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गांधीजी के आदर्श को समझकर विश्व में शांति स्थापित करना विशेष रूप से जरूरी: मगनभाई पटेल

गांधीजी के आदर्श को समझकर विश्व में शांति स्थापित करना विशेष रूप से जरूरी: मगनभाई पटेल

गांधीजी के आदर्श को समझकर विश्व में शांति स्थापित करना विशेष रूप से जरूरी: मगनभाई पटेल

ऑल इण्डिया एमएसएमई फेडरेशन के अध्यक्ष श्री मगनभाई पटेल ने समग्र देशवासिओ को विक्रम संवत २०७९ नूतनवर्ष की शुभकामना देते हुए एक प्रेस विज्ञपती मे जानकारी देते हुए कहा है की भारत सरकार के फॉर्मूले के मुताबिक देश में मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर समेत करीब ६ करोड़ एमएसएमई हैं, जिनमें एक यूनिट में एक प्रोपराइटर, चार से पांच पार्टनर या एक प्राइवेट कंपनी होती है, जिसमें आठ से दस डायरेक्टर होते हैं। ६ करोड़ इकाइयों में १२ करोड़ उद्यमी काम कर रहे हैं।इसे देखें तो एक यूनिट में औसतन २ मालिक होते हैं, इस तरह ६ करोड़ यूनिट में १२ करोड़ उद्यमी काम कर रहे हैं। ये इकाइयां ग्रामीण क्षेत्रों से अकुशल श्रमिकों को रोजगार प्रदान करती हैं और इसी तरह राज्य और राष्ट्रीय आईटीआई, डिप्लोमा पॉलिटेकनिक से ५ प्रतिशत लार्ज स्केल और ५ प्रतिशत अन्य कॉर्पोरेट क्षेत्रों में जाते हैं। शेष करीब ९० प्रतिशत को एमएसएमई रोजगारी प्रदान करती हैं और उनके अनुभव के आधार पर कॉर्पोरेट एव बड़े क्षेत्र लेते हैं। इस तरह एमएसएमई एक प्रशिक्षण संस्थान भी है। देश में सबसे छोटे से छोटा आदमी सूक्ष्म उद्योग शुरू करके कॉर्पोरेट क्षेत्रों के मालिक बने हो ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं। इस क्षेत्र में ये इकाइयां सरकार के कई वित्तीय संस्थानों, मार्केटिंग, काउंसलिंग, गुणवत्ता नियंत्रण योजनाओं के माध्यम से परिणामलक्षी तरीके से काम कर रही हैं। इन इकाइयों का निर्यात में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष हिस्सेदारी ६० प्रतिशत है और एमएसएमई क्षेत्र का भी आयकर, जीएसटी या अन्य करों में लगभग ५० प्रतिशत प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष हिस्सेदारी है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि एमएसएमई शिक्षित बेरोजगारों को समायोजित करनेवाला क्षेत्र है। यदि एक इकाई में १ लिपिक या तकनीकी व्यक्ति की भर्ती की जाती है, तो ६ करोड़ को नियोजित किया जा सके ऐसा मंदिर समान क्षेत्र है। 
 

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आज माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी एव केंद्रीय MSME मंत्री श्री नारायण राणेजी के नेतृत्व में एमएसएमई क्षेत्र उत्पादन और गुणवत्ता के मामले में सबसे आगे बढ़ रहा है तब देश के करीब १३५  करोड़ नागरिकों को नूतनवर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। आज जब दुनिया के कई देश युद्ध की स्थिति से गुजर रहे हैं जैसे रूस, यूक्रेन, ताइवान, चीन, उत्तर कोरिया, नाटो से जुड़े यूरोपीय देश और अमेरिका जैसे देश जो उनका समर्थन करते हैं, जिसमें अनेक निर्दोष लोग अपनी जान गंवा रहे हैं तब नए साल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी के आदर्शों को समझकर विश्व में शांति स्थापित करना विशेष रूप से जरूरी है और इसके लिए महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मूजी, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह, रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह, विदेशमंत्री श्री डॉ. एस. जयशंकर के साथ-साथ देश के बड़े राजनीतिक दल इसके लिए हर धर्म के पदाधिकारीगण से सलाह मशवरा करके विश्व में शांति स्थापित करने का प्रयास केवल हिन्दुस्तान कर सकता है क्योंकि हिन्दुस्तान महात्मा गांधीजी के सत्य, अहिंसा जैसे आदर्शों पर चलनेवाला देश है। यदि इन आदर्शों को विश्व समुदाय या नेतृत्व द्वारा अपनाया जाए तो निश्चित रूप से हम विश्व में शांति स्थापित करने में कामयाब होंगे। पुरे विश्व में शांति के लिए किये जानेवाले परामर्श में ईश्वर सफलता प्रदान करें ऐसी हमारी कामना है साथ ही हम ईश्वर, अल्लाह और गॉड से प्रार्थना करते हैं कि वैश्विक नेतृत्व को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर पूरी दुनिया में शांति स्थापित करने के लिए प्रेरित करें।

