1100 घाटों के लिए 25 करोड़ का खर्च, LG की मंजूरी, तमाम कोशिशों के बाद भी क्यों प्रदूषित है यमुना?
उत्तर भारत और मुख्यत: बिहार का मुख्य पर्व छठ। लोक आस्था के महापर्व छठ की तैयारियां बिहार, यूपी, दिल्ली और मुंबई समेत देश के तमाम छोटे-बड़े शहरों में शुरु हो गईं है। इस पर्व की शुरुआत 28 तारीख यानी शुक्रवार से नहाय खाय से से छठ की शुरुआत होगी। जबकि पूजा का समापन 31 अक्टूबर को उगते हुई सर्य को अर्घ्य देने का साथ होगा। छठ घाटों पर साफ सफाई के साथ-साथ बाजार भी सजने लगे हैं और लोगों ने छठ की खरीदारी भी शुरू कर दी है। बीते दो सालों के दौरान लोगों को कोरोना के प्रतिबंधों से गुजरना पड़ा। लेकिन इस साल ऐसा बिल्कुल नहीं है और इसलिए छठ वर्तियों में आस्था के साथ एक विशेष उत्साह देखने को मिल रहा है।
नदी-तालाब सब साफ किए जा रहे हैं। घाटों पर सभी व्यवस्था की जा रही है। वहीं बिहार के लिए इस बार रेलवे 124 छठ पूजा स्पेशल ट्रेन चला रहा है, ताकी लोग अपनों के बीच पहुंचकर छठ मना सके। एक तरफ छठ की तैयारियां चल रही है, दूसरी ओर छठ को लेकर दिल्ली में केजरीवाल की घेराबंदी की गई और एलजी की ओर से केजरीवाल को नसीहत दी गई कि पवित्र त्योहार को लेकर गलत प्रचार केजरीवाल ना करें। छठ पूजा का वेसब्री से इंतजार कर रहे दिल्ली-एनसीआर के लाखों पूर्वांचलियों को बड़ी राहत देते हुए दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने यमुना किनारे वने कुछ चुनिंदा घाटों पर छठ पूजा के आयोजन की अनुमति दे दी है।
एलजी ऑफिस के सूत्रों के मुताविक, दिल्ली सरकार के राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने एक प्रस्ताव तैयार करके उसे सीएम की मंजूरी के साथ अनुशंसा के साथ एलजी के पास भेजा था। उसी आधार पर एलजी ने यह इजाजत दी है। मंजूरी मिलने के बाद अव छठ व्रती अस्थायी घाटों व अन्य जगहों के अलावा यमुना नदी के घाटों पर जाकर भी छठ पूजा कर सकेंगे। लेकिन जिस ढंग से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रचार किया। उससे संदेश गया कि यमुना किनारे कहीं भी बैठकर पूजा कर सकते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री को आगाह करते हुए कहा कि लोगों को इस तरह से गुमराह करना गलता है। उपराज्यपाल ने कहा कि जब पूजा को मंजूरी ही नहीं मिली थी तो इस तरह से प्रचार क्यों किया गया? उन्होंने कहा कि इस पवित्र त्यौहार को लेकर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।
यमुना पर दिल्ली की निर्भरता
यमुना नदी का दिल्ली खंड वजीराबाद बैराज से ओखला बैराज (शर्मा और कंसल) तक लगभग 22 किमी है। नदियों के प्रदूषण के 76 प्रतिशत के लिए अकेले यही खंड जिम्मेदार है, लेकिन यह खंड राजधानी के लिए कच्चे पानी का मुख्य स्रोत भी है। यह मोटे तौर पर दिल्ली की पानी की आपूर्ति का 70% हिस्सा है, जो लगभग 57 मिलियन लोगों का है।
प्रदूषण के स्रोत क्या हैं?
