल सकते हैं पड़ोसी मुल्का पाकिस्तान इन दिनों अशांत है। पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा पद छोड़ने वाले हैं। क्या वह ऐसा करता है, उसका उत्तराधिकारी कौन है, उसे कैसे नियुक्त किया जाएगा और उनके और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच क्या संबंध हैं?

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हिमालय क्षेत्र में मंडराता बड़े भूकंप का खतरा, समस्या के बजाए समाधान पर ध्यान, बचाव के लिए क्यों दिया जाता है जापान का उदाहरण?
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EWS आरक्षण: सरकार का पक्ष, विरोध में दी गई दलील, जजों की राय, विवाद के शुरुआत से लेकर फैसला आने तक की पूरी टाइमलाइन
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EWS आरक्षण: सरकार का पक्ष, विरोध में दी गई दलील, जजों की राय, विवाद के शुरुआत से लेकर फैसला आने तक की पूरी टाइमलाइन देश में गरीब सर्वर्णों को 10 फीसदी आरक्षण मिलता रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण के संशोधन को सही माना है। पांच में से तीन जजों का कोटे के पक्ष में फैसला आया है। ये अपने आप में एक ऐतिहासिक फैसला है। इस फैसले के बाद देश में गरीब सर्वर्णों को आरक्षण मिलता रहेगा, उसमें कोई भी बदलाव नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर को सुनवाई करते हुए दाखिलों और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करने वाले 103वें संविधान संशोधन की वैधता को दो के मुकाबले तीन मतों के बहुमत से बरकरार रखा। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, बेला एम त्रिवेदी और जेबी पारदीवाला ने कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं करता। वहीं भारत के मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट ने असहमति जताई। ऐसे में ईडब्ल्यूएस आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का जो रुख सामने आया है उसके मायने क्या हैं, ये जानने हैं और इसके साथ ही आपको बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने क्या कहा, विरोध में क्या तर्क दिए गए और जजों की क्या टिप्पणी रही। कुल मिलाकर कहें तो ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर सुप्रीम मुहर की पूरी टाइमलाइन। इसे भी पढ़ें: SC ने रद्द किया झारखंड उच्च न्यायालय का आदेश तो बोले हेमंत सोरेन, सत्यमेव जयतेसुप्रीम कोर्ट में सरकार ने क्या कहा?

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सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की वर्तमान प्रणाली से कानून मंत्री क्यों हैं नाखुश, क्या अब जजों की नियुक्ति सरकार करेगी?
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FIFA विश्व कप का मेजबान मोतियों वाला खूबसूरत देश कतर, ‘गार्जियन’ के साये से बाहर आने लगी महिलाएं?
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हफ्ते में सातों दिन 12 घंटे काम, मुनाफे का दबाव और ट्विटर का पैसा वसूल फॉर्मूला, आखिर मस्क का इरादा क्या है?
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आ गया भारत का अपना डिजिटल रुपया: क्या है Digital करेंसी, इससे राशन भी खरीदा जा सकता है? आप पर इसका क्या असर पड़ेगा, पूरी जानकारी
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लेफ्ट, राइट, सेंटर… नए राष्ट्रपति बने वामपंथी लूला, ब्राजील में क्यों जताई जा रही ट्रंप वाले कांड की आशंका?
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इतिहास के ये खौफनाक पुल हादसे, जो मोरबी से पहले देश को रुला गए, कंपनी की लापरवाही से गई 137 लोगों की जान?
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पाकिस्तान में कुछ बड़ा होने वाला है, मार्च के ज़रिए किस पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं इमरान और क्या है उनका  कक्कड़ फॉर्मूला
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पाकिस्तान में कुछ बड़ा होने वाला है, मार्च के ज़रिए किस पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं इमरान और क्या है उनका कक्कड़ फॉर्मूला पाकिस्तान में एक बार फिर से बड़े स्तर पर सियासी तमाशा शुरू हो चुका है। इमरान खान ने शाहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ अपने आजादी मार्च की शुरुआत कर दी है। डैमेज कंट्रोल के हिसाब से पाकिस्तान सरकार ने न्यूज चैनल्स को इमरान के मार्च की कवरेज करने से रोक दिया। लेकिन इसके पहले ही इमरान खान ने एक अच्छा-खासा बखेड़ा कर दिया। लाहौर से उन्होंने अपने ही देश की खुफिया एजेंसी आईएसआई के नाम खुल्लम-खुला चेतावनी जारी कर दी। इमरान ने कहा कि वो बहुत कुछ जानते हैं और चाहे तो पोल खोल सकते हैं। एक दिन पहले ही आईएसआई चीफ ने इमरान को झूठा और दोहरे चेहरे वाला शख्स करार दिया था। किसी नेता के खिलाफ सेना और आईएसआई चीफ बकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ये बाते कहते हुए नजर आए थे। ऐसा नजारा केवल और केवल पाकिस्तान में ही देखने को मिल सकता है। इसे भी पढ़ें: भारत और गल्फ देशों की नजदीकियों से हो रही है पाक को जलन!

