जादूगर अशोक गहलोत इस बार अपने ही बुने जाल में फँसते दिख रहे हैं
Politics जादूगर अशोक गहलोत इस बार अपने ही बुने जाल में फँसते दिख रहे हैं

जादूगर अशोक गहलोत इस बार अपने ही बुने जाल में फँसते दिख रहे हैं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राजनीति का एक ऐसा जादूगर माना जाता है जो अपने राजनीतिक कुशलता के बल पर अंतिम समय में बिगड़ी बाजी को बना सकते हैं। अपने राजनीतिक सूझबूझ व कौशल के बल पर ही अशोक गहलोत ने राजनीति के मैदान में एक लंबी पारी खेली है। उसी की बदौलत वो शीघ्र ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने वाले हैं। मुख्यमंत्री, केंद्र में मंत्री, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष तो बहुत से नेता बनते रहे हैं। मगर कांग्रेस जैसी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना अपने आप में बहुत बड़े गौरव की बात है।

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स्वाधीनता आंदोलन में त्याग, बलिदान और साहस की प्रतीक बन गई थी मातृशक्ति
Currentaffairs स्वाधीनता आंदोलन में त्याग, बलिदान और साहस की प्रतीक बन गई थी मातृशक्ति

स्वाधीनता आंदोलन में त्याग, बलिदान और साहस की प्रतीक बन गई थी मातृशक्ति प्रत्येक कालखंड में मातृशक्ति ने भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है। समाज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में वह पुरुष के कंधे से कंधा मिलाकर चली है अपितु अनेक अवसर पर अग्रणी भूमिका में भी रही है। आज जबकि समूचा देश भारत के स्वाधीनता आंदोलन का अमृत महोत्सव मना रहा है तब मातृशक्ति के योगदान/बलिदान का स्मरण अवश्य करना चाहिए। भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के पृष्ठ पलटेंगे और मातृशक्ति की भूमिका को देखेंगे तो निश्चित ही हमारे मन गौरव की अनुभूति से भर जाएंगे। भारत के प्रत्येक हिस्से और सभी वर्गों से, महिलाओं ने स्वाधीनता आंदोलन में हिस्सा लिया। अध्यात्म, सामाजिक, राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय होने के साथ ही क्रांतिकारी गतिविधियों में भी महिलाएं शामिल रहीं। यानी उन्होंने ब्रिटिश शासन व्यवस्था को उखाड़ फेंकने और ‘स्व’ तंत्र की स्थापना के लिए प्रत्येक क्षेत्र से भारत के स्वर एवं उसके संघर्ष को बुलंद किया। आंदोलन के कुछ उपक्रम तो ऐसे रहे, जिनके संचालन की पूरी बागडोर मातृशक्ति के हाथ में रही। भारतीय स्वाधीनता संग्राम का एक भी अध्याय ऐसा नहीं है, जिस पर मातृशक्ति के त्याग, बलिदान और साहस की गाथाएं अंकित न हो।                स्वतंत्रता का समर, वैसे तो तब से ही प्रारंभ हो गया था, जब पहली बार भारतवर्ष के एक छोटे-से हिस्से पर विदेशी आक्रांताओं ने कब्जा किया। परंतु इस संघर्ष का महत्वपूर्ण पड़ाव रहे 1857 के स्वातंत्र्य समर में रानी लक्ष्मीबाई जैसा नेतृत्व चमकती तलवार की तरह सामने आता है। उनके साथ इस संघर्ष में कदम से कदम मिलाने वाली झलकारी बाई जैसी वीरांगना के साहस के आगे ब्रिटिश सैनिक पानी माँगते नजर आए। वहीं, मध्य प्रदेश के सिवनी जनपद में जन्मी और रामगढ़ की रानी अवंतीबाई लोधी की तलवार की धार के सामने अंग्रेज टिक नहीं सके। अंग्रेजी पलटन भाग खड़ी हुई। जिस अंग्रेज कैप्टन वाडिग्टन ने रानी के सामने युद्ध के मैदान में घुटने टेककर प्राणों की भीख माँगी, बाद में रीवा नरेश के साथ मिलकर धोखे से रानी अवंतीबाई पर हमला बोला। अंतत: रानी अवंतीबाई ने अंग्रेजों के हाथ आने की अपेक्षा रणक्षेत्र में अपने प्राणों की आहुति दे दी। रानी अवंतीबाई का स्मरण इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि उन्होंने न केवल स्वयं स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया अपितु मध्य प्रदेश के अन्य राजाओं एवं जागीरदारों को भी स्वतंत्रता आंदोलन में सम्मिलित होने के लिए तैयार किया। उनके प्रयासों से शंकरशाह-रघुनाथशाह, उमराव सिंह लोधी, बहादुरसिंह लोधी, जगत सिंह, किशोर सिंह लोधी, कर्णदेव, ठाकुर सरयूप्रसाद सहित अन्य राजा ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध उठ खड़े हुए।