Personality

कल्याण सिंह ने राम मंदिर आंदोलन में निभाई थी अहम भूमिका

कल्याण सिंह ने राम मंदिर आंदोलन में निभाई थी अहम भूमिका

कल्याण सिंह ने राम मंदिर आंदोलन में निभाई थी अहम भूमिका

भारतीय राजनीति के युगपुरुष, श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ, कोमलहृदय संवेदनशील मनुष्य, वज्रबाहु राष्ट्रप्रहरी, भारतमाता के सच्चे सपूत और भारतीय राजनीति में भगवान श्रीरामचन्द्र जी के हनुमान हिन्दू हृदय सम्राट कल्याण सिंह ऐसे नेताओं में गिने जाते हैं जिन्होंने भारतीय राजनीति में अनेकों मिसालें पेश की हैं। हिन्दू हृदय सम्राट कल्याण सिंह का राजनीतिक व व्यक्तिगत जीवन हमेशा से बेदाग रहा है। कल्याण सिंह के कुशल प्रशासन की मिसालें तब तक दी जायेंगी जब तक ये संसार रहेगा। कल्याण सिंह ने जमीन से जुड़े रहकर राजनीति की और ‘‘जनता के नेता’’ के रूप में लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनायी थी। एक ऐसे इंसान जो बच्चे, युवाओं, महिलाओं, बुजुर्गों सभी के बीच में लोकप्रिय थे। देश का हर हिन्दू युवा, बच्चा उन्हें अपना आदर्श मानता था। हिन्दू हृदय सम्राट कल्याण सिंह का व्यक्तित्व हिमालय के समान विराट था। कल्याण सिंह को भारतीय राजनीति में बाबूजी के रुप में जाना जाता था।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी सन् 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ जनपद की अतरौली तहसील के मढ़ौली ग्राम के एक सामान्य किसान परिवार में हुआ। कल्याण सिंह के पिता का नाम तेजपाल सिंह लोधी और माता का नाम सीता देवी था। कल्याण सिंह में बचपन से ही नेतृत्व करने की क्षमता थी। कल्याण सिंह बचपन में ही राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुड़ गए थे और राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की शाखाओं में भाग लेने लगे थे। कल्याण सिंह ने विपरीत परिस्थितियों में कड़ी मेहनत कर अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद कल्याण सिंह ने अध्यापक की नौकरी की। और साथ-साथ राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुड़ कर राजनीति के गुण भी सीखते रहे। कल्याण सिंह राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ में रहकर गांव-गांव जाकर लोगों में जागरुकता पैदा करते रहे। कल्याण सिंह का विवाह रामवती देवी से हुआ। कल्याण सिंह के दो सन्तान है। एक पुत्र और एक पुत्री, पुत्र का नाम राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया है और पुत्री का नाम प्रभा वर्मा है। कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया वर्तमान में उत्तर प्रदेश की एटा लोकसभा सीट से संसद सदस्य हैं। कल्याण सिंह ने अपना पहला विधानसभा चुनाव अतरौली से जीतकर 1967 में उत्तर प्रदेश विधानसभा पहुंचे। कल्याण सिंह 1967 से लगातार 1980 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। इस बीच देश में आपातकाल के समय कल्याण सिंह 1975-76 में 21 महीने जेल में रहे। इस बीच कल्याण सिंह को अलीगढ और बनारस की जेलों में रखा गया। आपातकाल समाप्त होने के बाद 1977 में रामनरेश यादव को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। जिसमें कल्याण सिंह को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया। सन् 1980 के उत्तर प्रदेश के चुनावों में कल्याण सिंह विधानसभा का चुनाव हार गये। 

इसे भी पढ़ें: भारत की पहली शिक्षिका सावित्री बाई फुले, जिन्होंने महिलाओं व दलितों के उत्थान में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

