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बच्चों की पसंदीदा ‘द जंगल बुक’ लिखने वाले रुडयार्ड किपलिंग, जो थे नोबेल पाने वाले पहले अंग्रेजी साहित्यकार

बच्चों की पसंदीदा ‘द जंगल बुक’ लिखने वाले रुडयार्ड किपलिंग, जो थे नोबेल पाने वाले पहले अंग्रेजी साहित्यकार

बच्चों की पसंदीदा ‘द जंगल बुक’ लिखने वाले रुडयार्ड किपलिंग, जो थे नोबेल पाने वाले पहले अंग्रेजी साहित्यकार

"जंगल जंगल बात चली है पता चला है, चड्ढी पहन के फुल खिला है फूल खिला है".... हर बच्चे से लेकर बूढ़े तक को आज भी ये गाना अच्छी तरह से याद है। ये गाना है मोगली का, जो कालजयी रचना 'द जंगल बुक' का है। इसमें मोगली, बाघा, शेरखान जैसे नायाब किरदार हैं जिन्होंने हर बच्चे का जीवन उत्साह से भरा है। नोबल प्राइज विजेता जोसेफ रुडयार्ड किपलिंग ने कालजयी रचना 'द जंगल बुक' लिखी थी। इस किताब का मुख्य किरदार मोगली, ऐसा किरदार है जो बच्चों से लेकर बड़ों तक में काफी प्रमुख है। दुनिया और देश भर के लोग इस किरदार को आज भी पसंद करते है। द जंगल बुक पर कई फिल्में और कार्टून सीरीज बन चुकी है। 

बता दें कि रुडयार्ड किपलिंग की इस रचना के लिए उन्हें दुनिया भर में आज भी याद किया जाता है। रुडयार्ड किपलिंग एक अंग्रेजी साहित्यकार, स्टोरी लेखक, कवि और पत्रकार थे। उन्हें साहित्य श्रेणी में द जंगल बुक के लिए नोबेल पुरस्कार पाने वाले सबसे युवा साहित्यकार हैं। उन्हें इसके अलावा कई पुरस्कार मिले थे। बता दें कि रुडयार्ड किपलिंग ने वर्ष 1894 में द जंगल बुक का निर्माण किया था। इसकी मुख्य कहानी एक ऐसे बच्चे (मोगली) की है जो कि अपने परिवार से बिछड़ा हुआ है। इस बिना परिवार के बच्चे को जंगल में इंसानों का नहीं बल्कि जानवरों का प्यार मिलात है। आज भी भारत के हर घर में जंगल जंगल बात चली है पता चला है, शब्दों को काफी आसानी से पहचाना जाता है। बता दें कि किपलिंग को 'द जंगल बुक' लिखने की प्रेरणा पेंच टाइगर रिजर्व से मिली थी।

ऐसा था किपलिंग का जीवन
बता दें कि रुडयार्ड किपलिंग ने अपनी जीवनकाल में सिर्फ मोगली की 'द जंगल बुक' ही नहीं बल्कि कई और कहानियां भी दुनिया को दी है। रुडयार्ड किपलिंग साहित्य की दुनिया का ऐसा नाम है जिसके बिना बच्चों का बचपन पूरा नहीं हो सकता है। उनका जन्म 30 दिसंबर 1865 में मुंबई में हुआ था। मगर महज 5 साल की उम्र में वो इंग्लैंड चले गए थे। आगे चलकर वो दुनिया के मशहूर लेखक और कवि भी बने।

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बच्चों से था खास लगाव
जानकारी के मुताबिक रुडयार्ड किपलिंग को बच्चों से खास लगाव था। शायद यही कारण रहा कि उन्होंने बच्चों को ध्यान में रखकर 'द जंगल बुक' की रचना की। मगर ये ऐसी कहानी निकली जिसपर एक या दो नहीं बल्कि कई बार अलग अलग भाषाओं में टीवी सीरीज, फिल्में, एनिमेशन फिल्में कई बार बनी है। दुनिया भर में अपने काम के जरिए अमर होने के बाद किपलिंग का 18 जनवरी 1936 को लंदन में निधन हो गया था।

अंग्रेजी साहित्य में नोबेल पाने वाले पहले लेखक
किपलिंग महज 5 वर्ष की उम्र में इंग्लैंड चले गए थे मगर बाद में वो भारत लौटे। इस दौरान वो कोलकाता, देहरादून, शिमला और राजस्थान में रहे। भारत में रहते हुए किपलिंग ने पत्रकारिता की और वो कई अखबारों के साथ जुड़े रहे। पत्रकारिता के साथ वो साहित्य से भी जुड़े रहे और अपना लेखन जारी रखा। साहित्य में उनके योगदान के लिए 1907 में उन्हें नोबल पुरस्कार दिया गया। वो पहले अंग्रेजी लेखक थे जिन्हें ये पुरस्कार मिला था।

भारत के इस गांव से प्रेरित है मोगली की कहानी
जानकारों का कहना है कि मोगली, जो कहानी आज भी लोग चाव से देखना पसंद करते हैं, वो असलियत में मध्यप्रदेश के सिवनी जिले के जंगल (जिसे आज पेंच टाइगर रिजर्व कहा जाता है) में मिला था। इस रिजर्व में असल में ऐसा बच्चा मिला था जो जंगली भेड़ियों के साथ जंगल में उनकी गुफाओं में रहता था। इसकी जानकारी सर विलियम हेनरी स्लीमन के "एन अकाउंट ऑफ वुल्व्ज नरचरिंग चिल्ड्रन इन देयर डेन्स" में मिलती है। ये बच्चा 1831 में पकड़ा गया था। वहीं जंगल बुक में जो भी जानकारी, नदियों की स्थिति, पहाड़ों आदि का वर्णन मिलता है वो पेंच टाइगर रिजर्व की भौगोलिक स्थितियों से मिलती जुलती है।

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