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बाइडन और शी की बैठक के बाद अमेरिका और चीन के तेवर क्यों पड़े नरम?

बाइडन और शी की बैठक के बाद अमेरिका और चीन के तेवर क्यों पड़े नरम?

बाइडन और शी की बैठक के बाद अमेरिका और चीन के तेवर क्यों पड़े नरम?

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और उनके चीनी समकक्ष शी जिनपिंग की बहुप्रतीक्षित मुलाकात से दोनों देशों के तनावपूर्ण संबंध कुछ कम हुए हैं साथ ही रूस-यूक्रेन युद्ध पर पहली बार चीन ने स्पष्टता के साथ कुछ बड़ी बातें भी कही हैं। रूस की ओर से बार-बार यूक्रेन को परमाणु युद्ध की धमकी दिये जाने की निंदा करते हुए अमेरिका और रूस ने एक सुर में कहा है कि किसी भी हालात में परमाणु युद्ध नहीं लड़ा जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के मुद्दे पर चीन ने संयुक्त राष्ट्र तथा अन्य वैश्विक मंचों पर सदैव रूस का बचाव किया है इसलिए जब अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ मुलाकात के दौरान चीनी राष्ट्रपति के सुर बदले तो रूस भी चौकन्ना हो गया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अमेरिका और रूस के संबंध इस समय सबसे खराब दौर में चल रहे हैं और दोनों ही देशों ने एक दूसरे पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगाये हुए हैं।

जहां तक बाइडन और जिनपिंग की मुलाकात के दौरान दोनों देशों के रिश्तों पर जमी बर्फ कुछ पिघलने की बात है तो आपको बता दें कि ऐसा इसलिए संभव हो सका क्योंकि बाइडन और उनके चीनी समकक्ष शी जिनपिंग ने बढ़ते मतभेदों को कम करने और संघर्ष को रोकने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की है। हम आपको बता दें कि ताइवान के खिलाफ और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक रुख के बीच दोनों नेताओं की पहली बार आमने-सामने बैठक हुई है। बाइडन ने इससे पहले शी जिनपिंग से अमेरिकी उपराष्ट्रपति के रूप में प्रत्यक्ष मुलाकात की थी। साल 2021 में पदभार ग्रहण करने के बाद, बाइडन ने अपने चीनी समकक्ष से फोन पर बात की थी लेकिन दोनों के बीच आमने-सामने की बैठक इससे पहले नहीं हुई थी। कुछ मौकों पर दोनों नेता ऑनलाइन बैठकों में जरूर शामिल हुए थे लेकिन प्रत्यक्ष रूप से बाइडन और जिनपिंग की यह पहली मुलाकात थी जोकि साढ़े तीन घंटे तक चली।

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इंडोनेशिया के एक लग्जरी रिसॉर्ट होटल में अमेरिका और चीनी झंडों की कतार की पृष्ठभूमि में मुलाकात के दौरान शी और बाइडन ने एक-दूसरे का अभिवादन किया और हाथ मिलाया। बैठक के बाद बाइडन ने संवाददाताओं से कहा कि ताइवान पर अमेरिकी नीति ‘‘बिल्कुल नहीं बदली है।’’ उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल सटीक रुख है। बाइडन ने कहा कि वह अमेरिका और चीन के बीच ‘‘टकराव’’ नहीं तलाश रहे और नया शीत युद्ध नहीं होगा। राष्ट्रपति शी ने भी सुर नरम करते हुए दुभाषिया के जरिए कहा, ‘‘दो प्रमुख देशों के नेताओं के रूप में, हमें अमेरिका-चीन संबंधों के लिए सही दिशा निर्धारित करने की आवश्यकता है।'' उन्होंने कहा कि हमें आगे बढ़ने वाले द्विपक्षीय संबंधों के लिए सही दिशा खोजने और संबंधों को ऊपर उठाने की जरूरत है।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि चीन ने ताइवान पर आक्रमण करने की योजना बनाई है, बाइडन ने चीन के इस तरह के इरादे होने की संभावना से इनकार किया। उन्होंने कहा कि चीनी नेता ‘‘जितने स्पष्टवादी मेरे साथ रहे हैं, उतने ही पहले भी’’ थे। वहीं, शी जिनपिंग ने बाइडन से कहा कि ताइवान का प्रश्न चीन के मूल हितों की बुनियाद में है और उनके द्विपक्षीय संबंधों में ‘‘खतरे की पहली रेखा है, जिसे पार नहीं किया जाना चाहिए।" बाइडन और जिनपिंग का ताइवान को लेकर बैठक में जो रुख रहा वह दर्शाता है कि ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन ने अपनी अपनी नीतियों के प्रति स्पष्टता खुद एक दूसरे के सामने जाहिर कर दी है।

