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पृथ्वीराज चौहान की प्रतिमा का राजनाथ ने किया अनावरण, बोले- हमें ग़ुलामी की मानसिकता से बाहर निकलने की आवश्यकता है

पृथ्वीराज चौहान की प्रतिमा का राजनाथ ने किया अनावरण, बोले- हमें ग़ुलामी की मानसिकता से बाहर निकलने की आवश्यकता है

पृथ्वीराज चौहान की प्रतिमा का राजनाथ ने किया अनावरण, बोले- हमें ग़ुलामी की मानसिकता से बाहर निकलने की आवश्यकता है

हरियाणा के झज्जर के कुलाना में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पृथ्वीराज चौहान की प्रतिमा का अनावरण किया। इस दौरान रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय इतिहास के महानायक सम्राट पृथ्वीराज चौहान की प्रतिमा लगाने के फैसले की सराहना जितनी की जाए वह कम है। आप सभी जानते हैं कि वह गुजरात की धरती में पैदा हुए थे। उन्होंने सिर्फ भू-भाग पर हुकूमत नहीं की थी बल्कि अपनी जनता के दिलों में भी राज किया था। उन्होंने साफ कहा कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान की गिनती भारतवर्ष के उन महान शासकों में होती है जिन्होंने केवल एक बड़े भूभाग पर ही राज नही किया बल्कि अपने शौर्य, पराक्रम, न्यायप्रियता और जन कल्याण के चलते जनता के दिलों पर भी राज करने में कामयाबी हासिल की।
 

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रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि मेरा यह मानना है कि सम्राट पृथ्वीराज भारत की उस सांस्कृतिक चेतना और परंपरा के अंतिम शासक थे जो इस देश की मिट्टी में पैदा हुई और पली बढ़ी। उन्होंने कहा कि तराईन की पहली लड़ाई 1191में जीतकर पृथ्वीराज चौहान ने दुश्मन के प्रति सदाशयता दिखाते हुए उसे जिंदा वापिस लौटने दिया। परिणाम यह हुआ कि अगले ही साल मुम्मद गोरी एक बड़ा लाव लश्कर लेकर आया और पृथ्वीराज चौहान को इस बार हार का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दुश्मन के साथ मानवीय व्यवहार करना या सदाशयता दिखाकर उसे माफ कर देना अच्छी बात है। मगर उसे इतना मौका दे देना कि वह दुबारा पलटकर आप पर हमला कर दे, इसे हमारे यहां ‘सद्गुण विकृति’ कहा गया है। 

राजनाथ ने कहा कि यह सद्गुण विकृति केवल सम्राट पृथ्वीराज चौहान की समस्या नहीं थी। यह समस्या धीरे-धीरे पैदा हुई जब भारत अपने आर्थिक और सांस्कृतिक वैभव पर पहुंचा, तो हमने शांति को सर्वाधिक प्राथमिकता दी। हमने युद्ध को त्याग कर बुद्ध को अपनाया और पूरे समाज में शांति और अहिंसा संदेश दिया गया। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने कह दिया कि भारत एक राष्ट्र है ही नहीं। India is a nation in the Making. जबकि उत्तरं यत् समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्, वर्ष तद् भारतं नाम भारती यत्र सन्तति का भाव इस देश में सदियों से है। ‘आसेतु हिमाचल’ की बात भी भारत की एकता और स्वरूप को परिभाषित करती है। 
 

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भाजपा नेता ने साफ शब्दों में कहा कि हमें ग़ुलामी की मानसिकता से बाहर निकलने की आवश्यकता है। हाल में ही अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही राजशाही मानसिकता को त्याग कर राजपथ का नाम कर्तव्य पथ कर दिया है और इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र की एक भव्य प्रतिमा भी लगा दी है। उन्होंने कहा कि हाल ही में भारतीय नौसेना का अंग्रेजी निशान भी बदल दिया गया है। भारत के युद्ध पोतों पर अब सेंट जार्ज का क्रास नहीं भारतीय नौसेना के जनक छत्रपति शिवाजी महाराज की मुहर से प्रेरित निशान लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि G-20 के लोगो में कमल का फूल देखकर कुछ लोग हंगामा खड़ा कर रहे हैं। कमल का फूल 1950 में भारत का राष्ट्रीय पुष्प घोषित किया गया था। उन्होंने यह इसलिए किया था, क्योंकि कमल का फूल इस देश की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है।

Rajnath unveiled statue of prithviraj chauhan we need to get out of the slavery mentality

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