Corona Returns: विश्व के 80 करोड़ लोग क्या मारे जाएंगे? अगले 90 दिन दुनिया पर हैं भारी, भारत की कैसी है तैयारी
चीन जितना धोखा देने में माहिर है उतना ही सच छुपाने में भी उस्ताद है। तवांग झड़प के चीन के इसी छल का सबूत है। आखिर क्यों चीन ने एलएसी पर भारत से बैर बढ़ाया। इसका कारण है चीन में तेजी से फैलता कोराना। पूरी दुनिया चीन में कोरोना विस्फोट की आशंका जता रही है। कई विशेषज्ञों का दावा है कि चीन में हालात 2019 से भी बदतर हैं। वहीं चीन के अस्पतालों के हालात भी कुछ वैसे ही नजर आ रहे हैं जैसे की कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भारत में देखने को मिले थे। मरीजों की संख्या इतनी हो गई है कि उन्हें जमीन पर लिटाना पड़ रहा है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि आने वाले तीन महीनों में करीब 80 करोड़ लोग संक्रमित हो सकते हैं। हेन्नान प्रांत से आई तस्वीरें चीन के दावों की पोल खोलने के लिए काफी हैं। सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि अस्पतालों के फर्श पर लाशों का ढेर लगा है। इसके अलावा चोंगकिंग के एक अस्पताल के इमरजेंसी रूम के वीडियो में देखा जा सकता है कि मरीज इधर-उधर फर्श पर लेटे हुए हैं। एक तरफ कमरे के सभी बेड मरीजों से पटे पड़े हैं तो वहीं दूसरी तरफ डॉक्टर फर्श पर लेटे मरीजों को सीपीआर दे रहे हैं। चीन से शुरू हुए कोरोना ने बाद में पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया था। अब अगर वहां फिर से संक्रमण फैल रहा है तो इसकी वजह जानने को लेकर हर कोई उत्सुक है।
वो गलती जिसने चीन में हालात बेकाबू किए
कोविड एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन में कोरोना को लेकर जीरो टॉलरेंस पॉलिसी है। यानी एक भी मरीज ना हो इसके लिए लगातार जांच की जा रही है। वहां अभी से मॉस स्क्रिनिंग हो रही है। एक्सपर्स्ट का कहना है कि चीन की पॉलिसी की वजह से वहां पर नैचुरल इन्फेक्शन काफी कम रहा। इस वजह से वहां के लोगों को नैचुरल इम्यूनिटी जितनी मिलनी चाहिए थी, वो नहीं मिल पाई। भारत में ऐसा नहीं है। भारत में अधिकांश लोगों को नैचुरल इम्युनिटी मिली है। खासकर ओमिक्रॉन वेरिएंट के पीक के दौरान पूरे देश में असर देखा गया था।
दुनिया की चिंता
अभी तक कोरोना के बढ़ते मामले चीन तक ही सीमित है, हालांकि ऐसी आशंकाएँ हैं कि यह अन्य देशों में भी फैल सकती है। अंतर्राष्ट्रीय यात्रा अब लगभग पूर्व-कोविड स्तरों पर वापस आ गई है। एक और बड़ी चिंता, यह देखते हुए कि चीन में बड़ी संख्या में संक्रमण हो रहे हैं, वायरस के और अधिक खतरनाक रूपों में विकसित होने की संभावना है। यह निश्चित रूप से आशंकाओं में से एक है। दिल्ली स्थित इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी के पूर्व प्रमुख डॉ वीरेंद्र चौहान ने कहा कि जैसे-जैसे वायरस अधिक से अधिक होस्ट पाता है, उसके नए रूपों में म्यूटेट की अधिक से अधिक संभावनाएं होती हैं। कोई भी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है कि ये नए म्यूटेशन कितने खतरनाक हो सकते हैं।
क्या कहते हैं अनुमान
चीन में कोरोना के विस्फोट ने गंभीर चेतावनी दी है जो देश में संभावित रूप से लाखों मौतों की ओर इशारा करती है। नेचर में प्रकाशित एक रिपोर्ट में एक अध्ययन का हवाला दिया गया है जिसमें कहा गया है कि चीन में अगले कुछ महीनों में लगभग 10 लाख लोगों की मौत हो सकती है। रॉयटर्स ने हाल के तीन अन्य अध्ययनों को सूचीबद्ध किया है जिनमें चीन में 1 मिलियन से 2.1 मिलियन मौतों का अनुमान लगाया गया है। जबकि अतीत में इस तरह के अनुमान अपने मार्क से दूर ही रहे हैं। महामारी की शुरुआत में एक अध्ययन में कहा गया था कि अप्रैल 2020 के मध्य तक भारत में 1-3 मिलियन लोगों के मरने की संभावना जताई थी। अभी चीन में स्थिति काफी अलग है अन्य देशों ने क्या सामना किया है। चीन में लगभग 1.4 बिलियन लोग हैं, जिनमें से अधिकांश संक्रमण के प्रति संवेदनशील हैं। वायरस के तेजी से फैलने का मतलब एक ही समय में बहुत बड़ी संख्या में लोग बीमार पड़ सकते हैं। चीनी टीके, सिनोवैक और साइनोफार्म भी बहुत प्रभावी नहीं बताए जा रहे हैं। चीन पहला देश था जिसने जून 2020 में ही अपने लोगों का टीकाकरण शुरू कर दिया था। लेकिन इसका मतलब यह भी था कि उस समय टीका पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ था। टीकों ने किसी भी महत्वपूर्ण तरीके से संक्रमणों को नहीं रोका है, लेकिन वे कहीं और गंभीर बीमारियों और मौतों को रोकने में काफी प्रभावी रहे हैं। लेकिन चीन में अब इस पर संदेह है। चीन में मौजूदा कोविड संकट के परिणाम को तय करने में चीनी टीकों की प्रभावशीलता सबसे महत्वपूर्ण कारक होगी।
भारत के लिए कितना खतरा?
