दिलचस्प रहा है गुजरात का राजनीतिक इतिहास हिंदुत्व के दम पर भाजपा ने कांग्रेस को किया सत्ता से बेदखल
गुजरात भारत का एक समृद्ध राज्य है। गुजरात चुनाव के इतिहास की बात करें तो सबसे पहला चुनाव साल 1934 में हुआ था। गुजरात तब बॉम्बे (मुंबई) का हिस्सा था। अहमदाबाद से गणेश वासुदेव मावलंकर ने चुनाव जीता और 1934 से 1946 तक बॉम्बे प्रेसीडेंसी के अध्यक्ष बने रहे।
गुजरात राज्य का गठन
8 अगस्त 1956 को अहमदाबाद के कुछ कॉलेज के छात्र अलग राज्य की मांग को लेकर लाल दरवाजा के पास स्थानीय कांग्रेस हाउस पहुंचे थे। राज्य भर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू किया गया। इस बीच इंदुलाल याज्ञनिक ने राजनीति से संन्यास ले लिया और आंदोलन का मार्गदर्शन करने के लिए महागुजरात जनता परिषद की स्थापना की। इंदुलाल अखिल भारतीय किसान सभा के नेता थे जिन्होंने महागुजरात आंदोलन का नेतृत्व किया था और 8 अगस्त 1956 को गुजरात के अलग राज्य की मांग की अगुवाई की थी। उन्हें इंदु चाचा के नाम से भी जाना जाता है। 1 मई, 1960 को बॉम्बे पुनर्गठन अधिनियम के तहत महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों को विभाजित और राज्य का दर्जा दिया गया था। बॉम्बे राज्य को दो राज्यों में विभाजित किया गया था, जिनमें से एक में गुजराती और कच्छी प्राथमिक भाषाएँ थीं, जबकि दूसरे में मराठी और कोंकणी शामिल थी।
हिंदुत्व की शुरुआत
1960 का दशक उथल-पुथल से भरा हुआ रहा लेकिन इसके साथ ही हिंदुत्व की शुरूआत भी हो गई थी। स्वतंत्रता के बाद के भारत के सबसे भयानक दंगों में से एक साल 1969 में हुए अहमदाबाद दंगों ने दो समुदायों के बीच एक दीवार खड़ी कर दी। 1960 के दौरान आरएसएस और जनसंघ के नेता द्वारा कई जन रैलियां निकाली गई थी।
नवनिर्माण आंदोलन
साल 1974 में अहमदाबाद के इंजीनियरिंग छात्रों ने नवनिर्माण आंदोलन की शुरूआत की। यह आंदोलन होस्टल की फीस में वृद्धि के कारण चलाया गया था और ये आग की तरह पूरे राज्य भर में तेजी से फैल गया। लोगों ने महंगाई के लिए इंदिरा गांधी, सीएम मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया था। जब 1975 में आपातकाल की घोषणा की गई तब गुजरात में, आपातकाल के खिलाफ जेपी के आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संगठन में आरएसएस के प्रतिनिधि युवा नरेंद्र मोदी शामिल हुए थे।
1977 लोकसभा चुनाव
गुजरात उन राज्यों में से था जहां से आपातकाल के खिलाफ नागरिक प्रतिरोध शुरू हुआ था। इसी से जनता पार्टी गठबंधन सत्ता में आई। जनसंघ ने 1975 में 18 सीटों के साथ अपनी छाप छोड़ी थी।
सोलंकी युग
पूर्व पत्रकार और साहित्य के शौकीन माधवसिंह सोलंकी क्षत्रिय समुदाय के पहले मुख्यमंत्री थे जो बाद में ओबीसी में गिने जाने लगे। 1980-85 के दूसरे कार्यकाल के दौरान पीएम मोदी से पहले उन्हें पूरा कार्यकाल पूरा करने वाले पहले और एकमात्र सीएम बनाकर उन्होंने जाति समीकरणों को काफी हद तक बदल दिया।
बीजेपी का आगमन
1991: लोकसभा परिणाम: भाजपा: 20, कांग्रेस: 5, जद (गुजरात): 1
1995: विधानसभा चुनाव: भाजपा: 121, कांग्रेस: 45
राम जन्मभूमि अभियान के कारण भाजपा ने 1991 में बड़ी जीत हासिल की थी। साल 1995 में गांधीनगर में बीजेपी सत्ता में आई, जिसमें केशुभाई पटेल और मोदी ने एक किंगमेकर की भूमिका निभाई।
गुजरात और भाजपा
भाजपा ने गुजरात को अपना घरेलू मैदान बनाया और राज्य को 'हिंदुत्व की प्रयोगशाला' कहा जाने लगा। लेकिन 2001 के भूकंप के बाद केशुभाई एक के बाद एक स्थानीय निकाय के उपचुनाव हारते जा रहे थे। जहां कांग्रेस सत्ता में आने की कोशिश कर रही था तो वहीं भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं ने 2002 के चुनावों से पहले एक नए मुख्यमंत्री के साथ सत्ता विरोधी लहर को मात देने का फैसला किया। इसके लिए नरेन्द्र मोदी को चुना गया, उन्होंने कहा कि उन्हें टेस्ट मैच के बजाय एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय खेलने का काम सौंपा गया था। 2001 में, उपचुनावों में 2 विधानसभा सीटों की हार के बाद, केशुभाई पटेल ने इस्तीफा दे दिया और नरेंद्र मोदी को सत्ता सौंप दी। 2002 के चुनाव में भाजपा ने बहुमत बरकरार रखा और नरेंद्र मोदी ने 7 अक्टूबर 2001 से 21 मई 2014 तक राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।
2022 का गुजरात
भूपेंद्र रजनीकांत पटेल ने 13 सितंबर, 2021 को गुजरात के 17वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। भूपेंद्रभाई पटेल ने मेमनगर नगरपालिका में एक सदस्य के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की और 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में घाटलोडिया निर्वाचन क्षेत्र अहमदाबाद से विधायक चुने गए। 1995 से गुजरात विधानसभा चुनावों के बाद बहुमत के साथ भारतीय जनता पार्टी का नियंत्रण बना हुआ है। 14 वीं गुजरात विधानसभा वर्तमान विधानसभा है जिसमें 111 भाजपा सदस्य बहुमत बना रहे हैं। आगामी 2022 गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 के अंत तक होने की उम्मीद है।
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