इसे भी पढ़ें: न्यूज एंकरों पर सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी को गंभीरता से ले सरकारपंजाब के कपूरथला में जन्मी राजकुमारी अमृत कौर उन नायिकाओं में शामिल हैं, जिन्होंने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए संघर्ष किया और स्वाधीन भारत के नवनिर्माण का दायित्व भी निभाया। अमृत कौर चाहती तों आलीशान महल में सुख से जीवन व्यतीत कर सकती थीं। परंतु, महात्मा गांधी के संपर्क में आने के बाद उन्होंने राजमहल का सुख छोड़कर कंटक पथ को चुनना स्वीकार किया। नमक सत्याग्रह-1930 और भारत छोड़ो आंदोलन-1942 में उनकी भूमिका नेतृत्वकारी रही, जिसके कारण उन्हें गिरफ्तार किया गया। स्वतंत्र भारत की सरकार में उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान जैसी विश्व स्तरीय स्वास्थ्य संस्था की स्थापना का श्रेय देश की पहली स्वास्थ्य मंत्री अमृत कौर को ही है। उन्होंने दुनियाभर से एम्स के लिए धन एकत्र किया। यहाँ तक कि अपना शिमला का घर भी दान दे दिया। वहीं, नागालैण्ड में भी एक चिंगारी चमक रही थी- रानी गाइदिन्ल्यू। कतिपय कारणों से उनका संघर्ष-समर्पण शेष भारत के लिए अल्पज्ञात रहा। परंतु अब देश उनके बारे में जानने लगा है। मात्र 13 वर्ष की उम्र में ही रानी गाइदिन्ल्यू अंग्रेजों के सब प्रकार के षड्यंत्र के विरुद्ध डटकर खड़ी हो गईं। नागालैण्ड में ब्रिटिश सरकार के सहयोग से ईसाई मिशनरीज नागाओं का जबरन कन्वर्जन कर रहे थे अैर उन पर अपनी जीवनशैली थोप रहे थे। स्व-शासन एवं स्वधर्म के संदर्भ में रानी गाइदिन्ल्यू कहती थीं- “धर्म को खो देना, अपनी संस्कृति को खो देना है। अपनी संस्कृति को खोना यानी अपनी पहचान को खोना”। रानी गाइदिन्ल्यू ने 17 वर्ष की अल्पायु में ही अपने अनुयाइयों के साथ अंग्रेजों के खिलाफ गोरिल्ला युद्ध छेड़ कर उन्हें पराजित किया। 1942 में अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। भारत की स्वतंत्रता के बाद ही रानी गाइदिन्ल्यू को जेल से मुक्ति मिली।         ब्रिटिश अधिकारियों ने स्वप्र में भी यह कल्पना नहीं की होगी कि भारत में उनका वास्ता इतनी साहसी महिलाओं से पड़ेगा। उन्हें शायद ही इसका अंदाजा रहा हो कि महलों से लेकर साधारण घरों की महिलाएं एक-दूसरे का हाथ पकड़कर ब्रिटिश क्राउन की जड़ों को हिला देंगी। धरती पर जिस सत्ता का सूरज नहीं डूबता था, उसको दिन में तारे दिखाने का कार्य भारत के वीरांगनाओं ने किया। अंग्रेजों का यह पूर्वाग्रह भली प्रकार दूर हो गया कि भारत में महिलाएं घूंघट में रहती हैं और उनकी भूमिका सिर्फ चूल्हे-चौके तक सीमित है। भारत की बेटियां तो सत्ता के समस्त सूत्र अपने हाथ में संभाल रही थीं। रणक्षेत्र में चण्डी बनकर अरिदल का संहार कर रही थीं। जो माँ चौके-चूल्हे तक सीमित रहकर परिवार का पोषण करती है, वहीं समाज के पोषण की बागडोर भी संभाल रही है। स्वाधीनता आंदोलन के दौरान जहाँ जैसी भूमिका, वहाँ मातृशक्ति का वैसा अवतार दिखा।इसे भी पढ़ें: आचार्य विनोबा भावे अहिंसात्मक तरीके से देश में सामाजिक परिवर्तन लाना चाहते थेअपने प्राणों की किंचित भी चिंता किए बगैर क्रांति जैसे कठोर संकल्प को निभाने का कार्य भी भारत की मातृशक्ति ने किया। सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी दुर्गा भाभी का नाम तो सबको स्मरण रहता ही है। चन्द्रशेखर आजाद और भगत सिंह जैसे यशस्वी क्रांतिकारियों का सहयोग उन्होंने किया। