पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनाव पर सेना प्रमुख का बड़ा बयान, स्थिति स्थिर है लेकिन अप्रत्याशित
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनाव की स्थिति लगातार बनी हुई है। मई 2020 में दोनों ही सेनाओं के बीच झड़प देखने को मिले थे। इसके बाद से दोनों देशों के बीच यहां स्थिति लगातार तनावपूर्ण बनी हुई है। इसी को लेकर भारत के सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे का बड़ा बयान आया है। दरअसल, दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान सेना प्रमुख से पूर्वी लद्दाख में स्थिति के बारे में सवाल पूछा गया था। इस दौरान उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि स्थिति फिलहाल स्थिर है लेकिन अप्रत्याशित भी है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि चीन के साथ अब तक 16 दौर की सैन्य वार्ता हो चुकी है। हम 17वें दौर की वार्ता के लिए तारीख पर गौर कर रहे हैं।
इसके साथ ही सेना प्रमुख ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि जहां तक पीएलए के बल के स्तर का सवाल है, इसमें फिलहाल कोई महत्वपूर्ण कमी नहीं हुई है। सेना की तैयारी पर उन्होंने कहा कि शीतकाल के हिसाब से हमारी तैयारियां चल रही हैं। हालांकि, इससे पहले दावा किया गया था कि दोनों देशों के बीच अपने सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमति बनी है। वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास चीन द्वारा बुनियादी ढांचे के विकास पर सेना प्रमुख ने कहा कि यह बेरोकटोक जारी है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि चीनी क्या कहते हैं और वे जो करते हैं वह बिल्कुल अलग है। यह भी उनके स्वभाव और चरित्र का हिस्सा है। हमें उनके ग्रंथों या लिपियों या उनकी अभिव्यक्ति के बजाय उनके कार्यों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
वहीं, गुरुवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि चीन के साथ भारत के संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते जब तक कि सीमावर्ती इलाकों में शांति न हो और इस मामले में भारत की ओर से उस देश को दिया गया संकेत स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति का माहौल नहीं होगा, जब तक समझौतों का पालन नहीं किया जाता है और यथास्थिति को बदलने के एकतरफा प्रयास पर रोक नहीं लगती है तब तक संबंध सामान्य नहीं हो सकते हैं। गलवान घाटी की झड़पों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 2020 में जो हुआ वह ‘‘एक पक्ष का प्रयास था, और हम जानते हैं कि वह कौन था, जो समझौते से अलग हटा था और यह मुद्दा सबसे अहम है।
Army chief on tension with china in east ladakh situation is stable but unpredictable