Column

पंजाब में हिंसा और आतंक की बढ़ती घटनाओं पर तत्काल ध्यान दे मान सरकार

पंजाब में हिंसा और आतंक की बढ़ती घटनाओं पर तत्काल ध्यान दे मान सरकार

पंजाब में हिंसा और आतंक की बढ़ती घटनाओं पर तत्काल ध्यान दे मान सरकार

पंजाब में हिंसा, आतंकवाद एवं नशे की बढ़ती घटनाएं चिन्ता का कारण बनती जा रही हैं। जबसे आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है, हिंसा, हथियारों एवं नशे की उर्वरा भूमि बनकर पंजाब के जीवन की शांति पर कहर ढहा रही है। आतंकवादी घटनाओं का बढ़ना न केवल पंजाब बल्कि पूरे राष्ट्र के लिये संकट का संकेत हैं। ऐसा ही एक ताजा संकेत तरनतारन के एक थाने में राकेट लांचर से हमला से मिला है, जिसे अतिवादी-आतंकी तत्वों के दुस्साहस का नया प्रमाण कहा जा सकता है। इस हमले ने कुछ माह पहले मोहाली में खुफिया विभाग के मुख्यालय पर हुए राकेट हमले की याद दिला दी। इस हमले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी की ओर से यह मानकर की जा रही है कि यह आतंकी हमला है। प्रांत में लगातार सिर उठा रही आतंकवादी घटनाएं, नशे का बढ़ता प्रचलन एवं बन्दूक संस्कृति इस प्रांत के अशांत एवं अस्थिर होने की आधारभूमि कही जा सकती है।

पंजाब में इन दिनों हुई हिंसक घटनाएं चिंता बढ़ाने वाली हैं। कानून-व्यवस्था को चुनौती देने वाले न सिर्फ बेकसूर लोगों की हत्याएं कर रहे हैं, बल्कि उनका दुस्साहस इतना बढ़ गया है कि पुलिस थानों को भी निशाना बनाया जा रहा है। मई में ही पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या हुई थी। सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद यदि राज्य पुलिस इन गिरोहों पर लगाम कसती, तो शायद हालात इतने नहीं बिगड़ते। नवंबर में शिवसेना (टकसाली) नेता सुधीर सूरी और डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी प्रदीप सिंह के बाद 7 दिसंबर को एक कपड़ा व्यापारी की हत्या से स्पष्ट है कि पानी सिर से गुजरता जा रहा है। विपक्ष की आलोचनाओं से घिरने के बाद मान सरकार ने बंदूक संस्कृति व भड़काऊ गानों पर रोक लगाने के अलावा ऐसा कोई कड़ा कदम नहीं उठाया है, जो यह संकेत दे कि वह बढ़ती हिंसा को लेकर गंभीर है। वह सार्वजनिक रूप से हथियार लहराने और देशविरोधी बयान देने वालों पर अंकुश लगाने के लिए अपेक्षित कदम नहीं उठा रही है। यह भी अजीब बात है कि इस तरह की भनक मिलने के बाद भी सुरक्षा एजेंसियां न तो आतंकी तत्वों की टोह ले सकीं और न ही तरनतारन में उनके दुस्साहसी हमले को रोक सकीं। यह निराशाजनक है कि जब पंजाब सरकार और उसकी पुलिस को अतिवादी-आतंकी तत्वों के दुस्साहस पर लगाम लगाने में सक्षम दिखना चाहिए, तब वह असहाय-निरुपाय-सी दिख रही है। यह शुभ संकेत नहीं, बल्कि चिन्ता का बड़ा सबब है।

पंजाब ने अपने सीने पर लम्बे समय तक आतंकवाद को झेला है, हिंसा, हत्याओं एवं आपराधिक गिरोहों का इतिहास पुराना है और अब तो यह साफ हो गया है कि राज्य में जिस तरह के अपराध हो रहे हैं, उन्हें अंजाम देने वाले सरगना विदेशों में बैठे हैं। विदेश में बैठे इन गैंगस्टर्स के इशारों पर यह खतरनाक खेल चल रहा है, उनके तार पाकिस्तान से जुड़े होना भी चिंता बढ़ाता है। पाकिस्तान देश में अशांति के लगातार प्रयत्न कर रहा है, उसमें युद्ध लड़ने की क्षमता एवं साधन-सुविधाओं का अभाव है। वैसे भी अब युद्ध मैदानों में सैनिकों से नहीं, भितरघात करके, निर्दोषों की हत्या कर लड़ा जाता है। सीने पर वार नहीं, पीठ में छुरा मारकर लड़ा जाता है। भारत को कमजोर करने के लिये पंजाब को आधार बनाकर यही सब किया जा रहा है। इसका मुकाबला हर स्तर पर हम राजनीतिक स्वार्थों से ऊपर उठकर, एक होकर और सजग रहकर ही कर सकते हैं। यह भी तय है कि बिना किसी की गद्दारी के ऐसा संभव नहीं होता है। पंजाब, कश्मीर में हम बराबर देख रहे हैं कि प्रलोभन देकर कितनों को गुमराह किया गया और किया जा रहा है। पर यह जो पंजाब में लगातार घटनाएं हुई हैं इसका विकराल रूप कई संकेत दे रहा है, उसके खतरनाक संकेतों को समझना है। कई सवाल खड़े हुए हैं, जिसका उत्तर सक्षमता से देना है।