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1100 घाटों के लिए 25 करोड़ का खर्च, LG की मंजूरी, तमाम कोशिशों के बाद भी क्यों प्रदूषित है यमुना?
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लिज ट्रस ने इस्तीफा देकर जॉर्ज कैनिंग को छोड़ा पीछे, जिसके बेटे ने कुचला था 1857 का विद्रोह, 10 कारण जिसकी वजह से ब्रिटेन में आया ये संकट
Mri लिज ट्रस ने इस्तीफा देकर जॉर्ज कैनिंग को छोड़ा पीछे, जिसके बेटे ने कुचला था 1857 का विद्रोह, 10 कारण जिसकी वजह से ब्रिटेन में आया ये संकट

लिज ट्रस ने इस्तीफा देकर जॉर्ज कैनिंग को छोड़ा पीछे, जिसके बेटे ने कुचला था 1857 का विद्रोह, 10 कारण जिसकी वजह से ब्रिटेन में आया ये संकट यूनाइटेड किंगडम में एक बार फिर से राजनीतिक संकट गहरा गया है। बोरिस जॉनसन को प्रधानमंत्री की कुर्सी से उतरे अभी दो महीने से भी कम समय हुआ है। लेकिन उससे पहले ही नई प्रधानमंत्री लिज ट्रस की नींव खिसक गई है। 45 दिनों के भीतर ही उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा है और वजह है कि उनके सिपहसालार बागी हुए जा रहे हैं। 19 अक्टूबर को गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने अपना इस्तीफा दे दिया था। ये पिछले पांच दिनों में ट्रस कैबिनेट से हुआ दूसरा बड़ा इस्तीफा था। इससे पहले 14 अक्टूबर को वित्त मंत्री क्वासी क्वार्टैंग को बर्खास्त कर दिया गया था। उनकी जगह पर जेरमी हंट को नया वित्त मंत्री बनाया गया। जानकार बता रहे थे कि ये तो बस शुरुआत है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो लिज ट्रस सरकार का बच पाना मुश्किल है। यही हुआ भी। 20 अक्टूबर को लिज ट्रस ने भी अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। ब्रिटेन के नए सियासी ड्रामे की कहानी बताते हैं। इसके साथ ही जानते हैं कि वो 10 वजह जिसकी वजह से इतने कम समय में लिज ट्रस को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। 

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जयललिता को धीमा जहर, मोदी की गुजराती नर्स वाली सलाह और अब 600 पन्नों की रिपोर्ट, क्या अम्मा को चिन्म्मा ने मारा?
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राष्ट्रपति वही कैबिनेट नई, नए चेहरों को मिलेगी जगह, इन फैसलों के जरिए जिनपिंग बनेंगे चीन के इतिहास के सबसे ताकतवर व्यक्ति
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राष्ट्रपति वही कैबिनेट नई, नए चेहरों को मिलेगी जगह, इन फैसलों के जरिए जिनपिंग बनेंगे चीन के इतिहास के सबसे ताकतवर व्यक्ति चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का एक बार फिर राष्ट्रपति बनना लगभग तय माना जा रहा है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस का आगाज 16 अक्टूबर से ही हो गया है। ये बैठक 7 दिनों तक चलेगी। चाइनिज कम्युनिस्ट पार्टी के 20वें अधिवेशन के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जीरो कोविड पॉलिसी से लेकर करप्शन के खिलाफ सरकार के अभियान की तारीफ की। इस अधिवेशन में 2300 डेलीगेट्स शामिल हुए, जो अगले पांच साल के लिए पार्टी लीडर का चुनाव करेंगे। पिछले दस साल से जिनपिंग सीपीसी और सरकार के मुखिया  बने हुए हैं। अगले पांच सालों के लिए भी उनका मुखिया चुना जाना तय है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के 20वीं कांग्रेस के शुरुआती भाषण में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने खतरनाक इरादे जाहिर कर दिए हैं। ताइवान का जिक्र करते हुए जिनपिंग ने पीएलए में भी टॉप लेवल पर बड़े बदलाव के संकेत दे दिए हैं। चीनी राष्ट्रपति ने कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं कांग्रेस में पीएलए के आधुनिकरण पर जोर देते हुए कहा कि ये न केवल चीन की संप्रभुता बल्कि इसकी सुरक्षा और विकास संबंधित हितों की रक्षा के लिए जरूरी है। इसके लिए पीएलए में भी टॉप लेवर पर बड़े बदलाव होंगे। पार्टी की सबसे शक्तिशाली बॉडी पोलित ब्यूरो स्थायी समिति के कई सदस्यों को हटाया जा सकता है। एक साथ 3 अहम पदों पर जिनपिंगजिनपिंग इस समय तीन अहम पदों को एक साथ संभाल रहे हैं। वो चीन के राष्ट्रपति हैं, कम्युनिस्ट पार्टी के जनरल सेंक्रेटरी हैं। इसके साथ ही सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के चेयरमैन भी हैं। जिनपिंग के इनमें से कोई भी पद छोड़ने की उम्मीद नहीं है। इस बैठक में कांग्रेस और सेंट्रल कमेटी का चुनाव होता है जो चीन की सर्वोच्च संस्थाएं हैं। आपको बता दें कि 2018 में पार्टी विधान के बदलाव के बाद दो कार्यकाल की बाध्यता खत्म कर दी गई थी। खबर है कि जिनपिंग का तीसरी बार राष्ट्रपति बनना तय हो गया है। 22 से 23 अक्टूबर को जिनपिंग के तीसरे कार्यकाल का आधिकारिक ऐलान होगा। वहीं उम्र के आधार पर जिनपिंग प्रधानमंत्री के कियांग को बदलने के साथ ही विदेश मंत्री वांग यी की भी छुट्टी पक्की मानी जा रही है। इसे भी पढ़ें: मैं चाहे ये करूँ, मैं चाहे वो करूँ, मेरी मर्जी.

