बेटी की शादी हर मां-बाप के जीवन का एक बेहतरीन सपना होता है। वे अपनी बेटी की शादी के लिए पैसे जमा करने लगते हैं, उनकी शादी धूम-धाम से करने के अरमान पालने लगते हैं। लेकिन हुआ कुछ ऐसा की एक व्यक्ति न राजगोपाल ने अपनी बेटी की शादी के लिए पैसे जुटाने की आस में अपनी जमीन का एक टुकड़ा बेचने की कोशिश की। लेकिन पता चला ही जमीन तो उसकी है ही नहीं। केवल इतना ही नहीं आस-पड़ोस में रहने वाले किसी भी इंसान की जमीन पर उसका हक है ही नहीं! ऐसा क्यों? क्योंकि एक बोर्ड ने न केवल एक व्यक्ति बल्कि पूरे के पूरे गांव की जमीन को अपना बताया। ये कोई काल्पनिक कहानी नहीं। बल्कि शाश्वत सत्य है। तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में एक बेहद अजीबोगरीब मामला सामने आया है जहां मुस्लिम वक्फ बोर्ड खुद को पूरे गांव का 'मालिक' बता रहा है। वक्फ बोर्ड के पूरे गांव के मालिक होने का एक चौंकाने वाला मामला तब सामने आया जब एक स्थानीय व्यक्ति ने अपनी बेटी की शादी के लिए अपनी जमीन बेचने की कोशिश की। राजगोपाल ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि जमीन के सारे दस्तावेज हैं लेकिन जब उन्होंने इसे बेचना चाहा तो रजिस्ट्रार ने उन्हें बताया कि यह वक्फ बोर्ड का है और इसे बेचने के लिए उन्हें इससे अनुमति लेनी होगी। ऐसे में आज बात हम वक्फ बोर्ड की करेंगे और इसके साथ ही बताएंगे कि क्या किसी भी जमीन पर ये बोर्ड अपने मालिकाना हक का दावा कर सकती है।
वक्फ क्या है?
वक्फ धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए ईश्वर के नाम पर दी गई संपत्ति है। कानूनी दृष्टि से इस्लाम को मानने वाले व्यक्ति द्वारा किसी भी चल या अचल संपत्ति को मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिए स्थायी समर्पण। सरल शब्दों में कहे तो धार्मिक कार्य के लिए किया गया कोई भी दान। ये दान पैसा या संपत्ति हो सकता है। इसके साथ ही अगर किसी संपत्ति को लंबे वक्त तक धर्म के काम में इस्तेमाल किया जा रहा हो, तो उसे भी वक्फ माना जा सकता है। अगर कोई एक बार किसी संपत्ति को वक्फ कर देता है तो उसे फिर वापस नहीं लिया जा सकता है। वक्फ एक सतत इकाई होगी। एक गैर-मुस्लिम भी वक्फ बना सकता है लेकिन व्यक्ति को इस्लाम कबूल करना होगा और वक्फ बनाने का उद्देश्य इस्लामी होना चाहिए।
वक्फ का कंसेप्ट?
वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 3 (आर), 'वक्फ' को मुस्लिम कानून द्वारा धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिए किसी भी चल या अचल संपत्ति के किसी भी व्यक्ति द्वारा स्थायी समर्पण के रूप में परिभाषित करती है। इंडिया टाइम्स की रिपोर्ट की मानें तो सरल शब्दों में वक्फ एक संपत्ति है जिसका उपयोग धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए किया जाता है। इस्लामी कानून में एक वक्फ संपत्ति स्थायी रूप से अल्लाह को समर्पित है और एक बार एक संपत्ति को वक्फ के रूप में समर्पित कर दिया जाता है, यह हमेशा के लिए वक्फ रहता है, यह दर्शाता है कि एक वक्फ प्रकृति में स्थायी, अविभाज्य और अपरिवर्तनीय है। मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड की साइट के अनुसार, "वक्फ एक स्वैच्छिक, स्थायी, अपरिवर्तनीय समर्पण है जो किसी के धन के एक हिस्से-नकद या अल्लाह को समर्पित है। एक बार वक्फ का हो जाने के बाद, यह कभी उपहार में नहीं मिलता, विरासत में नहीं मिलता या बेचा नहीं जा सकता। यह अल्लाह का है और वक्फ का कोष हमेशा बरकरार रहता है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, "वक्फ भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 के तहत स्थापित एक ट्रस्ट के समान है।
वक्फ कैसे शासित होता है?
भारत में वक्फ वक्फ अधिनियम, 1995 द्वारा शासित होते हैं। अधिनियम के तहत एक सर्वेक्षण आयुक्त स्थानीय जांच, गवाहों को बुलाने और सार्वजनिक दस्तावेजों की मांग करके वक्फ के रूप में घोषित सभी संपत्तियों को सूचीबद्ध करता है। वक्फ का प्रबंधन एक मुतावली द्वारा किया जाता है, जो पर्यवेक्षक के रूप में कार्य करता है। यह भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 के तहत स्थापित एक ट्रस्ट के समान है, लेकिन ट्रस्टों को धार्मिक और धर्मार्थ उपयोगों की तुलना में व्यापक उद्देश्य के लिए स्थापित किया जा सकता है। एक स्थापित ट्रस्ट को वक्फ के विपरीत बोर्ड द्वारा भी भंग किया जा सकता है।
वक्फ बोर्ड क्या है?
