कोरोना से लड़ाई में एक गलती भी पड़ सकती है भारी, सावधान रहकर ही वायरस को हराया जा सकता है
चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ब्राजील, अमेरिका सहित कई देशों में कोरोना के नये वेरिएंट के मामलों और उससे हुई मौतों के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। भारत में भी चीन में तबाही लाने वाले एवं भयंकर तबाही की आहट देने वाले बेरिएंट बीएफ.7 के 4 नये मामले मिले हैं, जो गहरी चिन्ता बढ़ा रहे हैं। सरकार सर्तक हो गयी है, आम जनता को भी सावधान रहना होगा। मास्क पहनने एवं बूस्टर डोज लगवाने के अभियान को गति देनी होगी। सार्वजनिक भीड़ को कम करना होगा, सभाओं, त्यौहारों, राजनीतिक आयोजनों पर नियंत्रण करना होगा, स्कूलों को भी सावधान एवं चौकन्ना रहना होना होगा।
सब जानते हैं कि इस विषाणु और उसके संक्रमण से उपजी बीमारी की शुरुआत चीन से हुई थी और उसके बाद दुनिया का अनुभव बेहद त्रासद, डरावना एवं विस्फोटक रहा। यही वजह है कि अब एक बार फिर चीन में जब कोरोना संक्रमण से हालात बिगड़ने की खबरें आ रही हैं तब दुनिया के अनेक देशों के साथ-साथ भारत में भी चिंता की लहर दौड़ गई है। खबरों के मुताबिक चीन में स्थिति नियंत्रण से बाहर जा रही है और संक्रमितों के इलाज के लिए अस्पतालों में जगह नहीं मिल पा रही है।
कोरोना की नयी लहर लाने वाले वाले वेरिएंट बीएफ.7 से जुड़ी खबरें एक बार फिर बड़े महासंकट का इशारा कर रही हैं। चीन एवं दुनिया के अन्य देशों में कोरोना के बढ़ते मामले चिंता में डालने लगे हैं, क्योंकि कोरोना की पूर्व लहरों में भारी जन-तबाही हुई है। अब इस नयी लहर को लेकर जैसे भयावह दृश्य चीन में बने हैं, वे भय, डर एवं आशंका का माहौल बना रहे हैं, भारत के लिये सुरक्षित जीवन के लिये बूस्टर डोज एक जरूरी एवं उपयोगी कदम है। पिछले लम्बे समय से कोरोना महामारी को लेकर राहत का माहौल हमने देखा था, उससे यह लगने लगा था कि अब शायद दुनिया पहले की तरह सामान्य स्थिति की ओर लौट रही है। लेकिन अब फिर चीन से जैसी खबरें आ रही हैं, वह एक तरह से सतर्क रहने की चेतावनी दे रही हैं, ताकि समय रहते कोरोना के फैलाव को रोका जा सके। भारत ने पूर्व में कोरोना महामारी को परास्त करने में जो उपक्रम किये, वैसे ही उपक्रम किये जाने की जरूरत है।
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत सरकार अगर सतर्क हुई है तो यह उसकी जनता के प्रति जागरूकता को दर्शाता है, जो आवश्यक भी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बुधवार को एक बैठक करके हालात की समीक्षा की। उसके बाद नीति आयोग की तरफ से लोगों को भीड़भाड़ वाली जगह में मास्क लगाने की सलाह दी गई। एयरपोर्ट पर विदेशी यात्रियों की रैंडम सैंपलिंग भी शुरू कर दी गई है। इससे पहले सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया गया कि कोरोना के हर पॉजिटिव सैंपल को जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा जाए। इससे इस बात पर नजर बनी रहेगी कि देश में इस वायरस का कोई नया वेरिएंट तो नहीं आ गया। ये सावधानियां किसी भयंकर विनाश से भारत की जनता को बचाने एवं सुरक्षित करने के लिये जरूरी हैं।
भारत में अभी बेवजह की चिन्ता एवं घबराने की कोई जरूरत नहीं है। एक तो यहां नए केसों की संख्या सबसे निचले स्तर पर है। दूसरे, देश में आबादी के बड़े हिस्से को टीका लग चुका है। साथ ही, यहां नैचरल इम्युनिटी भी विकसित हो चुकी है। दरअसल, भारत में कोरोना से बचाव के लिए जिस तरह व्यापक स्तर पर टीकाकरण कार्यक्रम चलाया गया और लोगों ने इस मसले पर जागरूकता दिखाई, वह यहां राहत का एक बड़ा कारण है। माना जा रहा है कि टीकाकरण के मामले में भारत को जैसी उपलब्धि मिली है, उसमें अब कोरोना के बहुरूपों के संक्रमण से लोग बचे रहेंगे। टीका बनाने वाली कंपनियों के साथ-साथ सरकार की ओर से भी इस बात का आश्वासन दिया गया था कि टीका कोरोना के खिलाफ एक सुरक्षा दीवार के तौर पर काम करेगा। इसके बावजूद विषाणुओं की प्रकृति को देखते हुए हर स्तर पर सजग रहने एवं बूस्टर डोज को प्राथमिकता देने की जरूरत है, अन्यथा इसकी मार से उपजी त्रासदी दुनिया देख चुकी है।
