हिंदुओं के आराध्यों पर हमले होते रहते हैं, सरकारें और अदालतें बस देखती रहती हैं?
बिहार में चल क्या रहा है? पहले सत्तारुढ़ गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि राम मंदिर नफरत की जमीन पर बनाया जा रहा है। अब बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बता दिया है। क्या इस देश में हिंदुओं की भावनाओं पर प्रहार पर प्रहार किये जाते रहेंगे? कभी कोई सर तन से जुदा की धमकी देता है तो कभी कोई राम का, शिव का या देवी दुर्गा का अपमान कर देता है। लेकिन हिंदू से अपेक्षा की जाती है कि वह सहिष्णु रहे, कानून को उसका काम करने दे। हिंदू सहिष्णु बना रहता है, कानून को उसका काम करने देता है और एक दिन न्याय मिलने की आस में अपने आराध्यों पर हमला होते देखता रहता है।
सवाल उठता है कि क्या कर रही हैं हमारी सरकारें? क्यों वह मंत्रियों या नेताओं के विवादित बयानों पर चुप्पी साधे रहती हैं? सवाल उठता है कि अदालतों की ओर से ऐसे मामलों पर क्यों स्वतः संज्ञान नहीं लिया जाता? मंत्री पद की शपथ के दौरान कहा जाता है कि मैं बिना किसी भेदभाव के काम करूंगा। लेकिन क्या हिंदू समाज के आराध्य के बारे में ऐसी बयानबाजी भेदभाव नहीं है? सवाल तो कई हैं लेकिन जवाब नेता देंगे नहीं इसलिए जवाब देने की जिम्मेदारी भी जनता को ही निभानी होगी। लोकतांत्रिक तरीके से हर उस नेता को जवाब देना चाहिए जो नफरत के बीज बोकर अपने चुनावी हित साधना चाहता है या तुष्टिकरण की राजनीति को बढ़ावा देता है। वैसे जगदानंद सिंह के बाद चंद्रशेखर का बयान यही दर्शाता है कि यह कोई संयोग नहीं बल्कि वोटबैंक की राजनीति का प्रयोग है।
दूसरी ओर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वैसे तो सुशासन बाबू के नाम से जाने जाते हैं लेकिन आजकल उन्हें पता नहीं क्या हो गया है। बिहार में क्या हो रहा है? कौन मंत्री क्या बयान दे रहा है इस पर उनसे सवाल पूछो तो उन्हें कुछ पता ही नहीं होता। राजधानी पटना में छात्रों पर लाठीचार्ज होने पर जब उनसे सवाल पूछा जाता है तो वह कहते हैं कि मुझे पता नहीं कहां लाठीचार्ज हुआ। मंत्री के विवादित बयान पर उनसे सवाल पूछा जाता है तो वह कह देते हैं कि मैंने बयान देखा नहीं है। क्या ऐसे ही चलती हैं सरकारें? हमारे मंत्री, मुख्यमंत्री कब यह बात समझेंगे कि जनता नासमझ नहीं है?
बिहार में स्कूलों और शिक्षा की क्या स्थिति है यह किसी से छिपा नहीं है। उस पर से शिक्षा मंत्री जो ज्ञान बिखेर रहे हैं उससे नफरत बढ़ रही है। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस की चौपाइयों की जो व्याख्या अपने शब्दों में की है उसने नाहक का विवाद खड़ा कर दिया है। बिहार के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने यदि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की तो ऐसे बयान देने वालों का हौसला बढ़ेगा। नेताओं को समझना होगा कि वही समाज या देश तरक्की कर सकता है जहां शांति हो और शांति तथा समृद्धि विवादित बयान देकर माहौल बिगाड़ने का प्रयास करने से नहीं आती।
-नीरज कुमार दुबे
Why do the government and the courts keep watching the attacks on the idols of hindus