जीएसटी ने आम आदमी के बटुए को कैसे प्रभावित किया
जीएसटी क्या है?
जीएसटी को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (Goods and Services Tax) के नाम से जाना जाता है। यह एक अप्रत्यक्ष कर है जिसने भारत में कई अप्रत्यक्ष करों जैसे उत्पाद शुल्क, वैट, सेवा कर इत्यादि को बदल दिया है। माल और सेवा कर अधिनियम 29 मार्च 2017 को संसद में पारित किया गया था और 1 जुलाई 2017 को लागू हुआ था।
दूसरे शब्दों में वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है। भारत में वस्तु एवं सेवा कर कानून एक व्यापक, बहु-स्तरीय, गंतव्य-आधारित कर है जो प्रत्येक मूल्यवर्धन पर लगाया जाता है। जीएसटी पूरे देश के लिए एकल घरेलू अप्रत्यक्ष कर कानून है।
संशोधित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरें 18 जुलाई से लागू हो गई हैं। हाल के संशोधनों के बाद, ग्राहकों को 5,000 रुपये से अधिक की कीमत वाले प्री-पैक और लेबल वाले खाद्य पदार्थ, अस्पताल के कमरों पर जीएसटी का भुगतान करना होगा। इससे दही, लस्सी, मछली, मांस, पनीर और छाछ जैसी डिब्बाबंद खाद्य सामग्री महंगी होने की संभावना है।
इसके अलावा, बैंक चेक बुक जारी करना, 1,000 रुपये प्रति दिन के तहत होटल के कमरे, गैर-आईसीयू अस्पताल के बिस्तर प्रति दिन 5,000 रुपये से अधिक, सोलर वॉटर हीटर, एलईडी लाइट, लैंप, चाकू, पंप, ड्राइंग और मार्किंग उपकरण और सड़कों के लिए काम के अनुबंध भी महंगे हो जायेंगे।
जीएसटी का प्रभाव
यहाँ भारत में सबसे अधिक जनसंख्या मध्यम वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग की है जहाँ के लोग या तो सेवा वर्ग के हैं या वे अपने जीवन यापन के लिए कृषि पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में सबसे अहम सवाल यह है कि आम आदमी या मध्यमवर्गीय परिवार पर जीएसटी का क्या असर होता है। एक आम आदमी के मन में इन दिनों बहुत सारे सवाल हैं जैसे - क्या उसके लिए कुछ नया है या यह नए पैकेज में पुरानी सामग्री की तरह है? क्या नए कर प्रावधानों में उसके लिए कोई कर छूट है या यह उसके लिए वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में वृद्धि करेगा?
आम जनता के लिए किसी भी अर्थव्यवस्था का वास्तविक प्रभाव तब होता है जब उनकी आवश्यकता की कीमतें प्रभावित हो जाती हैं। आम जनता के लिए जब दिन-प्रतिदिन उपभोग की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के लिए कीमतें कम हो जाती हैं तो अर्थव्यवस्था अच्छी होती है अन्यथा यदि मुद्रास्फीति की दर अधिक है तो जनता सरकार द्वारा किए गए परिवर्तनों से असंतुष्ट हो जाती है। इसलिए किसी भी सरकारी नीति के लिए यह महत्वपूर्ण है कि जनता में संतुष्टि हो क्योंकि संतुष्टि के बिना नीति उसी तरह सफल नहीं होती है जिस तरह से सरकार ने योजना बनाई थी।
कर संबंधी नीतियों में किसी भी बदलाव का समग्र प्रभाव आम आदमी पर ही होता है, क्योंकि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से यह एक आम आदमी ही होता है जो इस तरह के बदलावों से प्रभावित होता है। जहाँ जीएसटी परिषद ने कुछ वस्तुओं के लिए कर छूट वापस लेने और अन्य के लिए दरों में बदलाव का प्रस्ताव रखा है, वहीँ कई अन्य के लिए छूट हटा दी गई है।
वर्तमान स्थिति
अब ग्राहकों को घरेलू सामानों, होटलों और बैंक सेवाओं के साथ-साथ कई अन्य चीजों पर अधिक पैसा खर्च करना होगा, क्योंकि संशोधित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरें 18 जुलाई से लागू हो गई हैं। पिछले महीने चंडीगढ़ में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई 47वीं परिषद की बैठक में कई वस्तुओं पर जीएसटी दरों में बढ़ोतरी की गई थी।
क्या होगा अब महंगा?
- आटा, पनीर और दही जैसे पहले से पैक, लेबल वाले खाद्य पदार्थों पर 5 प्रतिशत जीएसटी
- 1,000 प्रति दिन तक के टैरिफ वाले होटल के कमरों और नक्शे और चार्ट पर 12 प्रतिशत जीएसटी
- 5,000 रुपये से अधिक के किराए वाले आईसीयू को छोड़कर अस्पताल के कमरों पर 5 प्रतिशत जीएसटी
- टेट्रा पैक और चेक - लूज या बुक फॉर्म में, पर 18 प्रतिशत जीएसटी
- एलईडी लैंप, स्याही, चाकू, ब्लेड, पेंसिल शार्पनर, ब्लेड, चम्मच, कांटे, करछुल, स्कीमर, केक सर्वर पर 18 प्रतिशत जीएसटी
- सोलर वॉटर हीटर पर पिछले 5 प्रतिशत के बजाय 12 प्रतिशत जीएसटी
- सड़कों, पुलों, रेलवे, मेट्रो, एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट, श्मशान व अन्य के वर्क ठेका पर 18 फीसदी जीएसटी
- आरबीआई, इरडा और सेबी सेवाओं पर और व्यावसायिक संस्थाओं को आवास के किराए पर 18 प्रतिशत जीएसटी
- जैव चिकित्सा अपशिष्ट उपचार सुविधाओं पर 12 प्रतिशत जीएसटी
क्या होगा अब सस्ता?
- ओस्टोमी उपकरणों पर और माल के परिवहन पर और रोपवे द्वारा यात्रियों के आने जाने पर पिछले 12 प्रतिशत से 5 प्रतिशत जीएसटी
- ट्रक, माल ढुलाई जहां ईंधन की लागत शामिल है, किराए पर लेने के लिए पिछले 18 प्रतिशत के मुकाबले 12 प्रतिशत कर
- उत्तर-पूर्वी राज्यों और बागडोगरा की हवाई यात्रा पर जीएसटी छूट (केवल इकोनॉमी क्लास तक ही सीमित है)
- इलेक्ट्रिक वाहनों पर 5 फीसदी जीएसटी, चाहे बैटरी पैक लगे हों या नहीं
- जे. पी. शुक्ला
How gst impacted the wallet of a common man