‘नेताजी के योगदान को किया जाता था नजर अंदाज’, राजनाथ बोले- अब उन्हें वह सम्मान मिल रहा जिसके वे हक़दार थे
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के योगदान का हमेशा से नजरअंदाज किया जाता था। लेकिन आज उन्हें वह सम्मान मिल रहा है जिसके वे हकदार थे। दरअसल, राजनाथ सिंह भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा आयोजित शोध वीर समागम के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। अपने संबोधन में राजनाथ ने कहा कि आजाद भारत में नेताजी सुभाष चन्द्रबोस के योगदान को नजर अंदाज किया जाता था या उसे कम आंका जाता था। उन्होंने कहा कि उनके बारें में जुड़े कई दस्तावेज थे, जिन्हें जनता के सामने लाने से भी परहेज था। लेकिन अब नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को वह सम्मान फिर से दिया जाने लगा है, जिसके वे हमेशा से सच्चे हक़दार थे।
रक्षा मंत्री ने दावा किया कि नेताजी से जुड़े करीब 300 से अधिक दस्तावेजों को जिन्हें लम्बें समय से सार्वजनिक नहीं किया जा रहा था हमने उन्हें अवर्गीकृत करके भारत की जनता को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि आजाद हिंद सरकार जो अखण्ड भारत की पहली स्वदेशी सरकार थी वह नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने बनाई और 21 अक्टूबर 1943 को उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। राजनाथ ने कहा कि आजाद हिंद सरकार कोई प्रतीकात्मक सरकार नहीं थी बल्कि नेताजी के नेतृत्व में इस सरकार द्वारा जीवन के हर महत्वपूर्ण क्षेत्र से जुडी योजनाए और विचार दिए गए। इस सरकार का अपना एक डाक टिकट था, एक मुद्रा थी और एक अलग गुप्तचर तंत्र भी था।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत एक समय में विश्व गुरु था और इसकी स्वर्णिम गाथा इतिहास के पन्नो में अंकित हैं। इस सदी में भारत को फिर से अपनी श्रेष्ठता के नये अध्याय लिखने होंगे। और इसके लिए आर्थिक, सामाजिक, और राजनैतिक क्षेत्र समेत जीवन के हर क्षेत्र में नई ऊंचाइया हासिल करनी होगी। उन्होंने कहा कि यह भारत देश आर्यभट्ट, वराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त, बोधायन, चरक, सुश्रुत, नागार्जुन, कणाद से लेकर सवाई जयसिंह तक वैज्ञानिकों की एक लंबी परंपरा का साक्षी रहा है। कॉपरनिकस से लगभग 1000 वर्ष पूर्व आर्यभट्ट ने पृथ्वी के गोल होने और इसके अपनी धुरी पर घूमने की पुष्टि कर दी थी।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत अपार संभावनाओं का देश है, सुखद विरोधाभासों का देश है। यह एक ऐसा देश है जहाँ एक राजकुल में जन्मा बालक भिक्षुक बन विश्व को सबसे शांति प्रिय धर्म देता है, वहीं एक साधारण बालक एक गरीब ब्राह्मण की मदद से एक साम्राज्य की स्थापना कर लेता है। उन्होंने कहा कि आज जब भारत पुन: विश्व गुरू के पद पर स्थापित होने की दिशा में बढ़ रहा है तो हमं अपने देश में आध्यात्मिकता और आधुनिकता दोनों को साथ लेकर चलना होगा। यही नए भारत का भावी स्वरूप होगा। यहाँ पर आप जैसे शोधवीरों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को नेताजी की जीवन गाथा से प्रेरणा मिलती रहे इसके लिए आवश्यक है कि उनके विराट जीवन पर लगातार शोध होता रहे।
Netaji contribution was ignored rajnath said now he is getting the respect he deserved