यही नहीं, बातचीत की शुरुआत में ही बाइडन ने कहा कि वह शी जिनपिंग के साथ संचार के रास्ते खुले रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा, “मैं व्यक्तिगत रूप से आपके और मेरे बीच संचार की लाइनें खुली रखने के लिए प्रतिबद्ध हूं...।” उन्होंने कहा, “मेरे विचार से चीन और अमेरिका अपने मतभेदों का प्रबंधन कर सकते हैं।'' बाइडन ने कहा कि हम प्रतिस्पर्धा को संघर्ष के करीब जाने से रोक सकते हैं और तात्कालिक वैश्विक मुद्दों पर एक साथ काम करने के तरीके ढूंढ़ सकते हैं जिनके लिए हमारे पारस्परिक सहयोग की आवश्यकता होती है।”

वहीं, शी जिनपिंग ने कहा कि दुनिया उनके और राष्ट्रपति बाइडन के बीच हो रही बैठक पर ध्यान दे रही है। शी ने कहा, “दुनिया को उम्मीद है कि चीन और अमेरिका रिश्ते को ठीक से संभाल लेंगे। हमारी बैठक ने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है, इसलिए हमें विश्व शांति के लिए और अधिक आशा लाने के लिए, वैश्विक स्थिरता के लिए अधिक विश्वास लाने और सबके विकास के लिए मजबूत प्रोत्साहन लाने के वास्ते सभी देशों के साथ काम करने की जरूरत है।” चीनी नेता शी जिनपिंग ने कहा कि वह चीन-अमेरिका संबंधों और प्रमुख वैश्विक तथा क्षेत्रीय मुद्दों पर व रणनीतिक महत्व के मुद्दों पर बाइडन के साथ विचारों का “स्पष्ट और गहन” आदान-प्रदान करने के लिए तैयार हैं।

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बहरहाल, अमेरिका में मध्यावधि चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद जो बाइडन का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ लगा और वह अब अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों को हल करने को अपनी प्राथमिकता बनाये हुए हैं इसलिए अब किसी तरह के संघर्ष में पड़ने से बचना चाह रहे हैं। बाइडन ने जब बैठक के बाद कहा कि शी जिनपिंग सहित नेताओं के साथ बातचीत में उनकी शीर्ष चिंता यह सुनिश्चित करने की रही है कि कोई गलतफहमी न हो तो साफ प्रतीत हुआ कि वह हर प्रकार का तनाव खत्म करना चाहते हैं। 

यही नहीं, शी जिनपिंग के तेवर भी थोड़े ढीले इसलिए पड़े हैं क्योंकि महामारी फैलाने का जिम्मेदार पूरी दुनिया में चीन को ही माना गया जिससे उस देश की छवि बुरी तरह प्रभावित हुई है साथ ही चीन इस समय मंदी का सामना कर रहा है। हाल ही में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का जो अधिवेशन हुआ था उसमें जिनपिंग को अपार शक्तियां तो मिल गयी हैं लेकिन उनके समक्ष देश को आर्थिक चुनौतियों से उबारने जैसा बड़ा लक्ष्य भी है।

- गौतम मोरारका

Why did america and china soften after the biden and xi meeting

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