न्यू टैक्स स्लैब और ओल्ड टैक्स स्लैब में से कौन बेहतर और कैसे भरें टैक्स?
बजट 2023 के लिए शासन के स्तर पर रायशुमारी शुरू हो चुकी है। ऐसे में बजट 2023 की परिचर्चा में व्यक्तिगत इनकम टैक्स स्लैब और उसकी दरों में संशोधन की मांग उठी है। वैसे तो यह मांग पुरानी है, लेकिन बढ़ती महंगाई और घटती आय के बीच आमलोग और करदाता दोनों न्यू टैक्स स्लैब और ओल्ड टैक्स स्लैब से इतर न्यूनतम इनकम टैक्स स्लैब में बढ़ोतरी और विभिन्न स्लैब की कर दरों में कटौती किये जाने की मांग कर रहे हैं।
आमलोगों को उम्मीद है कि जैसे बजट 2020 में सरकार ने न्यू टैक्स स्लैब और उसकी व्यवहारिक स्लैब दरों का लॉलीपॉप थमाया, उसी तरह से बजट 2023 में भी उनकी वाजिब मांगों पर जरूर गौर करेगी और कोई बेहतर रास्ता निकालेगी, ताकि अपनी गाढ़ी कमाई से आयकर जमा करने वाले करदाताओं को राहत मिले। वहीं, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने भी सरकार को व्यक्तिगत आयकर की दरों में कटौती का सुझाव दिया है। जिसके दृष्टिगत आम आदमी की उम्मीदें एकबार फिर बढ़ गई हैं कि बजट 2023 में सरकार टैक्स स्लैब और उसके दर में कुछ बदलाव करते हुए उन्हें अवश्य राहत देगी।
देखा जाए तो टैक्स अब आम आदमी के जीवन में अन्य जरूरी चीजों की तरह ही एक अहम हिस्सा बन चुका है। बजट 2023 को लेकर सरकार की तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। इसलिए लोगों को इस बार टैक्स स्लैब में बदलाव किए जाने की उम्मीद जगी है। आलम यह है कि बजट पूर्व की बैठकों की शुरुआत में ही इसे संशोधित करने की मांग उठने लगी है। क्योंकि बजट का नाम लबों पर आते ही देश के आम आदमी की नजर मुख्य रूप से टैक्स स्लैब में होने वाले बदलावों पर गड़ी रहती है। बता दें कि बीते कुछ बजट सत्रों में इसमें कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला है।
सवाल है कि आम आदमी बजट की बारीकियों में सजे-संवरे हुए टैक्स के बारे में कितना जानता है? देश में अभी आम आदमी के लिए कितने टैक्स स्लैब हैं? ये टैक्स स्लैब कैसे काम करते हैं? तो आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जबाव, क्योंकि टैक्स के मुद्दे पर ही आमलोगों की सबसे ज्यादा नजर रहती है।
आपको पता है कि फिलहाल, देश में व्यक्तिगत आयकर की दो प्रणाली मौजूद हैं। पहली प्रणाली को ओल्ड टैक्स स्लैब के तौर पर जाना जाता है। वहीं, वर्ष 2020 में सरकार ने टैक्सपेयर्स को राहत देते हुए एक नया टैक्स स्लैब शुरू किया था, जिसे न्यू टैक्स स्लैब कहा जाता है। बताया जाता है कि आमलोगों को इनकम टैक्स रिटर्न यानी आईटीआर दाखिल करने में आसानी हो, इसके लिए ही यह नई व्यवस्था शुरू की गई थी। हालांकि नया टैक्स स्लैब शुरू करने के साथ ही सरकार ने पुराने टैक्स रेजीम या पुराने टैक्स स्लैब को भी कायम रखा है, जिसके चलते कुछ लोग नए टैक्स स्लैब तो कुछ लोग पुराने टैक्स स्लैब से रिटर्न दाखिल करते हैं। इसलिए यह आपको ही पता होगा कि आप नए टैक्स स्लैब का अनुपालन कर रहे हैं या फिर पुराने टैक्स स्लैब का। दोनों में कौन बेहतर है, वह भी हमसे ज्यादा आप अच्छी तरह से जानते होंगे।
