Birthday Special: रफ़ी साहब की आवाज का जादू आज भी कायम है
Personality Birthday Special: रफ़ी साहब की आवाज का जादू आज भी कायम है

Birthday Special: रफ़ी साहब की आवाज का जादू आज भी कायम है अपनी सुरीली आवाज के कारण सुरों के बादशाह कहे जानें वाले सदाबहार गायक मोहम्मद रफ़ी का जन्म 24 दिसम्बर 1924 को पंजाब के अमृतसर के कोटला सुल्तान सिंह गांव में हुआ था। 1940 से 1980 तक रफ़ी साहब ने लगभग 26000 गीत गाये। मोहम्मद रफ़ी को शहंशाह-ए-तरन्नुम कहा जाता था। आज भी हर महफ़िल मोहम्मद रफ़ी के गीतों के बगैर पूरी नहीं होती। रफ़ी साहब की आवाज का जादू आज भी कायम है।   पार्श्व गायक के रूप में मोहम्मद रफ़ी की शुरुआत 'गुल बलोच' नाम की पंजाबी फिल्म से हुई। उन्होंने पंडित जीवन लाल मट्टू, अब्दुल वाहिद और फिरोज निजामी से शास्त्रीय संगीत सीखा था। रफ़ी गली में घूम कर गाने वाले एक फकीर के गीतों को सुनकर गुनगुनाया करते थे, एक दिन फकीर ने रफ़ी से कहा तुम बहुत बड़े गायक बनोगे। घरवालों की मर्जी के बिना रफ़ी ने संगीत की शिक्षा ली और मुंबई पहुंच गए। उस समय के प्रख्यात गायक कुंदन लाल सहगल मोहम्मद रफ़ी के प्रेरणास्रोत थे, रफ़ी साहब की शुरूआती गायकी में के एल सहगल की झलक देखी जा सकती है। मोहम्मद रफ़ी ने हिंदी के अलावा उड़िया, पंजाबी, भोजपुरी, बंगाली, असमिया और कोंकणी भाषा के गीत गाये, उन्होंने डच और स्पेनिश, इंग्लिश और पारसी भाषा के गीतों को भी अपनी आवाज दी।इसे भी पढ़ें: Dilip Kumar birth anniversary: रुपहले पर्दे का ऐसा अभिनेता जो अपने हर किरदार को अमर कर गयापहली स्टेज परफॉर्मेंस एक बार रफ़ी साहब और उनके बड़े भाई सहगल को सुनने आकाशवाणी गए थे जहां किसी कारणवश के एल सहगल ने गाने से मना कर दिया, मोहम्मद रफी के कहने पर आकाशवाणी वालों ने मोहम्मद रफ़ी को गाने का मौका दिया और रफ़ी ने पहली बार सार्वजनिक रूप से पहली बार गीत गाया।   

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अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया चौधरी चरण सिंह ने
Personality अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया चौधरी चरण सिंह ने

अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया चौधरी चरण सिंह ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की गिनती हमेशा एक ईमानदार राजनेता के तौर पर की जाती है। उन्होंने जीवन पर्यन्त किसानों की सेवा को ही अपना धर्म माना और अपने अंतिम समय तक देश के गांव में रहने वाले किसानों, गरीबों, दलितो, पीड़ितों की सेवा में ही पूरी जिंदगी गुजारी। चौधरी चरण सिंह ने हमेशा यह साबित करने की कोशिश की थी कि किसानों को खुशहाल किए बिना देश का विकास नहीं हो सकता। उनकी नीति किसानों व गरीबों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने की थी। उन्होने किसानों की खुशहाली के लिए खेती पर बल दिया था। किसानों को उनकी उपज का उचित दाम मिल सके इसके लिए भी वो बहुत गंभीर रहते थे। उनका कहना था कि भारत का सम्पूर्ण विकास तभी होगा जब किसान, मजदूर, गरीब सभी खुशहाल होंगे।

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कठोर निर्णय लेकर पीवी नरसिम्हा राव ने बदली थी भारत की आर्थिक दिशा
Personality कठोर निर्णय लेकर पीवी नरसिम्हा राव ने बदली थी भारत की आर्थिक दिशा