भाजपा के गठन के बाद कल्याण सिंह को उत्तर प्रदेश का संगठन महामंत्री बनाया गया। इस बीच कल्याण सिंह ने गाँव-गाँव, घर-घर जाकर भाजपा को उत्तर प्रदेश में पहचान दिलाने में अहम् भूमिका निभाई। कल्याण सिंह 1985 से लेकर 2004 तक लगातार उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। इस बीच कल्याण सिंह दो बार भाजपा के उत्तर पदेश से प्रदेश अध्यक्ष रहे। इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई में उत्तर पदेश में राम मंदिर आंदोलन चलाया गया। इस आंदोलन में कल्याण सिंह ने भी अहम् भूमिका निभाई। राम मंदिर आंदोलन की वजह से उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में भाजपा का उभार हुआ। और जून 1991 में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत से सरकार बनायी। जिसमे कल्याण सिंह की अहम भूमिका रही। और कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया। कल्याण सिंह के मुख्यमंत्री रहते कारसेवकों द्वारा अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद वहाँ श्री राम का एक अस्थायी मन्दिर निर्मित कर दिया गया। कल्याण सिंह ने बाबरी मस्जिद विध्वंस की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुये 6 दिसम्बर 1992 को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। यहीं से भाजपा को कल्याण सिंह के रूप में हिंदुत्ववादी चेहरा मिल गया। इसके बाद उत्तर प्रदेश में भाजपा ने कल्याण सिंह के नेतृत्व में अनेक आयाम छुए। 1993 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में कल्याण सिंह अलीगढ के अतरौली और एटा के कासगंज से विधायक निर्वाचित हुये। इन चुनावों में भाजपा कल्याण सिंह के नेतृत्व में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। लेकिन सपा-बसपा ने मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में गठबन्धन सरकार बनायी। और उत्तर प्रदेश विधान सभा में कल्याण सिंह विपक्ष के नेता बने। इसके बाद कल्याण सिंह 1997 से 1999 तक पुनः दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। कल्याण सिंह के मुख्यमंत्री काल में कानून व्यवस्था एक दम मजबूत थी। इसलिए आज तक उत्तर प्रदेश में लोग कल्याण सिंह के मुख्यमंत्री काल की मिसाल देते हैं। 1998 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह के नेतृत्व में 58 सीटें जीती।

1999 में भाजपा से मतभेद के कारण कल्याण सिंह ने भाजपा छोड़ दी। कल्याण सिंह ने राष्ट्रीय क्रांति पार्टी का गठन किया। 2002 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव अपने दम पर राष्ट्रीय क्रांति पार्टी से लड़ा और राष्ट्रीय क्रांति पार्टी के चार विधायक चुने गए और कल्याण सिंह ने बड़े स्तर पर पूरे प्रदेश में भाजपा को नुकसान पहुँचाया। इसके बाद उत्तर प्रदेश की जमीन पर भाजपा कई वर्षो तक कल्याण सिंह की उथल पुथल का और भाजपा के नकारा नेताओं की साजिश का शिकार बनी रही। लेकिन इसका फायदा न कल्याण सिंह को मिल पाया न भगवा पार्टी को।  

