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संजीव कुमार के जीवन और अभिनय की दुनिया के बारे में जानिए, कुछ ऐसा रहा फिल्मी सफर

संजीव कुमार के जीवन और अभिनय की दुनिया के बारे में जानिए, कुछ ऐसा रहा फिल्मी सफर

संजीव कुमार के जीवन और अभिनय की दुनिया के बारे में जानिए, कुछ ऐसा रहा फिल्मी सफर

जब 60-70 के दौर के अभिनेता फेम और लाइफ़स्टाइल का पीछा कर रहे थे ऐसे में संजीव कुमार केवल अपने उन रोल को निभाने के लिए उत्सुक दिखाई देते थे जो उन्हें स्क्रीन पर साझा करने के लिए मिलते थे। शायद यही एक वजह हो सकती है जब वह अपने बढते वजन पर भी ध्यान नहीं दिया। उनके किरदार में भरपूर कौशल देखने को मिलता था जो आज भी कहीं ना कहीं सदाबहार है। 

संजीव कुमार का प्रारंभिक जीवन
जाने माने दिवंगत अभिनेता संजीव कुमार का जन्म 9 जुलाई 1938 को सूरत (गुजरात) को एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्हें हरिभाई जेठालाल नाम से भी जाना जाता था। शायद कुछ लोग ही जानते होंगे कि बॉलीवुड में कदम रखने से पहले वह एक थिएटर एक्टर थे। संजीव कुमार का असली संघर्ष 1956 में शुरू हुआ, और जब उन्होंने निशान (1965), पति पत्नी (1966), सुंघुर्ष (1968), हृषिकेश मुखर्जी की सत्यकम (1969) जैसी फिल्मों में लेखक समर्थित भूमिकाओं की शुरुआत कीं, वहीं 1970 में एल.वी. प्रसाद की खिलौना फ़िल्म एक बेहतरीन प्रदर्शन के साथ उभरी जहां से वे भारतीय सिनेमा में अपनी एक दृढ़ पहचान बनाने में कामयाब हो पाए।

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कई पुरस्कार किए अपने नाम
उन्होंने दस्तक (1970) और कोशिश (1972) फिल्मों में अपने प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सहित कई प्रमुख पुरस्कार जीते।

संजीव कुमार की बेहतरीन फ़िल्में
हिंदी सिनेमा में "शोले" में प्रतिरोधी ठाकुर की भूमिका से लेकर "दस्तक", "कोशिश", "आंधी", "मौसम" और "अंगूर" में लोटपोट कर देने वाली कॉमेडी “खिलौना” में उनकी बेबसी लाचारी के किरदार जैसी कई अन्य फिल्मों के साथ हरिभाई को बेहतरीन अभिनेताओं में से एक माना जाता है।

संजीव कुमार का प्रेममय जीवन
कुमार ने अपने शुरुआती दिनों में कुमकुम और नाजिमा जैसी मुस्लिम अभिनेत्रियों के साथ बहुत काम किया। ऐसी अटकलें थीं कि जिस महिला ने उनका दिल चुराया और उनकी दुनिया का विस्तार किया, वह सायरा बानो थीं। सूत्रों से ऐसा भी पता चलता है कि जिस अदाकारा को भी उन्होंने चाहा या पंसद किया उन सभी ने संजीव कुमार को हमेशा दुख पहुंचाया उनका दिल तोड़ा। प्रेम संबंधों में “सीता और गीता” के सेट पर संजीव कुमार, हेमा मालिनी के साथ प्यार में पड़ गए थे और शादी के लिए प्रपोज़ भी कर चुके थे। धर्मेंद्र और हेमा पहले से ही एक दूसरे के साथ प्रेम के रिश्ते में बंधे हुए थे और 2 मई 1980 को वे दोनों शादी के बंधन में बंध गए थे। यह खबर सुनकर संजीव कुमार पूरी तरह से बिखर गए थे। हेमा मालिनी हमेशा कुमार के जीवन का एक आकर्षण बनी रहीं जब भी संजीव कुमार उन्हें किसी दूसरे अभिनेता के साथ देखते तो वह पूरी तरह से टूट जाते थे।

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शोक संतप्त परिवार, मित्रों, सहकर्मियों और प्रशंसकों को पीछे छोड़ते हुए संजीव कुमार ने 6 नवंबर 1985 को 47 वर्ष की आयु में हृदय रोग के कारण दम तोड़ दिया। ऐसा माना जाता है कि प्रशंसकों ने उनके अंतिम दर्शन की एक झलक को पाने के लिए बांद्रा स्थित उनके आवास पर उमड़ पड़े थे। संजीव कुमार का अंतिम संस्कार उनके भाई किशोर और भतीजे उदय जरीवाला के साथ, अमिताभ बच्चन, शम्मी कपूर और शत्रुघ्न सिन्हा ने किया था।

अभिनेता संजीव कुमार (असली नाम हरिभाई जरीवाला) के भतीजे उदय जरीवाला ने मुंबई में दिवंगत अभिनेता की 34वीं पुण्यतिथि पर उनकी आधिकारिक जीवनी की घोषणा की थी। लेखक रीता गुप्ता द्वारा लिखी जाने वाली पुस्तक के सह-लेखक उदय हैं। उदय ने एक साक्षात्कार में कहा था कि संजीव कुमार के दोस्त, सहकर्मी और परिवार के सदस्यों ने इस पुस्तक में योगदान दिया है, जो पिछले साल उनकी 35वीं पुण्यतिथि पर प्रकाशित हुई।

आज भी, दुनिया भर के भारतीय उन्हें एक प्रतिष्ठित कलाकार के रूप में देखते हैं। हिंदी सिनेमा के सबसे महान अभिनेता की बात करें तो सबकी राय अलग अलग हो सकती है, लेकिन संजीव कुमार की अदायगी आज भी अदुभुत और अद्वितीय है।

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