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को जेल से मुक्त कराने के लिए उन्होंने बम की फैक्ट्री ही बना दी। दुर्गा भाभी की भाँति ही क्रांति के कठोर पथ पर अनेक वीरांगनाएं निकली थीं, जिनमें बंगाल की बेटियों की संख्या अधिक रही। बीना दास, प्रीती लता, उज्ज्वला मजूमदार, कल्पना दत्ता, चारूशिला देवी, टुकड़ीबाला, मीरा दत्त, रेणु सेन, वनलतादास गुप्ता, शांति घोष, सुनीति चौधरी, शोभारानी दत्त और सुहासिनी गांगुली सहित अनेक नाम हैं, जिनके बलिदान के कारण आज हम स्वतंत्रता का उत्सव मना पा रहे हैं। क्रूर अंग्रेज अफसरों के सामने पिस्तौल तानकर खड़े होने के लिए जिस साहस की आवश्यकता होती थी, वह इन वीरांगनाओं में कूट-कूटकर भरा हुआ था। क्रांति का कठोर प्रशिक्षण प्राप्त किया, अंग्रेजों का संधान किया, अंधेरी कोठरी की यातनाएं भोगी और प्राणोत्सर्ग भी किया परंतु अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता के प्रयास नहीं छोड़े। मैडम भीकाजी कामा ने तो निष्कासित जीवन व्यतीत करते हुए विदेश में भारत की लड़ाई को जीवित रखा। विदेशी धरती पर पहली बार राष्ट्रीय ध्वज को फहराने का अभूतपूर्व कार्य मैडम भीकाजी कामा ने किया। यानी मातृशक्ति जहाँ रहीं, वहाँ से उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के प्रयास किए।                आंध्र प्रदेश की दुर्गाबाई देशमुख का योगदान कैसे भूल सकते हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के लिए अपने बहुमूल्य आभूषण महात्मा गांधी को समर्पित कर दिए। एक स्त्री को अपने विवाह की निशानियां कितनी प्रिय होती हैं, इसकी कल्पना करना कठिन नहीं है। परंतु, दुर्गाबाई ने स्वदेशी आंदोलन में अपने विवाह के सभी विदेशी कपड़े जला दिए। इसी तरह, प्रसिद्ध उद्योगपति जमनालाल बजाज की पत्नी श्रीमती जानकी देवी बजाज ने अपने घर की सभी विदेशी वस्तुओं को जला दिया था। मानो, मातृशक्ति में स्वदेशी आंदोलन की पवित्र अग्नि में विदेशी शासन को स्वाह करने की होड़ लगी हो। क्रांतिकारी सुशीला दीदी ने भी तो काकारी कांड के प्रकरण में हो रहे व्यय का प्रबंध करने के लिए अपने सभी आभूषण दान कर दिए थे। नेताजी सुभाषचंद्र बोस के आह्वान पर कितनी ही महिलाएं और युवतियां अपने आभूषण दान करने के लिए एक पैर पर दौड़ पड़ी थीं। नेताजी ने जिस आजाद हिंद फौज का गठन किया, उसमें महिलाओं की एक पूरी टुकड़ी थी- रानी लक्ष्मीबाई रेजीमेंट। कैप्टन लक्ष्मी सहगल को इस रेजीमेंट का कमांडर बनाया गया था। वहीं, बहुत चाहते हुए भी इंदुमति चटगाँव शस्त्रागार हमले में प्रत्यक्ष शामिल नहीं हो पायीं तो उन्होंने हमले के मामले में बंदी क्रांतिकारियों के मुकदमे की पैरवी के लिए बंगाल के कोने-कोने और दूसरे प्रांतों में जाकर चंदा एकत्र किया।  स्वाधीनता आंदोलन में हिस्सा लेकर अपना जीवन धन्य करने की प्रतिस्पर्धा मातृशक्ति के बीच जोरों पर थी। प्रत्येक जाति, संप्रदाय, क्षेत्र एवं वर्ग से महिलाएं आगे आईं। वारांगना से वीरांगना बनने के प्रेरक प्रसंग भी सामने आए। ऐसी नायिकाओं में प्रमुख नाम है-अजीजन बाई। कानपुर के कोठे की नर्तकी अजीजन बाई देहव्यापार से जुड़ी थी। लेकिन जब कानपुर क्रांति का प्रमुख केंद्र बन गया, तब अजीजनबाई के जीवन में भी परिवर्तन आया। विलासिता पूर्ण जीवन त्यागकर उन्होंने राष्ट्रसेवा का संकल्प लिया। क्रांति नायक तात्या टोपे के कहने पर अजीजनबाई ने अपनी समूची प्रतिभा का उपयोग भारत के स्वाधिनता आंदोलन के लिए किया। मस्तानी मंडली का गठन किया और इससे जुड़ी सभी महिलाओं को स्वयं ही प्रशिक्षित किया। अंग्रेजों की छावनी में घुसकर नाच-गाकर गोपनीय सूचनाओं को लाना आसान कार्य नहीं था। मस्तानी मंडली की महिलाएं पुरुष भेष धारणकर युद्ध के मैदान में भी मोर्चा लेती थीं। अंग्रेजों ने यूँ ही अजीजनबाई को गोली से नहीं उड़ाया था। अजीजनबाई से ब्रिटिश सरकार भयाक्रांत हो गई थी।