इसे भी पढ़ें: Punjab: SGPC ने UCC के खिलाफ प्रस्ताव किया पारित, कहा केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एजेंडे को आगे बढ़ा रही है

राज्य की विपक्षी पार्टियां आरोप लगा रही हैं कि भगवंत मान के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद पंजाब में कानून-व्यवस्था की हालत बदतर हो गई है। तरनतारन के हमले के बाद शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने तो यह आरोप लगा दिया कि कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर मान सरकार की विफलता के कारण राज्य में फिर आतंकवाद बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है। एक बड़ी चिंता की बात यह भी है कि खालिस्तान का राग अलापने वाले तत्व निरंकुश दिख रहे हैं। वे खालिस्तान की खुली पैरवी करने के साथ सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने का काम भी षड्यंत्रपूर्वक कर रहे हैं। इनका समर्थन जिस तरह कुछ राजनीतिक-सामाजिक संगठन कर रहे हैं और पुलिस सतर्कता का परिचय देने के बजाय ढुलमुल नजर आ रही है, उससे पंजाब में वैसा ही माहौल बनता दिख रहा है, जैसे जरनैल सिंह भिंडरांवाले के समय था, जब खालिस्तानी आतंकवाद चरम पर था। पंजाब में खालिस्तानी तत्वों, नशे के सौदागरों, सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ने वालों के साथ गैंगस्टर भी बेलगाम दिख रहे हैं। पंजाब के ये हालात राज्य सरकार के साथ केंद्र सरकार के लिए भी चिंता का विषय बनने चाहिए। केवल यह कहने से काम चलने वाला नहीं है कि पंजाब में जो अप्रिय घटनाएं घट रही हैं, उनके पीछे विदेशी ताकतों का हाथ है। प्रश्न यह है कि इन ताकतों के जो एजेंट पंजाब में सक्रिय हैं, उन पर राज्य सरकार लगाम क्यों नहीं लगा पा रही है?

राज्य में तेजी से पनप रही बंदूक एवं नशे की संस्कृति चिन्ता का सबब बन रही है। निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं और अधिकांश लोग नशे में डूब रहे हैं। हथियारों का खुला प्रदर्शन, खूनखराबा आम बात हो गयी है। इस प्रकार यह हथियारों की श्रृंखला, नशे का नंगा नाच, अमानवीय कृत्य अनेक सवाल पैदा कर रहे हैं। आज करोड़ों देशवासियों के दिल और दिमाग में पंजाब के बदतर होते शांति एवं अमन-चैन से जुड़े सवाल हैं। क्या हो गया है हमारे पंजाब को? पिछले लम्बे दौर से हिंसा रूप बदल-बदल कर अपना करतब दिखाती रही है- विनाश और निर्दोष लोगों की हत्या का। निर्दोषों को मारना कोई मुश्किल नहीं। कोई वीरता नहीं। पर निर्दोष जब मरते हैं तब पूरा देश घायल होता है। पंजाब की घायल अवस्था पर आम आदमी पार्टी सरकार को जागना होगा, कठोर कदम उठाने होंगे।

पंजाब सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता उन विद्रोही खूनी हाथों को खोजना होना चाहिए जो शांति एवं अमन के दुश्मन हैं। सरकार को इस काम में पूरी शक्ति और कौशल लगाना होगा। आदमखोरों की मांद तक जाना होगा। अन्यथा हमारी पंजाब की सारी खोजी एजेंसियों की काबिलीयत पर प्रश्नचिन्ह लग जाएगा कि कोई दो-चार व्यक्ति कभी भी पूरे प्रांत की शांति और जन-जीवन को अस्त-व्यस्त कर सकते हैं। कोई उद्योग, व्यापार ठप्प कर सकता है। कोई शासन प्रणाली को गूंगी बना सकता है। अब तो पाकिस्तान की ओर से यहां ड्रोन से भी हथियार गिराने की घटनाएं आम हो गई हैं। ऐसे में कड़ी सुरक्षा की जरूरत है। वैसे पंजाब में सीमाई इलाकों में सीमा सुरक्षा बल और सेना भी तैनात रहती ही है, लेकिन राज्य पुलिस की भूमिका कहीं ज्यादा बढ़ जाती है। जाहिर है, हर स्तर पर पुलिस तंत्र को मजबूत, चौकन्ना बनाने की जरूरत है। पंजाब सरकार को राजनीतिक स्वार्थों से ऊपर उठकर शांति एवं अमन कायम करना चाहिए, ज्यादा चुस्त-दुरुस्त एवं चौकन्ना रहना चाहिए।                                               
-ललित गर्ग
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तम्भकार हैं)

Government pay immediate attention to incidents of violence and terror in punjab

Join Our Newsletter

Lorem ipsum dolor sit amet, consetetur sadipscing elitr, sed diam nonumy eirmod tempor invidunt ut labore et dolore magna aliquyam erat, sed diam voluptua. At vero