वक्फ अधिनियम 1954 अपनी तरह का पहला अधिनियम था। अधिनियम ने केंद्रीय वक्फ परिषद की शुरुआत की। लेकिन अधिनियम में कई संशोधन (1959, 1964, 1969, 1984) हुए क्योंकि इसमें कई अड़चनें थीं। अंत में वक्फ अधिनियम, 1995 को 22 नवंबर, 1995 को अधिनियमित और लागू किया गया। इस अधिनियम ने केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड की स्थापना की। जब भी कोई कोई मुस्लिम अपनी संपत्ति दान कर देता है तो उसकी देखरेख का जिम्मा वक्फ बोर्ड के पा ही होता है। वक्फ बोर्ड के पास दान दी गई किसी भी संपत्ति पर कब्जा रखने या उसे किसी और को देने का अधिकार होता है। वक्फ का काम देखने वालों को मुतावली कहा जाता है। प्रत्येक राज्य में एक वक्फ बोर्ड होता है, जिसके एक अध्यक्ष होता है। राज्य सरकार की ओर से एक या दो नामित व्यक्ति, मुस्लिम विधायक और सांसद, राज्य बार काउंसिल के मुस्लिम सदस्य और इस्लाम के जानकार होते हैं। वक्फ बोर्ड के पास संपत्ति का प्रशासन करने और किसी वक्फ की खोई हुई संपत्तियों की वसूली के लिए उपाय करने के लिए कानून के तहत , बिक्री, उपहार, बंधक, विनिमय या पट्टे के माध्यम से वक्फ की अचल संपत्ति के किसी भी हस्तांतरण को मंजूरी देने की शक्तियां हैं। हालांकि, मंजूरी तब तक नहीं दी जाएगी जब तक कि वक्फ बोर्ड के कम से कम दो तिहाई सदस्य ऐसे लेनदेन के पक्ष में मतदान न करें।
क्या बोर्ड किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित कर सकता है?
वक्फ के अध्यक्ष के किसी भी एकतरफा दावे का कोई कानूनी मूल्य नहीं होगा या मुस्लिम समुदाय को बाध्य नहीं करेगा। वक्फ एक्ट 1995 की धारा 40 के मुताबिक, अगर वक्फ को कोई ऐसा कारण लगता है कि ये संपत्ति वक्फ की है, तो बोर्ड उन्हें नोटिस भेज सकता है। एक सवाल ये भी उठता है कि क्या बोर्ड किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित कर सकता है? तो इसका जवाब भी वक्फ एक्ट की धारा 3 में मिलता है। इसमें लिखा है कि उसी संपत्ति को वक्फ घोषित किया जा सकता है, जो मुस्लिम लॉ की ओर से मान्यता प्राप्त किसी धार्मिक या चैरिटेबल काम के लिए दान में दी गई हो।
वक्फ बोर्ड के मामले पर कोर्ट का क्या कहना है?
भारत के पास विश्व में वक्फ भूमि का सबसे बड़ा रकबा है। सच्चर समिति द्वारा 2006 में किए गए अनुमानों के अनुसार, लगभग 4.9 लाख पंजीकृत वक्फ संपत्तियां हैं जिनमें लगभग छह लाख एकड़ भूमि शामिल है, जिसका अनुमानित बाजार मूल्य (तब) लगभग 1.20 लाख करोड़ रुपये था। वक्फ संपत्तियों के रूप में अकेले महाराष्ट्र में 92,000 एकड़ जमीन थी।
बार एंड बेंच के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड राजस्थान बनाम जिंदल सॉ लिमिटेड में कहा था कि समर्पण या उपयोगकर्ता के किसी भी सबूत के अभाव में, एक जर्जर दीवार या एक मंच को नमाज़ या नमाज़ अदा करने के उद्देश्य से धार्मिक स्थान का दर्जा नहीं दिया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य हालिया आदेश में कहा गया है कि धार्मिक और पवित्र उद्देश्य के लिए समर्पित भूमि राज्य में निहित होने से अछूती नहीं है। वक्फ बोर्ड अनुच्छेद 12 के तहत राज्य का हिस्सा है। बोर्ड के पास जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित करने की शक्ति थी लेकिन इस तरह के किसी भी अभ्यास के लिए पूरी तरह से जांच और दूसरे पक्ष की सुनवाई की आवश्यकता है। वर्तमान मामले में अधिनियम की धारा 40 के तहत ऐसी कोई जांच नहीं की गई थी और इसलिए अधिसूचना को कानून में खराब करार दिया गया था। - अभिनय आकाश
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