# जानिए, ओल्ड टैक्स स्लैब क्या है?
आइए, सबसे पहले हम जानते हैं ओल्ड टैक्स स्लैब के बारे में। जहां तक मुझे पता है, इसमें 5 लाख तक की इनकम पर किसी तरह का कोई टैक्स जमा नहीं करना होता है। वहीं, सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपए के निवेश पर टैक्स जमा करने से छूट मिलती है। इस हिसाब से करदाता (टैक्सपेयर्स) को लगभग साढ़े 6 लाख तक की इनकम पर टैक्स नहीं देना पड़ता है। ओल्ड टैक्स रेजिम या पुराने टैक्स स्लैब में इनकम टैक्स रेट मुख्यत: आपकी इनकम और इनकम स्लैब पर निर्भर करता है, जिसमें उम्र को भी आधार बनाया जाता है। पुराना आयकर स्लैब इस प्रकार है-
2.5 लाख तक- 0 प्रतिशत। 2.5 लाख से 5 लाख तक- 5 प्रतिशत। 5 लाख से 10 लाख तक- 20 प्रतिशत। 10 लाख से ऊपर- 30 टैक्स।
जहां तक उम्र के हिसाब से पुराने आयकर स्लैब और आयकर दर का सवाल है तो इतना टैक्स भरना पड़ता है जो आगे दिया हुआ है- जैसे, यदि आपकी उम्र 60 साल से कम है तो पुराने टैक्स स्लैब में 2.5 लाख तक टैक्स रेट शून्य रहेगा। वहीं, 2.5 से 5 लाख तक इनकम पर 5 प्रतिशत टैक्स लगेगा और इसमें सेक्शन 87ए के अंतर्गत छूट दिए जाने का प्रावधान है। जबकि 5-7.5 लाख पर 20 प्रतिशत, 7.5-10 लाख पर 20 प्रतिशत, 10-12.5 लाख पर 30 प्रतिशत, 12.5 से 15 लाख पर 30 प्रतिशत और 15 लाख से ज्यादा की इनकम पर 30 प्रतिशत टैक्स लगता है।
इसके अलावा यदि टैक्सपेयर की उम्र 60 साल से 79 साल के बीच है, तो वरिष्ठ नागरिक श्रृंखला (सीनियर सिटीजन कैटेगरी) में आने पर उन्हें 3 लाख तक इनकम पर टैक्स से छूट है। जबकि 3-5 लाख पर 5 प्रतिशत, 5-10 लाख पर 20 प्रतिशत और 10 लाख से ज्यादा की कमाई पर 30 प्रतिशत टैक्स लगता है। इसके अतिरिक्त, यदि उम्र 80 साल से अधिक है तो फिर 5 लाख तक की कमाई पर शून्य टैक्स देना होता है।
# समझिये, न्यू टैक्स स्लैब क्या है?
अब यदि आप नए टैक्स स्लैब को देखेंगे तो इसमें टैक्स रेट को कम रखा गया है। इस प्रकार नया टैक्स स्लैब, पुराने टैक्स स्लैब से बहुत से मायने में बिल्कुल अलग है। इसमें कम दर के साथ स्लैब ज्यादा हैं। इसके अतिरिक्त, पुराने टैक्स स्लैब की तुलना में कई तरह की छूट और कटौती के लाभ में कमी की गई है। कहना न होगा कि इस प्रणाली में जिस तरह के इनकम में इजाफा होता है, उसके मुत्तलिक टैक्स स्लैब बढ़ता जाता है और टैक्स देनदारी भी इसी क्रम में बढ़ जाती है। नए टैक्स स्लैब के मुताबिक, 2.5 लाख तक की कमाई पर शून्य टैक्स, 2.5-5 लाख की कमाई पर 5 प्रतिशत (87ए के तहत छूट), 5-7.5 लाख की कमाई पर 10 प्रतिशत, 7.5-10 लाख की कमाई पर 15 प्रतिशत, 10-12.5 लाख की कमाई पर 20 प्रतिशत, 12.5-15 लाख की कमाई पर 25 प्रतिशत और 15 लाख से ज्यादा इनकम पर 30 प्रतिशत टैक्स देना होता है।
# आम आदमी को बजट2023 से ये हैं उम्मीदें?
देखा जाए तो बीते महीने से बजट पूर्व बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। हालांकि, खास बात यह है कि सबसे पहले टैक्स स्लैब में संशोधन की मांग उठी है। बताया जाता है कि यूनियन बजट 2023 से पहले भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने सरकार को कई सुझाव दिए हैं, जिनमें सबसे अहम व्यक्तिगत आयकर की दरों में कटौती किया जाना है। सीआईआई ने कहा है कि इससे देश के करीब 5.83 करोड़ लोगों को लाभ हो सकता है। यही वजह है कि नई कर व्यवस्था को लोकप्रिय बनाने की दिशा में राजस्व सचिव तरुण बजाज ने भी सुझाव दिया है कि न्यूनतम टैक्स स्लैब को ढाई लाख को बढ़ाकर 7 लाख कर देना चाहिए। इसके लिए एक सरल सा टैक्स स्ट्रक्चर बनाए जाने की जरुरत है जिसके लिए साधारण गणित से भी काम चल सकता है, जिसमें केवल ये देखना होगा कि रेवेन्यू पर कितना असर लिमिट बढ़ाने से होगा। इससे एक ओर जहां आमलोगों की बल्ले बल्ले हो जाएगी, वहीं दूसरी ओर एक देश में दो टैक्स स्लैब होने से उतपन्न दुविधाओं से भी निजात मिलेगी।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार
New tax slab and old tax slab which is better and how to pay tax