कौन बनेगा नेपाल का प्रधानमंत्री? ओली को कमान दिलाने के लिए जोड़-तोड़ करवा रहा चीन!
नेपाल में संसदीय चुनाव तो हो गये लेकिन प्रधानमंत्री कौन बनेगा इसको लेकर अभी संशय बरकरार है। हम आपको बता दें कि संसदीय चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी नेपाली कांग्रेस ने अगली सरकार बनाने के लिए अन्य राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। लेकिन अन्य दल भी अपने लिये संभावनाएं तलाश रहे हैं। रिपोर्टें तो इस प्रकार की भी हैं कि नेपाल में सरकार गठन के लिए छोटे दलों को बड़े लालच दिये जाने का खेल इस समय जोरों पर चल रहा है।
नेपाल के अब तक आये चुनाव परिणाम की बात करें तो नेपाली कांग्रेस पार्टी ने अब तक प्रतिनिधि सभा के सीधे चुनाव के तहत 55 सीट जीती हैं जबकि विपक्षी सीपीएन-यूएमएल (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्ससिस्ट-लेनिनिस्ट) ने 44 सीटों पर जीत हासिल की है। संसदीय चुनाव में सीपीएन-माओवादी सेंटर को 17, सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट को 10, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी को चार और राष्ट्रीय जनमोर्चा को एक सीट मिली है। इसके अलावा विपक्षी यूएमएल के दो सहयोगी राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी और जनता समाजवादी पार्टी ने सात-सात सीटें हासिल की हैं। उल्लेखनीय है कि संसद के 275 सदस्यों में से 165 प्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से चुने जाएंगे, जबकि शेष 110 आनुपातिक चुनाव प्रणाली के माध्यम से चुने जाएंगे। नेपाल में बहुमत की सरकार बनाने के लिए एक पार्टी को कम से कम 138 सीटों की जरूरत होती है।
इस बीच, नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व उपप्रधानमंत्री प्रकाश मान सिंह का कहना है कि पार्टी ने अगली सरकार बनाने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श तेज कर दिया है। उनका कहना है कि सभी सीटों के नतीजे आने के बाद और आनुपातिक मतदान प्रणाली के आधार पर आवंटित की जाने वाली सीटों का निर्धारण होने के बाद उनकी पार्टी अपने संसदीय दल के नेता का चुनाव करेगी। उल्लेखनीय है कि नेपाली कांग्रेस में छह नेताओं ने प्रधानमंत्री बनने की आकांक्षा व्यक्त की है। खुद पूर्व उपप्रधानमंत्री प्रकाश मान सिंह उन नेताओं में शामिल हैं जो अगले प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में शामिल हैं। हालांकि नेपाली कांग्रेस की ओर से वर्तमान प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा फिर से इस पद की दौड़ में हैं। इसके अलावा देउबा के गठबंधन सहयोगी सीपीएन माओवादी सेंटर के नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड, नेपाली कांग्रेस के महासचिव गगन थापा और रामचंद्र पौडयाल भी प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं।
इस बीच, खबर है कि प्रधानमंत्री बनने के लिए नेपाली कांग्रेस में चल रही उठापटक के बीच खुद प्रचंड प्रधानमंत्री बनने के लिए अन्य विकल्प तलाश रहे हैं और मौका पड़ा तो वह नेपाली कांग्रेस और निवर्तमान प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा का साथ छोड़ सकते हैं। नेपाली कांग्रेस में चल रही उठापटक की बात करें तो आपको बता दें कि वहां पार्टी का एक धड़ा देउबा को फिर से प्रधानमंत्री बनाने की वकालत करते हुए बयान जारी कर रहा है। इस धड़े का मानना है कि चूंकि देउबा के नेतृत्व में ही पार्टी को इतनी बड़ी जीत मिली है इसलिए देश की कमान उन्हीं को संभालनी चाहिए। लेकिन नेपाली कांग्रेस में नया नेतृत्व लाने की वकालत करने वाले स्वर भी मुखर हो रहे हैं।
इस बीच, खबर यह भी है कि शेर बहादुर देउबा ने गठबंधन सरकार के गठन संबंधी मुद्दों पर बातचीत के लिए अपने एक सहयोगी को प्रचंड के पास बातचीत के लिए भेजा था लेकिन उन्होंने प्रस्ताव को ज्यादा महत्व नहीं दिया। देखा जाये तो नेपाल में यह तय है कि गठबंधन सरकार ही बनेगी इसलिए यदि देउबा प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं तो उनके नाम पर गठबंधन के नेताओं की सहमति होना जरूरी है लेकिन प्रचंड जिस तरह के तेवर दिखा रहे हैं उससे देउबा की राह मुश्किल होती नजर आ रही है। इस तरह की भी खबरें हैं कि प्रचंड चाहते हैं कि देउबा और प्रचंड को आधे आधे कार्यकाल के लिए सरकार का नेतृत्व करने का मौका मिले। प्रचंड इसके लिए तर्क दे रहे हैं कि उन्होंने ही ओली सरकार को उखाड़ फेंकने में देउबा की मदद की थी इसलिए इस बार कमान उन्हें मिलनी चाहिए। लेकिन देउबा भी कम नहीं हैं उन्होंने कई छोटी पार्टियों को साधना शुरू कर दिया है ताकि जल्द से जल्द सरकार का गठन किया जा सके।
हम आपको यह भी बता दें कि साल 2017 में भी ऐसा मौका आया था जब प्रचंड प्रधानमंत्री बनने से चूक गये थे। उस समय बाजी केपी शर्मा ओली के हाथ में लगी थी। वैसे ओली और प्रचंड के बीच राजनीतिक दुश्मनी जगजाहिर है लेकिन अब खबरें हैं कि यह दोनों नेता एक भी हो सकते हैं। चीन के इशारे पर चलने वाले और भारत विरोधी रुख रखने वाले केपी शर्मा ओली ने प्रचंड के पास प्रस्ताव भेजा है कि यदि वह चाहें तो उनकी पार्टी उन्हें ढाई साल के लिए प्रधानमंत्री बना सकती है। इस तरह अब प्रचंड को तय करना है कि वह किस गठबंधन के साथ रहें। यदि वह ओली के साथ जाते हैं तो तुरंत प्रधानमंत्री पद मिल सकता है और यदि वह देउबा के साथ बने रहते हैं तो उन्हें इस पद के लिए इंतजार करना पड़ सकता है।
बहरहाल, नेपाल की राजनीति में जिस तरह चीन का दबदबा हाल के वर्षों में बढ़ा है उसको देखते हुए इस हिमालयी देश में नई सरकार के गठन और संभावित स्वरूप पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। चीनी हस्तक्षेप को देखते हुए ही अमेरिका भी सक्रिय है। नेपाल में अमेरिका के राजदूत डीन थॉम्पसन ने प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा से हाल ही में दो मुलाकातें की हैं। हालांकि इन मुलाकातों के बारे में औपचारिक रूप से यही कहा गया है कि अमेरिका ने देउबा को प्रतिनिधि सभा और सात प्रांतीय विधानसभाओं के चुनाव सफलतापूर्वक कराने के लिए बधाई दी लेकिन पर्दे के पीछे के जानकारों का कहना है कि अमेरिका भी यही चाहता है कि देउबा ही सत्ता में लौटें जिससे चीन के इरादों पर पानी फिर सके।
-नीरज कुमार दुबे
Who will become the prime minister of nepal