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ISI बेस्ट स्पाई एजेंसी, आतंकवादियों को भारत करता है फंडिंग, राहुल के Bharat Jodo Yatra में शरीक पूर्व रॉ चीफ की बातें जोड़ने वाली तो कतई नहीं है

ISI बेस्ट स्पाई एजेंसी, आतंकवादियों को भारत करता है फंडिंग, राहुल के Bharat Jodo Yatra में शरीक पूर्व रॉ चीफ की बातें जोड़ने वाली तो कतई नहीं है

ISI बेस्ट स्पाई एजेंसी, आतंकवादियों को भारत करता है फंडिंग, राहुल के Bharat Jodo Yatra में शरीक पूर्व रॉ चीफ की बातें जोड़ने वाली तो कतई नहीं है

राहुल गांधी के नेतृत्व में निकाली जा रही कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा यूपी में दाखिल हो गई है। छह दिन के ब्रेक के बाद यात्रा एक बार फिर से शुरू हो चुकी है। कांग्रेस नेताओं का दावा है कि यात्रा के जरिये पार्टी के साथ जन समर्थन जुट रहा है। इस बीच 3 जनवरी को रॉ के पूर्व चीफ एएस दुलत भी राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए। एएस दुलत 1999 से साल 2000 तक रॉ के चीफ रहे हैं। इसे लेकर बीजेपी ने दुलत को निशाने पर लिया है। बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने ट्वीट करते हुए कहा कि दुलत ने कश्मीर संकट को यादगार बनाने का काम किया था। ऐसे में आइए जानते हैं कौन हैं पूर्व रॉ चीफ एएस दुलत और उनके भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के क्या मायने हैं?

कौन हैं एएस दुलत?

पूर्व रॉ प्रमुख अमरजीत सिंह दुलत का जन्म दिसंबर 1940 में पंजाब के सियालकोट में हुआ था। भारत के विभाजन के समय उनके पिता, न्यायमूर्ति शमशेर सिंह दुलत, आईसीएस, दिल्ली में तैनात थे। दुलत की शिक्षा बिशप कॉटन स्कूल, शिमला और पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में हुई। उच्च शिक्षा के बाद एएस दुलत दुलत 1965 में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और फिर 1969 में इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) में शामिल हुए, जहां उन्होंने लगभग तीस वर्षों तक सेवा की। 

बीजेपी ने कश्मीर विवाद बढ़ाने का लगाया आरोप

भाजपा ने रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व सचिव अमरजीत सिंह दौलत पर जमकर निशाना साधा है। बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्विटर पर कहा कि भारत की खुफिया एजेंसी के पूर्व प्रमुख की कश्मीर की तबाही में 'स्मारकीय भूमिका' थी। मालवीय ने ट्वीट करते हुए कहा कि विवादास्पद पूर्व रॉ प्रमुख एएस दुलत राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए। किसी ने भी दुलत पर अपनी नौकरी या उस देश के प्रति प्रतिबद्ध होने की बात नहीं कही, जिसकी वह सेवा करने के लिए बने थे। बल्कि अलगाववादियों और पाकिस्तान के गहरे राज्य के साथ और कश्मीर उपद्रव में एक महत्वपूर्ण भूमिका रही। 

वाजपेयी सरकार पर लगाया था बड़ा आरोप

भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होकर फिर से चर्चा में आए दुलत मोदी सरकार के आने के बाद कश्मीर मुद्दों को लेकर काफी मुखर रहते हैं। वह वाजपेयी सरकार में रॉ चीफ थे। रिटायरमेंट के बाद वह लंबे समय तक पीएमओ में भी तैनात रहे थे। उन्होंने 2015 में लिखी बायोग्राफी में यह आरोप लगाकर सनसनी फैला दी थी कि कंधार हाईजैक मामले में वाजपेयी सरकार पर लापरवाही बरती थी। दुलत साल 1989 से 1990 तक कश्मीर में इंटेलिजेंस ब्यूरो के स्टेशन हेड थे। ये वही दौर था जब लाखों कश्मीरी पंडितों का पलायन हुआ था और वह घर छोड़ने को मजबूर हो गए थे।

द कश्मीर फाइल्स को बताया था प्रोपागंडा

कश्मीर मामलों के जानकार माने जाने वाले दुलत ने पिछले साल अप्रैल में बॉलीवुड फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को प्रोपागंडा बताया था। यह फिल्म 1990 के दशक में घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन पर आधारित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सत्तारूढ़ बीजेपी के नेताओं ने इसका भारी समर्थन किया था। वहीं कांग्रेस ने इसे प्रोपगंडा बताकर खारिज कर दिया था।

एएस दुलत हमेशा भारत विरोधी रुख क्यों अपनाते हैं?