भाजपा और कल्याण सिंह दोनों उत्तर प्रदेश  की राजनीति में हांशिये पर चले गए। 2004 में कल्याण सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के आमंत्रण पर भाजपा में वापसी तो कर ली लेकिन, उनको वो पॉवर नहीं मिली जो मंदिर आन्दोलन के समय उनके पास थी। 2004 के आम चुनावों में उन्होंने बुलन्दशहर से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा। और कल्याण सिंह पहली बार बुलंदशहर लोकसभा सीट से संसद पहुंचे। 2007 का उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव भाजपा ने कल्याण सिंह के नेतृत्व में लड़ा। कहने को भाजपा ने 2007 में कल्याण सिंह को भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार तो बना दिया लेकिन नाम का, जिसके पास ना तो उम्मीदवार तय करने की पॉवर थी और ना ही उनके अंडर में उत्तर प्रदेश का चुनाव प्रबंधन था। इसलिए वो चुनाव में कुछ अच्छा नहीं कर सके। इसके बाद 2009 में पुनः अपनी उपेक्षा का आरोप लगाते हुए मतभेदों के कारण भाजपा का दामन छोड कर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव से नजदीकियां बढा लीं। 2009 के लोकसभा चुनावों में एटा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय सांसद चुने गये। फिर 2009 लोकसभा चुनाव खत्म होते ही मुलायम ने कल्याण से नाता तोड लिया। क्योंकि कल्याण सिंह की बजह से मुस्लिम समुदाय के लोग उनसे नाता तोड चुके थे। इसके बाद कल्याण सिंह ने राष्ट्रीय जनक्रान्ति पार्टी का गठन किया जो कि 2012 के विधानसभा चुनाव में कुछ विशेष नहीं कर सकी। लेकिन मुलायम के परम्परागत वोट उनके पास वापस आ गए। इसके बाद 2013 में कल्याण सिंह की भाजपा में पुनः वापसी हुई और कल्याण सिंह का परंपरागत लोधी-राजपूत वोट भी भाजपा से जुड़ गया। और 2014 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी के कहने पर कल्याण सिंह ने उत्तर प्रदेश में भाजपा का खूब प्रचार किया। भाजपा ने अकेले अपने दम पर 80 लोकसभा सीटों से 71 लोकसभा सीटें जीतीं। और नरेंद्र मोदी देश के यशस्वी प्रधानमंत्री बनें। इसके बाद किसी समय देश के भावी प्रधानमंत्री कहे जाने वाले कल्याण सिंह को राष्ट्रपति ने केंद्र सरकार की सिफारिश पर सितबर 2014 में राजस्थान का राज्यपाल बनाया। इसके बाद कल्याण सिंह को जनवरी 2015 से अगस्त 2015 तक हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया। लेकिन राजस्थान का राज्यपाल रहते हुए भी कल्याण सिंह का दखल उत्तर प्रदेश की राजनीति में रहा। कल्याण सिंह ने राजस्थान के राज्यपाल के रूप में अपना 05 साल का कार्यकाल पूरा किया और 08 सितम्बर 2019 तक कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल रहे। इसके बाद कल्याण सिंह ने 09 सितम्बर 2019 को लखनऊ में भाजपा की पुनः सदस्यता ली और फिर से भाजपाई हो गए।

उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनावों में भी कल्याण सिंह का अप्रत्यक्ष रुप से प्रभावी दखल रहा। 2017 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी के अधिकतर प्रत्याशी कल्याण सिंह का जयपुर राजभवन में आशीर्वाद लेने जाते रहे। इसी से पता चलता है कि कल्याण सिंह जनमानस में कितने लोकप्रिय रहे है। लोग कल्याण सिंह सरकार की आज भी मिसालें देते हैं। क्योंकि कल्याण सिंह जब उत्तर प्रदेश के सीएम थे तब राज्य में काफी सुधार और विकास की चीजें हुई थीं। जिससे उनकी लोकप्रियता पिछड़ों सहित सर्वणों में भी है। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अपने भाषणों में कल्याण सरकार के कुशल प्रशासन की मिसाल देते हैं। कल्याण सिंह अपने समय पर उत्तर प्रदेश के हिंदुत्ववादी सर्वमान्य नेता थे। उत्तर प्रदेश में अपनी राजनीति, कुशल प्रशासन और हिंदुत्ववादी छवि के लिए जाने वाले श्रीराम के भक्त कल्याण सिंह ने (21 अगस्त 2021) को 89 साल की उम्र में आखिरी सांस ली।

- ब्रह्मानंद राजपूत

Kalyan singh birth anniversary 2023

Join Our Newsletter

Lorem ipsum dolor sit amet, consetetur sadipscing elitr, sed diam nonumy eirmod tempor invidunt ut labore et dolore magna aliquyam erat, sed diam voluptua. At vero