कोरोना का अब तक का अनुभव बताता है कि इस वायरस को किसी भी सूरत में हलके में नहीं लेना चाहिए। यह एक बार फैल गया तो इस पर नियंत्रण आसान नहीं है। इसलिए सबसे अच्छा यही है कि जैसे भी हो इसे फैलने से ही रोका जाए। पहले दौर में जब वुहान से विषाणु के संक्रमण की खबरें आईं थी, तब शायद वक्त पर अपने-अपने देशों में सावधानी बरतने को लेकर उतनी जागरूकता नहीं आ पाई थी, नियंत्रण के साधन नहीं थे, आम जनता एवं सरकार तैयार भी नहीं थी। इसलिए उसका असर भी व्यापक हुआ और समूची दुनिया के देश इसकी चपेट में आए। भारत उससे सबसे ज्यादा बुरी तरह प्रभावित होने वाले देशों में से एक था। इसलिए स्वाभाविक ही इस बार चीन में कोरोना से स्थिति बिगड़ने की खबरें आने के साथ ही भारत में सावधानी बरतने को लेकर जरूरी कदम उठाए जाने लगे हैं। यह सरकार की सूझबूझ भी है और जागरूकता भी है।
विदेशों में कोरोना के नए मामलों में हो रही अप्रत्याशित बढ़ोतरी सचमुच चिंताजनक है। खासकर चीन में तो भयावह हालात हैं। जिस व्यापक स्तर पर उसके फैलने एवं जिस बड़े पैमाने पर मौतों की आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं, वह भारत सहित समूची दुनिया को सतर्क एवं सावधान हो जाने की टंकार है। उसे समय पर गंभीरता से लेना महामारी के प्रकोप को कम करना ही माना जायेगा। चीन के दृश्य डरावने एवं चिन्ता पैदा करने वाले हैं, वहां अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं, शवदाह गृहों में लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि सही सूचनाएं सामने नहीं आ रहीं। मंगलवार को चीनी सरकार ने कहा कि किसी मौत को कोविड-19 से हुई मौत माना जाए या नहीं, यह तय करने के आधारों में बदलाव किए गए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि चीन वास्तविक तथ्यों से दुनिया को अंधेरे में रखना चाहता है, मौतों की वास्तविक संख्या छुपाना चाहता है। अगर यह सच है तो इससे चीन में हुए कोरोना विस्फोट की वास्तविक प्रकृति को समझने में दिक्कत होगी। जाहिर है, ऐसे में किसी नए वेरिएंट के रूप में दुनिया भर में कोरोना संक्रमण की नई लहर फैल जाने की आशंका और मजबूत होती है और उससे समाधान पाने की राह उतनी ही जटिल होगी।
भारत में कठिन कोरोना परिस्थितियों में भी देशवासियों ने जिस तरह से कोरोना की पूर्व लहरों का सामना किया है वे आज भी नयी लहर का सामना करने में सक्षम हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सतत जागरूकता, देशवासियों और कोरोना वारियर्स के लगातार संघर्ष ने हताशा के बीच भी जीवन को आनंदित बनाने का साहस प्रदान किया है, जो समूची दुनिया के लिये प्रेरणा का माध्यम बना है। इस समय दुनिया के अनेक देश कोरोना के नए वैरियंट बीएफ.7 से जूझ रहे हैं। भारत में भी कोरोना के नए केस आये हैं लेकिन भारतीयों के चेहरे पर कोई खौफ नजर नहीं आ रहा। इसका श्रेय देश में सफलतापूर्वक चले टीकाकरण अभियान को जाता है। लेकिन जानबूझकर लापरवाही एवं सरकारी हिदायतों की उपेक्षा घातक हो सकती है। इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत दुनिया में सबसे तेज कोरोना टीकाकरण करने वाला देश है। एक बार फिर कोविड-19 के दस्तक के समय दी गयी हिदायतों को दोहराने की जरूरत है कि किसी भी चीज को छूने के बाद हाथों को अच्छी तरह से साफ करें। साबुन से 30 सेकंड तक हाथ धोएं। हमें पूरे दिन साफ और शुद्ध पानी पीना चाहिये, हमें बाहर के खाने से बचना चाहिये, साथ ही ज्यादा मसालेदार और तैयार पेय पदार्थों से परहेज करना चाहिये। सामाजिक दूरी का पालन करना चाहिए। बेवजह भीड़ का हिस्सा न बनें। इस प्रकार हम खुद को स्वच्छ एवं सावधान रखते हुए नये बेरिएंट बीएफ.7 के खौफ एवं नुकसान से स्वयं को बचा सकेंगे। हमें नयी लहर का मुकाबला सामूहिक इच्छाशक्ति, संकल्प एवं जिम्मेदारी से करना होगा। अगर हम ऐसा कर गए तो कोरोना का नया वायरस बेरिएंट बीएफ.7 भी पराजित हो जाएगा। इसलिए हिम्मत से काम लेना होगा।
-ललित गर्ग
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं टिप्पणीकार हैं)
New corona protocol and guidelines in india