कठोर निर्णय लेकर पीवी नरसिम्हा राव ने बदली थी भारत की आर्थिक दिशा पीवी नरसिम्हा राव का जन्म 28 जून 1921 को करीमनगर में हुआ था। उन्होंने हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय, मुंबई विश्वविद्यालय एवं नागपुर विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई की। पीवी नरसिम्हा राव के तीन बेटे और पांच बेटियां हैं। पीवी नरसिम्हा राव दक्षिण से बनने वाले पहले प्रधानमंत्री थे। नरसिम्हा राव असंख्य प्रतिभा के धनी थे। नरसिम्हा राव 1991-1996 के बीच भारत के प्रधानमंत्री रहे। नरसिम्हा राव को संगीत, साहित्य और कला में विशेष रूच थी। नरसिम्हा राव को विभिन्न भाषाओँ का ज्ञान प्राप्त था इन्हें भारतीय भाषाओँ के साथ स्पेनिश और फ़्रांसिसी भाषाओँ का भी ज्ञान था।

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महान गणितज्ञ रामानुजन ने अपने सूत्रों व सिद्धांतों द्वारा गणित को नए आयाम दिये
Personality महान गणितज्ञ रामानुजन ने अपने सूत्रों व सिद्धांतों द्वारा गणित को नए आयाम दिये

महान गणितज्ञ रामानुजन ने अपने सूत्रों व सिद्धांतों द्वारा गणित को नए आयाम दिये तमिलनाडु के कुम्भकोणम में रहने वाले श्रीनिवास तथा उनकी पत्नी कोमलम्मनल आयंगार ने पुत्रप्राप्ति की कामना में नामगिरि देवी की आराधना की। देवी की कृपा से 22 दिसम्बर 1887 को उन्हें पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई। जिसका नाम रामानुजम रखा गया। यही बालक बड़ा होकर महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के नाम से लोकप्रिय हुआ। बालक रामानुजन की शिक्षा अत्यंत साधारण पाठशाला से प्रारम्भ हुई। दो वर्षों के बाद वह कुम्भकोणम के टाउन हाईस्कूल जाने लगे। बचपन से ही गणित विषय में उनकी विशेष रूचि थी। बचपन से ही उन्हें यह यक्ष प्रश्न उद्विग्न करता था कि गणित का सबसे बड़ा सत्य कौन सा है?

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Narsinh Mehta Jayanti: आध्यात्मिक एवं धार्मिक जगत के भक्त एवं भजन सम्राट
Personality Narsinh Mehta Jayanti: आध्यात्मिक एवं धार्मिक जगत के भक्त एवं भजन सम्राट

Narsinh Mehta Jayanti: आध्यात्मिक एवं धार्मिक जगत के भक्त एवं भजन सम्राट भगवान श्रीकृष्ण भक्ति में सराबोर भक्तों की लम्बी श्रृंखला में नरसी मेहता का नाम सर्वोपरि है। उनकी निश्छल और चरम भक्ति इतनी प्रभावी रही है कि श्रीकृष्ण से सीधे सम्पर्क में रहे, उनका उनके साथ सीधा संवाद होता था। उनके भक्ति रस से आप्लावित भजन आज भी जनमानस को ढांढस बंधाते हैं, धर्म का पाठ पढ़ाते हैं और जीवन को पवित्र बनाने की प्रेरणा देते हैं। उनके भजनों में जीवंत सत्यों का दर्शन होता है। जिस प्रकार किसी फूल की महक को शब्दों में बयां करना कठिन है, उसी प्रकार गुजराती के इस शिखर संतकवि और श्रीकृष्ण-भक्त का वर्णन करना भी मुश्किल है। उनकी भक्ति इतनी सशक्त, सरल एवं पवित्र थी कि श्रीकृष्ण को अनेक बार साक्षात प्रकट होकर अपने इस प्रिय भक्त की सहायता करनी पड़ी।

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विशाल भारत की कल्पना बिना सरदार वल्लभ भाई पटेल के पूरी नहीं हो पाती
Personality विशाल भारत की कल्पना बिना सरदार वल्लभ भाई पटेल के पूरी नहीं हो पाती