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व्रत के लिए इस तरह बनाएं हरी चटनी, जानिए इसकी रेसिपी
Women व्रत के लिए इस तरह बनाएं हरी चटनी, जानिए इसकी रेसिपी

व्रत के लिए इस तरह बनाएं हरी चटनी, जानिए इसकी रेसिपी व्रत के दौरान अमूमन लोगों को अपने खान-पान पर अतिरिक्त ध्यान देना पड़ता है। दरअसल, जब हम व्रत रखते हैं तो उस दौरान कई चीजों को खाने पर प्रतिबंध होता है। ऐसे में पूरा दिन काफी अजीब लगता है। लेकिन अगर आप व्रत के दौरान भी नियमों को तोड़े बिना अपने टेस्ट बड का ख्याल रखना चाहते हैं तो ऐसे में व्रत के लिए हरी चटनी बना सकते हैं। यह ग्रीन चटनी व्रत के दौरान खाई जाने वाली किसी भी चीज का स्वाद कई गुना बढ़ा देंगे। तो चलिए आज इस लेख में हम जानते हैं व्रत के दौरान खाई जाने वाली हरी चटनी बनाने का तरीका-

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नाखून भी देते हैं व्यक्तित्व और भविष्य का संकेत
Jyotish नाखून भी देते हैं व्यक्तित्व और भविष्य का संकेत

नाखून भी देते हैं व्यक्तित्व और भविष्य का संकेत नाखून को लोग अपने सौंदर्य से जोड़कर देखते हैं। विशेष रूप से, महिलाओं के लिए नाखूनों का विशेष महत्व है। वह अपने नाखूनों की खूबसूरती बढ़ाने के लिए तरह-तरह के उपाय अपनाती हैं लेकिन क्या आपको पता है कि आपके नाखूनों की स्थिति भी आपके जीवन व व्यक्तित्व के बारे में काफी कुछ बताती है। जिस तरह हर व्यक्ति के हाथों की लकीरें अलग होती हैं, ठीक उसी तरह हर व्यक्ति के नाखून भी अलग होते हैं। ऐसे में आप अपने नाखूनों को देखकर अपने भविष्य के बारे में काफी कुछ जान सकते हैं- 

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टुकड़ों में बंटी विरासत, शानदार रहा है इतिहास, PM पद ठुकराने वाले ताऊ देवीलाल के परिवार की राजनीतिक स्थिति क्या है?
Mri टुकड़ों में बंटी विरासत, शानदार रहा है इतिहास, PM पद ठुकराने वाले ताऊ देवीलाल के परिवार की राजनीतिक स्थिति क्या है?

