महज 18 साल की उम्र में टीपू सुल्तान ने अंग्रेजों से लिया था लोहा
टीपू का पूरा नाम सुल्तान फ़तेह अली खान था। टीपू नाम उन्हें उनके पिता हैदर अली के द्वारा दिया गया। हैदर अली का सबसे बड़ा बेटा टीपू सुल्तान अपनी बहादुरी के लिए जाना जाता है। टीपू सुल्तान को फ़्रांसिसी अधिकारियों के द्वारा सैनिक प्रशिक्षण दिया गया। टीपू ने मात्र 18 साल की उम्र में अंग्रेजों के साथ पहला युद्ध किया और जीत हासिल की।
क्यों कहा गया मैसूर टाइगर
टीपू सुल्तान ने टाइगर को अपने शासन का प्रतीक चिन्ह बनाया था। इतिहासकारों के मुताबिक जंगल में शिकार के समय उनका सामना टाइगर से हो गया था उस वक़्त टाइगर ने उन पर हमला कर दिया। टीपू ने बहुत ही बहादुरी के साथ टाइगर का सामना किया और टाइगर को मार गिराया। तभी से उन्हें मैसूर टाइगर का ख़िताब दिया गया।
मशहूर है टीपू सुलतान की तलवार
टीपू सुलतान के बारे बहुत सी कहानियां प्रचलित है जिनमें से एक रोचक कहानी यह है कि टीपू सुल्तान को उसकी तलवार बहुत प्रिय थी। कहते है टीपू की तलवार में एक सोने का बाघ बना हुआ था जिसमें बहुत से रत्न जड़े हुए थे। टीपू अपनी तलवार को हमेशा अपने साथ ही रखता था। टीपू की मौत के बाद भी उसकी तलवार उसके पास ही पड़ी हुयी थी। टीपू की तलवार का वज़न 7 किलो से ज्यादा है और इसकी कीमत करोड़ो में है। कहते है उसकी तलवार पर लिखा है 'ए मेरे मालिक मुझपें इतनी रहमत कर कि मै दुनिया से काफ़िरो को खत्म कर सकूं' टीपू की मौत के बाद अंग्रेज उसकी तलवार को अपने साथ ले गए।
इतिहास का मिसाइल मैन
टीपू सुल्तान को इतिहास का मिसाइल मैन भी कहा गया है। टीपू ने मैसूरियन रॉकेट का ईज़ाद कराया जो दुनिया का पहला रॉकेट कहा जाता है। देश की आज़ादी के बाद अंग्रेज इन मिसाइल को अपने साथ ले गए और आज इसे विरासत के तौर पर संभल कर रखा है।
लाखों हिन्दुओं का हत्यारा
टीपू ने अपने शासन काल में लगभग 5 लाख हिन्दुओ को जबरिया मुसलमान बनने पर मज़बूर किया। कहते है टीपू ने एक बड़ी संख्या में हिन्दुओं का कत्ल करा दिया था। इतिहासकारों के मुताबिक टीपू ने हज़ारों हिन्दू मंदिरों को नष्ट करा दिया। टीपू ने मैसूर को मुस्लिम राज्य बनाने का एलान कर दिया था।
4 मई 1799 को श्री रंगपट्टनम में उसकी मौत हो गयी। उसकी समाधि श्रीरंगपट्टनम में बनी हुयी है।
Tipu sultan birth anniversary 2022