Politics
Kashi-Mathura: भाजपा के एजेंडे से दूर काशी-मथुरा लेकिन दिल के है करीब
By DivaNews
28 December 2022
Kashi-Mathura: भाजपा के एजेंडे से दूर काशी-मथुरा लेकिन दिल के है करीब अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर निर्माण का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। 2023 में इसके पूरा हो जाने की भी उम्मीद लगाई जा रही है, लेकिन अभी काशी-मथुरा का विवाद बना हुआ है। उम्मीद तो यही है कि अयोध्या की तरह काशी-मथुरा मामले में भी हिन्दू पक्षकारों को न्याय मिलेगा। क्योंकि यह तीन स्थान (अयोध्या-मथुरा-काशी) हिन्दुओं के आस्था के सबसे बड़े धार्मिक प्रतीक हैं। किसी को भले ही यह धार्मिक स्थल तीन शहरों के नाम जैसे लगते हों, लेकिन रामलला, भोलेनाथ और भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए लिए यह स्थान उनका (भक्तों के लिए) सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है। यह वह तीन देव स्थान हैं, जिसको मुगल काल में काफी नुकसान पहुंचाया गया था और जिसे पाने के लिए हिन्दू समाज लम्बे समय से नहीं कई सदियों से कोर्ट से लेकर सड़क तक पर ‘जंग’ लड़ रहा था। मगर तुष्टीकरण की राजनीति के चलते उसे हर तरह से तिरस्कार और अपमान मिल रहा था। कोई भी राजनैतिक दल हिन्दुओं के आस्था के इन प्रतीकों को उन्हें वापस दिलाने के लिए कोई कोशिश तो कर ही नहीं रहा था,बल्कि अड़ंगे भी लगा रहा था। अपवाद के रूप में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) एवं भारतीय जनता पार्टी जरूर हिन्दू पक्ष के साथ खड़ी नजर आती थीं, लेकिन उसने भी अयोध्या में प्रभु रामलला के मंदिर के लिए संघर्ष करने के अलावा काशी-मथुरा से अपने आप को दूर ही रखा था। बीजेपी और आरएसएस ने काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा ईदगाह विवादों से दूरी तो बनाए रखी, लेकिन उसने अपनी इमेज इस तरह की जरूर बनाए रखी जैसे वह काशी-मथुरा की ‘लड़ाई में भी हिन्दुओं के साथ खड़ी हो। क्योंकि जब भी उसके नेताओ से काशी-मथुरा के विवाद की बात की जाती तो उसके, “सच्चाई सामने आनी चाहिए” और “लोगों को अदालत में जाने से नहीं रोका जा सकता” के बयानों को छोड़कर, संगठनात्मक स्तर पर दोनों सीधे मामलों में उलझने से परहेज करते रहे। हालाँकि, 1950 के दशक से काशी संघ परिवार की मुख्य चिंताओं में से एक रहा है। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि वास्तव में मथुरा-काशी विवाद अयोध्या-राम जन्मभूमि मुद्दे से भी पुराना है। आरएसएस ने पहली बार 1959 में अपनी अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) बैठक में काशी विश्वनाथ पर एक प्रस्ताव पारित किया था। अयोध्या पर एक प्रस्ताव 1987 में ही आया था।
read more