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रामायण बनाकर रामानंद सागर ने सभी रामभक्तों को एक डोर में बांध दिया था…

रामायण बनाकर रामानंद सागर ने सभी रामभक्तों को एक डोर में बांध दिया था…

रामायण बनाकर रामानंद सागर ने सभी रामभक्तों को एक डोर में बांध दिया था…

जैसे ही 1980 के दशक में मध्यवर्गीय भारतीयों के रहने वाले कमरे में टेलीविजन हावी होने लगा, महाकाव्य रामायण पर आधारित एक धारावाहिक राज्य द्वारा संचालित दूरदर्शन चैनल पर प्रसारित किया गया। यह इतना लोकप्रिय हो गया कि जैसे ही शाम के समय यह टीवी पर प्रसारित होता पूरा मोहल्ला टेलीविजन की स्क्रीन के सामने इकट्ठा हो जाता था। लोग काम छोड़ देते थे और शो देखने के लिए समय पर घर पहुंच जाते थे। यकीन मानिए महौल कुछ ऐसा होता था कि शो के प्रसारित होने पर सड़कें सुनसान हो जाती थीं। कुछ अनुमानों के अनुसार, आठ में से एक भारतीय ने शो देखा और विज्ञापनदाताओं ने स्लॉट भरने के लिए दौड़ लगा दी। रामानंद सागर की रामायण को उत्तर और दक्षिण भारत दोनों में दर्शकों की संख्या के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। रामानंद सागर की 'रामायण' के 78 एपिसोड्स प्रसारित हुए थे और हर एपिसोड 35 मिनट का होता था। इस सीरियल को पहले एपिसोड से ही दर्शकों का ढेर सारा प्यार मिला।

रामानंद सागर थे सच्चे राम भक्त
रामानंद सागर अपने आपको रामभक्त कहते थे। कहा जाता है कि लोकप्रिय रामायण का उन्होंने लवकुश कांड काफी लंबे ब्रेक के बाद बनाया था। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया था कि सीता मां को वन भेजने के श्री राम के निर्णय को वह स्वीकार नहीं पा रहे थे, लेकिन जब उन्होंने रामायण का गहन किया और लगातार लोगों की बढ़ती मांग के बाद उन्होंने रामायण का लवकुश कांड बनाया। आखिर यह इतनी मशहूर और लोकप्रिय कैसे हुई। इसके पीछे हैं राम भक्त रामानंद सागर की सच्ची भक्ति। रामानंद सागर ने बिना कोई काल्पनिक या वैचारिक तत्व को जोड़ा रामायण बनाई। उन्होंने रामायण की कास्ट के लिए खुद चुन-चुन को ऑडिशन लिए और उनमें से हीरे चुने। धारावाहिक के निर्माता रामानंद सागर ने वाल्मीकि की रामायण से प्रेरणा ली। धारावाहिक अक्सर अपने सौंदर्यशास्त्र में मेलोड्रामैटिक और ओवर-द-टॉप था, लेकिन धारावाहिक महाकाव्य ने दर्शकों का ध्यान सप्ताह दर सप्ताह खींचता रहा। 

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रामानंद सागर कौन थे? 
रामानंद सागर (29 दिसंबर 1917-12 दिसंबर 2005) का असली नाम चंद्रमौली चोपड़ा था। मां के निधन के बाद चंद्रमौली को उनके मामा ने गौद ले लिया था जहां उनका नाम रामानंद सागर पड़ गया। मामा ने गौद तो ले लिया था लेकि इसके बावजूद उनका जीवन काफी संघर्ष से भरा रहा। रामानंद सागर को पढ़ने लिखने का काफी  शौख था। वह बहुत अच्छा लिखते थे। उन्होंने अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए चपरासी से लेकर साबुन बेचने तक का काम किया। इन छोटे-मोटे कामों से वह जो कमाने उससे अपनी पढ़ाई करते थे। अपनी पढ़ाई पूरा करने के बाद वह एक भारतीय फिल्म निर्देशक बने। वह रामायण टेलीविजन श्रृंखला बनाने के लिए सबसे प्रसिद्ध हैं, जो इसी नाम के प्राचीन भारतीय महाकाव्य का 78-भाग का टीवी रूपांतरण है, जिसमें अरुण गोविल ने भगवान राम और दीपिका चिखलिया ने सीता के रूप में अभिनय किया था।  इस टीवी धारावाहिक को तब पूरे देश में व्यापक रूप से देखा और पसंद किया गया था। भारत सरकार ने उन्हें 2000 में पद्म श्री के नागरिक सम्मान से सम्मानित किया। 

- रेनू तिवारी

Ramanand sagar death anniversary 2022

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