विशाल भारत की कल्पना बिना सरदार वल्लभ भाई पटेल के पूरी नहीं हो पाती जब-जब मजबूत और अखंड भारत के बाद आएगी तब तक पर लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल का जिक्र जरूर आएगा। देश को एकता और अखंडता के सूत्र में पिरोने वाले पहले उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल अपने मजबूत संकल्प शक्ति के लिए हमेशा जाने गए। वह सरदार पटेल ही थे जिन्होंने बिखरे भारत को एक करने की कोशिश की। वह सरदार पटेल ही थे जिन्होंने छोटे-छोटे राजवाड़े और राजघरानों को भारत में सम्मिलित किया। दूसरे शब्दों में कहे तो विशाल भारत की कल्पना बिना वल्लभ भाई पटेल के शायद पूरी नहीं हो पाती। सरदार पटेल की विशाल व भव्य भारत की कल्पना हमेशा इतिहास में अंकित रहेगा। नवीन भारत के निर्माता सरदार वल्लभ भाई पटेल भारत के पहले गृह मंत्री थे और अपने शांत स्वभाव तथा सुदृढ़ व्यक्तित्व के लिए जाने जाते थे। 

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विमान दुर्घटना से पहले संजय को मारने की तीन कोशिशें की गईं, जानें संजय गांधी से जुड़े अनसुने किस्से
Personality विमान दुर्घटना से पहले संजय को मारने की तीन कोशिशें की गईं, जानें संजय गांधी से जुड़े अनसुने किस्से

विमान दुर्घटना से पहले संजय को मारने की तीन कोशिशें की गईं, जानें संजय गांधी से जुड़े अनसुने किस्से विमान दुर्घटना से पहले संजय को मारने की तीन कोशिशें की गईं, जानें संजय गांधी से जुड़े अनसुने किस्से इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी की शख्सियत को हर किसी ने अपनी तरह से परिभाषित किया। किसी ने उन्हें तानाशाह की उपाधि दी तो किसी ने आपातकाल के दौरान उनके द्वारा लिए गए फैसले को मुनासिब बताया। संजय गांधी को इंदिरा गांधी के उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जाता था। लेकिन अचानक उनकी मौत ने देश की सियासी हवा बदल दी। फिर चार साल बाद इंदिरा गांधी की भी हत्या हो गई। फिर राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने। संजय गांधी को रफ्तार से प्यार था, वो गाड़ी भी तेज चलाते थे। आकाश में जहाज से ऐसी कलाबाजियां करते जैसे मानो कोई जादूगर लोगों को अपना करतब दिखा रहा हो। संजय गांधी जिस दिन प्लेन उड़ा रहे थे, उस दिन उनकी पत्नी मेनका ने मां इंदिरा से कहा था कि वो उन्हें प्लेन को गोता लगाने से मना करें। जब तक इंदिरा बाहर निकलती, तब तक संजय अपनी मेटाडोर लेकर निकल चुके थे। 

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रामायण बनाकर रामानंद सागर ने सभी रामभक्तों को एक डोर में बांध दिया था…
Personality रामायण बनाकर रामानंद सागर ने सभी रामभक्तों को एक डोर में बांध दिया था…

रामायण बनाकर रामानंद सागर ने सभी रामभक्तों को एक डोर में बांध दिया था… जैसे ही 1980 के दशक में मध्यवर्गीय भारतीयों के रहने वाले कमरे में टेलीविजन हावी होने लगा, महाकाव्य रामायण पर आधारित एक धारावाहिक राज्य द्वारा संचालित दूरदर्शन चैनल पर प्रसारित किया गया। यह इतना लोकप्रिय हो गया कि जैसे ही शाम के समय यह टीवी पर प्रसारित होता पूरा मोहल्ला टेलीविजन की स्क्रीन के सामने इकट्ठा हो जाता था। लोग काम छोड़ देते थे और शो देखने के लिए समय पर घर पहुंच जाते थे। यकीन मानिए महौल कुछ ऐसा होता था कि शो के प्रसारित होने पर सड़कें सुनसान हो जाती थीं। कुछ अनुमानों के अनुसार, आठ में से एक भारतीय ने शो देखा और विज्ञापनदाताओं ने स्लॉट भरने के लिए दौड़ लगा दी। रामानंद सागर की रामायण को उत्तर और दक्षिण भारत दोनों में दर्शकों की संख्या के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। रामानंद सागर की 'रामायण' के 78 एपिसोड्स प्रसारित हुए थे और हर एपिसोड 35 मिनट का होता था। इस सीरियल को पहले एपिसोड से ही दर्शकों का ढेर सारा प्यार मिला।

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Dilip Kumar birth anniversary: रुपहले पर्दे का ऐसा अभिनेता जो अपने हर किरदार को अमर कर गया
Personality Dilip Kumar birth anniversary: रुपहले पर्दे का ऐसा अभिनेता जो अपने हर किरदार को अमर कर गया

Dilip Kumar birth anniversary: रुपहले पर्दे का ऐसा अभिनेता जो अपने हर किरदार को अमर कर गया एक अभिनेता के लिए सबसे बड़ी बात क्या होती है?