टुकड़ों में बंटी विरासत, शानदार रहा है इतिहास, PM पद ठुकराने वाले ताऊ देवीलाल के परिवार की राजनीतिक स्थिति क्या है?

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मोहन भागवत ने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए जो पहल की है वही असल में ‘भारत जोड़ो’ है
Politics मोहन भागवत ने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए जो पहल की है वही असल में ‘भारत जोड़ो’ है

मोहन भागवत ने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए जो पहल की है वही असल में ‘भारत जोड़ो’ है राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत और अखिल भारतीय इमाम संघ के प्रमुख इमाम उमर इलियासी दोनों ही हार्दिक बधाई के पात्र हैं। इन दोनों सज्जनों ने जो पहल की है, वह ऐतिहासिक है। इलियासी ने दावत दी और भागवत ने उसे स्वीकार किया। मोहन भागवत मस्जिद में गए और मदरसे में भी गए। मोहनजी ने मदरसे के बच्चों से खुलकर बात की।

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साक्षात्कारः अंकिता भंडारी हत्या मामले को लेकर धामी सरकार पर बरसे कांग्रेस नेता हरीश रावत
Currentaffairs साक्षात्कारः अंकिता भंडारी हत्या मामले को लेकर धामी सरकार पर बरसे कांग्रेस नेता हरीश रावत

साक्षात्कारः अंकिता भंडारी हत्या मामले को लेकर धामी सरकार पर बरसे कांग्रेस नेता हरीश रावत अंकिता भंडारी की दुखद मौत ने ना सिर्फ उत्तराखंड को, बल्कि समूचे देश को झकझोर दिया है। आरोपी पकड़ लिए गए हैं और रिसोर्ट को बुल्डोजर से जमींदोज भी कर दिया गया है। बावजूद इसके जनाक्रोश शांत होने का नाम नहीं ले रहा। क्या आम, क्या खास सभी अंकिता को न्याय दिलवाने की मांग कर रहे हैं। इस कड़ी में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी आरोपियों को सख्त सजा की वकालत कर रहे हैं। घटना से वह दुखी हैं और उनको इस बात का अंदेशा भी है कहीं मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप ना होने लगे। घटना को लेकर डॉ.

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12 साल बाद भी ‘अवतार’ को मिला दर्शकों का प्यार, 4K HDR में फिर से रिलीज हुआ फिल्म ने कमाए 244 करोड़
Hollywood 12 साल बाद भी ‘अवतार’ को मिला दर्शकों का प्यार, 4K HDR में फिर से रिलीज हुआ फिल्म ने कमाए 244 करोड़

12 साल बाद भी ‘अवतार’ को मिला दर्शकों का प्यार, 4K HDR में फिर से रिलीज हुआ फिल्म ने कमाए 244 करोड़ जेम्स कैमरून की 'अवतार' को एक बार फिर से बड़े पर्दे पर 4K HDR में सिनेमाघरों में सिनेमाघरों में रिलीज किया गया था। फिल्म दुनिया की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म पहले ही बन चुकी थी लेकिन एक बार फिल्म फिल्म को नई टेकनोलॉजी के साथ सिनेमाघरों में उतारा गया और उसका जबरदस्त फायदा फिल्म के निर्माताओं की हुआ। इसे भी पढ़ें: 'राम सेतु' की रिलीज डेट आई सामने, अक्षय कुमार ने शेयर की फिल्म की पहली झलक | RamSetu Official Teaser

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‘तिरुमाला ब्रह्मोत्सवम’ जानें इससे जुड़े रोचक  तथ्य और महत्व
Religion ‘तिरुमाला ब्रह्मोत्सवम’ जानें इससे जुड़े रोचक तथ्य और महत्व

‘तिरुमाला ब्रह्मोत्सवम’ जानें इससे जुड़े रोचक तथ्य और महत्व तिरुमाला तिरुपति मंदिर में मनाया जाने वाला ब्रह्मोत्सवम प्रमुख वार्षिक त्यौहारों में से एक माना जाता हैं। नौ दिनों तक मनाया जाने वाला यह धार्मिक उत्सव भगवान वेंकटेश को समर्पित है। इस त्यौहार का भव्य और शानदार तरीके से आयोजन किया जाता है। इस पर्व में सम्मिलित होने के लिए पूरे देश भर से भक्तगण आते हैं और भगवान वेंकटेश के दर्शन करते है। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति भगवान वेंकेटेश्वर के स्नान अनुष्ठान का दर्शन करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस वर्ष ब्रह्मोत्सवम 26 सितम्बर से लेकर 5 अक्टूबर तक मनाया जायेगा। क्यों मनाया जाता है ब्रह्मोत्सवम ?

