प्राकृतिक खूबसूरती और शहरी शोर से निजात दिलाता पर्यटक स्थल है लैंसडाउन
दिल्ली-एनसीआर के एकदम निकट और यहाँ के लोगों के लिए वीकेंड गेटवे बन चुका लैंसडाउन छोटा-सा शांत स्थल है। प्राकृतिक खूबसूरती से भरपूर यह क्षेत्र पर्यटकों को शहरी शोर से निजात भी दिलाता है। हालांकि यदि आप यहां घूमने आ रहे हैं तो ध्यान रखिये कि यहां पर बहुत सारे पर्यटक स्थल नहीं हैं। यह जगह बस शांति के साथ कुछ समय गुजारने के लिए ही बेहतर है। यह क्षेत्र अंग्रेजों को काफी भाता था इसीलिए उन्होंने इसे सन् 1887 में बसाया था। वैसे इस स्थान का मूल नाम कालूडाण्डा था, लेकिन उस समय के वायसराय ऑफ इंडिया लॉर्ड लैंसडाउन के नाम पर इस जगह का नाम लैंसडाउन रख दिया गया था।
लैंसडाउन के दर्शनीय स्थलों की बात करें तो टिप इन टॉप से बर्फीली चोटी और मनोरम दृश्य देखा जा सकता है। यहां से दूर-दूर तर फैले पर्वत और उनके बीच छोटे-छोटे कई गाँव आसानी से देखे जा सकते हैं। यहां 100 साल से ज्यादा पुराना सेंट मैरीज़ चर्च भी है। लैंसडाउन की भुल्ला ताल बहुत प्रसिद्ध है। यह एक छोटी-सी झील है जहाँ नौकायन की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। शाम को सूर्यास्त का खूबसूरत नजारा संतोषी माता मंदिर से दिखता है। यहां भगवान शिव का प्राचीन और प्रसिद्ध ताड़केश्वर मंदिर भी है। यह पूरा मंदिर ताड़ और देवदार के वृक्षों से घिरा है। सेना के अधीन इस क्षेत्र में आप गढ़वाल राइफल्स वॉर मेमोरियल और रेजिमेंट म्यूजियम भी देख सकते हैं। इसके करीब ही परेड ग्राउंड भी है, जिसे आम पर्यटक बाहर से ही देख सकते हैं।
दिल्ली से लैंसडाउन आना चाहें तो सड़क मार्ग से 5-6 घंटे में यहां पहुँचा जा सकता है। दिल्ली से उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने के बाद मेरठ, बिजनौर और कोटद्वार होते हुए लैंसडाउन पहुँचा जा सकता है। लैंसडाउन आने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन कोटद्वार स्टेशन है। वहाँ से फिर टैक्सी या सरकारी बस आदि से लैंसडाउन पहुँचा जा सकता है। यहां से नजदीकी हवाई अड्डे की बात करें तो जौलीग्राँट एयरपोर्ट सबसे करीब यानि 152 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है। लेकिन यहां आने वाले पर्यटक अक्सर अपने ही वाहनों से आते हैं क्योंकि यहां घूमने के लिए किराये पर वाहन कम ही मिलते हैं। हालांकि लैंसडाउन में हर बजट के कई होटल उपलब्ध हैं जिससे एक-दो दिन का यहां का दौरा कम बजट में भी निबट सकता है।
- प्रीटी
Lansdowne tourist place full of natural beauty