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Ravi Shankar Biography | सितार से अटूट था पंडित रविशंकर का रिश्ता, आखिरी सांस तक नहीं छोड़ा साथ
Personality Ravi Shankar Biography | सितार से अटूट था पंडित रविशंकर का रिश्ता, आखिरी सांस तक नहीं छोड़ा साथ

Ravi Shankar Biography | सितार से अटूट था पंडित रविशंकर का रिश्ता, आखिरी सांस तक नहीं छोड़ा साथ रॉबिन्द्र शंकोर चौधरी जिन्हें हम पंडित रविशंकर के नाम से जानते हैं। पंडित रविशंकर एक भारतीय सितार वादक और संगीतकार थे। सितार गुणी पंडित रविशंकर उत्तर भारतीय शास्त्रीय संगीत का दुनिया का सबसे प्रसिद्ध कलाकारों में से एक थे। उन्होंने अपने कला के माध्यम से एशिया सहित पूरे विश्व में खूब नाम कमाया। उनकी खूबसूरत कला के लिए भारत सरकार ने 1999 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। पंडित रविशंकर ने ही भारतीय शास्त्रीय वाद्य सितार को पूरी दुनिया में लोकप्रिय बनाया। पंडित रविशंकर संगीत का अध्ययन करते हुए बड़े हुए और उन्होंने अपने भाई के नृत्य मंडली के सदस्य के रूप में अपने सफर की शुरूआत की। कुछ वर्षों बाद वह ऑल-इंडिया रेडियो के निदेशक बन गये। निदेशक के रूप में सेवा करने के बाद, उन्होंने भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका का दौरा करना शुरू किया। इस प्रक्रिया में, उन्होंने जॉर्ज हैरिसन और फिलिप ग्लास सहित कई उल्लेखनीय संगीतकारों के साथ सहयोग किया। उन्होंने प्रसिद्ध बैंड 'द बीटल्स' के साथ भी सहयोग किया, जिससे सितार को काफी हद तक लोकप्रिय बनाया गया। तीन सर्वोच्च भारतीय नागरिक पुरस्कारों से सम्मानित, शंकर का 92 वर्ष की आयु में दिसंबर 2012 को कैलिफोर्निया में निधन हो गया।

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बेजोड़ स्मरण क्षमता और अचूक इच्छाशक्ति रखने वाले राजनेता थे प्रणब दा
Personality बेजोड़ स्मरण क्षमता और अचूक इच्छाशक्ति रखने वाले राजनेता थे प्रणब दा

बेजोड़ स्मरण क्षमता और अचूक इच्छाशक्ति रखने वाले राजनेता थे प्रणब दा राष्ट्रपति के रूप में प्रणब मुखर्जी को विद्वता और शालीन व्यक्तित्व के लिए याद किया जाता है। उन्होंने अपने कार्यकाल में लीक से हटकर अनूठे एवं अविस्मरणीय फैसले लिए। राष्ट्रपति पद के साथ औपचारिक तौर पर लगाए जाने वाले ‘महामहिम’ के उद्बोधन को उन्होंने खत्म करने का निर्णय लिया। रायसीना की पहाड़ी पर बने राष्ट्रपति भवन में अब तक कई राष्ट्रपतियों ने अपनी छाप छोड़ी है। उनमें राष्ट्रपति के रूप में प्रणब दा का कार्यकाल ऐतिहासिक, यादगार, गैरविवादास्पद और सरकार से बिना किसी टकराव का रहा। आमतौर पर राष्ट्रपति को भेजी गईं दया याचिकाएं लंबे समय तक लंबित रहती हैं लेकिन प्रणब मुखर्जी कई आतंकवादियों की फांसी की सजा पर तुरंत फैसले लेने के लिए याद किए जाएंगे। मुंबई हमले के दोषी अजमल कसाब और संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी की सजा पर मुहर लगाने में प्रणब मुखर्जी ने बिलकुल भी देर नहीं लगाई। राष्ट्रपति के तौर पर 5 साल के अपने कार्यकाल के दौरान प्रणब मुखर्जी ने राजनीतिक जुड़ाव से दूर रहकर काम किया। प्रणब दा जब केंद्र सरकार में थे तो उन्हें सरकार के संकटमोचक के तौर पर देखा जाता था, जब वे बातचीत के जरिए विभिन्न समस्याओं का समाधान निकालने वाले में माहिर माने जाते थे। पांच दशक के राजनीतिक जीवन में, जिसमें उन्होंने असंख्य शब्द कहे, एक भी अभद्र टिप्पणी उनकी आप याद नहीं कर सकते।

