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छोटे से गांव में जन्में किशोर कुमार ने कड़ा संघर्ष करके बनाया सिनेमा में अपना बड़ा कद

छोटे से गांव में जन्में किशोर कुमार ने कड़ा संघर्ष करके बनाया सिनेमा में अपना बड़ा कद

छोटे से गांव में जन्में किशोर कुमार ने कड़ा संघर्ष करके बनाया सिनेमा में अपना बड़ा कद

किशोर कुमार का जन्म मध्य प्रदेश राज्य में स्थित खंडवा नामक एक छोटी सी जगह में हुआ था। उनका जन्म एक ठेठ बंगाली परिवार में हुआ था और वह अपने भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। उनके दो बड़े भाई (अशोक कुमार और अनूप कुमार) और एक बहन (सती देवी) थीं। उनके पिता कुंजिलाल गांगुली पेशे से वकील थे और उनकी मां गौरी देवी एक संपन्न परिवार से थीं। जब उनके बड़े भाई अशोक कुमार अभिनेता बने, तब किशोर कुमार काफी छोटे थे। बाद में उनके दूसरे भाई ने भी अभिनेता बनने के लिए फिल्मों में कदम रखा।

किशोर कुमार ने अपनी आवाज की ऐसी छठा बिखेरी कि सब उनके मुरीद हो गये। आज भी उनके गाये गीतों को लोग बड़े चाव से सुनते हैं। इसके अलावा वे अपनी कॉमिक टाइमिंग के लिए भी जाने जाते हैं उन्होंने अपने इस हुनर से 50-60 के दशक में दर्शकों को खूब हंसाया। 

किशोर कुमार एक्टर, सिंगर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, म्यूजिक डायरेक्टर, और सबसे बढ़कर एक कमाल की शख्सियत थे। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को कई सदाबहार क्लासिक दिए, जिसे सुनकर आज भी हर कोई मदहोश हो जाता है। मेरे मेहबूब...', 'आ चल के तुझे...', 'आने वाला पल...', 'बचना ए हसीनो...' आदि सैंकड़ों गीत आज भी बड़े चाव से सुने जाते हैं। किशोर कुमार ने कुछ फिल्मों का निर्देशन भी किया, जिनमें 'चलती का नाम जिंदगी', 'बढ़ती का नाम दाढ़ी', 'दूर का राही', 'दूर गगन की छांव में' प्रमुख हैं। उन्हें 8 बार बेस्ट सिंगर के फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा गया था। किशोर कुमार की आवाज एक ऐसी आवाज थी जिसने कई स्टार्स को सुपरस्टार बनाया। आइये आपको बताते हैं मस्तमौला अंदाज वाले किशोर दा के अनसुने किस्से।

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रोते रोते आवाज हो गई सुरीली
किशोर कुमार की आवाज को लेकर एक बहुत ही मजेदार कहानी है कहते है की बचपन में किशोर दा की आवाज बहुत ही खराब थी। आज दिलो पर राज करने वाले किशोर दो उस टाइम बिल्कुल बेसुरे थे।उनके बड़े भाई अशोक कुमार ने एक इंटरव्यू में इस बात का खुलासा करते हुए कहा था कि बचपन में किशोर की आवाज फटे बांस जैसी थी, लेकिन एक बार उनका पांव सब्जी काटने वाली दराती पर पड़ गया, जिससे उनके पैर की अंगुली कट गई।डॉक्टरों ने उंगली का तो इलाज कर दिया लेकिन किशोर का दर्द नहीं गया। वो कई दिनों तक दर्द के कारण जोर-जोर से रोया करते थे। इस घटना की वजह से उनका ऐसा रियाज हुआ कि उनकी आवाज ही बदल गई। इस तरह घंटो रोने से उनकी वोकल कॉर्ड्स पर असर पड़ा और उनकी आवाज हस्की हो गई। किशोर की यह नई आवाज उस हादसे की देन थी। और आज किशोर दा इंडस्ट्री के टॉप सिंगर्स में गिने जाते हैं। उनकी ताजगी भरी आवाज आज भी कानों में पड़ती है तो जोश भर आता है। 

जब कॉलेज में टेबल को बनाया था तबला प्रोफेसर से पड़ी थी डांट
प्रोफेसर स्वरूप बाजपेई ने बताया, “एक बार नागरिक शास्त्र के पीरियड में किशोर अपनी कक्षा में टेबल को तबले की तरह बजा रहे थे। प्रोफेसर ने उन्हें फटकार लगाते हुए हिदायत दी कि वह पढ़ाई पर ध्यान दें, क्योंकि गाना-बजाना उन्हें जिंदगी में बिल्कुल काम नहीं आएगा। इस पर किशोर ने अपने अध्यापक को मुस्कुराते हुए जवाब दिया था कि इसी गाने-बजाने से उनके जीवन का गुजारा होगा।”

किशोर दा ने 5 रूपय की उधारी लेकर बनाया था पहला गीत
किशोर कुमार वर्ष 1948 में पढ़ाई अधूरी छोड़कर इंदौर से मुंबई चले गए थे। लेकिन क्रिश्चियन कॉलेज के कैंटीन वाले के उन पर पांच रुपए और 12 आने (उस समय प्रचलित मुद्रा) उधार रह गए थे। माना जाता है कि यह बात किशोर कुमार को याद रह गई थी और उधारी की इसी रकम से ‘प्रेरित’ होकर फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ (1958) के मशहूर गीत “पांच रुपैया बारह आना…” का मुखड़ा लिखा गया था। इस गीत को खुद किशोर कुमार और लता मंगेशकर ने आवाज दी थी।

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आपातकाल में बंद किए गए गाने
1975 में देश में आपातकाल के समय एक सरकारी समारोह में भाग लेने से साफ मना कर देने पर तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ला ने किशोर कुमार के गीतों के आकाशवाणी से प्रसारित किए जाने पर पर रोक लगा दी थी और किशोर कुमार के घर पर आयकर के छापे भी डाले गए। मगर किशोर कुमार ने आपात काल का समर्थन नहीं किया। यह दुर्भाग्य और शर्म की बात है कि किशोर कुमार द्वारा बनाई गई कई फ़िल्में आयकर विभाग ने जप्त कर रखी है और लावारिस स्थिति में वहाँ अपनी दुर्दशा पर आँसू बहा रही है।

संघर्ष करके बनाई पहचान
किशोर कुमार ने भारतीय सिनेमा के उस स्वर्ण काल में संघर्ष शुरु किया था जब उनके भाई अशोक कुमार एक सफल सितारे के रूप में स्थापित हो चुके थे। दिलीप कुमार, राज कपूर, देव आनंद, बलराज साहनी, गुरुदत्त और रहमान जैसे कलाकारों के साथ ही पार्श्वगायन में मोहम्मद रफी, मुकेश, तलत महमूद और मन्ना डे जैसे दिग्गज गायकों का बोलबाला था।

13 अक्टूबर, 1987 को उन्होंने दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। किशोर कुमार और सबके दिलों को छू जाने वाले उनके गीतों को भुलाया जाना मुमकिन नहीं है। वे सदा गीत प्रेमियों के दिलों पर राज करते रहेंगे।

- रेनू तिवारी

Kishore kumar death anniversary 2022

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