वाजपेयी के लक्ष्मण और आडवाणी की रथयात्रा के नेपथ्य़ के अहम किरदार, जिनके लिए कहा गया- ‘पेप्सी और प्रमोद कभी अपना फॉर्मूला नहीं बताते
पूर्व केंद्रीय मंत्री, सांसद और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय प्रमोद महाजन विवाद और आरोप उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे। प्रमोद महाजन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सबसे सफल और शक्तिशाली नेताओं में से एक थे। कोई जमीनी जुड़ाव या राजनीतिक आधार न होने के बावजूद, महाजन न केवल राज्य की राजनीति में बल्कि पूरे देश में एक व्यक्तिगत व्यक्तित्व और अपनी छवि बनाने में कामयाब रहे। 1990 में लाल कृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा का समर्थन करने से लेकर शिवसेना-भाजपा गठबंधन के मुख्य सूत्रधार बनने तक, महाजन भारतीय राजनीति के एक ऐसे किरदार, जो हमेशा राजनीति के केंद्र में रहे। महाजन एक अच्छे वक्ता तो थे ही इसके अलावा अपने श्रोताओं को बहुत अच्छी तरह से पढ़ते और समझते भी थे। पॉलिटिकल मैनेजर शब्द गढ़ा गया था तो महाजन के लिए ही और मैनेजमेंट भी सिर्फ राजनीति का नहीं। अर्थनीति के बिना राजनीति नहीं होती, ये अच्छी तरह समझने वाले प्रमोद महाजन के व्यापार जगत में अच्छे खासे संपर्क थे। वाजपेयी के लक्ष्मण और आडवाणी की रथयात्रा के नेपथ्य़ के अहम किरदार।
प्रारंभिक जीवन
प्रमोद महाजन का जन्म आंध्र प्रदेश के महबूबनगर में एक देशस्थ ऋग्वेदी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वेंकटेश देवीदास महाजन और प्रभावती वेंकटेश महाजन के घर जन्मे प्रमोद पांच बच्चों में से दूसरे नंबर पर आते थे। उनके दो भाई थे, प्रकाश और प्रवीण, और दो बहनें प्रतिभा और प्रदन्या। परिवार उस्मानाबाद से अंबाजोगई में किराए के फ्लैट में रहने लगा। प्रमोद महाजन ने महज 21 साल की उम्र में अपने पिता को खो दिया था। उन्होंने अपनी औपचारिक शिक्षा महाराष्ट्र राज्य के बीड जिले के योगेश्वरी विद्यालय और महाविद्यालय से पूरी की। बाद में उन्होंने रानाडे इंस्टीट्यूट ऑफ जर्नलिज्म, पुणे में प्रवेश लिया जहां उन्होंने भौतिकी और पत्रकारिता में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने उसी कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। प्रमोद महाजन ने 1971 से 1974 तक अंबाजोगई के कोलेश्वर कॉलेज में एक अंग्रेजी शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया, जिसके बाद वे आपातकाल के दौर में राजनीति में शामिल हो गए।
राजनीति में एंट्री
प्रमोद महाजन बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्य थे। हालाँकि, उन्होंने सक्रिय भागीदारी तभी ली जब उन्होंने 1970 और 1971 के वर्षों में पार्टी की मराठी पत्रिका, "तरुण भारत" में उप-संपादक के रूप में काम करना शुरू किया। वह तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकालीन अवधि के खिलाफ खड़े थे और आपातकाल की स्थिति को हटाए जाने तक नासिक जेल में कैद था। 1980 में जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का गठन हुआ, तो वह आरएसएस के उन चुनिंदा सदस्यों में से एक थे, जो भाजपा में शामिल हो गए थे। प्रमोद महाजन ने 1985 तक भाजपा राज्य के महासचिव के रूप में कार्य किया। बीच में, वे 1983 से 1985 तक भाजपा के अखिल भारतीय सचिव बने। उन्होंने 1984 में लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन असफल रहे। इसके बाद, उन्हें 1986 में अखिल भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। उन्होंने 1990 से 1992 तक अन्य अवसरों पर इस पद पर कार्य किया।
13 दिन की सरकार में रक्षा मंत्री के रूप में ली शपथ
प्रमोद महाजन 1986 में पहली बार संसद पहुंचे। बतौर राज्यसभा सांसद तब से लेकर मृत्यु तक वह राज्यसभा सांसद ही रहे सिर्फ दो साल को छोड़कर जब वह लोकसभा में थे। लोकसभा चुनाव वह सिर्फ एक बार जीते। अटल बिहारी वाजपेयी की पहली 13 दिनी सरकार में प्रमोद महाजन ने बतौर रक्षा मंत्री शपथ ली थी। 2004 के लोकसभा चुनावों की रणनीति का जिम्मा प्रमोद महाजन को दिया गया। फील गुड और इंडिया शाइनिंग के नारे अस्तित्व में आए। मगर पार्टी इन सबके बावजूद लोकसभा चुनाव हार गई। महाजन ने व्यक्तिगत तौर पर हार की जिम्मेदारी ली। 22 अप्रैल 2006 को प्रमोद महाजन अपने मुंबई स्थित अपार्टमेंट में परिवार के साथ थे। तभी उनके छोटे भाई प्रवीण महाजन वहां आए। उन्होंने अपनी पिस्टल से प्रमोद पर चार गोलियां दागीं। पहली गोली प्रमोद को नहीं लगी। मगर बाकी तीन प्रमोद के लीवर और पैनक्रिअस में जा धंसी। उन्हें हिंदुजा अस्पताल ले जाया गया। 13 दिन के संघर्ष के बाद दिल का दौरा पड़ने से 3 मई 2006 को प्रमोद का निधन हो गया।
- अभिनय आकाश
Pepsi and pramod never tell their formula