आज देश में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो सामाजिक व्यवस्था के तहत उसका अंतिम कार्य श्मशान, कब्रस्तान जैसी जगह पर किया जाता है। किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके रिश्तेदार द्वारा मृतक आत्मा की शांति के लिए भजन-कीर्तन, कथा, जरूरतमंद को दान जैसे धार्मिक कार्य किये जाते हैं। इन रिश्तेदारों में माता-पिता, भाई, बहन, बेटा या बेटी या अन्य रिश्तेदार हो सकते हैं। देश में किसी मृत व्यक्ति या ब्रेनडेड व्यक्ति द्वारा अंगदान किया जाता है जिसमें किसी अन्य व्यक्ति को जीवन देने के लिए चिकित्सा विज्ञान के आधार पर किडनी,लिवर,आंख या शरीर के अन्य अंग को किसी अन्य व्यक्ति में प्रत्यारोपित किया जाता है, जिससे अन्य व्यक्ति को जीवनदान मिल सके। इस कार्य से मरनेवाले की आत्मा को बहुत शांति मिलती है और इस कार्य में भाग लेने वाले व्यक्ति के रिश्तेदारों या डॉक्टरों को भी इस सेवा का बड़ा फल मिलता है।
 

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अभी हाल ही मे गुजरात के अहमदाबाद में पद्म श्री डॉ. एच.एल. त्रिवेदी किडनी अस्पताल, सिविल अस्पताल, असारवा में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में गुजरात राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्री ऋषिकेशभाई पटेल, गुजरात के पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री नितिनभाई पटेल, गुजरात भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्री सी.आर.पाटिल, किडनी और लीवर अस्पताल के वाइस चांसलर डॉ. प्रांजल मोदी, पद्म श्री डॉ.एच.एल.त्रिवेदी की धर्मपत्नी श्रीमती सुनीताबेन त्रिवेदी,ऑल इंडिया एमएसएमई फेडरेशन और श्री सौराष्ट्र पटेल सेवा समाज के अध्यक्ष श्री मगनभाई एच.पटेल, किडनी अस्पताल के डायरेक्टर श्री विनीत मिश्रा और माधव रामानुज,सामाजिक अग्रणी, डॉक्टर, सामाजिक संगठनों के प्रमुख उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में डॉ. प्रांजल मोदीने स्वास्थ्य पर अपने अनुभवों के बारे में जो बात की उसे आज के चिकित्सा विज्ञान, देश और दुनिया को समझने की जरुरत है। इस कार्यक्रम में करीब १२० ब्रेइनडेड व्यक्तियों का अंगदान हुआ, जिनमे किडनी और लिवर के जिन दर्दीओ को अंगदान प्राप्त हुआ था वे आज स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। इस कार्यक्रम में ब्रेइनडेड व्यक्तिओ के परिजन भी मौजूद थे और उन्हें भी सम्मानित किया गया था। इस कार्यक्रम में वे लाभार्थी दर्दी भी उपस्थित थे जिनके शरीर के अंग प्रतिरोपित किए गए थे। इस बात का वर्णन इसलिए किया जा रहा है क्योंकि आज के प्रदूषित वातावरण, जहरीले उर्वरकों और कीटनाशकों से उत्पन्न भोजन, कीटनाशक चारे चरनेवाली दुधारू गायों और उनके दूध उत्पादों का स्वास्थ्य पर सीधा और गंभीर प्रभाव पड़ रहा है और जितना खर्च भोजन में होता है उससे भी ज्यादा खर्च दवाई में होता है।मिलावटी भोजन के कारण सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ जैसे अनाज, सूखे मेवे, रसायनों से पके फल और अन्य खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं जिन्हें राज्य के संबंधित स्वास्थ्य विभाग द्वारा ध्यान में रखा जाना चाहिए और दंडात्मक कार्रवाई की भी आवश्यकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुखभाई मांडविया और उनकी टीम, गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री श्री ऋषिकेशभाई पटेल और उनकी टीम और देश के सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री और उनकी टीमें बहुत सक्रिय हैं, जिसमें अगर हम आर्थिक और अन्य तरीकों से मदद करते हैं, तो हम निश्चित रूप से इस समस्या को कम कर सकते है।

आज नए साल में देश के हर नागरिक का धर्म है कि वह अपने माता-पिता एव जरुरियातमंद स्वजन और समग्र देशवासीओ की सेवा करे, उनकी देखभाल करे, उनके रहन-सहन और खान-पान का ध्यान रखे और उनकी सभी जरूरतों को भक्तिभावपूर्वक पूरा करे, जिससे समाज में उनका मान सम्मान बना रहे। यह सच्चे अर्थों में ईश्वर की भक्ति मानी जाएगी। किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद किए गए सभी कार्य एक सामाजिक व्यवस्था है जबकि जीवित रहते हुए अपने माता-पिता या रिश्तेदारों की सेवा करना सच्चे अर्थों में ईश्वर की सच्ची भक्ति है। देश के सभी राजनीतिक दल,सामाजिक संगठनों के प्रमुख या किसी भी धर्म के नेता आज की पीढ़ी को अपने भाषण के माध्यम से,सोशल मीडिया के माध्यम से या अपने लेखों के माध्यम से प्रिंट मीडिया एवं इलेक्ट्रॉनिक मिडिया के माध्यम से इस के बारे मे बताएंगे तो आज देश में जिस तरह स्वास्थ्य, शिक्षा और राजनीति का व्यावसायीकरण हो रहा है उसे हम निश्चित रूप से रोक पाएंगे।

इस प्रकार मृत्यु के पूर्व किया गया सेवा-कार्य धर्म है, जबकि मृत्यु के बाद की क्रिया समाज में दिखावा करने की एक सामाजिक व्यवस्था है, यह किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करती है। नए साल में अगर देश का हर नागरिक अपने माता-पिता, रिश्तेदारों या जरुरियातमंद लोगों की सेवा करने का संकल्प ले, तभी इसे सही मायने में देश सेवा कहा जा सकता है।

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