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आजम खान अब जीत की गारंटी नहीं रहे, अपने बूथों तक पर सपा को नहीं जिता पाये

आजम खान अब जीत की गारंटी नहीं रहे, अपने बूथों तक पर सपा को नहीं जिता पाये

आजम खान अब जीत की गारंटी नहीं रहे, अपने बूथों तक पर सपा को नहीं जिता पाये

समाजवादी पार्टी के फायर ब्रांड नेता और मुस्लिमों का बड़ा चेहरा समझे जाने वाले आजम खान की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। एक तरफ आजम को कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं तो दूसरी तरफ उनकी सियासी जमीन उनके ही गढ़ रामपुर में हासिये पर सिमट गई है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव जब भी रामपुर में कोई चुनाव होता है तब प्रत्याशी तय करने के लिए आजम खान की शरण में पहुँच जाते हैं। यह सिलसिला नेताजी मुलायम सिंह के समय से चला आ रहा है जिसे अब अखिलेश आगे बढ़ा रहे हैं। दरअसल, रामपुर के किसी भी चुनाव में आजम खान को जीत की गारंटी माना जाता था।

आजम के नाम पर सपा रामपुर में कई चुनाव जीत चुकी है, लेकिन पिछले कुछ चुनावों से आजम की लोकप्रियता में खासी गिरावट आई है। अब वह जीत की गारंटी नहीं रह गए हैं। इसीलिए तो हाल फिलहाल में हुए उपचुनाव के नतीजे सामने आने के बाद रामपुर में समाजवादी पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। जहां एक तरफ मैनपुरी लोकसभा सीट और खतौली विधानसभा की सीट पर विजय हासिल करके सपा गद-गद है तो वहीं रामपुर के परिणाम उसके लिए परेशानी का सबब हैं। रामपुर उपचुनाव में सपा की इतनी बुरी हार हुई है कि आजम खान अपना बूथ तक नहीं बचा पाए। ये भी तब जब रामपुर सीट पर आजम खान 10 बार विधायक रहे, फिर भी वहां से उनके खास आसिम राजा को हार का मुंह देखना पड़ा। आजम खान का बूथ रजा डिग्री कॉलेज में है। उपचुनाव में बूथ संख्या 5 पर मात्र 189 वोट पड़े हैं। जिसमें 96 वोट बीजेपी प्रत्याशी आकाश सक्सेना को मिले हैं। जबकि सपा प्रत्याशी आसिम राजा को मात्र 87 वोट ही मिले। निर्दलीय प्रत्याशी जुनैद खान को दो वोट मिले, जबकि दो वोट नोटा के खाते में गए, लेकिन आजम समर्थक दूसरी ही कहानी कहते घूम रहे हैं, उनका आरोप है कि आजम के पक्ष में मतदान करने वाले वोटरों का पहले वोटर लिस्ट से नाम हटा दिया गया और उसके बाद जो वोटर बचे उन्हें मतदान केन्द्र ही नहीं जाने दिया गया।

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इसी बूथ संख्या 5 पर आजम खान की पत्नी और पूर्व सांसद डॉ. तंजीन फातिमा और विधायक बेटे अब्दुल्लाह आजम ने वोट डाला। रजा कॉलेज के ही बूथ संख्या एक पर भी भाजपा जीती। उसे 280 वोट मिले, जबकि सपा प्रत्याशी को 11 वोट ही मिले। बूथ संख्या 2 पर भाजपा को 303 वोट और सपा को 15 वोट मिले। बूथ संख्या 3 पर भाजपा को 120 और सपा को 30 वोट मिले। बूथ संख्या 4 पर भाजपा हार गई। यहां बीजेपी प्रत्याशी आकाश सक्सेना को 19 वोट मिले, जबकि समाजवादी पार्टी को 144 वोट मिले। बूथ संख्या 6 पर भाजपा को 16 और समाजवादी पार्टी को 53, बूथ संख्या 7 पर भाजपा को 28 और समाजवादी पार्टी को 148 वोट मिले। बूथ संख्या 8 पर भाजपा को 36 और समाजवादी पार्टी को 93 वोट जबकि बूथ संख्या 9 पर भाजपा को 13 और समाजवादी पार्टी को 171, बूथ संख्या 10 पर भाजपा को 38 और समाजवादी पार्टी को 51 वोट मिले। बूथ संख्या 11 पर भाजपा को 21 और सपा को 61 वोट मिले। बूथ संख्या 12 पर भाजपा को 47 और सपा को 132, बूथ संख्या 13 पर भाजपा को 74 और सपा को 82 वोट मिले। बूथ संख्या 14 पर भाजपा को 57 और सपा को 239 वोट मिले। इन सभी 14 बूथों पर मतों की गिनती पहले चक्र में हुई, जिसमें भाजपा प्रत्याशी को 1148 वोट मिले थे, जबकि समाजवादी पार्टी को 1277 वोट मिले।

आजम खान पिछले 45 सालों से रामपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते आ रहे थे। 10 बार आजम खुद विधायक रहे और एक बार उनकी पत्नी तंजीन फातिमा उपचुनाव में जीती थीं। सजायाफ्ता होने के बाद आजम ने यहां से अपने सियासी उत्तराधिकारी के तौर पर आसिम राजा को पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ाया लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा वक्त बदला तो रामपुर की सियासत भी बदली। योगी सरकार ने पहले उन्हें और उनके परिवार को कानूनी शिंकजे में कसा और फिर बीजेपी ने आजम खां का सियासी खेल पूरी तरह से खत्म कर दिया क्योंकि रामपुर लोकसभा सीट के बाद विधानसभा क्षेत्र में भाजपा कमल खिलाने में कामयाब रही। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सूबे में यह आजम के सियासी युग का अंत है? उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही आजम खान की मुश्किलें ऐसी बढ़ीं कि उन्हें जेल और अदालतों के चक्कर ही नहीं लगाने पड़े बल्कि अपनी विधानसभा सदस्यता भी गंवानी पड़ गई। हेट स्पीच मामले में आजम को कोर्ट ने 3 साल की सजा सुनाई, जिसके बाद रामपुर में उपचुनाव कराया गया है।

-अजय कुमार

Azam khan is no longer a guarantee of victory

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