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नवरात्रि के नौ दिनों में होता है नयी शक्ति का संचार
Religion नवरात्रि के नौ दिनों में होता है नयी शक्ति का संचार

नवरात्रि के नौ दिनों में होता है नयी शक्ति का संचार कहा जाता है कि शारदीय नवरात्रि धर्म की अधर्म पर और सत्य की असत्य पर जीत का प्रतीक हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हीं नौ दिनों में मां दुर्गा धरती पर आती है। उनके आने की खुशी में इन दिनों को दुर्गा उत्सव के तौर पर देशभर में धूमधाम से मनाया जाता हैं।

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Global Citizen Festival के स्टेज पर दिखा प्रियंका चोपड़ा का रोमांटिक अवतार, हजारों लोगों के सामने निक जोनस को किया Kiss
Hollywood Global Citizen Festival के स्टेज पर दिखा प्रियंका चोपड़ा का रोमांटिक अवतार, हजारों लोगों के सामने निक जोनस को किया Kiss

Global Citizen Festival के स्टेज पर दिखा प्रियंका चोपड़ा का रोमांटिक अवतार, हजारों लोगों के सामने निक जोनस को किया Kiss बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा हॉलीवुड तक अपने टैलेंट का परचम लहरा चुकी हैं। अभिनेत्री हर दिन अपने करियर की नई उच्चाईयों को छूती जा रही हैं। इन सबके बीच प्रियंका, शनिवार रात ग्लोबल सिटीजन फेस्टिवल को होस्ट करती दिखीं, जिसका आयोजन शनिवार रात न्यूयॉर्क के सेंट्रल पार्क में हुआ। ग्लोबल सिटीजन फेस्टिवल में अभिनेत्री के अलावा उनके पति निक जोनस भी अपने भाईयों के साथ वहां मौजूद थे। इस दौरान प्रियंका और निक स्टेज पर एक दूसरे के साथ रोमांटिक होते नजर आए। दोनों के कोजी मूमेंट्स कैमरों में कैद हो गए, जो अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं। इसे भी पढ़ें: Justin Bieber ने रद्द किया अपना India Tour, काफी दिनों से बीमार है अमेरिकी सिंगर

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करवाचौथ पर माधुरी दीक्षित के इन लुक्स को करें रिक्रिएट, पति हो जाएंगे फिदा
Beauty करवाचौथ पर माधुरी दीक्षित के इन लुक्स को करें रिक्रिएट, पति हो जाएंगे फिदा

करवाचौथ पर माधुरी दीक्षित के इन लुक्स को करें रिक्रिएट, पति हो जाएंगे फिदा करवाचौथ किसी भी सुहागन स्त्री के जीवन का सबसे बड़ा त्योहार होता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर और पूजा करके ना केवल अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं, बल्कि वह स्वयं के साज-श्रृंगार में भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं। अगर आपने भी इस बार सबसे अलग व खूबसूरत दिखने की तैयारी कर ली है तो पहले एक बार माधुरी दीक्षित के इन लुक्स को जरूर देखें। माधुरी दीक्षित के यह लुक्स किसी भी उम्र की महिला बेहद आसानी से रिक्रिएट कर सकती है। यकीन मानिए, इसके बाद आपके पति की नजरें सिर्फ और सिर्फ आप पर ही टिकी रहेंगी-

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धनिया या नारियल नहीं, बनाएं मूंगफली की चटनी
Women धनिया या नारियल नहीं, बनाएं मूंगफली की चटनी

धनिया या नारियल नहीं, बनाएं मूंगफली की चटनी चटनी खाने में स्वाद को कई गुना बढ़ा देती है। आमतौर पर, लोग धनिया, पुदीना या नारियल की मदद से चटनी बनाना पसंद करते हैं। यकीनन इस तरह बनाई गई चटनी का स्वाद काफी अच्छा होता है। लेकिन इस बार आप कुछ अलग बनाना चाहते हैं तो ऐसे में आप मूंगफली की चटनी बनाकर देखें। यह चटनी स्वाद में तो लाजवाब होती ही है, साथ ही थॉयराइड के मरीजों के लिए भी इसे काफी अच्छा माना गया है। तो चलिए जानते हैं कि किस तरह तैयार करें मूंगफली की चटनी-