एएस दुलत पर अक्सर पाकिस्तान के लिए एक सॉफ्ट कॉर्नर रखने वाले व्यक्ति होने का आरोप लगाया जाता है। उन्होंने अक्सर कश्मीर और पाकिस्तान पर कांग्रेस के प्रचार को आगे बढ़ाया। 2015 में दुलत ने IC-814 के कुख्यात अपहरण को भारत की ओर से एक "गलत चाल" बताया था। जिसके पीछे उन्होंने तर्क दिया था कि भारत से उड़ान भरने से पहले जब यह अमृतसर में उतरा था, तब भारत हवाई जहाज को स्थिर करने में असमर्थ था। यहां यह जानना जरूरी है कि उस वक्त दुलत रॉ चीफ थे और उन्होंने टेररिस्ट ग्रुप के साथ नेगोशिएशन को हैंडल किया था। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारण जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर सहित तीन खूंखार आतंकवादियों को रिहा कर दिया गया।

ISI को दुनिया की सबसे अच्छी स्पाई एजेंसी बताया 

एएस दुलत पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की जमकर तारीफ करने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने इसे दुनिया की सबसे अच्छी खुफिया एजेंसी बताया। पूर्व रॉ अधिकारी ने आईएसआई के बारे में अपने दावे का खुलासा भी किया। यह दुलत ही थे जिन्होंने आईएसआई प्रमुख असद दुर्रानी के साथ "द स्पाई क्रॉनिकल्स: रॉ, आईएसआई एंड द इल्यूजन ऑफ पीस" पुस्तक का सह-लेखन किया था। संयोगवश से, यह पुस्तक तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह की उपस्थिति में दिल्ली में लॉन्च की गई थी। इस पुस्तक के जारी होने पर, पाकिस्तानी प्रतिष्ठान ने दुर्रानी को देश छोड़ने पर रोक लगा दी। तब एएस दुलत थे, जिन्होंने अपने दोस्त, पूर्व आईएसआई प्रमुख असद दुर्रानी के बचाव में बात की थी। दुलत ने उनका बचाव करते हुए कहा था कि कोई कारण नहीं था कि सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल असद दुर्रानी को उनकी राय के लिए विवाद का सामना करना पड़े।

आईएसआई के मुकाबले के लिए कश्मीर में आतंकवादियों को भारतीय फंडिंग 

भारत की प्रमुख खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व प्रमुख अमरजीत सिंह दुलत ने कहा कि भारतीय खुफिया एजेंसियों ने अक्सर आतंकवादियों और अलगाववादियों के साथ-साथ कश्मीर में मुख्यधारा के राजनेताओं और राजनीतिक दलों को आईएसआई का मुकाबला करने के लिए पैसे दिए। एनडीटीवी के साथ उनकी किताब 'कश्मीर: द वाजपेयी इयर्स' के लॉन्च से पहले एक साक्षात्कार में, दुलत ने कश्मीर में पैसे के इस्तेमाल का बचाव करते हुए कहा कि यह आतंकवादियों और अलगाववादियों को उलझाने की उम्मीद में किया गया था। उन्होंने कहा कि किसी को पैसे से भ्रष्ट करना उसे मारने से ज्यादा नैतिक और चालाक है। 

मोदी से बेइंतहा नफरत

दुलत मौजूदा मोदी सरकार के खिलाफ बेहद आलोचनात्मक रुख रखने के लिए जाने जाते हैं। भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट स्ट्राइक करने के बाद उन्होंने एक बेतुका बयान दिया, उन्होंने कहा कि "मोदी मौजूदा स्थिति को चरम पर पहुंचा रहे हैं। खैर, दुश्मन देश से बदला लेना निश्चित रूप से स्थिति को बढ़ाना नहीं माना जाता है।

यासीन मलिक समर्थक

यासीन मलिक एक आतंकवादी है जिसने 80 के दशक के अंत और 90 के दशक की शुरुआत में भारतीय वायु सेना के अधिकारियों और कई अन्य आम कश्मीरियों को मार डाला था। द कश्मीर फाइल्स देखने के बाद अब हर कोई कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार के पीछे यासीन मलिक की भूमिका से वाकिफ है, और लोग मांग कर रहे हैं कि यासीन मलिक पर उसके पापों के लिए मुकदमा चलाया जाना चाहिए। यासीन मलिक के सवाल पर एक रिपोर्टर का जवाब देते हुए, दुलत ने कहा था कि तीन दशक बाद यासीन मलिक को फांसी देकर हमें क्या हासिल होगा? वह अक्सर पाकिस्तानी कर्मियों और मशहूर हस्तियों से मिला करते थे, जो आईएसआई के करीबी हैं। यहां तक की वो पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार के साथ हैं, जो अपने सख्त भारत विरोधी रुख के लिए जानी जाती हैं।

बहरहाल, ये तो हम निश्चित रूप से नहीं जानते कि उनके इरादे क्या हैं, लेकिन उनके बयानों से ऐसा एक नजर में तो हर किसी को जरूर प्रतीत होगा कि वो स्पष्ट रूप से एक देशभक्त भारतीय की तरह नहीं बोलते हैं। पाकिस्तान और आईएसआई के प्रति उनका जुनून किसी ने छिपा नहीं और वह पाकिस्तानी प्रतिष्ठान की प्रशंसा करने से कभी पीछे नहीं हटते। साथ ही इस बात से निश्चित रूप से सोच कर डर लगता है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान आईबी और रॉ में क्या किया होगा। ऐसे लोगों को फ़िल्टर किया जाना चाहिए, अन्यथा वे केवल हमारे देश की सुरक्षा से समझौता कर सकते हैं।  

Who is as dulat ex raw chief who participated in rahuls bharat jodo yatra

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