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आजादी के आराधक थे प्रफुल्ल चंद्र चाकी, सरफोशी की तमन्ना रखते थे
Personality आजादी के आराधक थे प्रफुल्ल चंद्र चाकी, सरफोशी की तमन्ना रखते थे

आजादी के आराधक थे प्रफुल्ल चंद्र चाकी, सरफोशी की तमन्ना रखते थे गुलामी की जंजीरें तोड़कर भारत को आजाद कराने के लिए संसार के सुख का कोई लालच नहीं बांध पाया। आत्मोत्सर्ग की भावना और सरफरोशी की तमन्ना के साथ आजादी का आराधक इंकलाब की राह पर चल पड़ा। जिंदगी वतन के नाम कर अमर हो गए। शहीद प्रफुल्ल चन्द्र चाकी का आज जन्मदिवस है। उनका जन्म उत्तरी बंगाल के बोगुरा जिले, जो कि अब बांग्लादेश में स्थित है, के बिहारी गांव में हुआ था जब प्रफुल्ल 2 वर्ष के थे तभी पिता श्री राज नारायण चाकी का निधन हो गया था मां स्वर्णमयी देवी ने बड़ी कठिनाई से पालन पोषण किया। वे उनकी की पांचवी संतान थे।

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डॉ. भीमराव अंबेडकर का संविधान निर्माण करने में अतुलनीय योगदान रहा
Personality डॉ. भीमराव अंबेडकर का संविधान निर्माण करने में अतुलनीय योगदान रहा

डॉ. भीमराव अंबेडकर का संविधान निर्माण करने में अतुलनीय योगदान रहा भारतीय समाज में व्याप्त असमानता और जातिवाद के चरम दौर में डॉ.

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आध्यात्मिक राष्ट्रीयता के जनक हैं महर्षि अरविन्द घोष
Personality आध्यात्मिक राष्ट्रीयता के जनक हैं महर्षि अरविन्द घोष

आध्यात्मिक राष्ट्रीयता के जनक हैं महर्षि अरविन्द घोष महर्षि अरविंद घोष एक महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने के साथ-साथ योगी, दार्शनिक, कवि और प्रकांड विद्वान भी थे। उनके क्रांतिकारी विचार और भाषणों में ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों की कड़ीआलोचना शामिल रहती थी और समाचार पत्र "

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युवाओं व खिलाड़ियों के प्रेरणास्रोत हैं हॉकी के महारथी मेजर ध्यान चंद
Personality युवाओं व खिलाड़ियों के प्रेरणास्रोत हैं हॉकी के महारथी मेजर ध्यान चंद

युवाओं व खिलाड़ियों के प्रेरणास्रोत हैं हॉकी के महारथी मेजर ध्यान चंद हॉकी के जादूगर ने अपनी काबिलियत के दम पर पूरे दुनिया में अपना नाम कमाया। 29 अगस्त को मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन है। तो आइए इस अवसर पर हॉकी के महारथी मेजर ध्यान चंद के बारे में कुछ रोचक बातें बताते हैं।

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देव आनंद ने सुरैया को किया था प्रपोज लेकिन प्रेम कहानी रह गई थी अधूरी
Personality देव आनंद ने सुरैया को किया था प्रपोज लेकिन प्रेम कहानी रह गई थी अधूरी