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नवरात्रों में कौन से रंग का कपड़ा पहनकर पायें माँ दुर्गा की विशेष कृपा
Jyotish नवरात्रों में कौन से रंग का कपड़ा पहनकर पायें माँ दुर्गा की विशेष कृपा

नवरात्रों में कौन से रंग का कपड़ा पहनकर पायें माँ दुर्गा की विशेष कृपा अभी कुछ ही दिनों के बाद नवरात्र आरंभ हो जाएंगे। इन 9 दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की विशेष तरह से पूजा-अर्चना की जाती है। यदि आप प्रत्येक दिन अलग-अलग रंग के कपड़े पहनकर मां दुर्गा की उपासना करते हैं तो ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से मां भगवती बेहद प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की सारी इच्छाएं पूरी करती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि नवरात्र के अलग-अलग दिन कौन-सा कपड़ा पहन कर माँ भगवती की कृपा पायी जा सकती है। 

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पृथ्वी निरीक्षण उपग्रह अभियान पर मिलकर काम कर रहे हैं इसरो और नासा
Proventhings पृथ्वी निरीक्षण उपग्रह अभियान पर मिलकर काम कर रहे हैं इसरो और नासा

पृथ्वी निरीक्षण उपग्रह अभियान पर मिलकर काम कर रहे हैं इसरो और नासा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा, एक पृथ्वी निरीक्षण उपग्रह अभियान ‘निसार’ (नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रेडार) के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। निसार मिशन जलवायु संकट से निपटने के लिए महत्वपूर्ण डेटा एकत्र करेगा। 

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पिछली सीट पर अनुशासन (व्यंग्य)
Literaturearticles पिछली सीट पर अनुशासन (व्यंग्य)

पिछली सीट पर अनुशासन (व्यंग्य) पिछले दिनों एक ख़ास कार दुर्घटना के कारण तकनीकी दृष्टिकोण से समझाया गया कि पिछली सीट पर भी बैल्ट लगाना ज़रूरी होता है। अब आम गाड़ियों के चालान ज़्यादा हुआ करेंगे।  नई गलती के कारण जुर्माना भरेंगे और व्यक्तिगत गौरव महसूस करेंगे। वैसे भी ख़ास आदमी और ख़ास गाड़ियों की चेकिंग का ख़ास रिवाज़ हमारे यहां नहीं है। आम आदमी तो कानून को ज़रा सा ही तोड़ सकता है, लाल बत्ती क्रासिंग, गलत जगह पार्किंग, गाड़ी चलाते हुए फोन करते हुए कानून तोड़ने में आनंद प्राप्त करता है। एक तरह से स्वतंत्र महसूस करता है। 

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कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नहीं प्रधानमंत्री पद पर है राहुल गांधी की नजर, इसलिए तो कांग्रेस ने यह रणनीति बनाई है
Politics कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नहीं प्रधानमंत्री पद पर है राहुल गांधी की नजर, इसलिए तो कांग्रेस ने यह रणनीति बनाई है

कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नहीं प्रधानमंत्री पद पर है राहुल गांधी की नजर, इसलिए तो कांग्रेस ने यह रणनीति बनाई है कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भले दोबारा पार्टी अध्यक्ष नहीं बनना चाह रहे हों लेकिन उनको बड़ी भूमिका दिये जाने की पटकथा लिखी जा चुकी है। राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा पर हैं और इसके बारे में उनका कहना है कि वह इस यात्रा का नेतृत्व नहीं कर रहे हैं बल्कि इसमें एक सहयात्री के रूप में भाग ले रहे हैं। लेकिन हम आपको बता दें कि यह सहयात्री जब दिल्ली लौटेंगे तो एक बड़ी भूमिका में होंगे। भले पार्टी अध्यक्ष पद गांधी परिवार के पास नहीं होगा लेकिन पार्टी को कैसे आगे लेकर जाना है या चुनावों में कब और क्या भूमिका निभानी है यह सब राहुल गांधी ही तय करेंगे। जहां तक कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव की बात है तो यह करीब-करीब तय हो चुका है कि मुकाबला अशोक गहलोत और शशि थरूर के बीच होगा। यानि लंबे अर्से बाद ऐसा होने जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर का कोई व्यक्ति होगा। इस बारे में कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि गांधी परिवार से पार्टी अध्यक्ष नहीं होगा तो 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को 'परिवारवाद' पर हमला करने का मौका भी नहीं मिलेगा।

