नयी दिल्ली। देश में सूक्ष्म-वित्त कर्ज चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में करीब 11 फीसदी बढ़कर 71,916 करोड़ रुपये हो गया जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 64,899 करोड़ रुपये था। उद्योग के आंकड़ों से यह जानकारी मिली। माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क (एमएफआईएन) की ‘एमएफआईएन माइक्रोमीटर’ रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में कुल 1.81 करोड़ कर्ज आवंटित किए गए जबकि 2021-22 की दूसरी तिमाही में दिए गए कर्ज की संख्या 1.85 करोड़ थी। इस रिपोर्ट में कहा गया कि सितंबर 2022 के अंत तक देश का कुल सूक्ष्मवित्त कर्ज पोर्टफोलियो तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा। ये कर्ज 6.2 करोड़ कर्जदारों को 12 करोड़ कर्ज खातों में दिए गए।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘सूक्ष्म वित्त उद्योग का मौजूदा कुल सकल कर्ज पोर्टफोलियो 30 सितंबर 2022 तक 3,00,974 करोड़ रुपये रहा है जो पिछले वर्ष के 2,43,737 करोड़ रुपये की तुलना में सालाना आधार पर 23.5 फीसदी अधिक है।’’ सूक्ष्म कर्ज आवंटन में से सर्वाधिक 37.7 फीसदी की हिस्सेदारी 13 बैंकों की है जिन्होंने 1,13,565 करोड़ रुपये के कर्ज बांटे। दूसरे स्थान पर गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां एवं सूक्ष्म वित्त संस्थान हैं जिन्होंने 1,10,418 करोड़ रुपये का कर्ज दिया जो इस उद्योग के कुल कर्ज का 36.7 फीसदी है। लघु वित्त बैंकों का कुल कर्ज आवंटन 50,029 करोड़ रुपये यानी कुल कर्ज का 16.6 फीसदी है।
रिपोर्ट में कहा गया कि समीक्षाधीन तिमाही में प्रति खाता औसत कर्ज वितरण 40,571 रुपये है और यह सालाना आधार पर 12 फीसदी अधिक है। सूक्ष्म वित्त के सक्रिय कर्ज खाते 30 सितंबर तक, बीते 12 महीनों में 14.2 फीसदी बढ़कर 12 करोड़ हो गए। सूक्ष्म-वित्त कर्ज वितरण के मामले में तमिलनाडु सबसे आगे रहा जिसके बाद बिहार और पश्चिम बंगाल का स्थान है। इस रिपोर्ट पर एमएफआईएन के मुख्य कार्यपालक अधिकारी एवं निदेशक आलोक मिश्रा ने कहा कि सूक्ष्म-वित्त की वृद्धि की रफ्तार और बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि अनुमानित कर्ज मांग 2025 तक 17-20 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है।
Micro finance loans grow 11 to rs 71916 crore in september quarter report
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