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अपने मूल उद्देश्य से भटका मीडिया - शलभ मणि त्रिपाठी
By DivaNews
05 November 2022
अपने मूल उद्देश्य से भटका मीडिया - शलभ मणि त्रिपाठी भारत का प्रमुख हिंदी समाचार पोर्टल प्रभासाक्षी सिर्फ भारत का शुरुआती हिंदी समाचार पोर्टल नहीं है बल्कि यह वह कड़ी भी है जिसने गांवों और शहरों के बीच की डिजिटल खाई को पाटने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया, यह वह कड़ी भी है जिसने हिंदी पाठकों को मनचाही जानकारी तथ्यों के साथ प्रदान करने के लिए हमेशा कड़ी मेहनत से समय पर जानकारी मुहैया कराई है। यह वह कड़ी भी है जो इंटरनेट पर समाचार वेबसाइटों के पदार्पण के समय पाठकों की सहूलियत के लिए मनचाहे फॉन्टों में भी उपलब्ध थी और आज के इस आधुनिक युग में सिर्फ वेब या मोबाइल के मंच पर ही नहीं बल्कि सभी सोशल मंचों पर भी उपलब्ध है। आज के इस नये भारत में मीडिया का विस्तार तेजी से तो हो रहा है लेकिन ऐसा क्यों हैं कि विश्वास कम होता जा रहा है। टीवी चैनलों और सोशल मीडिया मंचों पर होने वाली बहसें जब उन्माद का रूप ले लेती हैं तो लोग इसे सुनने और देखने से बचने लगे हैं। हाल ही में एक सर्वे रिपोर्ट में सामने आया कि लोगों सच्ची और पक्की खबरों के लिए सबसे ज्यादा विश्वास समाचार-पत्रों पर ही करते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि वो कौन-सी कमियां हैं जिन्हें दूर कर डिजिटल और इलेक्ट्रानिक मीडिया को जन विश्वास हासिल करना होगा। इस विषय पर चर्चा की उत्तर प्रदेश के देवरिया विधानसभा क्षेत्र से लोकप्रिय विधायक और भाजपा प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने। गौरतलब है कि शलभ मणि त्रिपाठी स्वयं एक पत्रकार रहे हैं और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया प्रभारी भी रहे हैं। इस मामले पर उन्होंने अपने विचार साझा किए है। उन्होंने कहा कि मीडिया में आज टीआरपी का मोह उत्पन्न हुआ है, जिसके बाद से तटस्थता का भाव खत्म होता गया है। ये कारण रहा है कि मीडिया अपने मूल उद्देश्य से भटक गया है। जनसमर्थन को लेकर मीडिया में लोभ उत्पन्न हुआ है। दुर्भाग्य है कि तमाम बड़े पत्रकार भी ये नहीं देखते कि उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए समाचार की विश्वस्नीयता पर भी बात नहीं की। उन्होंने उत्तरप्रदेश में हुई एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि फेक वीडियो काफी वायरल होते है। ऐसे ही एक फेक वीडियो का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि 12 सेकेंड का वीडियो नेशनल मीडिया पर वायरल किया गया जिसमें बताया गया कि किसान को उत्तर प्रदेश पुलिस ने जमकर मारा, जिसकी पुष्टि कांग्रेस नेता प्रियंका वाड्रा ने की। हालांकि जब उस वीडियो की पड़ताल की गई तो सामने आया कि किसान पुलिस को देखकर डर के कारण जमीन पर लेट गए थे और पुलिस ने उन्हें कुछ नहीं किया। उसमें से कुछ हिस्सा निकाला गया और वायरल किया गया कि पुलिस ने किसानों को मारा और उनके साथ बर्बर्ता की। ऐसे में ये जरूरी है कि वीडियो की विश्वसनीयता को जाना जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये ऐसा वीडियो था जो उस इलाके में समाज में कानून व्यवस्था की खराब स्थिति पैदा कर सकती थी। ऐसे वीडियो को बिना पुष्टि के चलाए जाने को लेकर उन्होंने कहा कि आज के समय में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बीच पहले ब्रेकिंग देने, टीआरपी और किसी खास तबके को खुश करने के लिए भी होड़ लगी रहती है। जाति-धर्म आधारित ना हो खबरेंउन्होंने कहा कि किसी खबर के पीछे जाति, धर्म की जानकारी को नहीं केंद्रित करना चाहिए, मगर आज के समय में खबरों का रुख इसी ओर रहता है। ऐसी खबरों को बनाया जाता है जो किसी विशेष धर्म, जाति से संबंधित होती है। इस तरह की पत्रकारिता से जूझना आज के समय में काफी मुश्किल है। सोशल मीडिया के जमाने में फेक न्यूज का संचालन तेजी से होता है। मीडिया को सुविधा मिलती है कि उनके काम में हस्तक्षेप नहीं होता है, मगर आज के समय में साख की कमी है, जिस कारण समस्याएं उत्पन्न हो रही है। उन्होंने पत्रकारों की दृष्टि और सोच पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि आजकल कई पत्रकार ऐसे होने लगे हैं जिनके सवालों में समाज का हित नहीं होता है। असल पत्रकार के सवाल समाज संबंधित होती है। पत्रकारिता का मूल उद्देश्य एक मिशन है, पत्रकार में समाज के लिए कुछ करने का जज्बा होता है मगर आज के समय में पत्रकारिता पेशे में तब्दिल हो गई है। आज के समय में न्यूज और व्यूज को मिलाकर परोसा जाता है, जो असल पत्रकारिता नहीं है। पत्रकारिता के धर्म में पक्षपात की जगह नहीं होती है। कश्मीर में कोई घटना होती है तो जवान शहीद होते है मगर कई मीडिया चैनल ऐसी खबरें उठाते हैं जो भारतीय फौज की कमी उठाते है। ये मीडिया का संक्रमण काल है, जिससे हमें उभरना होगा।
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