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क्या रुपया नहीं हुआ कमजोर? डॉलर के वर्चस्व ने बढ़ाई मुश्किल, जानें वित्त मंत्री के बयान की हकीकत, आंकड़ों की जुबानी
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क्या रुपया नहीं हुआ कमजोर? डॉलर के वर्चस्व ने बढ़ाई मुश्किल, जानें वित्त मंत्री के बयान की हकीकत, आंकड़ों की जुबानी हर दौर में रुपया हर किसी की जरूरत होती है। इसलिए तो दुनिया कहती भी है कि 'बाप बड़ा न भइया, सबसे बड़ा रुपैया'। जिसके पास रुपया नहीं है वो रोता है, लेकिन आज रुपया खुद रो रहा है। उसकी आवाज में अब वो दम नहीं रह गया और खनक भी कमजोर पड़ती जा रही है। पिछले 100 सालों में रुपये की अहमियत तो  बढ़ी लेकिन कीमत गिरती चली गई। डॉलर की ताकत के आगे रुपया कमजोर होता गया। रुपये ने बहुत ठोकरें खाईं लेकिन संभलने का मौका नहीं मिला। एक वक्त ऐसा भी था जब डॉलर रुपये के आगे नजरे नहीं उठा पाता था। लेकिन रुपये के हाल को लेकर एक सवाल जब देश की वित्त मंत्री से पूछा गया तो उनके दिए जवाब ने एक नए बवाल को जन्म दे दिया। वित्त मंत्री अमेरिका के आधिकारिक दौरे पर गईं थीं। वाशिंगटन डीसी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब पत्रकारों ने उसके रुपये की नरमी को लेकर सवाल पूछा, तो उन्होंने कहा कि भारतीय रुपया गिर नहीं रहा, बल्कि डॉलर निरंतर मजबूत हो रहा है। वित्त मंत्री की तरफ से ये बयान सामने आने के बाद विपक्ष की तरफ से इसकी आलोचना की जा रही है। सोशल मीडिया पर भी खिंचाई की जा रही है। हालांकि कई अर्थशास्त्री वित्त मंत्री के बयान से सहमति जता रहे हैं। ऐसे में आईए जानते हैं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान के मायने क्या हैं?

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चीनी, कम्युनिस्ट पार्टी और भारत: माओ के बराबर की शक्तियां क्यों चाहते हैं जिनपिंग, क्या है कांग्रेस की बैठक के मायने
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चीनी, कम्युनिस्ट पार्टी और भारत: माओ के बराबर की शक्तियां क्यों चाहते हैं जिनपिंग, क्या है कांग्रेस की बैठक के मायने शी जिनपिंग को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के महासचिव और चीन के राष्ट्रपति के रूप में तीसरा कार्यकाल मिलना तय है। 16 अक्टूबर को बीजिंग में शुरू होने वाली सीसीपी की 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस चीन की राजनीति में एक बहुत ही महत्वपूर्ण क्षण है, जिसके निहतार्थ दुनिया के लिए भी बेहद अहम रहने वाले हैं। कांग्रेस के लिए चल रहे घटनाक्रम से, ऐसा लगता है कि शी जिनपिंग को महासचिव के रूप में तीसरे कार्यकाल के लिए मंजूरी दी जाएगी। वैसे राष्ट्रपति के रूप में पुन: पुष्टि औपचारिक तौर पर मार्च में नेशनल पीपुल्स कांग्रेस में होगी। ऐसे में अंतराष्ट्रीय मामलों में दिलचस्पी रखने वालों के मन में ये जिज्ञासा जरूर होगी कि आखिर चीन के राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?

