कांटे की चुनावी लड़ाई वाले हिमाचल के विधानसभा चुनावों में इस बार बहुत कुछ नया है
हिमाचल प्रदेश में 68 सदस्यीय विधानसभा के चुनावों की तारीखों को ऐलान के साथ ही चुनावी शंखनाद हो गया है। देखा जाये तो हिमाचल का चुनाव कोरोना काल के बाद पहला चुनाव भी है जिसमें किसी तरह का कोविड प्रोटोकॉल नहीं होगा। हम आपको याद दिला दें कि कोरोना काल में 2020 में बिहार, 2021 में असम, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और इस साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में चुनाव कराना आयोग के लिए कड़ी मशक्कत का काम रहा था।
जहां तक हिमाचल के राजनीतिक परिदृश्य की बात है तो हम आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश में वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। हिमाचल प्रदेश के हालिया वर्षों के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो यहां जनता एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका देती रही है। लेकिन भाजपा ने सत्त में लौटने के लिए पूरी जान लगा रखी है। भाजपा का दावा है कि वह उत्तराखण्ड की तरह ही हिमाचल में भी नया चुनावी इतिहास लिखेगी। उल्लेखीनय है कि इस साल हुए उत्तराखण्ड विधानसभा चुनावों में भी भाजपा स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में लौटी थी। जबकि उत्तराखण्ड की जनता भी इससे पहले एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका देती रही है।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव इस मायने में अहम हैं कि आजाद भारत में हिमाचल का यह पहला चुनाव होगा जब कांग्रेस के दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह की अनुपस्थिति में यह चुनाव होगा। हिमाचल में इससे पहले सभी चुनावों में वीरभद्र सिंह ने ही कांग्रेस का नेतृत्व किया। उनके निधन के बाद कांग्रेस की प्रदेश इकाई विभिन्न धड़ों में बंटी हुई है। हाल ही में कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष समेत कई और नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं। कांग्रेस ने यहां चुनाव प्रचार भी उस दिन शुरू किया जिस दिन चुनाव की तिथियों का ऐलान हुआ जबकि भाजपा यहां दो महीने पहले से रोड शो और जनसभाएं कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार यहां के दौरे कर रहे हैं। एक दिन पहले ही उन्होंने राज्य को वंदे भारत एक्स्रपेस ट्रेन देने के साथ ही विभिन्न विकास परियोजनाओं की सौगात दी और दो जिलों में जनसभाओं को भी संबोधित किया। प्रधानमंत्री हाल ही में कुल्लू दशहरा उत्सव में भी शामिल हुए थे। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी लगातार हिमाचल प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। कांग्रेस की तरह यहां भाजपा में कोई गुट नजर नहीं आ रहा है। बल्कि पूरी पार्टी एकजुट नजर आ रही है। यहां मुख्यमंत्री उम्मीदवार को लेकर भी कोई उठापटक नहीं दिखाई दे रही है। माना जा रहा है कि निवर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को ही भाजपा दोबारा मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बना सकती है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर भी हिमाचल प्रदेश के विभिन्न इलाकों का दौरा कर रहे हैं।
हिमाचल में अब तक मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होता आया है लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी भी मैदान में है। आम आदमी पार्टी अपनी मुफ्त रेवड़ी वाली संस्कृति से हिमाचल के लोगों को भी लुभाने की कोशिश कर रही है इसलिए देखना होगा हिमाचल की जनता इस पार्टी को कितना आशीर्वाद देती है। हिमाचल प्रदेश में विकास जहां मुख्य चुनावी मुद्दा है वहीं पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग भी तेजी पकड़ रही है। केंद्र की मोदी सरकार ने हाल ही में हिमाचल में हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा दिया था। माना गया था कि सरकार के इस फैसले से सिरमौर जिले की 1.60 लाख से अधिक की आबादी लाभान्वित होगी क्योंकि चार विधानसभा क्षेत्रों- रेणुका, शिलाई, पच्छाद और पांवटा के बड़े भू-भाग पर रहने वाले लोगों को इसका लाभ मिलेगा। वैसे हिमाचल में अभी तक की राजनीतिक स्थिति यही दर्शा रही है कि यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई है। कांग्रेस जिन आंतरिक संकटों से जूझ रही है यदि उसके बीच हिमाचल में वह कुछ कर पाई तो यकीनन उसके लिए उत्साह की बात होगी लेकिन यदि भाजपा अपनी सत्ता बरकरार रखने में सफल रही तो उसका विजय रथ और आगे बढ़ जायेगा।
-नीरज कुमार दुबे
This time there is a lot of new in himachal pradesh assembly elections