देव आनंद ने सुरैया को किया था प्रपोज लेकिन प्रेम कहानी रह गई थी अधूरी बॉलीवुड में कई एक्टर आए और गए लेकिन एक ऐसे एक्टर जिन्होंने अपने टैलेंट से करीब 6 दशकों तक लोगों के दिल पर राज किया वो थे लीजेंड देव आनंद साहब जी। देव आनंद की एक्टिंग और डायलॉग का हर कोई दिवाना था। अपने हुनर, अदाकारी के जादू से उन्होंने लाखों फैन बनाए। अपने जमाने के फैशन आइकन कहे जाने वाले देव आंनद की एक झलक पाने के लिए लोग बेकरार रहते थे। आज भले ही वो हमारे साथ न हो लेकिन उनकी फिल्में आज भी उनकी यादों को ताजा करने के लिए बहुत है। देव आनंद का जन्म 26 सितंबर 1923 को पंजाब में हुआ था। देव आंनद ने अपने करियर की शुरूआत साल 1946 से की और उनकी पहली फिल्म का नाम था हम एक है। हालांकि, ये फिल्म कुछ ज्यादा हिट साबित नहीं हुई और बाद में उन्होंने एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया जो सुपरहिट साबित हुई। देव आनंद ने लगभग 116 फिल्मों में काम किया। बता दें कि लड़कियां देव आनंद की एक झलक पाने के लिए किसी भी हद तक चली जाती थी। फिल्मों के साथ-साथ देव आंनद के जिंदगी के जुड़े किस्से काफी मशहूर थे। साल 2011 में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत लंदन में हो गई थी। 

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आजादी के लिए अपने प्राण देने से भी पीछे नहीं हटे थे खुदीराम बोस
Personality आजादी के लिए अपने प्राण देने से भी पीछे नहीं हटे थे खुदीराम बोस

आजादी के लिए अपने प्राण देने से भी पीछे नहीं हटे थे खुदीराम बोस भारतीय स्वाधीनता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैंकड़ों वीरों ने हमारी पावन धरती पर जन्म लिया, जिनमें से एक खुदीराम बोस भी थे जिन्होंने महज 19 वर्ष की आयु में भारत की आजादी के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे को भी गले लगा लिया था।

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डॉ. राजेंद्र प्रसाद एक मात्र ऐसे नेता हैं जो लगातार दो बार राष्ट्रपति चुने गये
Personality डॉ. राजेंद्र प्रसाद एक मात्र ऐसे नेता हैं जो लगातार दो बार राष्ट्रपति चुने गये

डॉ. राजेंद्र प्रसाद एक मात्र ऐसे नेता हैं जो लगातार दो बार राष्ट्रपति चुने गये भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ.

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संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्षता करने वाली पहली महिला थीं विजय लक्ष्मी पंडित
Personality संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्षता करने वाली पहली महिला थीं विजय लक्ष्मी पंडित

संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्षता करने वाली पहली महिला थीं विजय लक्ष्मी पंडित विजय लक्ष्मी पंडित का जन्म 18 अगस्त 1900 को इलाहाबाद में हुआ था। विजय लक्ष्मी पंडित, जवाहर लाल नेहरू जी की छोटी बहन थी और उनसे ग्यारह वर्ष छोटी थी। देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में महिलाओं की बड़ी संख्या में भागीदारी थी।

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आज़ादी की लड़ाई में सुचेता कृपलानी ने महिला शक्ति को मजबूत करने का काम किया था
Personality आज़ादी की लड़ाई में सुचेता कृपलानी ने महिला शक्ति को मजबूत करने का काम किया था

आज़ादी की लड़ाई में सुचेता कृपलानी ने महिला शक्ति को मजबूत करने का काम किया था उत्तर प्रदेश की प्रथम महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी ने स्वाधीनता की लड़ाई में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई। महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर उन्होंने स्वाधीनता आंदोलन में भाग लिया। बापू के आदर्शों पर चलते हुए देश की आजादी की नींव रखी। सुचेता कृपलानी का जन्म 25 जून 1908 को अम्बाला में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता एस.

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बिजनेस के साथ-साथ सामाजिक दायित्वों को भी बखूबी निभाया जेआरडी टाटा ने
Personality बिजनेस के साथ-साथ सामाजिक दायित्वों को भी बखूबी निभाया जेआरडी टाटा ने

बिजनेस के साथ-साथ सामाजिक दायित्वों को भी बखूबी निभाया जेआरडी टाटा ने भारतीय उद्योग जगत के प्रमुख स्तंभ जेआरडी टाटा बहुमुखी प्रतिभा के धनी उद्यमी थे तथा भारतीय कंपनी जगत में उन्हें कारपोरेट गवर्नेंस और सामाजिक दायित्व की परिकल्पनाओं को पहली बार लागू करने वाले उद्योगपति के रूप में जाना जाता है। जेआरडी के नाम से मशहूर जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा ने न केवल टाटा समूह को अपने कुशल नेतृत्व में देश में अग्रणी उद्योग घराने में तब्दील कर दिया बल्कि उन्होंने कर्मचारियों के कल्याण के उद्देश्य से कई ऐसी योजनाएं शुरू कीं जिन्हें बाद में भारत सरकार ने कानूनी मान्यता देते हुए अपना लिया। 