भारत में चीन के मुकाबले स्थिति बेहद अच्छी है। अब तक कोरोना वायरस की तीन लहरें झेलने वाले भारत के लिए डेल्टा वैरिएंट की सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हुई थी, जिसके परिणाम स्वरूप दूसरी लहर देखने को मिली थी। हालांकि पिछले कुछ महीनों की स्थिति पर नजर डालें तो ये काफी बेहतर और नियंत्रित स्थिति में है। बीएफ7 समेत चीन में ओमीक्रोन के जो भी वैरिएंट्स फैल रहे हैं, वे भारत के लिए नए नहीं हैं। सार्क कोव-2 पर बने जीनॉमिक कंसोर्टियम उंसाकोग ने ऐसे स्ट्रेन्स के मामलों का पता लगाया है। यहां कई महीनों में बीएफ7 मौजूद हैं, मगर चीन जैसी चिंताजनक स्थिति पैदा नहीं कर सका।
भारत में भी आ गई वॉर्निंग
चीन के लगातार बिगड़ते हालात के बाद अब भारत ने भी पहले से ही कोरोना के लिए कमर कस ली है। चीन के मौजूदा हालात को देखते हुए भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाई लेवल मीटिंग बुलाई। इस बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया समेत स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती पवार, स्वास्थ्य सचिव, एम्स डॉयरेक्टर, आईसीएमआर के निदेशक और एनसीडी डॉयरेक्टर शामिल हुए। समीक्षा बैठक में कोरोना के बढ़ते खतरे को देखते हुए कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। कोविड 19 पर केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया की बैठक में कई बिन्दुओं पर विचार किया गया। वहीं चीन में जारी कोविड केस के बाद कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने चीन से फ्लाइट बंद करने की मांग की है।
1.) घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बचाव के लिए किस तरीके के कदम उठाए जाएं।
2.) विदेश से आने वाले यात्रियों के लिए नियमों का निर्धारण कैसे हो।
3.) कोविड-19 के नए वेरिएंट को लेकर विशेषज्ञों की क्या राय है।
4.) स्वदेश लौटने वाले भारतीयों के संबंध में क्या नियम बनाए जाएं।
5.) देश में कोविड 19 के मौजूदा वेरिएंट और उनकी स्थिति क्या है।
6.) न्यू ईयर सेलिब्रेशन को लेकर किस तरह की सतर्कता बरती जाए।
जीनोम सीक्वेंसिंग पर जोर
स्वास्थ्य विभाग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि वो कोविड पॉजिटिव मामले की सैंपल को जीनोम सिक्वेंशिंग लैब में भेजे। ताकी देश में फैलने वाले कोरोना के नए वेरिएंट का समय से पता चल सके। इसके साथ ही इसको फैलने से रोके जाने वाले जरूरी प्रयास किए जा सके। द्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लिखे एक पत्र में कहा है कि इस तरह की कवायद देश में वायरस के नए स्वरूपों, यदि कोई हो, का समय पर पता लगाने में सक्षम बनाएगी और आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य कदम उठाए जाने में मदद करेगी। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि परीक्षण-निगरानी-उपचार-टीकाकरण और कोविड-उपयुक्त व्यवहार के पालन के साथ भारत कोरोना वायरस के प्रसार को सीमित करने में सक्षम रहा है और साप्ताहिक आधार पर संक्रमण के लगभग 1,200 मामले सामने आ रहे हैं।
भारत में कैसी है कोरोना की स्थिति
भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार 20 दिसंबर को सुबह 8 बजे तक की स्थिति देश में कुल 3 हजार 490 एक्टिव केस थे, जो मार्च 2020 के बाद सबसे कम हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने 19 दिसंबर को संसद में बताया था कि भारत में वैक्सीनेशन का आंकड़ा 220 करोड़ को पार कर चुका है। ये संख्या कोरोना की सभी उपलब्ध वैक्सीन की पहली और दूसरी प्रिकॉशन डोज को मिलाकर है। हालांकि अभी केवल 27% आबादी ने ही बूस्टर डोज ली है। यह खुराक लेना सभी के लिए कंपलसरी है।- अभिनय आकाश
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