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इन टिप्स को अपनाकर हों तैयार, बनायें इस नवरात्रि को ख़ास
Beauty इन टिप्स को अपनाकर हों तैयार, बनायें इस नवरात्रि को ख़ास

इन टिप्स को अपनाकर हों तैयार, बनायें इस नवरात्रि को ख़ास शारदीय नवरात्रि को शुरू होने में बस कुछ ही दिन बाकी है। इस बार के नवरात्र ख़ास है क्योंकि कोरोना महामारी के बाद पूरे दो साल बाद नवरात्रि की हर तरफ रौनक होगी। नवरात्रि के पहले दिन माँ दुर्गा का स्वागत किया जाता है। इस ख़ास और पावन अवसर पर हम माँ दुर्गा के आगमन की तैयारी में इतने व्यस्त हो जाते है कि अपने लिए समय ही नहीं निकाल पाते। अब प्रश्न यह है कि नवरात्रि के ख़ास मौके पर किस तरह से तैयार हो  जिससे हम आकर्षक और फैशनेबल दिखे?

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इस नवरात्रि बनायें ये टेस्टी व्रत डिशेज और पायें सबकी तारीफ़
Women इस नवरात्रि बनायें ये टेस्टी व्रत डिशेज और पायें सबकी तारीफ़

इस नवरात्रि बनायें ये टेस्टी व्रत डिशेज और पायें सबकी तारीफ़ शारदीय नवरात्रि इस बार 26 सितम्बर से शुरू होने वाले है। दोस्तों, यह तो हम जानते ही है कि नवरात्रि के पावन नौ दिनों में लहसुन-प्याज और मांस-मदिरा का सेवन नहीं किया जाता और सात्विकता का पालन किया जाता है। नवरात्रि में व्रत-उपवास रखने की परंपरा है। नौ दिन तक चलने वाले इस विशेष पर्व के दौरान बहुत-से लोग इन नौ दिनों में कठोर व्रत-उपवास का पालन करते हैं। अधिकतर लोग इस दौरान पूरे दिन में सिर्फ एक बार ही फलाहार का सेवन करते हैं और कई लोग शाम में व्रत के लिए बनाये गए स्पेशल खाने का सेवन करते है। जब एक बार ही खाना खाने की बाध्यता हो तो ये जरूरी हो जाता है कि खाना पौष्टिक होने के साथ-साथ स्वादिष्ट भी हो। सामान्यत: लोग उपवास के दौरान इन नौ दिनों में पारंपरिक खाने को ही बनाते हैं हालाँकि इसमें थोड़ा-सा बदलाव करके खाने को और भी ज्यादा टेस्टी बनाया जा सकता है। आज हम आपको नवरात्रि के व्रत में बनायीं जाने वाली कुछ आसान और टेस्टी डिश के बारे में बताने जा रहे है जिन्हें आप घर पर रखे कुछ सामान से ही बना सकती है। तो आइए जानते है:-

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आइए मेरे साथ ट्वेंटी-ट्वेंटी मैच की तर्ज पर घूमें कसौली
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आइए मेरे साथ ट्वेंटी-ट्वेंटी मैच की तर्ज पर घूमें कसौली मेरे घुमक्कड़ी के शौक पर कोरोना और फिर कुछ निजी वजह से ब्रेक लगा है। वैसे सच कहूं तो मैंने अभी तक जितनी भी यात्राएं की हैं, उनमें से लगभग हर जगह को ठीक से एक्सप्लोर न कर पाने की कसक है, लेकिन कहते हैं कि कुछ न होने से कुछ होना अच्छा होता है, सो इसी कारण दो-तीन दिन का टूर बना लेता हूं। इस बार तो कमाल हो गया, कसौली की मेरी यात्रा मात्र पांच घंटे की रही, आप कह सकते हैं कि खंबा छूकर आ गया, लेकिन ट्वेंटी-ट्वेंटी क्रिकेट मैच की तर्ज पर हुए इस टूर ने मुझे मानसिक रूप से बहुत शांति दी। सोलो ट्रैवलिंग पसंद न होने पर भी यह अनुभव बहुत अच्छा रहा।  आइए इसके अनुभव आपसे साझा करता हूं।

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