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स्वाभाविकता हरिवंशराय बच्चन की कविताओं की विशेषता है
Personality स्वाभाविकता हरिवंशराय बच्चन की कविताओं की विशेषता है

स्वाभाविकता हरिवंशराय बच्चन की कविताओं की विशेषता है हिंदी साहित्य में हालावाद के प्रवर्तक एवं मूर्धन्य कवि हरिवंशराय बच्चन उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों में से एक हैं। हाला, प्याला और मधुशाला के प्रतीकों से जो बात इन्होंने कही है, वह हिंदी की सबसे अधिक लोकप्रिय कविताएं स्थापित हुईं। दरअसल उनका वास्तविक नाम हरिवंश श्रीवास्तव था। इनको बाल्यकाल में बच्चन कहा जाता था, जिसका शाब्दिक अर्थ बच्चा या संतान होता है। बाद में वे इसी नाम से मशहूर हुए। बच्चन ने सीधी, सरल भाषा मे साहित्यिक रचना की। 'आत्म परिचय' व 'दिन जल्दी जल्दी ढलता है' इनकी प्रसिद्ध रचनाएं हैं। 'दिन जल्दी जल्दी ढलता है' में उन्होंने मानव जीवन की नश्वरता को स्पष्ट करते हुए दर्शन तत्व को उद्घाटित करने का सार्थक प्रयास किया है। बच्चन मुख्यतः मानव भावना, अनुभूति, प्राणों की ज्वाला तथा जीवन संघर्ष के आत्मनिष्ट कवि हैं। उनकी कविताओं में भावुकता के साथ ही रस और आनंद भी दिखाई देता है। उनके गीतों में बौद्धिक संवेदन के साथ ही गहन अनुभूति भी है। साहित्य शिल्पी बच्चन की कविता सुनकर श्रोता झूमने लगते थे। वे कहा करते थे सच्चा पाठक वही है जो सहृदय हो। विषय और शैली की दृष्टि से स्वाभाविकता बच्चन की कविताओं की विशेषता है। उनकी कविताओं में रूमानियत और कसक है। वहीं गेयता, सरलता, सरसता के कारण इनके काव्य संग्रहों को काफी पसंद किया गया। बच्चन ने सन 1935 से 1940 के बीच व्यापक निराशा के दौर में मध्यम वर्ग के विक्षुब्ध और वेदनाग्रस्त मन को वाणी दी।

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दूध उत्पादन में भारत को बनाया दुनिया में नंबर वन, सफेद क्रांति के जनक थे वर्गीज कुरियन
Personality दूध उत्पादन में भारत को बनाया दुनिया में नंबर वन, सफेद क्रांति के जनक थे वर्गीज कुरियन

दूध उत्पादन में भारत को बनाया दुनिया में नंबर वन, सफेद क्रांति के जनक थे वर्गीज कुरियन श्वेत क्रांति के सूत्रधार वर्गीज कुरियन ने गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन की स्थापना के जरिए पशुपालकों और किसानों को उनके हक और उनमें छिपी हुई संभावनाओं से रूबरू कराया। अगर आज देश भर में अमूल ब्रांड के डेयरी प्रोडक्टस की डिमांड है तो इसका श्रेय कुरियन को जाता है। ऑपरेशन फ्लड या श्वेत क्रांति के आगाज में उनके योगदान को कौन भूल सकता है। देश में श्वेत क्रांति के जनक और मिल्कमैन के नाम से मशहूर वर्गीज कुरियन की अथक मेहनत का ही नतीजा था कि दूध की कमी वाला यह देश दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक देशों में शामिल हुआ। तभी तो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कुरियन को देश के सहकारी आंदोलन और डेयरी उद्योग के विकास का आधार देने वाला असाधारण शख्स बताया था। कुरियन देश के सहकारी आंदोलन और डेयरी उद्योग के एक आदर्श पुरुष थे। कुरियन का सबसे ज्यादा अहम योगदान बिचौलियों की बजाए किसानों को सीधे कंपनी से जोड़ने का रहा है।

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