घरेलू अपशिष्ट जल, औद्योगिक अपशिष्ट, मूर्ति विसर्जन, कीटनाशक अवशेष, अनुपचारित सीवेज यमुना नदी के प्रदूषण के कुछ स्रोत हैं। अधिकांश प्रदूषण एनसीआर में अन्य जगहों की तुलना में होता है जहां नदी बहती है। यमुना नदी का एक छोटा सा हिस्सा महज 2 फीसद दिल्ली से गुजरता है। इस दिल्ली में एक केंद्र की सरकार है और एक राज्य की सरकार है लेकिन दोनों सरकारें मिलकर यमुना के इस दो फीसदी हिस्से को साफ नहीं कर पा रही है। उल्टा सच्चाई ये है कि पूरी यमुना नदी में जितनी गंदगी है उसमें 80 फीसदी हिस्सेदारी दिल्ली की है। मतलब यमुना को मैली करने वाली दिल्ली ही हैं। यमनोत्री से प्रयागराज तक जाने वाली यमुना का केवल दो फीसदी हिस्सा ही दिल्ली में बहता है। लेकिन उसी दो फीसदी में यमुना 80 फीसदी प्रदूषित हो जाती है और इसकी शुरुआत दिल्ली में यमुना के प्रवेश के साथ ही शुरू हो जाती है।
अमोनिया की भूमिका
हाल ही में यमुना में अमोनिया का स्तर बढ़ा है। पिछले सप्ताहांत में अमोनिया का स्तर 0.9 पीपीएम की उपचार योग्य सीमा से पांच गुना अधिक उतार-चढ़ाव का रहा है। राजधानी में पानी की आपूर्ति के लिए जिम्मेदार शासी निकाय दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने एक एसओएस जारी किया है। पानी में अमोनिया का स्तर जलीय जीवन के लिए भी हानिकारक है। यह पानी के पीएच को बदल देता है जिससे यह अधिक क्षारीय हो जाता है। मछलियों की रहस्यमय मौत को अमोनिया विषाक्तता से भी जोड़ा जा सकता है।
यमुना एक्शन प्लान
केंद्र सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ एनवायर्नमेंट और फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज ने जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी के साथ मिलकर फेज वाइज यमुना एक्शन प्लान लागू किया था।
पहला चरण
अवधि : 1993 से फरवरी 2003
खर्च : 682 करोड़ रुपए
योजना : इसके तहत यमुना से कई टन कचरा साफ किया गया।
दूसरा चरण
अवधि : 2003 में शुरू हुआ
खर्च : 624 करोड़ रुपए
योजना : इस फंड से सीवेज नेटवर्क में सुधार और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए योजना बनाई गई।
तीसरा चरण
अवधि : 2012 में शुरू हुआ
खर्च : 1656 करोड़ रुपए
योजना : यमुना एक्शन प्लान तैयार करने की योजना
यमुना में तैर रहा झाग
दिल्ली सरकार की तरफ से केंद्र शासित प्रदेश में बड़े स्तर पर छठ पूजा मनाने की बात कही गई थी। जिसके लिए सीएम केजरीनाल की तरफ से सभी सुविधाओं के साथ 1100 घाट बनाने की बात की थी और इसके लिए 25 करोड़ रुपये खर्च किए जाने थे। इससे अलावा दिल्ली नगर निगम की तरफ से भी छठ पूजा को लेकर घाटों पर स्ट्रीट लाइटिंग बढ़ाने के लिए प्रति वार्ड 40,000 रुपये आवंटित किए थे। बहरहाल, दिल्ली सरकार भले ही सभी सुविधाओं के साथ छठ घाट बनाने की बात कर रही हो। लेकिन जमीनी हकीकत तो कुछ और ही बयां करती है। छठ से पहले दिल्ली के यमुना नदी में भारी प्रदूषण के साथ जहरीला झाग देखा गया। पूरा प्रशासन महकमा भले ही यमुना के सफाई के दावे और बातें करता नजर आता हो लेकिन वास्तविकता तो कुछ और ही बयां करती है।
Why is yamuna polluted despite all efforts