डिंपल को मैनपुरी से उतारकर अखिलेश ने परिवार के झगड़े को किया कम, शिवपाल भी नहीं कर सकेंगे बहू का विरोध
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मैनपुरी से अपनी पत्नी और पूर्व सांसद डिंपल यादव को चुनावी मैदान में उतारा है। दरअसल, समाजवादी पार्टी के संस्थापक और वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद सीट खाली हुई थी। इसी वजह से यहां पर उपचुनाव हो रहे हैं। अखिलेश यादव के समक्ष सबसे बड़ा सवाल यही था कि आखिर इस सीट पर किसी चुनावी मैदान में उतारा जाए। इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि इस सीट पर मुलायम परिवार के ही कई सदस्य अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे। मुलायम सिंह यादव के कामकाज को देखने वाले और इस सीट का पहले भी प्रतिनिधित्व कर चुके तेज प्रताप यादव एक तरफ थे। तो वही धर्मेंद्र यादव भी मैनपुरी पर अपना दावा ठोक रहे थे। शिवपाल सिंह यादव भी कहीं ना कहीं मैनपुरी सीट को लेकर अपनी रणनीति बना रहे थे।
ऐसे में अखिलेश यादव ने डिंपल यादव को यहां से चुनावी मैदान में उतारकर परिवार के झगड़ों को तो खत्म किया ही हैं। साथ ही साथ चाचा शिवपाल यादव को भी साधने की कोशिश कर ली है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक विरासत को अपने पास रखने का फैसला लिया है। तभी डिंपल यादव को मैनपुरी से चुनावी मैदान में उतारा गया है। उन्होंने नहीं तो अपने किसी चाचा या चचेरे भाई को या भतीजे को टिकट दिया। उन्होंने साफ तौर पर इसे अपनी पत्नी को दिया है। कन्नौज में हार के बाद से डिंपल यादव के लिए समाजवादी पार्टी एक सुरक्षित सीट तलाश रही थी। मैनपुरी में यह तलाश भी पूरी होती दिखाई दे रही है।
डिंपल यादव पहले कन्नौज से सांसद रह चुकी हैं। हालांकि, मोदी लहर में यह सीट भाजपा के पास चली गई और लगातार भाजपा ने वहां से दो चुनाव जीती हैं। डिंपल यादव को राज्यसभा भेजने की भी तैयारी थी। लेकिन गठबंधन की मजबूरी की वजह से राज्यसभा सीट जयंत चौधरी को दी गई। लेकिन अब मैनपुरी सीट डिंपल यादव के लिए सुरक्षित भी है और मुफीद भी है। मैनपुरी सीट से मुलायम सिंह यादव पहली बार 1996 में चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। तब से यह सीट यादव परिवार के ही पास रहा है। शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव में रिश्ते सामान्य नहीं है। अगर अखिलेश यादव किसी और को मैनपुरी से टिकट देते तो शिवपाल यादव भी यहां से अपना दावा ठोक सकते थे।
अखिलेश यादव ने इसी को समझते हुए डिंपल यादव को टिकट दिया है। अखिलेश यादव को इस बात का आभास है कि मैनपुरी से शिवपाल सिंह यादव बहू डिंपल यादव का विरोध नहीं कर पाएंगे। इसे अखिलेश यादव का ट्रंप कार्ड भी माना जा रहा है। मैनपुरी सीट को लेकर धर्मेंद्र यादव और तेज प्रताप यादव पर आमने-सामने थे। लेकिन अब डिंपल यादव को टिकट दे दिया गया है। ऐसे में परिवार में अब कलह की कोई जगह नहीं है। इतना ही नहीं, कार्यकर्ताओं में डिंपल यादव लोकप्रिय भी हैं। भले ही वह चुनाव हार गई हो लेकिन पार्टी के लिए लगातार प्रचार करते रही
Akhilesh reduced family feud by taking dimple out of mainpuri shivpal not be able to oppose