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तेजी से बढ़ रहा एक साथ 2 कंपनियों में नौकरी का ट्रेंड, क्या भारत में है लीगल? मूनलाइटिंग और इस पर छिड़ी बहस के बारे में जानें
Mri तेजी से बढ़ रहा एक साथ 2 कंपनियों में नौकरी का ट्रेंड, क्या भारत में है लीगल? मूनलाइटिंग और इस पर छिड़ी बहस के बारे में जानें

तेजी से बढ़ रहा एक साथ 2 कंपनियों में नौकरी का ट्रेंड, क्या भारत में है लीगल?

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कुषाण से लेकर सूरी तक, मुगल से लेकर अंग्रेजों तक, तांबे से लेकर सोने तक, कई बार हुए बदलाव, प्राचीन भारतीय मुद्राओं का क्या इतिहास है
Mri कुषाण से लेकर सूरी तक, मुगल से लेकर अंग्रेजों तक, तांबे से लेकर सोने तक, कई बार हुए बदलाव, प्राचीन भारतीय मुद्राओं का क्या इतिहास है

कुषाण से लेकर सूरी तक, मुगल से लेकर अंग्रेजों तक, तांबे से लेकर सोने तक, कई बार हुए बदलाव, प्राचीन भारतीय मुद्राओं का क्या इतिहास है किसी की जेब में किसी की तिजोरी में छोटे-बड़े बैंक में, बटुए से लेकर एटीएम तक में हर जगह मौजूद रुपया हर दौर में लोगों की सबसे बड़ी जरूरत रहा है। इसलिए तो दुनिया कहती भी है कि 'बाप बड़ा न भइया, सबसे बड़ा रुपैया'। हर चीज से बढ़कर है रुपैया, जिसके सिक्कों की खनक हो या करारे नोटों की खुश्बू हर कोई इसका दीवाना है। आज आपको रुपये के जन्म से लेकर अब तक की पूरी कहानी बताने के साथ ही भारतीय मुद्रा के इतिहास और रुपए से पहले कैसे होता था लेन-देन इसकी भी दास्तां सुनाऊंगा। वैदिक साहित्य से पता चलता है कि 'रुपया' शब्द संस्कृत शब्द 'रूप्यकम' से लिया गया है। शब्द का शाब्दिक अर्थ है 'चांदी का सिक्का'। कई बार रंग, नाम बदलने, रद्द करने के बाद अब रिजर्व बैंक पैसे छापने की जिम्मेदारी संभाल रहा है।

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शिवसेना से छिना 37 साल पुराना पार्टी सिंबल, चुनाव आयोग ने क्यों लिया ये फैसला, अब उद्धव-शिंदे गुट के पास क्या विकल्प, 8 सवालों में जानें सबकुछ
Mri शिवसेना से छिना 37 साल पुराना पार्टी सिंबल, चुनाव आयोग ने क्यों लिया ये फैसला, अब उद्धव-शिंदे गुट के पास क्या विकल्प, 8 सवालों में जानें सबकुछ

शिवसेना से छिना 37 साल पुराना पार्टी सिंबल, चुनाव आयोग ने क्यों लिया ये फैसला, अब उद्धव-शिंदे गुट के पास क्या विकल्प, 8 सवालों में जानें सबकुछ शिवसेना के सिंबल और नाम को लेकर उद्धव और शिंदे गुट की लड़ाई अब नए मोड़ पर आ गई। अंधेरी उपचुनाव से ठीक पहले चुनाव आयोग ने शिवसेना के चुनाव चिन्ह तीर-कमान के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। चुनाव आयोग का ये फैसला दोनों गुटों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। ऐसे में अंधेरी उपचुनाव से पहले दोनों गुटों को नए सिंबल और नाम के साथ मैदान में उतरना पड़ सकता है। हालांकि चुनाव आयोग ने इतनी सहूलियत जरूर दी है कि दोनों गुट अपनी पार्टी के नाम के साथ सेना शब्द का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन अगले आदेश तक पार्टी का चुनाव चिन्ह और नाम के इस्तेमाल पर रोक बनी रहेगी। 

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